मौजूदा कोविड-19 वैश्विक महामारी की हालत का वर्णन करने के लिए सबसे सटीक शब्द है — हर स्तर पर अनिश्चितता. शायद ऐसा कोई भी व्यक्ति या संस्था नहीं है जो इस संकट का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार होने का दावा कर सकता है. ईंट-भट्ठा और मोर्टार बनाने से लेकर हाई-टेक कंपनियों तक, कोविड-19 ने सभी पर किसी ना किसी तरह असर डाला है.
लैटिन अमेरिका (दक्षिण अमेरिका) भी कोई अपवाद नहीं है. बल्कि, इस क्षेत्र के देशों को कोविड-19 का झटका ज़्यादा ज़ोर से लगा है और असमानता पहले से कहीं ज्यादा गहरी और प्रकट है. यहां के लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर सीधा असर पड़ा है — वे अब बाहर जाकर रोज़मर्रा का सामान नहीं ख़रीद सकते, वे बैंक नहीं जा सकते, या कोई अन्य गतिविधि नहीं कर सकते. अधिकांश लैटिन अमेरिकी देश अभी तक पूरी तरह डिजिटलाइज़ नहीं हुए हैं, और ज़रूरी डिजिटल परिवर्तन के लिए यहां बुनियादी ढांचा भी नहीं है. बड़ी संख्या में लोगों के पास स्मार्टफ़ोन नहीं है और यहां तक कि इंटरनेट कनेक्टिविटी भी नहीं है.[i] इसके अलावा, एक बड़ी जोख़िम वाली आबादी है जो पढ़ना-लिखना नहीं जानती.[ii]
लैटिन अमेरिका (दक्षिण अमेरिका) भी कोई अपवाद नहीं है. बल्कि, इस क्षेत्र के देशों को कोविड-19 का झटका ज़्यादा ज़ोर से लगा है और असमानता पहले से कहीं ज्यादा गहरी और प्रकट है. यहां के लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर सीधा असर पड़ा है
क्षेत्र के देश कोविड-19 संकट पर तेज़ी से प्रतिक्रिया करने के लिए मजबूर हुए थे. शुरुआती महीने हालात से अनुकूलन के थे. लोगों को अपनी रोज़ाना की आदतों और कामकाज को टेक्नोलॉजी प्लेटफार्मों पर ले जाना पड़ा. रोज़ाना के कामकाज को डिजिटल किया जाना था, बुजुर्गों और अन्य जोख़िम वाले समूहों को स्मार्टफोन और एप्लिकेशन का इस्तेमाल करना सिखाना था, और मिलना-जुलना रोकना था. लेकिन वित्तीय क्षेत्र आवश्यक सेवाओं के लिए पूरी तरह से ऑटोमेटिक नहीं था, जिससे और समस्या होनी थी. कई बैंकिंग गतिविधियों को अभी भी व्यक्तिगत रूप से किए जाने की ज़रूरत है, जैसे कि सरकारी दस्तावेज़ों का प्रमाणीकरण.
ख़तरे में उद्यमशीलता और उद्योग
दमदार अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी उद्योगों की स्थिति चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित है. हालांकि, कोविड-19 महामारी ने सभी व्यवसायों और उद्योगों पर बुरा असर डाला है, लैटिन अमेरिका का उद्यम इको-सिस्टम शायद सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. हालांकि, संसाधनों तक सीमित पहुंच वाले लैटन फाउंडर्स, लैटिन और अश्वेत महिलाओं, और अन्य समुदायों को अपने इनोवेशन को विकसित करने और लॉन्च करने के लिए प्रोत्साहित करने वाले कई फंड हैं, जो कुछ लैटिन अमेरिकी स्टार्टअप, गैर-तकनीकी उद्यमों (छोटे होटलों, हेयर सैलून, रेस्तरां) के बोझ को हल्का कर सकते हैं, लेकिन लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद इनको सरकारों या उद्योग से बहुत कम मदद मिली है.[iii]
दमदार अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी उद्योगों की स्थिति चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित है. हालांकि, कोविड-19 महामारी ने सभी व्यवसायों और उद्योगों पर बुरा असर डाला है, लैटिन अमेरिका का उद्यम इको-सिस्टम शायद सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
पूरे क्षेत्र के ज़्यादातार नए व्यवसायियों के लिए हालात ऐसे ही बुरे हैं. उदाहरण के लिए इस साल की शुरुआत में, युवा आंत्रप्यनोर ने कोलंबिया में ‘कॉफ़ी ट्राइंगल’— एक ऐसा क्षेत्र जो अपने कॉफी उत्पादन और बायो-डायवर्सिटी पर्यटन के लिए मशहूर है— में ‘ग्लैंपिंग’ स्पॉट (जंगल सफ़ारी के लिए कैंपिंग स्थल) स्थापित किए. हालांकि, कई किंतु-परंतु के बावजूद यह व्यवस्था लोकप्रिय हुई, लेकिन महामारी की मार के चलते कारोबारियों को कर्ज़ लेना पड़ा. हालांकि, कुछ क्षेत्रीय प्रोग्राम इस तरह की उद्यमशीलता को बचाए रखने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन सरकारों को बैंकिंग क्षेत्र के साथ मिलकर ऐसी योजना तैयार करनी चाहिए, जिसका ऐसे स्थानीय व्यवसायों पर गहरा असर हो.
सरकार और जोख़िम वाली आबादी
लोगों और व्यवसायों पर असर के साथ ही कोविड-19 ने आम सरकारी कामकाज में भी रुकावट डाली है. सरकारें इस अभूतपूर्व संकट के जोखिमों को कम करने के लिए तेज़ी से कार्रवाई करने पर मजबूर हुईं, जिसमें कई गलतियां भी हुईं, जिनसे सीख मिली. इस पूरे क्षेत्र में, स्थायी समाधानों तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिटिक्स के इस्तेमाल का अभाव है. सही डेटा एनालिटिक्स के बिना, अर्थव्यवस्थाओं को निष्क्रिय रखना, सरहदों को बंद करना और व्यवसायों को रोक कर जोख़िम वालों को और जोख़िम डाल देना, वायरस से ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो सकता है. फिर भी, टेक्नोलॉजी और टेक्नीक-आधारित सॉल्यूशन पर समाधान और महामारी के असर को कम करने के प्रयासों के हिस्से के रूप में विचार नहीं किया जा रहा है.
कई लैटिन अमेरिकी देशों में अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों की हिस्सेदारी ज़्यादा है. उदाहरण के लिए, पेरू में 2019 में अनौपचारिक रोज़गार लगभग 73 फ़ीसद तक पहुंच गया और इसने देश की जीडीपी में 19 फ़ीसद का योगदान दिया. सरकारें एक मुश्किल विकल्प चुनने को मजबूर हुईं— अर्थव्यवस्था या स्वास्थ्य.[iv]
कठोर क्वारंटाइन उपायों ने अनौपचारिक मार्केट को बुरी तरह तबाह कर दिया, जिससे कई परिवारों के लिए जीवनयापन का कोई साधन नहीं बचा. दवा और खाने के लिए सब्सिडी जैसे राहत उपाय पर्याप्त नहीं थे.
कई स्थानीय सरकारों के पास कोविड-19 के कठोर असर को लेकर समय नहीं था या संसाधन के लिए कोई योजना नहीं थी. हालांकि, क्वारंटाइन ने सरकारों को हेल्थकेयर क्षमता बढ़ाने और जीवन को चलाने के लिए नीतियों और रणनीतियों को तैयार करने का मौका दिया, लेकिन यह समय उन लोगों के लिए कठिन रहा जिनके पास बचत का पैसा नहीं था, भोजन और घर तक पहुंच की गारंटी नहीं थी.
लैटिन अमेरिकी देश मेडिकल और बायो-टेक्नोलॉजी इनोवेशन में अगुवा हैं. उदाहरण के लिए, कोलंबिया में बड़ी संख्या में डॉक्टर और जांच केंद्र कोविड-19 की संभावित वैक्सीन और ट्रीटमेंट पर अध्ययन कर रहे हैं.[v] लेकिन एक चुनौती अभी भी है— अनुसंधान और विकास में निवेश के लिए भरपूर संसाधनों को जुटाना, और इस तरह के इनोवेशन का वैश्विक तालमेल बढ़ाना. लैटिन अमेरिकी देशों को सहयोग और ज्ञान और कौशल साझा करने के लिए इस मोर्चे पर जुटी शक्तियों के साथ जुड़ना चाहिए.
लैटिन अमेरिका अभी भी कोविड-19 संकट से जूझ रहा है, यह एक न्यू नॉर्मल हासिल कर लेगा. फिर भी, इन देशों में गहरी असमानताओं को देखते हुए, यह अंदाज़ा लगाना अवास्तविक होगा कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी कैसी होगी, सरकार की नीतियां किस पर फ़ोकस होंगी, या हेल्थ सिस्टम कैसे तालमेल बिठाएगा.
आगे का रास्ता
हालांकि, लैटिन अमेरिका अभी भी कोविड-19 संकट से जूझ रहा है, यह एक न्यू नॉर्मल हासिल कर लेगा. फिर भी, इन देशों में गहरी असमानताओं को देखते हुए, यह अंदाज़ा लगाना अवास्तविक होगा कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी कैसी होगी, सरकार की नीतियां किस पर फ़ोकस होंगी, या हेल्थ सिस्टम कैसे तालमेल बिठाएगा.
अब क्षेत्रीय शिक्षा प्रणाली को सबसे कमज़ोर समूहों के वास्ते सुलभ बनाने के लिए, और उन्हें अवसर देने के लिए फिर से तैयार करने का सही समय है.
बाकी दुनिया की तरह लैटिन अमेरिका भी मुश्किल समय से गुज़र रहा है, लेकिन इसे निश्चित रूप से अपनी आंतरिक समस्याओं का भी समाधान करना होगा. इस क्षेत्र की रक्षा के लिए अनौपचारिक आर्थिक गतिविधियों की भूमिका को पहचानना होगा, इसे अपने प्रवासी मुद्दों को सुलझाना होगा, और कुछ देशों में संस्थागत अस्थिरता को दूर करने के लिए काम करना होगा. यह क्षेत्र के लिए एकजुटता से काम करने का समय है.
यह लेख मूल रूप से Rebooting the World में प्रकाशित हुआ था.
[i] “Conectividad: la otra desigualdad más evidente con la pandemia”, Forbes, April 8, 2020.
[ii] “El analfabetismo funcional en América Latina y el Caribe: Panorama y principales desafíos de política”, CEPAL, May, 2014.
[iii] “Policy Brief: The Impact of COVID-19 on Latin America and the Caribbean”, United Nations, July, 2020.
[iv] “Economía informal en Perú: situación actual y perspectivas”, CEPLAN, 2016.
[v] “Univalle lidera investigaciones sobre el COVID-19”, La Universidad del Valle, April 15, 2020.
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