Author : Ankita Dutta

Published on May 30, 2023 Updated 0 Hours ago
भारत-यूरोपीय संघ TTC बैठक: रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने की कोशिश

भारत और यूरोपीय संघ ने 16 मई 2023 को अपनी पहली ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी कौंसिल यानी व्यापार और तकनीक परिषद (TTC) की बैठक आयोजित की थी. अप्रैल 2022 में प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेन ने व्यापार और तकनीक परिषद स्थापित करने के निर्णय की घोषणा की थी. "व्यापार, विश्वसनीय तकनीक और सुरक्षा के गठजोड़ से जुड़ी पर चुनौतियों से निपटने" और भारत-EU रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने के लिए फरवरी 2023 में  TTC को लॉन्च किया गया था. यह TTC भारत के लिए अपनी तरह की पहली परिषद है और यूरोपीय संघ (EU) के लिए दूसरी परिषद है क्योंकि EU की पहली परिषद 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका (US) के साथ लॉन्च की गई थी.

EU के लिए, भारत के साथ की गई TTC डिजिटल साझेदारी की एक श्रृंखला का हिस्सा है. EU ने इसके पहले जापान (मई 2022), सिंगापुर (फरवरी 2023) और दक्षिण कोरिया (नवंबर 2022) सहित एशियाई देशों के साथ इसी तरह की परिषद का गठन करने के संबंध में दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए हैं. इन परिषदों का उद्देश्य डिजिटल विभाजन और "सभी के लिए एक निष्पक्ष, समावेशी और समान डिजिटल वातावरण" को मज़बूती प्रदान करना है. ये साझेदारियां EU के "डिजिटल अर्थव्यवस्था और समाज की सकारात्मक और मानव-केंद्रित दृष्टि" को बढ़ावा देने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम करने के विचार का हिस्सा है, जैसा कि EU के 2030 डिजिटल कम्पास में कल्पना की गई है. 

व्यापार और तकनीक का रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन करने का उद्देश्य लेकर काम करने वाले ऐसे विभिन्न प्लेटफार्मों और पहलों में भारत अपने स्तर पर सक्रिय रूप से शामिल होता रहा है. इसमें उभरती और महत्वपूर्ण तकनीक पर QUAD वर्किंग ग्रुप शामिल है, जिसका लक्ष्य 5G/6G नेटवर्क, AI, डिजिटलीकरण, क्वांटम कंप्यूटिंग आदि उभरती हुई तकनीक के लिए मानकों और रूपरेखाओं की स्थापना पर सहयोग को बढ़ावा देना है. जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ, बेस्ट प्रैक्टिसेस्‌ को साझा करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए 2021 में भारत ने आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल शुरू की थी.  भारत और US ने भी दोनों देशों के बीच रणनीतिक तकनीक साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करने के लिए मई 2022 में क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) पर एक पहल की थी. 

इस घटनाक्रम को देखते हुए, रणनीतिक बातचीत को आगे बढ़ाने में India-EU TTC उनकी ओर से की गई एक स्वागत योग्य पहल है. India-EU TTC में तीन कार्यकारी समूह शामिल हैं- पहला रणनीतिक तकनीक, डिजिटल प्रशासन और डिजिटल कनेक्टिविटी पर, जो क्वांटम कंप्यूटिंग, AI, सेमीकंडक्टर आदि क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा; दूसरा सर्कुलर इकोनॉमी, ग्रीन ट्रान्जिशन, अपशिष्ट प्रबंधन, आदि पर ध्यान देने के साथ हरित और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों पर ध्यान देगा; जबकि तीसरा कार्यकारी समूह व्यापार, निवेश और लचीली मूल्य श्रृंखलाओं पर बनाया है, जो आपूर्ति श्रृंखलाओं के लचीलेपन और व्यापार बाधाओं की पहचान और समाधान पर ध्यान केंद्रित करेगा. इन कार्यकारी समूहों की पहली बैठक में इन समूहों के संचालन के लिए एक खाका तैयार किया गया. बैठक में लिए गए अहम फ़ैसले निम्नलिखित हैं: 

TTC बैठक के फ़ैसले

कार्यकारी समूह 1

कार्यकारी समूह एक के तहत, तीन प्रमुख पहलें की गई है. पहली पहल ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) के भीतर समन्वय से जुडी है, GPAI, "अनुसंधान और इस पर अमल से जुड़ी गतिविधियों के माध्यम से AI पर सिद्धांत और व्यवहार" के बीच की खाई को पाटने के लिए आरंभ की गई एक बहु-हितधारक पहल है. इसकी घोषणा 2018 के G7 शिखर सम्मेलन के मौके पर की गई थी. आधिकारिक तौर पर 2020 में इसे लॉन्च किया गया था. भारत और EU दोनों ही इसके संस्थापक सदस्य हैं. इसके अलावा, नवंबर 2022 में भारत ने GPAI की अध्यक्षता ग्रहण करते हुए इसके सदस्यों के साथ काम करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए "एक ऐसी रूपरेखा तैयार की जिसके चारों ओर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का दोहन किया जा सके... और यह सुनिश्चित किया जाए कि इसके दुरुपयोग और उपयोगकर्ता को होने वाले नुक़सान को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय मौजूद हैं.” 11 मई 2023 को EU संसद द्वारा EU के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अधिनियम का समर्थन करने  की वज़ह से अधिनियम को कानून में परिवर्तित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है. ये बढ़ा हुआ समन्वय इसी पृष्ठभूमि में हो रहा है. इसी तरह, AI के लिए एक अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए भारत ने नेशनल प्रोग्राम ऑन AI (मार्च 2022) और ड्राफ्ट नेशनल डेटा गर्वनंस फ्रेमवर्क पॉलिसी (जुलाई 2022) भी तैयार की है. AI पर सहयोग 2020 में हस्ताक्षरित 2025 तक India-EU रोडमैप का हिस्सा भी है. TTC के तहत इस समन्वय से AI के विनियामक और अभिनव पहलुओं पर सहयोग और आगे बढ़ने की उम्मीद है. 

दूसरा, TTC ने भारत और EU के बीच सेमी-कंडक्टर क्षेत्र को लेकर अपनी नीतियों के समन्वय की आवश्यकता को पहचाना. इसलिए, इस संबंध में, दोनों भागीदारों का सितंबर 2023 तक सेमीकंडक्टर्स पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) को अंतिम रूप देने का लक्ष्य है. भारत और EU दोनों एक ही स्रोत से सेमीकंडक्टर पर अपनी निर्भरता में विविधता लाने की दिशा में काम कर रहे हैं. इस संबंध में, EU ने विनिर्माण को मज़बूत करने और क्रिटिकल डिपेन्डेन्सीज को कम करने के लिए अप्रैल 2023 में अपना चिप्स अधिनियम लागू किया है. भारत सरकार ने भी सेमीकंडक्टर के लिए विनिर्माण मूल्य श्रृंखला स्थापित करने और इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए निर्माताओं को US$10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव की पेशकश करते हुए अपने प्रयासों को गति प्रदान की है. बहुपक्षीय रूप से, भारत क्वाड सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पहल के तहत अपने भागीदारों के साथ काम कर रहा है. यह MoU भारत और EU के बीच सहयोग को संस्थागत करते हुए बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि ये दोनों सेमी-कंडक्टर विनिर्माण का केंद्र बनने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं. 

तीसरी पहल भारत की डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) पहल के महत्व मान्यता देना है. DPI के विकास में भारत एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है, जहां इसने DPI के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं- डिजिटल पहचान (आधार के माध्यम से), डिजिटल भुगतान (UPI के माध्यम से), और डेटा-साझाकरण (डेटा एम्पावरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर के माध्यम से) के कार्यान्वयन और अनुकूलन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है. इनको ‘‘इंडिया स्टैक’’ के रूप में भी जाना जाता है. EU ने भी अपने डिजिटल दशक नीति कार्यक्रम 2030 और ग्लोबल गेटवे के तहत समावेशी विकास और सतत उन्नति को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल तकनीक और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन क्षेत्रों पर काम किया है. TTC ने DPI को सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की उपलब्धि में तेजी लाने के तरीके के रूप में मान्यता दी है. भारत और EU के DPI के बीच अंतरसंचालनीयता बढ़ाने की दिशा में TTC काम करेगा और विकासशील देशों के लिए विश्वसनीय समाधान को बढ़ावा देगा. 

कार्यकारी समूह 2 और 3

हरित और स्वच्छ ऊर्जा तकनीक पर कार्यकारी समूह दो के तहत, भारत और EU ने नेट-जीरो लक्ष्यों के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराते हुए सहयोग के तीन क्षेत्रों की पहचान की - रिन्यूएबल एंड लो-कार्बन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी और मानक. भारत और EU के पास पहले से ही स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु साझेदारी के लिए एक स्थापित ढांचा है, जिस पर 2016 में हस्ताक्षर किए गए थे. 2025 तक रोडमैप के तहत सहयोग के अधिकार का विस्तार किया गया और 2021 में 16वें भारत-EU शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में नवीकरणीय ऊर्जा, चक्रीय अर्थव्यवस्था और ऊर्जा दक्षता जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया. TTC के तहत पहचाने गए क्षेत्र जलवायु और ऊर्जा साझेदारी के तहत पहचान किए गए सहयोग के क्षेत्रों का अनुसरण करते हैं. इसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना और दोनों भागीदारों को SDG हासिल करने में मदद करना है. 

कार्यकारी समूह तीन के भीतर, भारत-EU ने "सहयोग के सिद्धांतों" और विशिष्ट आपूर्ति श्रृंखलाओं की पहचान पर चर्चा की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की जांच के लिए तंत्र पर बाज़ार पहुंच और सूचना के आदान-प्रदान को भी प्रमुख क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया, इस क्षेत्र में आपसी समझ बढ़ाने की आवश्यकता थी. इस कार्यकारी समूह के लिए एक महत्वपूर्ण परिणाम EU के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) के कार्यान्वयन से उभरने वाले मुद्दों पर संलग्न होने का निर्णय था, जिसका पहला चरण अक्टूबर 2023 से लागू किया जाएगा. CBAM के तहत, EU सीमेंट, एल्यूमीनियम और स्टील सहित कार्बन-इंटेंसिव आयात पर 35 प्रतिशत का टैरिफ लगाएगा, जो EU के साथ भारत के ट्रेड बास्केट का एक अनिवार्य हिस्सा है. भारत ने CBAM को "जलवायु-परिवर्तन हस्तक्षेप" के बजाय एक संरक्षणवादी कदम बताया था. 

निष्कर्ष

डॉ. जयशंकर ने अपनी टिप्पणी में TTC के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बैठक को "भारत और EU के बीच रणनीतिक साझेदारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर" निरुपित किया था. इसका संदर्भ यह था कि भारत और EU के बीच संबंध कितना लंबा सफ़र तय कर चुके हैं. भारत और EU ने इलेक्ट्रिक वाहन (EVS) और हाइड्रोजन सहित AI, सेमी-कंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा सहित सहयोग के अन्य क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार की है. EU के लिए, TTC AI और तकनीकी प्रशासन पर आम सहमति बनाने के लिए नई दिल्ली के साथ काम करने के अवसर का प्रतिनिधित्व करता है. भारत के लिए, TTC अगली पीढ़ी की तकनीक पर ब्रसेल्स के साथ काम करने और अंतरराष्ट्रीय डिजिटल और तकनीकी मानकों को विकसित करने के लिए "इंडिया स्टैक" के तहत अपनी डिजिटल विकास कहानी दिखाने का एक मंच हो सकता है. TTC दोनों साझीदारों को अपनी रणनीतिक साझेदारी में और इज़ाफ़ा करने का मौका प्रदान करता है. यह भारत और EU को आपसी महत्व के मुद्दों पर अपनी ताकत और नीतिगत दृष्टिकोण दिखाने और आपसी चिंता के क्षेत्रों पर अपने प्रयासों का समन्वय करने में सक्षम करेगा.


अंकिता दत्ता, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम में फेलो हैं. 

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