ये लेख निबंध श्रृंखला विश्व जल दिवस 2024: शांति के लिए जल, जीवन के लिए जल का हिस्सा है.
हो सकता है कि भारत इस वक़्त अपने नीतिगत इतिहास के बेहद अनूठे दौर से गुज़र रहा हो, जहां सरकार आम भारतीयों की सेहत पर धीरे धीरे बहुत गहरा असर डालने वाली सरकारी परियोजनाएं, स्वास्थ्य मंत्रालय के कार्यक्षेत्र से बाहर आती हैं. सोशल डेटर्मिनेन्ट्स ऑफ़ हेल्थ (SDOH) की व्यापक रूपरेखा के अंतर्गत किए जा रहे इन प्रयासों का विकास, संपूर्ण सरकार के एक लक्ष्य के लिए काम करने और ‘वन हेल्थ’ नज़रिए को भी दिखाता है. इन कोशिशों का एक मतलब ये स्वीकार करना भी है कि आम नागरिकों की अच्छी या बुरी सेहत तमाम क्षेत्रों के बहुत से कारणों और किरदारों से प्रभावित होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हेल्थ इन ऑल पॉलिसीज़ (HiAP) की रूपरेखा भी स्वास्थ्य की असमानताओं और जनता की सेहत में सुधार लाने के सरकारी प्रयासों के अंतर्गत, तमाम विभागों के बीच आपसी तालमेल से काम करने के इस तरीक़े का समर्थन करती है. इस तरीक़े में संस्थागत संवाद और फीडबैक की व्यवस्थाओं का लाभ, स्वास्थ्य की टिकाऊ पहलों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, और ये स्वीकार किया जाता है कि स्वास्थ्य और बेहतर, पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक नीतियों के साथ आपस में जुड़े हैं.
भारत जो विशाल आबादी और अनगिनत विविधताओं वाला देश है, वहां सबके लिए साफ़ और सुरक्षित पीने का पानी मुहैया कराना सुनिश्चित करना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होने के साथ साथ एक बड़ी प्राथमिकता भी रहा है.
भारत में हर घर जल की उल्लेखनीय सफलता
भारत जो विशाल आबादी और अनगिनत विविधताओं वाला देश है, वहां सबके लिए साफ़ और सुरक्षित पीने का पानी मुहैया कराना सुनिश्चित करना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होने के साथ साथ एक बड़ी प्राथमिकता भी रहा है. भारत सरकार द्वारा 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत, इस चुनौती से निपटने की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक क़दम था, जिसका मक़सद हर घर तक जल यानी पानी की आपूर्ति की गारंटी देना था. इस योजना का लक्ष्य, 2024 तक ग्रामीण भारत के हर घर के लिए पानी के अलग अलग कनेक्शन के ज़रिए सुरक्षित और पर्याप्त पीने का पानी मुहैया कराना है.
2019 में भारत के लगभग 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से तीन करोड़ से कुछ ज़्यादा घरों के पास पीने के पानी का कनेक्शन था. हालांकि, 2024 की शुरुआत में 14.5 करोड़ घरों तक पीने के पानी की आपूर्ति करने वाले नल का कनेक्शन हो चुका था. इसका मतलब है कि हर साल औसतन दो करोड़ से ज़्यादा घरों को पीने के पानी के लिए नल का कनेक्शन दिया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को पीने के पानी का कनेक्शन पहुंचाने में ये उल्लेखनीय बढ़ोतरी, 2019 में 16.69 प्रतिशत से बढ़कर 2024 तक 75.18 फ़ीसद हो चुकी थी. ये भारत के सामाजिक क्षेत्र के इतिहास में किसी नीति की सफलता की एक शानदार मिसाल है (Figure 1)
Figure 1: हर घर जल की प्रगति: हर साल पानी के नए कनेक्शन
Source: https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आकलनों के मुताबिक़ 2018 में पीने के असुरक्षित पानी के इस्तेमाल से भारत में लगभग एक लाख 25 हज़ार 995 लोगों की मौत डायरिया से हुई थी. इसीलिए, सबको एक तरफ़ से सुरक्षित पीने का पानी उपलब्ध कराने की चुनौती न केवल जनता की सेहत सुधारने की दिशा में उठाए गए ऐतिहासिक क़दम का उदाहरण है, बल्कि ये स्वास्थ्य के मामले में भारी असमानताओं को कम करने की दिशा में लगाई गई लंबी छलांग का भी सबूत है. डायरिया से मौत में भारी कमी और पीने का साफ़ पानी मुहैया कराने के बीच संपर्क के मज़बूत सबूत स्थापित हो चुके हैं. असुरक्षित पानी को बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण माना जाता है.
जल जीवन मिशन जनता की सेहत सुधारने की पहल का ऐसा प्रतीक है, जो पानी से जुड़ी सेहत संबंधी अन्य परेशानियों के साथ साथ भयंकर डायरिया की बीमारी से पीड़ित होने वालों की तादाद कम करने पर केंद्रित है.
स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक के तौर पर पानी की भूमिका सबसे पहले आती है. साफ़ पीने के पानी की उपलब्धता, पानी से पैदा होने वाली बीमारियों से आगे जाकर तमाम तरह के स्वास्थ्य और सामाजिक कारणों को प्रभावित करती है. इससे पोषण के नतीजे बेहतर होते हैं. बच्चों की स्कूल की हाज़िर, महिलाओं की मेहनत और वक़्त और आर्थिक अवसरों पर इसका सीधा असर होता है. पारंपरिक रूप से भारत, पानी की क़िल्लत और पीने के पानी के प्रदूषित होने की दोहरी चुनौती झेलता आया है. पिछले एक दशक के दौरान हुई प्रगति के बावजूद, अभी भी आबादी का एक बड़ा तबक़ा, सुरक्षित पीने के पानी से महरूम है, जिससे उसकी सेहत पर बीमारियों का काफ़ी बोझ पड़ता है. पानी से होने वाली पेचिश, हैजा और हेपेटाइटिस ए जैसी बीमारियां समाज के सबसे कमज़ोर तबक़े और ख़ास तौर से पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर तुलनात्मक रूप से कहीं गहरा असर डालती हैं. इसीलिए, जल जीवन मिशन जनता की सेहत सुधारने की पहल का ऐसा प्रतीक है, जो पानी से जुड़ी सेहत संबंधी अन्य परेशानियों के साथ साथ भयंकर डायरिया की बीमारी से पीड़ित होने वालों की तादाद कम करने पर केंद्रित है.
हाल में किए गए रिसर्च ने दिखाया है कि इस कार्यक्रम का विकेंद्रीकृत प्रशासन और सामुदायिक भागीदारी पर दिया जाने वाला ज़ोर, एक महत्वपूर्ण सबक़ देता है: किसी स्थायी परिवर्तन के लिए उन समुदायों की सक्रिय भागीदारी ज़रूरी होती है, जिनको लाभ पहुंचाने का मक़सद होता है. राज्यों को लक्ष्य आधार पर वित्तीय आवंटन और 15वें वित्त आयोग की ग्रांट का चतुराई से इस्तेमाल करते हुए, जल जीवन मिशन ने हमारे दौर की जनस्वास्थ्य की सबसे अहम चुनौती से निपटने में नागरिकों पर केंद्रित नज़रिए को भी सामने रखा है. हालांकि, इस मिशन का दायरा पीने के पानी का कनेक्शन देने से आगे का है. इसमें पीने के पानी की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करना, पीने के पानी की उपलब्धता की खाई को पाटना और जल संसाधनों की निगरानी और उनका रख-रखाव भी शामिल है. पानी की गुणवत्ता की निगरानी और उसको मापने की व्यापक व्यवस्था स्थापित करने की कोशिशें सराहनीय हैं. इनका मक़सद जल जीवन मिशन के तहत इस्तेमाल के लिए आपूर्ति किए जाने वाले पानी के सुरक्षित होने की गारंटी देना है.
सबसे कमज़ोर और ग़रीब तक पहुंचने का प्रयास
गांधी के जंतर के मुताबिक़, किसी भी सार्वजनिक नीति का मुख्य लक्ष्य हर फ़ैसले के समाज के सबसे ग़रीब और कमज़ोर व्यक्तियों पर होने वाले प्रभाव पर बारीक़ी से विचार करना है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उठाया जाने वाला हर क़दम न केवल उनके जीवन में सकारात्मक योगदान दे, बल्कि उन्हें सशक्त भी बनाए, और इस तरह एक ऐसे समाज के निर्माण को बढ़ावा दे जहां सबको आज़ादी और समता उपलब्ध हो.
समावेशीकरण और स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में एक अहम प्रयास के तहत, भार की सरकार ने नल से पीने का साफ़ पानी मुहैया कराने के मामले में तुलनात्मक रूप से उन ज़िलों पर ज़्यादा ज़ोर दिया है, जो ग़रीब हैं, जो जापानीज़ एनसिफेलाइटिस (JE) और एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के शिकार हैं. जल जीवन मिशन के अंतर्गत शुरू की गई इस पहल ने दोनों बीमारियों (JE/AES) से प्रभावित देश के पांच राज्यों के उन 61 ज़िलों तक पीने के पानी का कनेक्शन पहुंचाने की कोशिश की है. इन ज़िलों में जहां केवल 2.68 प्रतिशत (8 लाख परिवारों) के पास नल के कनेक्शन थे, वो अब बढ़कर 75.10 प्रतिशत (2.23 करोड़ परिवारों) तक पहुंचाए जा चुके हैं. इस ये विशाल बढ़ोत्तरी (Figure 2) ने इन इलाक़ों में रहने वाली ग्रामीण आबादी की सेहत में काफ़ी बदलाव ला दिया है. यही नहीं, 20 जुलाई 2023 तक जल जीवन मिशन ने पीने के पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड के संक्रमण की आशंका को पूरी कामयाबी से ख़त्म कर दिया था, जिससे 2019 में इन ज़िलों के रहने वाले सारे बाशिंदों (आर्सेनिक से प्रभावित 14,020 और फ्लोराइड से प्रभावित 7,996 लोगों) को फ़ायदा हुआ था. इस तरह इस मिशन के दायरे में आने वाले सभी लोगों को पीने का साफ़ पानी उपलब्ध कराया जा सका था.
Figure 2 : हर घर जल: वंचित क्षेत्रों में जल जीवन मिशन की प्रगति
Source: https://ejalshakti.gov.in/JJM/JJMReports/pr_area/rpt_pr_area_district.aspx
इसी तरह, हर घर जल योजना में भी देश के 112 पिछड़े ज़िलों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है. इन ज़िलों को उनके सामाजिक आर्थिक सूचकांकों की वजह से चिन्हित किया गया है, जिन्हें विकास और प्रगति की सख़्त दरकार है. इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके, हर घर जल योजना न केवल पीने के स्वच्छ पानी का प्रावधान करके जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, बल्कि इससे सामाजिक आर्थिक विकास को भी प्रेरणा मिलने की उम्मीद है. 27 ज़िलों में फैले इन 112 पिछड़े ज़िलों में भी पीने के पानी के कनेक्शन में भी काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है. पहले जहां इन ज़िलों में नल के कनेक्शन 2.50 प्रतिशत (5 लाख परिवारों) के पास थे, वो बढ़कर 73.69 फ़ीसद (1.5 करोड़ घरों) तक पहुंच चुके हैं. कम विकसित इलाक़ों पर इस तरह से ध्यान केंद्रित करना, टिकाऊ विकास के लक्ष्यों (SDGs) की सच्ची भावना है.
आगे का रास्ता
पीने के पानी के मामले में गुणवत्ता, पहुंच और स्थायित्व पर ज़ोर देने वाला जल जीवन मिशन का व्यापक नज़रिया, सभी नागरिकों को पानी और साफ़-सफ़ाई की सुविधा मुहैया कराने के वैश्विक लक्ष्य से भी मेल खाता है. आज जब भारत इस दिशा में आगे बढ़ता जा रहा है, तो सीखे गए सबक़ और हासिल की गई कामयाबी, उन देशों के काम भी आ सकती है, जो ऐसी ही चुनौतियों से पार पाने का संघर्ष कर रहे हैं. ‘हर घर जल’ का ख़्वाब पूरा होने के बेहद क़रीब है. ये न केवल पीने के पानी को उपलब्ध कराने, बल्कि सभी नागरिकों का जीवन, सेहत और समृद्धि पोषित करने का भी प्रतीक है.
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