23 दिसंबर को लाइबेरिया के झंडे वाले केमिकल टैंकर एमवी केम प्लूटो पर अरब सागर में संदिग्ध ड्रोन हमले के एक दिन बाद गैबॉन के झंडे वाले कच्चे तेल के टैंकर एमवी साईं बाबा पर यमन के हूती उग्रवादियों द्वारा हमला करने की बात कही जा रही है. केम प्लूटो की तरह साईं बाबा भी भारत की तरफ जा रहा था, तभी हथियार से लैस एक ड्रोन से इस पर हमला किया गया. ख़बरों के मुताबिक, हाल के हफ्तों में हूती उग्रवादियों के द्वारा व्यावसायिक जहाज़ों पर ये 15वां हमला था.
ख़बरों के मुताबिक, हाल के हफ्तों में हूती उग्रवादियों के द्वारा व्यावसायिक जहाज़ों पर ये 15वां हमला था.
एक के बाद एक इन दो हमलों ने इस क्षेत्र के देशों में बेचैनी का माहौल पैदा कर दिया है. हिंद महासागर में समुद्री बल वैसे तो डाकुओं से लड़ने में पूरी तरह सक्षम हैं लेकिन गैर-सैन्य जहाज़ों पर ड्रोन हमले से निपटने में उनके पास बहुत कम अनुभव है. ज़्यादातर सैन्य बलों को हूती उग्रवादियों के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अलग तरह की रणनीति की कोई ख़ास जानकारी नहीं है, ख़ास तौर पर ड्रोन हमलों की. इससे भी ज़्यादा चिंता की बात ये है कि ड्रोन हमलों से हर कोई इनकार करता है. न तो हूती, न ही किसी दूसरे संगठन ने केम प्लूटो पर हमले की ज़िम्मेदारी ली है. कई विश्लेषकों का कहना है कि ये हमले भारत के नज़दीक समुद्र में और अधिक अज्ञात ड्रोन हमले की भविष्यवाणी हैं.
जहाज़ पर हमला
अपनी तरफ से कार्रवाई करते हुए भारतीय नौसेना ड्रोन हमला करने वालों की पहचान करने पर ध्यान दे रही है. केम प्लूटो से मिले मलबे की शुरुआती छानबीन से ईरान के शहीद 136 ड्रोन के संभावित इस्तेमाल का संकेत मिला है. शहीद 136 रूस के जेरान-2 एक्सपेंडेबल ड्रोन का एक वेरिएंट है जिसकी रेंज 2,500 किमी है और ये 50 किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकता है. ख़बरों के मुताबिक हूती उग्रवादियों ने 2020 में यमन के गृहयुद्ध में इस ड्रोन का उपयोग किया था. इस छानबीन से अमेरिका के संतुष्ट होने की उम्मीद कम ही है क्योंकि उसका मानना है कि केम प्लूटो पर हमला ईरान की तरफ से किया गया था. अमेरिका का दावा है कि ईरान नियमित तौर पर अपने तट से सैकड़ों मील दूर व्यावसायिक जहाज़ों पर हमला करता है लेकिन उसका ये आकलन दूसरे विशेषज्ञों की राय से मेल नहीं खाता है. भारत के ज़्यादातर जानकारों को ये पता नहीं चल पाया है कि भारत के समुद्र के नज़दीक केम प्लूटो पर हमला करके ईरान क्या हासिल करना चाहता है क्योंकि भारत और ईरान के बीच अच्छे रिश्ते हैं.
भारत के ज़्यादातर जानकारों को ये पता नहीं चल पाया है कि भारत के समुद्र के नज़दीक केम प्लूटो पर हमला करके ईरान क्या हासिल करना चाहता है क्योंकि भारत और ईरान के बीच अच्छे रिश्ते हैं.
भारत का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व जहां हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं पूरी तरह से सतर्क भी है. दिसंबर 2023 के आख़िर में भारत के नए गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर INS इंफाल को सेना में शामिल करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संभावित कसूरवार का नाम लिए बिना उसका पता लगाने के सरकार के संकल्प पर ज़ोर दिया. उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा, “हम उन्हें सागर की गहराई से भी ढूंढ निकालेंगे और उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगे.”
रक्षा मंत्री का बयान भारतीय जहाज़ों को कुछ हद तक भरोसा दे सकता है लेकिन इससे समुद्र में ड्रोन का मुकाबला करने में आने वाली कठिनाई कम नहीं होती है. सबसे बड़ी मुश्किल रणनीतिक तौर पर ड्रोन हमलों को रोकने के कदमों की कमी है. हवाई ड्रोन हमलों से रक्षा करने में इकलौती असरदार तकनीक- जैमिंग और स्पूफिंग- मर्चेंट शिप के पास नहीं है. इस बात से परेशानी और बढ़ जाती है कि किसी ख़ास मौसम में कई तरह की एंटी-ड्रोन तकनीक अच्छी तरह से काम नहीं करती है. विशेष रूप से जैमिंग संदेहास्पद है क्योंकि इसमें मददगार संचार प्रणाली (फ्रेंडली कम्युनिकेशन सिस्टम) में दखल देने की क्षमता है. ड्रोन कंट्रोल सिस्टम को अस्त व्यस्त करने में उपयोगी तकनीक स्पूफिंग भी कभी-कभी ठीक ढंग से काम नहीं करती है. हथियारबंद ड्रोन का मुकाबला करने में लेज़र सिस्टम और हाई-पावर माइक्रोवेव वेपन जैसे डायरेक्टेड एनर्जी वेपन ज़्यादा असरदार हैं लेकिन ये तकनीकें ज़्यादा खर्चीली है और कई देशों की नौसेना के पास ये मौजूद भी नहीं हैं.
ऐसे में कुछ लोगों को लगता है कि भारत और अन्य क्षेत्रीय देशों के लिए एकमात्र व्यावहारिक विकल्प अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन, कंबाइंड मैरीटाइम फोर्स (CMF), में शामिल होना है. भारतीय नौसेना पिछले दिनों CMF का पूर्ण सदस्य बनी है और उसने पश्चिमी हिंद महासागर में गठबंधन की नौसेनाओं के साथ अभ्यास किया है. CMF के द्वारा संचालित किए जाने वाले पांच टास्क फोर्स में से कंबाइंड टास्क फोर्स 153- जिसके पास लाल सागर में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है- के ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन का नेतृत्व करने की उम्मीद की जा रही है. समीक्षकों का कहना है कि भारतीय नौसेना स्वतंत्र निगरानी वाले जंगी जहाज़ों के साथ सुरक्षित ट्रांज़िट कॉरिडोर का निर्माण करने में गठबंधन के बलों की मदद कर सकती है और इस तरह समुद्र को भयरहित बना सकती है. इस कोशिश की सफलता दक्षिणी लाल सागर से अदन की खाड़ी और उसके आगे तक फैले एक सुरक्षित ज़ोन का निर्माण करने की उसकी क्षमता पर निर्भर करेगी.
निश्चित तौर पर हूती अपने विरोध का मुकाबला करने के लिए इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष की जटिल भू-राजनीति का इस्तेमाल करना चाहता है. हूती उग्रवादी हिंद महासागर के असुरक्षित क्षेत्रों जैसे कि अरब सागर में और आगे बढ़ने के लिए दुनिया की बड़ी शक्तियों के बीच मतभेद का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. महत्वपूर्ण बात ये है कि हूती उग्रवादियों का हमला अब इज़रायल से जुड़े व्यावसायिक जहाज़ों तक सीमित नहीं है. लाल सागर में उग्रवादियों के हमले का निशाना बने एमवी साईं बाबा का साफ तौर पर इज़रायल से कोई संबंध नहीं था.
महत्वपूर्ण बात ये है कि हूती उग्रवादियों का हमला अब इज़रायल से जुड़े व्यावसायिक जहाज़ों तक सीमित नहीं है. लाल सागर में उग्रवादियों के हमले का निशाना बने एमवी साईं बाबा का साफ तौर पर इज़रायल से कोई संबंध नहीं था.
दुनिया की ताकतें हूती के ख़तरे के ख़िलाफ़ एक सही जवाब तैयार करने की ज़रूरत को समझते हैं. उग्रवादियों के हमलों ने वैश्विक व्यापार को घुटनों पर ला दिया है. दुनिया की 10 बड़ी शिपिंग कंपनियों, जिनमें हापाग -लॉयड, मर्स्क, CMA CMG और MSG शामिल हैं, ने लाल सागर में अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं. कुछ और भी कंपनियां ऐसा करने जा रही हैं. दुनिया भर की जहाज़ कंपनियों को भरोसा देने के लिए नौसैनिक गठबंधन बनाकर इस क्षेत्र के जहाज़ों की रक्षा करने की अमेरिका की कोशिश अभी तक ठीक से सफल नहीं हो पाई है. ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन, जिसका शुरू में 20 से ज़्यादा देशों ने समर्थन किया था, से हाल के दिनों में फ्रांस, इटली और स्पेन पीछे हट गए हैं. ये गठबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है.
निष्कर्ष
बड़ी समुद्री ताकतों के बीच राजनीतिक मतभेदों के बावजूद एक मुद्दे को लेकर आम राय है: हूती के ख़तरे का सामना करने के लिए क्षेत्रीय देशों की सामूहिक अनिच्छा. नौसेना के विशेषज्ञ इस बात को लेकर सहमत हैं कि समुद्र में एंटी-ड्रोन लड़ाई की रणनीति और दांव-पेच अभी भी विकसित हो रही है और ड्रोन को निशाना बनाने के कुछ तरीके उतने असरदार नहीं हैं जितना आम तौर पर समझा जाता है. दिसंबर 2023 के तीसरे हफ्ते में लाल सागर में अमेरिका के जंगी जहाज़ों ने 14 हथियारबंद ड्रोन को मार गिराने का दावा किया. ये अभी तक मालूम नहीं है कि इसके लिए किन हथियारों का इस्तेमाल किया गया लेकिन ये उम्मीद जताई जा रही है कि मिसाइल के साथ लंबी दूरी की गन का इस्तेमाल किया गया. क्षेत्रीय देशों की नौसेना स्वीकार करती हैं कि उनके पास हूती का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए ज़रूरी ऑपरेशनल (परिचालन) तालमेल और जानकारी के आदान-प्रदान की कमी है.
इसके बावजूद पश्चिमी हिंद महासागर में ड्रोन के ख़तरे का एक संभावित जवाब है. हालात के मुताबिक जागरूकता में बढ़ोतरी और बेहतर टूल के साथ समुद्री बल हूती उग्रवादियों के ड्रोन से निपट सकते हैं. कम-से-कम क्षेत्रीय नौसेनाओं को अपनी सुविधा के क्षेत्र (कंफर्ट ज़ोन) से बाहर निकलने और ऑपरेशन तेज़ करने की ज़रूरत है. भारत और हिंद महासागर की दूसरी शक्तियों के लिए इकलौता उचित विकल्प अधिक सक्षम और इच्छुक साझेदारों के साथ मिलकर काम करना हो सकता है.
अभिजीत सिंह ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं.
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