Published on Sep 26, 2023 Updated 0 Hours ago
अलविदा मिशन इंपॉसिबल, जी21 तुम्हारा स्वागत है!

जी20 के संयुक्त घोषणापत्र ने इस बात को बहुत स्पष्ट तौर पर दिखा दिया है कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अलग-अलग विचारों, विरोधी विचारधाराओं और अहंकारी व्यक्तियों को एकजुट किया और उन्हें एक ही भू-राजनीतिक मंच पर लाने में कामयाबी पाई. इस आयोजन से जो तस्वीर बनी उसके पीछे 19 देशों और यूरोपीय संघ (ईयू) की नौकरशाही रही है जो एक साथ आईं और घोषणापत्र पर बातचीत की, जिसका नेतृत्व विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर, जी20 के शेरपा अमिताभ कांत और उनकी राजनयिकों की टीम ने किया. इस प्रक्रिया में उन्होंने चीन के हठी, पश्चिम के आक्रामक और रूस के रक्षात्मक रवैये के बावजूद बहुपक्षवाद को पुनर्परिभाषित किया है. अंत में, अफ्रीकी संघ के जी20 में शामिल होने ने राष्ट्रों के इस सबसे महत्वपूर्ण समूह को और मजबूत बनाया है. 2023 में हासिल हुआ राजनीतिक उपलब्धियों का यह चतुष्कोण (क्वाड) की गई उम्मीदों से बहुत ज़्यादा है.

इस आयोजन से जो तस्वीर बनी उसके पीछे 19 देशों और यूरोपीय संघ (ईयू) की नौकरशाही रही है जो एक साथ आईं और घोषणापत्र पर बातचीत की, जिसका नेतृत्व विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर, जी20 के शेरपा अमिताभ कांत और उनकी राजनयिकों की टीम ने किया.

परिस्थिति को देखते हुए, भारत की जी20 की अध्यक्षता को 10/10 अंक मिले हैं

पीएम मोदी के यह घोषणा किए जाने से कुछ ही घंटे पहले तक, कि घोषणा पर सहमति बन गई है, भू-राजनीति (जियोपॉलिटिक्स) पर नज़र रख रहे वैश्विक थिंक टैंक समुदाय को यह विश्वास था कि नई दिल्ली में संयुक्त घोषणापत्र के आने की कोई संभावना नहीं है, कि भारत की जी20 की अध्यक्षता में किसी सहमति प्रमाण पत्र को जारी नहीं किया जा सकेगा. यूक्रेन संकट का सामना करने के लिए घर पर ही रहने के चलते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जी20 की बैठकों से अनुपस्थिति को एक प्रगति के रूप में लिया गया था. लेकिन चीनी राष्ट्रपति (और देश में हर चीज़ के अध्यक्ष) शी जिनपिंग का दिखाई न देना चर्चा को आगे बढ़ने से रोकने के लिए ताबूत में आखिरी कील की तरह देखा जा रहा था. मिशन कनसेन्सस (सर्वसहमति का अभियान) को मिशन इंपॉसिबल (असंभव लगने वाले अभियान) के रूप में देखा जा रहा था.

हम गलत थे. और बहुत खुशी से ऐसे थे. खुशी इसलिए क्योंकि 34-पृष्ठ का घोषणापत्र एक नई और उभरती हुई भू-राजनीति में आशा के बीज बोता है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार ‘विश्वास की कमी’ की वजह से कमज़ोर और निष्प्राय होती जा रही थी. पीएम मोदी ने 8 सितंबर, 2023 के भाषण में कहा, “कोविड-19 के बाद, दुनिया में विश्वास की कमी का एक बड़ा संकट आया है”. “संघर्ष ने विश्वास की इस कमी को और गहरा किया है. जिस तरह हम कोविड से उबर आए हैं, उसी तरह हम आपसी विश्वास के इस संकट को भी दूर कर सकते हैं. आज, जी20 के अध्यक्ष के रूप में, भारत पूरी दुनिया को एक साथ आने और सबसे पहले इस विश्वास की इस वैश्विक कमी को वैश्विक विश्वास और भरोसे में बदलने के लिए आमंत्रित करता है.” यह बयान जो राजनीतिक वाक्चातुर्य के एक हल्के बयान में बदल सकता था, इसके विपरीत वह, एक अभिलाषा में बदल गया.

घोषणापत्र में सबसे बड़ी जंग शब्दों के इर्द-गिर्द लड़ी जानी थी- यूक्रेन में युद्ध के बारे में बात कैसे करें और फिर भी तटस्थ रहें. दोषरोपणों की जंग और खूनखराबे के आख्यानों के इस हिस्से को युद्धों की निंदा करनी थी; मानवीय पीड़ा के बारे में बात करनी थी; भोजन, ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर युद्ध के प्रभाव पर चर्चा करनी थी; सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय कानून और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों को बनाए रखने की याद दिलानी थी; और यूक्रेन का चार बार और रूस का दो बार उल्लेख करना था. आठ स्पष्ट अनुच्छेदों में, ज़ुबान से शांति लाने वालों ने सैन्य युद्ध की इच्छा करने वालों को साफ़ कर दिया, जिससे युद्ध के बिना शांति पैदा हुई. यह भारतीय तरीका है.

पीएम मोदी ने 8 सितंबर, 2023 के भाषण में कहा, “कोविड-19 के बाद, दुनिया में विश्वास की कमी का एक बड़ा संकट आया है”. “संघर्ष ने विश्वास की इस कमी को और गहरा किया है. जिस तरह हम कोविड से उबर आए हैं, उसी तरह हम आपसी विश्वास के इस संकट को भी दूर कर सकते हैं.

घोषणापत्र में, भारत द्वारा तैयार किया गया और पोषित किया गया सबसे बड़ा विचार जी20 को और अधिक समावेशी बनाने और अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने के लिए इसका विस्तार करना था. इसके साथ ही 54 देशों में रहने वाले 1.4 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली आवाजें, जिनका आर्थिक आकार 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, को मुख्यधारा में शामिल कर लिया गया है. एक बार जब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप बाकी दुनिया के साथ समान धरातल पर खड़ा होकर संवाद करेगा, तो दुनिया की भू-अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से समृद्ध होगी. गैबॉन और नाइजर (2023 में), बुर्किना फ़ासो (2022 में), सूडान और गिनी (2021 में), और माली (2021में) में सैन्य अधिनायकवाद की ओर वापसी के बावजूद, बाकी दुनिया के साथ गहरा व्यापार, निवेश और व्यापार जुड़ाव ऐसी प्रवृत्तियों पर रोक लगाएगा. बेशक, दूसरी ओर, चीन अधिनायकवादपूर्ण दुस्साहस को प्रेरित करना जारी रखेगा. इसके बावजूद, जी20 अब जी21 है. 

समावेशी आधार 

नई दिल्ली घोषणापत्र का आधार 10-सूत्रीय एजेंडा है- अर्थव्यवस्था, सतत विकास, हरित विकास, भविष्य के बहुपक्षीय संस्थान, प्रौद्योगिकी और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, अंतर्राष्ट्रीय कराधान, लैंगिक समानता और सशक्तिकरण, वित्त, आतंकवाद और धन शोधन, और एक अधिक समावेशी दुनिया का निर्माण. 

चर्चा का नया विषय ‘सुरक्षित, सुदृढ़, विश्वसनीय, जवाबदेह और समावेशी’ डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के निर्माण के लिए सर्वसहमति हासिल करना है, जो तीन-हिस्सों वाली कार्ययोजना के माध्यम से किया जाएगा. पहला, घोषणापत्र डीपीआई के लिए एक रूपरेखा के निर्माण का स्वागत करता है. दूसरा, यह भारत की ‘एक वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा भंडार बनाने और बनाए रखने के लिए, डीपीआई का एक ऐसा आभासी भंडार, जिसे जी20 सदस्यों और उसके बाहर के सदस्यों द्वारा स्वेच्छा से साझा किया जाएगा’, योजना का स्वागत करता है. फिर से यह, समावेशी और विस्तृत है. सौ देशों को मुफ्त कोविड-19 टीके देने के बाद, यह भारत की दूसरी बड़े पैमाने पर वैश्विक सार्वजनिक भलाई हो सकती है, और इस दशक के भीतर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ते हुए अपने नेतृत्व की ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की दिशा में एक कदम हो सकता है. 

पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के राज्य नीति के रूप में इस्तेमाल और चीन द्वारा समर्थन से यह इसके सबसे बुरे पीड़ितों में से एक बन गया है, यह घोषणापत्र ‘आतंकवाद की सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में, जिसमें ज़ेनोफोबिया (विदेशी समाज और संस्‍कृति के प्रति भय या घृणा का भाव), नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों के साथ-साथ धर्म या विश्वास के नाम पर किए गए आतंकवाद शामिल हैं,  निंदा करता है और सभी धर्मों की शांति के प्रति प्रतिबद्धता को मान्यता देता है. यह (आतंकवाद) अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है.’ एक संबंधित कार्य योजना के हिस्से के रूप में, घोषणापत्र अपराधियों के लिए छिपना और भी मुश्किल बनाने के लिए संशोधित मानकों के वैश्विक कार्यान्वयन के माध्यम से वित्तीय कार्यवाही कार्यबल को शक्तियां प्रदान करता है.

सौ देशों को मुफ्त कोविड-19 टीके देने के बाद, यह भारत की दूसरी बड़े पैमाने पर वैश्विक सार्वजनिक भलाई हो सकती है, और इस दशक के भीतर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ते हुए अपने नेतृत्व की ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की दिशा में एक कदम हो सकता है.

कुल मिलाकर, अंतर-देशीय तनाव के मलबे से निकाले गए, नई दिल्ली घोषणापत्र की अभिव्यक्ति, उस मूल आधार को वापस पाने के लिए एक भू-राजनीतिक पुनः प्रारंभन प्रदान करती है, जो यह है कि जी20- अब जी21- को बनाया ही क्यों गया था: देशों की संप्रभुताओं को बरकरार रखते हुए, दुनिया को आर्थिक रूप से एकजुट करने के लिए. अमेरिका-चीन, भारत-चीन, रूस-यूक्रेन, यूरोपीय संघ-रूस के तनाव में जो यह व्यापक उद्देश्य भुला दिया गया था, अंतरराष्ट्रीय वार्ता के उच्च स्तर पर वापस आ गया है. इसने बहुपक्षवाद को एक नया अर्थ दिया है, जो समूह के स्तर पर अनर्थक नैतिक बातों के लिए एक मंच  के रूप में बदल रहा था और मूल द्विपक्षीय संवाद जिससे बाहर होते थे- हाशिए पर रहना ही मुख्यधारा बन गया था. वह अब बदल गया है. 

जैसे कि जी21 की अध्यक्षता ब्राज़ील को स्थानांतरित हो रही है, सभी की निगाहें राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला द सिल्वा पर होंगी कि वे मोदी के ‘मिशन इम्पॉसिबल’ की सफलता का आधार लेकर इसे आगे बढ़ाएं.


गौतम चिकरमाने ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन में उपाध्यक्ष हैं.

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