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Published on Feb 02, 2024 Updated 0 Hours ago

 2024 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अंतरिम बजट ने व्यापक अर्थव्यवस्था के अच्छे नंबर पेश करने के साथ साथ 2024 का चुनाव जीतने का एक मज़बूत सियासी संकेत भी दिया है.

अंतरिम बजट 2024’ का संदेश: मैं वापस आऊंगा!

कोई नए टैक्स नहीं. कोई रियायत नहीं. कोई छूट नहीं और कोई कटौती भी नहीं. चुनाव से पहले कोई बड़ा लुभावना वादा भी नहीं, न ही वोट जुटाने के लिए किसी योजना का एलान. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का छठा बजट पिछले एक दशक का गंभीर हिसाब किताब और भविष्य की सुंदर झलक दिखाने वाला था. लेकिन, सबसे बड़ी बात और कई मामलों में इसने एक राजनीतिक संदेश को रेखांकित किया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 2024 में वापस आने जा रही है.

सबसे बड़ी बात और कई मामलों में इसने एक राजनीतिक संदेश को रेखांकित किया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 2024 में वापस आने जा रही है.

11 बजे सुबह से पहले टीवी स्टूडियोज़ में जो बात हल्के फुल्के हंसी मज़ाक़ का विषय थी, वो बहुत जल्द हक़ीक़त में तब्दील हो गई. अपने 97 पैराग्राफ और पांच हज़ार 257 शब्दों के बजट भाषण का तीन चौथाई हिस्सा पढ़ चुकने के बाद निर्मला सीतारमण ने कहा कि, ‘जुलाई में जब हमारी सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी, तो हम ‘विकसित भारत’ के अपने लक्ष्य तक पहुंचने की कार्ययोजना को विस्तार से देश के सामने प्रस्तुत करेंगे’. इससे पहले मोदी ने भी ऐसे ही शब्द इस्तेमाल किए थे: ‘… जब नई सरकार बन जाएगी तो हम पूर्ण बजट लेकर आएंगे.’ आर्थिक तरीक़े से दिखाया गया राजनीतिक आत्मविश्वास बिल्कुल स्पष्ट है.

एक सरकार जिसने नौ वर्षों और आठ महीनों के शासनकाल में इतना कुछ किया हो, और ऐसी सरकार जिस पर आप अपना संदेश पहुंचाने में नाकाम होने का इल्ज़ाम तो लगा ही नहीं सकते, उसके लिए अंतरिम बजट का ये भाषण आश्चर्यजनक तरीक़े से छोटा था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट भाषण से तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह के फ़रवरी 2004 के 5,044 शब्दों के भाषण और 1996 में उस वक़्त के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के 6,002 शब्दों के भाषण के बीच जगह बनाई.

लेकिन, अंतरिम बजट का ये दस्तावेज़ जो सरकार के आमदनी और ख़र्च का ब्यौरा पेश करता है, उसको वास्तविक तौर पर परिभाषित करने वाले चार आंकड़े प्रमुख हैं. पहला 2024-25 के लिए कॉरपोरेट टैक्स का जो आकलन लगाया गया है, वो 13 प्रतिशत बढ़ गया है और 10 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है, वो बजट का 17 प्रतिशत हिस्सा है. जबकि 2021-22 में ये 13 प्रतिशत था और उसके बाद के वर्षों में कॉरपोरेट टैक्स का बजट में कुल हिस्सा 15 प्रतिशत रहा था. इससे भी बेहतर बात, 2024 के बजट के लिए आयकर से आमदनी बढ़ गई है. एक बार फिर ये आंकड़ा 13 प्रतिशत है और 11.6 लाख करोड़ के साथ ये बजट का 19 फ़ीसद हिस्सा बनाता है. पिछले साल की तुलना में ये चार प्रतिशत की बड़ी छलांग है. कुल मिलाकर ये दो आंकड़े जो पिछले साल के 30 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 36 फ़ीसद पहुंच गए हैं, ये दिखाते हैं कि बजट 2024 में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा किस तरह बढ़ गया है. तीसरा, गुड्स ऐंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) से राजस्व भी बढ़कर 10 लाख करोड़ से अधिक और कुल बजट का 18 प्रतिशत हो गया है.

पिछले साल के बजट के 34 प्रतिशत से घटकर इस साल सरकारी क़र्ज़ 28 प्रतिशत रह गया है. लगभग 50 हज़ार करोड़ की ये गिरावट, महंगाई पर सरकार के उधार लेने से पड़ने वाले बोझ को कम करेगी.

कॉरपोरेट टैक्स, इनकम टैक्स और GST के इन आंकड़ों को मिलाकर देखें, तो इनमें 7 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है. लेकिन, सवाल ये है कि फिर कम क्या हुआ है? उधारी. पिछले साल के बजट के 34 प्रतिशत से घटकर इस साल सरकारी क़र्ज़ 28 प्रतिशत रह गया है. लगभग 50 हज़ार करोड़ की ये गिरावट, महंगाई पर सरकार के उधार लेने से पड़ने वाले बोझ को कम करेगी. इसके नतीजे भी सकारात्मक होंगे. अगर आप इस गिरावट को निजी पूंजी निवेश की अपेक्षाओं के समय के साथ मिलाकर देखें, तो आपके सामने कम ब्याज दर वाली व्यवस्था खड़ी होगी, जो अगली दो तिमाहियों में महंगाई दर में गिरावट के बाद दिखेगी.

इसके अलावा, वित्तीय घाटा भी घटने की राह पर चल पड़ा है, और जैसा कि वित्त मंत्री सीतारमण ने 2022 के बजट में वादा किया था, उसी के मुताबिक़ ये 4.5 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है. 2024 के बजट में वित्तीय घाटा 5.1 प्रतिशत है, जो 2023 के 5.8 फ़ीसद से कम है. ठोस रक़म के तौर पर ये गिरावट लगभग 50 हज़ार करोड़ की है. इसी तरह, राजस्व घाटा भी गिरकर दो प्रतिशत हो गया है. इसमें 8.4 लाख करोड़ से 6.5 लाख करोड़ यानी 22 प्रतिशत की बहुत बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.

2023 के बजट में निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत निवेश के लिए 10 लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान किया था, जो 2019-20 के बजट से तीन गुना अधिक था. 2024 के बजट में भी उन्होंने ये रफ़्तार कम नहीं की है. पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ (GDP का 3.4 प्रतिशत) कर दिया है, जो फिनलैंड की अर्थव्यवस्था के आधे के बराबर है. पहले की ही तरह, ये आवंटन भारत की विकासगाथा को आगे बढ़ाएगी और इसकी रफ़्तार भी तेज़ करेगी.

बजट के चार स्तंभ और 2024 के आम चुनाव

लेकिन, अच्छी आर्थिक कथाएं हमेशा अच्छे राजनीतिक क़िस्सों में तब्दील नहीं होतीं. सत्ता में बने रहने के लिए मतदाताओं को लगातार उत्प्रेरित करते रहना होता है. इसीलिए, ग़रीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता, 2024 के बजट और 2024 के आम चुनाव के लिए, चार प्रमुख स्तंभ बने हैं.

ग़रीबों के लिए 34 लाख करोड़ रूपए (ये स्विटज़रलैंड की GDP से भी ज़्यादा है) सीधे हर लाभार्थी के खाते में जाएंगे. महिलाओं के लिए 30 करोड़ मुद्रा योजना क़र्ज़, उच्च शिक्षा में महिलाओं को अधिक संख्या में शामिल करने, जिसमें से STEM शिक्षा में महिलाओं की संख्या 43 प्रतिशत, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे 70 प्रतिशत मकान महिलाओं को या फिर साझे में दिया जा रहा है.

युवाओं के लिए 2020 में लागू की गई नई शिक्षा नीति, 1.4 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा के कई संस्थानों की स्थापना और 22 लाख करोड़ रुपए (आयरलैंड की GDP से अधिक) के 44 करोड़ क़र्ज़ बांटे जा चुके हैं. वहीं किसानों के लिए, 4 करोड़ किसानों की फ़सल का बीमा और इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट की स्थापना की गई है, जो 1,361 मंडियों को एकीकृत करके 1.8 करोड़ किसानों को सेवाएं दे रही है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछली यूपीए सरकार के बारे में बात करके मतदाताओं को सीधा संदेश दिया है. उन्होंने 2014 में मिली ‘अर्थव्यवस्था को क़दम दर क़दम दुरुस्त करने’ की ज़िम्मेदारी का ज़िक्र किया. उससे उबरने के बाद, ‘अब ये उचित होगा कि हम 2014 में कहां खड़े थे और अब कहां पर पहुंच गए हैं और उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक़ सीख लें’. सरकार, ‘सदन के पटल पर एक श्वेत पत्र रखेगी’. इस दौरान भारत ‘पांच नाज़ुक’ देशों की सूची से बाहर निकलकर शीर्ष के पांच देशों में पहुंच चुका है. और यूपीए से एनडीए तzक आ गया है. इसलिए, ये श्वेत पत्र जितना आर्थिक होगा, उतना ही राजनीतिक भी होगा.

रहन-सहन और कारोबार में आसानी के अपने मक़सद से, 2024 का बजट, वित्त वर्ष 2010 तक के 25 हज़ार रुपए के टैक्स की सारी बकाया मांग और 2011 से 2015 के बीच के दस हज़ार रुपयों के बकाया टैक्स की मांग को वापस लेगा. 

रहन-सहन और कारोबार में आसानी के अपने मक़सद से, 2024 का बजट, वित्त वर्ष 2010 तक के 25 हज़ार रुपए के टैक्स की सारी बकाया मांग और 2011 से 2015 के बीच के दस हज़ार रुपयों के बकाया टैक्स की मांग को वापस लेगा. भले ही ये रक़म बहुत अधिक न हो. लेकिन, ये मामूली और अपुष्ट बकाया टैक्स न चुकाने या इनसे जुड़े विवाद झेल रहे कारोबारियों और निजी करदाकाताओं को बहुत राहत मिलेगी. इनकम टैक्स के इस बकाये में कई मांगें तो 1962 से चली आ रही हैं, जो अभी भी ‘बही खातों में दर्ज’ हैं. ये भरोसा बढ़ाने वाला क़दम है.

आख़िर में अमृत काल के ज़रिए विकसित भारत का दृष्टिकोण, जब भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बन जाएगा, उसके भी बजट में एक आर्थिक नज़रिए और राजनीतिक नारे के तौर पर जगह दी गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ‘जय जवान, जय किसान’ से लेकर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के, ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे, ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान’ तक पहुंचाया है, क्योंकि इनोवेशन, विकास की आधारशिला है.

नारों और आंकड़ों से आगे देखें, तो निर्मला सीतारमण का 2024 का बजट भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था का शोर मचाने वाला लाउडस्पीकर नहीं है. ये सुहानी धुनें सुनाने वाले ईयरपॉड जैसा है, जो मतदाताओं को आर्थिक अतीत की एक संतुलित कहानी सुनाता है और आत्मविश्वास से भरे राजनीतिक भविष्य की झलक दिखाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो, ये ऐसा बजट है, जिसमें मोदी सरकार कह रही है: ‘मैं वापस आऊंगा!’

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