Published on Sep 06, 2022 Updated 24 Days ago

भारत और बांग्लादेश, व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और पानी के बंटवारे के मामले में बेहतर रिश्तों की ओर बढ़ रहे हैं.

भारत और बांग्लादेश के कूटनीतिक रिश्तों का ‘सुनहरा अध्याय’

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना अपने बहुप्रतीक्षित दौरे पर भारत पहुंच चुकी हैं. पांच से आठ सितंबर तक चलने वाले इस दौरे में भारत और बांग्लादेश के आपसी रिश्तों का नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद की जा रही है. शेख़ हसीना का भारत दौरा इसलिए और भी ख़ास हो जाता है, क्योंकि उन्होंने, दोनों देशों के आपसी संबंधों की स्वर्ण जयंती समारोह में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का न्योता स्वीकार किया है. कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद, शेख़ हसीना पहली बार भारत का दौरा कर रही हैं.

शेख़ हसीना के भारत दौरे से पहले दोनों देशों के बीच उन द्विपक्षीय मुद्दों पर मंत्रिस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं, जिन पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री आपस में चर्चा करने वाले हैं. दोनों प्रधानमंत्रियों की बातचीत में द्विपक्षीय व्यापार, सड़क के मूलभूत ढांचे, पानी के बंटवारे और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग जैसे विषयों पर खुलकर चर्चा होने की संभावना है.

दोनों प्रधानमंत्रियों की बातचीत में द्विपक्षीय व्यापार, सड़क के मूलभूत ढांचे, पानी के बंटवारे और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग जैसे विषयों पर खुलकर चर्चा होने की संभावना है.

भारत और बांग्लादेश के रिश्तों का सफ़र ये दिखाता है कि दोनों देशों ने मोदी सरकार और शेख़ हसीना की अगुवाई वाली अवामी लीग की हुकूमत के दौरान किस तरह आपसी लाभ उठाया है. इसके चलते भारत के साथ रिश्ते, बांग्लादेश की अंदरूनी सियासत में भी काफ़ी अहम हो गए हैं. शेख़ हसीना के सियासी विरोधी अक्सर इसकी आलोचना करते रहे हैं. मिसाल के तौर पर बेग़म ख़ालिदा ज़िया की अगुवाई वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) अक्सर अवामी लीग की ये कहकर आलोचना करती रही है कि भारत के साथ रिश्तों में शेख़ हसीना की सरकारबेहद क़मज़ोरसाबित हुई है. इसी वजह से, शेख़ हसीना का मौजूदा भारत दौरा भी अवामी लीग के लिए सियासी लिहाज़ से काफ़ी अहम है. इस माहौल में हम इस लेख में शेख़ हसीना के भारत दौरे के संभावित नतीजों के बारे में विश्लेषण करेंगे.

कनेक्टिविटी मज़बूत करना: सड़कों का विकास और व्यापार

ये उम्मीद की जा रही है कि नरेंद्र मोदी और शेख़ हसीना, दोनों देशों को जोड़ने वाली 25 किलोमीटर लंबी ‘स्वाधीनता सड़क’ का उद्घाटन करेंगे. ये सड़क बांग्लादेश के मुजीबनगर को पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले से जोड़ती है. सड़क का नाम रखने का प्रस्ताव बांग्लादेश की तरफ़ से आया था, ताकि बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में इस सड़क की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका को याद रखा जा सके. चूंकि भारत और बांग्लादेश की विरासत साझा है. ऐसे में दोनों दोस्त देश आपस में ऐतिहासिक संपर्कों को दोबारा खोलने पर काफ़ी ज़ोर देते हैं, ताकि पुराने सुनहरे दौर को जी सकें और आपसी दोस्ती को और मज़बूत बना सकें. पांच ऐतिहासिक रेल लाइनों को दोबारा चालू करने के साथ साथ, स्वाधीनता सड़क खुलना भारत और बांग्लादेश के दोस्ताना और भाईचारे वाले रिश्तों की मिसाल है. ये रिश्ते महज़ सामरिक हित साधने के दायरे से कहीं आगे जाते हैं.

ये उम्मीद की जा रही है कि नरेंद्र मोदी और शेख़ हसीना, दोनों देशों को जोड़ने वाली 25 किलोमीटर लंबी ‘स्वाधीनता सड़क’ का उद्घाटन करेंगे. ये सड़क बांग्लादेश के मुजीबनगर को पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले से जोड़ती है.

व्यापार के मामले में इस बात की काफ़ी संभावना है कि शेख़ हसीना के इस दौरे में भारत और बांग्लादेश, व्यापक आर्थिक साझेदारी के समझौते (CEPA) को अंतिम रूप दे दें. बांग्लादेश द्वारा ड्राफ्ट प्रस्तावों को मंज़ूरी देने के बाद, अब इसे भारत की मंज़ूरी मिलनी बाक़ी है. इस बात की काफ़ी संभावना है कि जब दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाक़ात होगी, तो वो CEPA के ड्राफ्ट पर भी चर्चा करेंगे. आर्थिक साझेदारी के इस समझौते पर दस्तख़त होने से, भारत और बांग्लादेश दोनों को ही फ़ायदा होगा. इस समझौते से बांग्लादेश के विकासशील देश बनने के बाद भी, दोनों देशों को आपसी व्यापार के रिश्तों को बनाए रखकर सारे फ़ायदे उठाने का मौक़ा मिलेगा. इसी वजह से भारत और बांग्लादेश के बीच CEP समझौते को दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों में मील का पत्थर कहा जा रहा है.

पानी के बंटवारे पर आपस में सहमति

शेख़ हसीना के भारत दौरे से पहले, 25 अगस्त को दिल्ली में दोनों देशों के संयुक्त नदी आयोग (JRC) की 38वीं बैठक (12 साल के अंतराल के बाद) हुई. जल आयोग की बैठक में दोनों देशों के बीच मुहुरी, गुमटी, खोवाई, दूधकुमार, मोनू, धारा और फेनी नदियों के पानी के बंटवारे पर चर्चा हुई. ये सभी नदियां दोनों देशों से होकर गुज़रती हैं. परिचर्चा मुख्य रूप से बाढ़ के आंकड़े साझा करने और नदी के प्रदूषण से निपटने जैसे द्विपक्षीय मुद्दों पर केंद्रित रही.

इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने कुशियारा नदी के पानी के बंटवारे पर सहमति पत्र के दस्तावेज़ पर आख़िरी मुहर लगाई. ऐसे में संभावना ये है कि मुलाक़ात के दौरान दोनों नेता कुशियारा के पानी के बंटवारे के समझौते को अंतिम रूप देंगे. ये नदी नागालैंड से शुरू होकर मणिपुर, मिज़ोरम और असम जैसे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से गुज़रती है और सहायक नदियों का पानी बटोरते हुए आगे बढ़कर भारत और बांग्लादेश की सीमा बनाती है. ये नदी भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग 16 (NW 16) का भी एक हिस्सा है.

नागालैंड और मणिपुर व असम जैसे पड़ोसी राज्यों से गुज़रता हुआ राष्ट्रीय जलमार्ग 16 दो नदियों- कुशियारा और सुरमा में बंट जाता है. काफ़ी लंबा सफ़र तय करने के बाद ये नदी बांग्लादेश और भारत की सीमा पर मेघना नदी बनाती है.

भारत के चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरे पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) को बंदरगाह शहर कोलकाता से जोड़ने में जलमार्ग बेहद अहम भूमिका निभाते हैं. नागालैंड और मणिपुर असम जैसे पड़ोसी राज्यों से गुज़रता हुआ राष्ट्रीय जलमार्ग 16 दो नदियोंकुशियारा और सुरमा में बंट जाता है. काफ़ी लंबा सफ़र तय करने के बाद ये नदी बांग्लादेश और भारत की सीमा पर मेघना नदी बनाती है. यहां ये याद दिलाने की ज़रूरत है कि कोलकातासुंदरबनचालनाखुलनामोंगला, कौखालीबारीसालनारायणगंजअरिचाढुबरी, पांडुसिलघाट से राष्ट्रीय जलमार्ग 2 ही भारत और बांग्लादेश के बीच मुख्य प्रोटोकॉल मार्ग है. साझा नदियों के बीच पानी के बंटवारे का समझौता, शेख़ हसीना के इस दौरे में हो सकता है, जो आगे चलकर ऐसे ही साझा समझौतों का आधार बन सकता है. दोनों देशों को चाहिए कि वो आपस उन सभी 54 नदियों के पानी के बंटवारे पर एक आम सहमति बनाएं, जो दोनों देशों से होकर गुज़रती हैं. इससे पानी के बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच किसी भी विवाद की आशंका पूरी तरह से दूर हो जाएगी. इस संदर्भ में ध्यान देने वाली बात ये भी है कि तीस्ता समझौते को लेकर मतभेद दूर करने की योजनाएं अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं. इस मामले के अनिश्चित समय तक लटके रहने के पीछे मोदी सरकार और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार के बीच आम सहमति की कमी को एक वजह बताया जा सकता है इसी वजह से भारत और बांग्लादेश, बहुप्रतीक्षित तीस्ता समझौते को अंतिम रूप नहीं दे सके हैं.

सीमा के आर-पारऊर्जा सहयोग को बढ़ाना

शेख़ हसीना के तीन दिन के भारत दौरे में दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा मैत्री थर्मल पावर परियोजना का उद्घाटन होने की भी उम्मीद है. पिछले कई दशकों से व्यापार, कनेक्टिविटी और पानी के बंटवारे जैसे अहम द्विपक्षीय मुद्दे ही भारत और बांग्लादेश के रिश्तों को परिभाषित करते आए हैं. लेकिन, मैत्री परियोजना के उद्घाटन से भारत और बांग्लादेश के बीच ऊर्जा सुरक्षा के मोर्चे पर भी सहयोग बढ़ने का रास्ता भी खुलेगा

1320 मेगावाट की कोयले से चलने वाली ये परियोजना, बांग्लादेश का अब तक का सबसे बड़ा बिजलीघर है. ये पावर प्लांट मोंगला बंदरगाह और सुंदरबन के क़रीब है. वैसे तो ये बिजलीघर, दोनों पड़ोसी देशों के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ रहे सहयोग की मिसाल है. मगर, सुंदरबन के क़रीब होने के चलते इस परियोजना को लेकर पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी जताई गई हैं. इस परियोजना की ये कहकर आलोचना की गई है कि इससे सुंदरबन के जलमार्गों और ख़ास तौर से पासुर नदी के बेहद नाज़ुक इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ सकता है. क्योंकि ये परियोजना, जल में पाये जाने वाले जीवों की बहुत सी नस्लों और ख़ास तौर से मछलियों के लिए नुक़सानदेह साबित होगी. पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाने की आशंकाओं की बहुत सी आलोचना झेलने के बाद, संबंधित अधिकारियों ने आगे आकर ये साफ़ किया कि ये परियोजना तो असल में बेहद आधुनिक तकनीक पर आधारित है और इससे जल और वायु प्रदूषण सीमित रखने में मदद मिलेगी, जो पर्यावरण को होने वाले नुक़सान को भी कम रखेगा.

मैत्री परियोजना, बांग्लादेश पावर डेवेलपमेंट बोर्ड (BPDP) और भारत की सरकारी कंपनी नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेश (NTPC) के बीच 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली योजना है. इस परियोजना से भारत को बांग्लादेश से मित्रता मज़बूत करने में मदद मिलेगी, तो मोंगला बंदरगाह के क़रीब होने के चलते बांग्लादेश को भी इस परियोजना से कई सामरिक लाभ हासिल होंगे. 

मैत्री परियोजना, बांग्लादेश पावर डेवेलपमेंट बोर्ड (BPDP) और भारत की सरकारी कंपनी नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेश (NTPC) के बीच 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली योजना है. इस परियोजना से भारत को बांग्लादेश से मित्रता मज़बूत करने में मदद मिलेगी, तो मोंगला बंदरगाह के क़रीब होने के चलते बांग्लादेश को भी इस परियोजना से कई सामरिक लाभ हासिल होंगे. बांग्लादेश इस परियोजना की मदद से इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को कोयले का निर्यात कर सकेगा, जिसके बदले में उसे काफ़ी कमाई हो सकेगी.

निष्कर्ष

साझा ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध होने से आगे बढ़ते हुए आपसी और साझा हितों की पूर्ति करने तक, भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा ही खुलेपन, साझा विश्वास, सहयोग और आपसी सम्मान जैसी अहम बातों से पहचाने जाते रहे हैं. आज जब दोनों पड़ोसी और दोस्त देश व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और पानी के बंटवारे जैसे ज़रूरी मामलों में अपने संबंध आगे बढ़ा रहे हैं, तो दोनों ही देशों के नेता आपसी संबंधों के इस दौर कोसोनाली अध्याय या स्वर्णिम युग कह रहे हैं. सच तो ये है कि क़रीब तीन साल के अंतराल और कोविड-19 महामारी के बाद, शेख़ हसीना के इस बहुप्रतीक्षित भारत दौरे को इस स्वर्णिम दौर का एक और मील का पत्थर कहा जा सकता है. इसके बावजूद ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या शेख़ हसीना के इस भारत दौरे से उनकी अवामी लीग पार्टी को बांग्लादेश में होने वाले 2023 के आम चुनावों में कोई सियासी बढ़त मिल सकेगी?

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Authors

Anasua Basu Ray Chaudhury

Anasua Basu Ray Chaudhury

Anasua Basu Ray Chaudhury is Senior Fellow with ORF’s Neighbourhood Initiative. She is the Editor, ORF Bangla. She specialises in regional and sub-regional cooperation in ...

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Prarthana Sen

Prarthana Sen

Prarthana Sen was Research Assistant with ORF Kolkata. Her interests include gender development cooperation SDGs and forced migration.

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