Author : Priyanshu Mehta

Published on Sep 16, 2023 Updated 0 Hours ago
कैसे वित्तीय हथियार वैश्विक राजनीति को नया आकार दे रहे हैं: एक नाजुक दुनिया में नियामकों के लिए चुनौतियाँ

आज की भूराजनीतिक तौर पर नाज़ुक दुनिया में वित्तीय नियामकों को लगातार जटिल होती चुनौती का सामना करना पड़ रहा हैये चुनौती देशों द्वारा अपने राजनीतिक या सामरिक हित साधने के लिए वित्तीय व्यवस्थाओंलेनदेन और वित्तीय संसाधनों को तोड़नेमरोड़ने के लिए पूंजी को हथियार की तरह इस्तेमाल करने की हैजैसेजैसे दुनिया आपस में और जुड़ती जा रही है और उभरती हुई तकनीकें वित्तीय परिदृश्य को नया आकार दे रही हैंवैसेवैसे वित्तीय संसाधनों और इनके ढांचे का देश और नॉनस्टेट एक्टर्स द्वारा दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा हैइस वजह से अर्थशास्त्रराजनीति और सुरक्षा के बीच की सीमा रेखा धुंधली होती जा रही हैऔर इससे ऐसे अज्ञात और अभूतपूर्व ख़तरे पैदा हो रहे हैंजो सीमाओं के आरपार असर डालते हैं. इन दो तरह की बातों– यानी उभरती तकनीकों और अनजाने जोखिमों की वजह से दुनिया भर के वित्तीय नियामकों की चिंताएं बढ़ गई हैं.

जैसे-जैसे दुनिया आपस में और जुड़ती जा रही है और उभरती हुई तकनीकें वित्तीय परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं, वैसे-वैसे वित्तीय संसाधनों और इनके ढांचे का देश और नॉन-स्टेट एक्टर्स द्वारा दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है. इस वजह से अर्थशास्त्र, राजनीति और सुरक्षा के बीच की सीमा रेखा धुंधली होती जा रही है, और इससे ऐसे अज्ञात और अभूतपूर्व ख़तरे पैदा हो रहे हैं, जो सीमाओं के आर-पार असर डालते हैं.

उभरती तकनीकें और अनजाने ख़तरे

पूंजी को हथियार की तरह इस्तेमाल करने का चलन बढ़ाने में उभरती तकनीकों के मामले में तेज़ी से हो रही प्रगति का बड़ा योगदान हैवैसे तो ये तकनीकें कुशलतासमावेश करने और वित्तीय आविष्कारों के रूप में बहुत से फ़ायदे पहुंचाने वाली हैंलेकिनइनसे नई कमज़ोरियां और ख़तरे भी पैदा हो रहे हैंडिजिटल करेंसियोंब्लॉकचेनवित्तीय तकनीक (fintech) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उभार ने वित्तीय नियामकों के लिए अवसर भी पैदा किए हैं और चुनौतियां भी.

AI से वित्तीय सेवाओं में बहुत बड़े बदलाव वाली क्षमताएं विकसित हुई हैंइनकी वजह से फ़ैसले लेनेजोखिम के आकलन और फ़र्ज़ीवाड़े का पता लगाना आसान हो गया हैफिर भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एल्गोरिद्म में पारदर्शिता की कमी और पक्षपात की संभावना से जवाबदेहीनैतिकता और ग़ैरइरादतन नतीजों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.

संपत्ति को जमा करने और लेनदेन के एक विकल्प के तौर पर क्रिप्टोकरेंसियों की लोकप्रियता काफ़ी बढ़ गई हैलेकिनये मनी लॉन्ड्रिंगआतंकवाद के लिए पूंजी जुटाने और प्रतिबंधों से बचने जैसी अवैध गतिविधियों का भी आकर्षक हथियार बन गई हैंक्योंकिये बुनियादी तौर पर विकेंद्रीकृत होती हैंइनका कोई वास्तविक मूल्य होता भी है और नहीं भी होताऔर इनके ऊपर नियामक संस्थाओं की नज़र भी कम होती है.

वित्तीय तकनीक के मंचों (fintech) ने पारंपरिक वित्तीय सेवाओं में बड़ा बदलाव ला दिया है. आज इनकी वजह से ग्राहकों की पहुंच और सुविधा बढ़ी है. लेकिन, उनके तेज़ी से हुए विस्तार ने डेटा की प्राइवेसी, ग्राहकों के संरक्षण और संस्थागत जोखिमों जैसी चुनौतियां भी पैदा कर दी हैं.

वित्तीय तकनीक के मंचों (fintech) ने पारंपरिक वित्तीय सेवाओं में बड़ा बदलाव ला दिया हैआज इनकी वजह से ग्राहकों की पहुंच और सुविधा बढ़ी हैलेकिनउनके तेज़ी से हुए विस्तार ने डेटा की प्राइवेसीग्राहकों के संरक्षण और संस्थागत जोखिमों जैसी चुनौतियां भी पैदा कर दी हैं. जैसे कि UPI के फ़र्ज़ीवाड़े को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है.

दूसरे जोखिम और अनिश्चितताएं

उभरती हुई तकनीकों के साथ साथवित्तीय नियामकों को भूराजनीतिक अनिश्चितताओं से पैदा हुए जोखिमों का भी ख़याल रखना पड़ रहा हैऔर आर्थिक प्रतिबंधों को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने का वित्तीय व्यवस्थाओं पर दूरगामी असर पड़ सकता है.

मौद्रिक नीतियों का मूल मक़सद तो घरेलू बाज़ार में स्थिरता और आर्थिक विकास करना थालेकिनदेशों द्वारा इन्हें विश्व में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता हैहालांकिब्याज दरोंमुद्रा की विनिमय दर (exchange rate) और पूंजी के क़ुदरती प्रवाह में हेरफेरवित्तीय बाज़ारों में बाधा डाल सकता है और अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर कर सकता हैइससे संबंधित देश के अलावा दूसरे देशों पर भी असर पड़ने की आशंका बढ़ जाती हैऐसी हरकतें वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में भरोसा कमज़ोर करती हैंऔर भूराजनीतिक तनाव को और बढ़ा देती हैंजिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं  ही नहींविकसित देशों के लिए भी नाज़ुक स्थिति बन जाती हैमिसाल के तौर पर मार्च 2022 से अमेरिका के फेडरल रिज़र्व द्वारा लगातार ब्याज दरें बढ़ाने की वजह से डॉलर मज़बूत हुआ और इसका असर दूसरे देशों में डॉलर के भंडार पर भी पड़ाडॉलर की मज़बूती का असर पूरी दुनिया में देखने को मिला हैख़ास तौर से उन देशों को जहां बड़ी तादाद में डॉलर के रूप में संपत्ति जमा हैराजकीय कोषों से जुड़े बॉन्ड के जोखिम बढ़ गए हैंक्योंकि मुद्राओं की विनिमय दरइन परिसंपत्तियों के मूल्य को प्रभावित करती हैजिससे वित्तीय नुक़सान होने और बाज़ार में उथलपुथल मचने की संभावना बढ़ जाती है.

इसके अलावाजलवायु परिवर्तनऔर ख़ास तौर से कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण के नियम से निपटने के लिए उठाए जाने वाले क़दम भी भूराजनीतिक अखाड़े में ताक़तवर हथियार बन गए हैंआज जब तमाम देश जलवायु परिवर्तन से तुरंत निपटने की चुनौती से जूझ रहे हैंतो सख़्त नीतियां लागू करने से अनजाने में ही सही मगर वैश्विक व्यापार और आर्थिक रिश्ते प्रभावित हो सकते हैंउद्योगों या देशों को निशाना बनाकर किये जाने वाले इकतरफ़ा उपाय व्यापारिक संघर्षों को भड़का सकते हैंजिससे आपूर्ति श्रृंखलाओं में खलल पड़ सकता हैइससे  केवल जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर असर पड़ता हैबल्कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पैदा हुए अस्तित्व के संकट से निपटने के लिए ज़रूरी सामूहिक उपाय भी प्रभावित होते हैं.

पूंजी और जलवायु परिवर्तन से निपटने के क़दमों को हथियार की तरह इस्तेमाल किए जाने ने आज के नाज़ुक भूराजनीतिक माहौल को और बिगाड़ दिया हैबढ़ते ध्रुवीकरणराष्ट्रवादी उभार और सामरिक प्रतिद्वंदिताओं ने ऐसा माहौल बना दिया हैजहां राजनीति और अर्थशास्त्र का घालमेल वित्तीय व्यवस्थाओं की स्थिरता को ख़तरे में डाल रहा हैनिवेशकों के लिए अनिश्चितता पैदा कर रहा हैऔर वैश्विक आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है.

निवेशक और क़र्ज़दातासोचसमझकर फ़ैसला लेने और प्रभावी ढंग से जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए स्थिरता और नीतियों में स्थायित्व चाहते हैंमगरवित्त को हथियार बनाने से इसमें जटिलता की नई परत और जोखिम जुड़ जाते हैंजो क़र्ज़ देने की गतिविधियों को रोक सकते हैंजिससे क़र्ज़ देने की मात्रा कम हो जाती हैऔर अर्थव्यवस्था में क़र्ज़ का प्रवाह धीमा पड़ जाता हैजो कारोबारियोंव्यक्तियों और कुल मिलाकर आर्थिक विकास पर नकारात्मक असर डालता हैयही नहींवित्त को हथियार बनाने से सीमा के आरपार लेन देन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता हैजब वित्तीय व्यवस्थाएंभूराजनीतिक विवादों और तनावों में उलझ जाती हैंतो भरोसा क़ायम करना और देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

जब वित्तीय व्यवस्थाएं, भू-राजनीतिक विवादों और तनावों में उलझ जाती हैं, तो भरोसा क़ायम करना और देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

पूंजी को हथियार बनाने की चुनौती से निपटने के लिए आपस में जुड़े कुछ जोखिमों को समझना बहुत ज़रूरी है:

  1. साइबर सुरक्षावित्तीय व्यवस्थाओं के बढ़ते डिजिटलीकरण और उभरती हुई तकनीकों पर निर्भरता ने साइबर ख़तरों की चुनौती बढ़ा दी हैवित्तीय संस्थानोंमूलभूत ढांचों और लेनदेन को निशाना बनाकर किए जाने वाले साइबर हमलेसंवेदनशील डेटा चोरी कर सकते हैं और वित्तीय व्यवस्था के संचालन में बाधा डालकर उस पर लोगों का भरोसा तोड़ सकते हैं.
  1. सीमा के आरपार पूंजी का प्रवाहपूंजी को हथियार बनाने से सीमाओं के आरपार इसके प्रवाह पर असर पड़ सकता हैभूराजनीतिक तनावआर्थिक प्रतिबंध या फिर व्यापारिक संघर्ष से देशों के बीच पूंजी और निवेश का प्रवाह बाधित हो सकता हैजिससे बाज़ार में उथलपुथल और वित्तीय अस्थिरता पैदा हो सकती है.
  1. नियमों में कमी का दुरुपयोगजब वित्त को हथियार बनाया जाता हैतो नियमों का दुरुपयोग हो सकता हैकुछ लोग नियमों की कमज़ोरी या उनकी सीमाओं का फ़ायदा उठाने की कोशिश करते हैंऐसे बर्ताव से वित्त व्यवस्था में सबके लिए बराबरी नहीं रह जातीनियमों की कमियां और संभावित जोखिमों से वित्तीय अस्थिरता बढ़ती है.
  1. संस्थागत जोखिमवित्त व्यवस्थाओं के आपस में जुड़ाव से संस्थागत जोखिमों का ख़तरा बढ़ जाता हैव्यवस्था के एक हिस्से में बाधा या फिर नाकामी बड़ी तेज़ी से संक्रमण की तरह तमाम बाज़ारों में फैल सकती हैजिससे संस्थागत अस्थिरता पैदा हो जाती है.

आगे की राह

इन चिंताओं को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्थाओं और नीति निर्माताओं को आपस में सहयोग करना चाहिएजिससे वो ऐसा ढांचा विकसित कर सकेंजो पारदर्शिताजवाबदेही और उत्तरदायी वित्तीय बर्ताव को बढ़ावा देवित्त को हथियार बनाने के जोखिमों को कम करने के लिएवैश्विक प्रशासन की व्यवस्था को मज़बूत बनानेअलग अलग देशों की नियामक एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ाने और देशों के बीच खुलकर बातचीत को बढ़ावा देने जैसे क़दम ज़रूरी हैं.

इसके अतिरिक्तवित्तीय समावेश को बढ़ावा देनाटिकाऊ विकास में मदद करना और झटकों को सह सकने वाले ढांचे के निर्माण में निवेश से कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं को पूंजी को हथियार बनाने से पैदा होने वाले ख़तरों से निपटने में सहयोग दिया जा सकता हैदेशों को अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए सशक्त बनानेउनकी वित्तीय व्यवस्था को बढ़ाने और बाहरी झटकों से निपटने लायक़ लचीलापन विकसित करने में मदद करके हम भूराजनीतिक दबावों का ख़तरा कम कर सकते हैं और आर्थिक स्थिरता को सुरक्षा कवच पहना सकते हैं.

इसके साथ साथजलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इकतरफ़ा क़दम उठाने के बजाय सभी देश आपस में मिलकर सहयोग की व्यवस्था में काम करेंइसके लिए बहुपक्षीय प्रयासों को तेज़ किया जाना चाहिएसंवादजानकारी के आदानप्रदान और सहयोगी पहल को बढ़ावा देकर सभी देशजलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इस तरह मिलकर काम कर सकते हैंजिससे टिकाऊ आर्थिक विकास को बढावा मिलेकमज़ोर तबक़े के लोगों की रक्षा हो सके और भूराजनीतिक तनाव की आशंका कम हो सकेजब अंतरराष्ट्रीय संगठन वैश्विक वित्तीय व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए आगे बढ़ेंतो उन्हें इस तरह सावधानी से क़दम उठाना चाहिएजिससे किसी भी देश की राष्ट्रीय संप्रभुता को चोट  पहुंचे.

इसी तरह नियामक संस्थाओं को फ़ुर्तीला और नई चुनौतियों के हिसाब से ख़ुद को तुरंत ढालने वाला बनना चाहिएउन्हें नई उभरती तकनीकों और बदलती भूराजनीतिक स्थितियों पर बारीक़ी से नज़र रखनी चाहिएउन्हें चाहिए कि वो आविष्कार को बढ़ावा देने और वित्तीय अपराधों और उनसे जुड़े जोखिमों से संरक्षित करने के बीच सही संतुलन बनाएंजोखिम का आकलन करने वाले मज़बूत ढांचे की मदद से ख़तरा पैदा होने से पहले ही नियम बनाना संभावित कमज़ोरियों की पहचान करके सुरक्षा के ज़रूरी उपाय करने के लिए बहुत आवश्यक हैनियमन करने वालों को आपस में जुड़ी जटिलताओं के बीच संतुलन बनाना चाहिए और संभावित झटकों का पूर्वानुमान लगाकर ऐसे लचीले ढांचे विकसित करने चाहिएजो भूराजनीतिक उथलपुथल को झेल सकेंनियमन करने वालों को सबके लिए बराबरी के अवसर वाली व्यवस्था बनानी चाहिएसाइबर सुरक्षा के उपायों को प्राथमिकता देते हुए ग्राहक के लिए जोखिम कम करने के लिए उद्योग के भागीदारों के साथ सहयोग करना चाहिएउन्हें नियमों के बीच आपसी तालमेल बनाकर उन्हें इस तरह दुरुस्त करना चाहिएजिससे किसी नियम में झोल का कोई ग़लत फ़ायदा  उठा सके और बाज़ार के सभी भागीदारों के लिए बराबरी का अवसर भी उपलब्ध हो.

नियमन करने वालों को जो सबसे ज़रूरी बात सुनिश्चित करनी चाहिएवो ये है कि वो राष्ट्रीय नीति के मक़सदों को अंतरराष्ट्रीय नीति के लक्ष्यों के साथ मेल कराएंभारत जैसे उभरते हुए देशों में डिजिटलीकरण की कामयाबी ने अधिक वित्तीय समावेश का लक्ष्य पाने में मदद की हैपूंजी को हथियार बनाने की चुनौती से निपटने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग भी आवश्यक हैवित्तीय संस्थानोंतकनीकी कंपनियों और उद्योग के संघों समेत निजी क्षेत्र के साथ सहयोग से आविष्कार को बढ़ावा मिल सकता हैबेहतरीन बातें आपस में साझा हो सकती हैं और सब मिलकर उभरते हुए जोखिमों का सामना कर सकते हैं.

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