हाल ही में संपन्न ग्लोबल गेटवे फोरम 2023 में यूरोपीय संघ (EU) ने अफ्रीकी संघ (AU) और पश्चिमी अफ्रीकी देशों के आर्थिक समुदाय (ECOWAS) के सहयोग से 11 व्यापार गलियारों के निर्माण का विचार सामने रखा. महादेश में क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ-साथ यूरोपीय संघ-अफ्रीका सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए EU इनका निर्माण करना चाहता है.
चित्र 1: अफ्रीका में प्रस्तावित ग्लोबल गेटवे कॉरिडोर
स्रोत: ग्लोबल गेटवे EU/अफ्रीका इन्वेस्टमेंट पैकेज 2023
तीन विशाल गलियारों- उत्तर-मध्य-पूर्वी अफ्रीका (NCEA) रणनीतिक गलियारा, पश्चिम अफ्रीका रणनीतिक कॉरिडोर और दक्षिण अफ्रीका रणनीतिक कॉरिडोर- में फैले इन बुनियादी ढांचों में तक़रीबन 165 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर निवेश होगा, जिसका लक्ष्य अफ्रीकी महादेश में चीन की गहरी पैठ का मुक़ाबला करना और अफ्रीकी बाज़ारों के साथ EU के दशकों के सीमित जुड़ाव की भरपाई करना है. ग़ौरतलब है कि इसी कालखंड में चीन यहां काफ़ी आगे निकल गया.
ये विशाल गलियारे आर्थिक एकीकरण को और आगे बढ़ाने की दिशा में EU की क़वायद का संकेत करते हैं.
ये विशाल गलियारे आर्थिक एकीकरण को और आगे बढ़ाने की दिशा में EU की क़वायद का संकेत करते हैं. इसके लिए वो ना सिर्फ़ परिवहन और आर्थिक गलियारों का निर्माण कर रहा है बल्कि अफ्रीकी जनता को इन गलियारों के साथ निम्न-ब्याज़/ब्याज़-मुक्त क्रेडिट लाइंस तक पहुंच भी मुहैया कराने को तैयार है. उधर, NCEA गलियारा तीन क्षेत्रों- पूर्वी, मध्य, और उत्तरी अफ्रीका- तक फैला है, जबकि बाक़ी के दो गलियारों का लक्ष्य पश्चिम और दक्षिण अफ्रीका के बंदरगाहों से भरे इलाक़ों में क्षेत्र-विशिष्ट कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाना है. ये लेख पश्चिमी और दक्षिणी रणनीतिक गलियारों का विश्लेषण करता है और इन प्रस्तावित गलियारों के भू-आर्थिक और रणनीतिक निहितार्थ प्रस्तुत करता है.
पश्चिम और दक्षिण अफ्रीकी रणनीतिक गलियारा-हर रास्ते की मंज़िल बंदरगाह
पश्चिम अफ्रीका में ग्लोबल गेटवे कॉरिडोर एक प्रभावशाली निवेश पोर्टफोलियो का खाका पेश करता है. इसमें ‘ग्लोबल गेटवे डिजिटल कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर इनिशिएटिव’ के ज़रिए डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ सड़कों, पुलों, राजमार्गों, हरित ऊर्जा परियोजनाओं, अहम खनिजों के खनन और बंदरगाह से जुड़े बुनियादी ढांचे का विस्तृत ब्योरा दिया गया है. 13 देशों में पसरे इन चार गलियारों (टेबल 1 देखें) के ज़रिए EU समूचे पश्चिमी अफ्रीका में फैले क्षेत्रीय बंदरगाहों और उत्तरी नाइजीरिया, नाइजर, माली और बुर्किना फासो के भीतरी इलाक़ों के बीच रसद कनेक्टिविटी मज़बूत करना चाहता है. ये सभी देश संसाधन संपन्न हैं लेकिन उनके चारों ओर ज़मीनी सीमाएं हैं (चित्र 1 देखिए). नतीजतन, इलाक़े के चारों गलियारे दक्षिण में नाइजीरिया के लेक्की बंदरगाह से लेकर उत्तर-पश्चिम में सेनेगल के नदायने बंदरगाह तक जाते हैं. कनेक्टिविटी से जुड़ी इन पहलों में क्षेत्रीय ऊर्जा परिवहन केंद्र के रूप में उभरने के ECOWAS के घोषित लक्ष्य के लिए भी समर्थन की परिकल्पना की गई है. रसद क्षमताओं को आगे बढ़ाने के अलावा ग्लोबल गेटवे ने संचार बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सतत ऊर्जा और हरित बुनियादी ढांचे में निवेश के ज़रिए खनन, ऊर्जा की खोज, रेलवे, खनिजों की प्रॉसेसिंग और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर सकारात्मक प्रभाव डालने का लक्ष्य भी रखा है.
वैसे तो पश्चिमी अफ्रीका और NCEA गलियारे वाले देशों में यूरोप के लक्ष्य और पहल व्यापक रहे हैं, फिर भी ऐसा लगता है कि दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्र में ग्लोबल गेटवे सतर्कतापूर्वक और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है.
टेबल 1: यूरोपीय संघ – ODA द्वारा पश्चिम और दक्षिण अफ्रीका में प्रस्तावित ग्लोबल गेटवे निवेश
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गलियारा
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क्षेत्र
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संभावित लाभार्थी
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लाभ पाने वाले प्रमुख आर्थिक क्षेत्र
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आबिदजान-लागोस
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पश्चिमी अफ्रीका
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आइवरी कोस्ट, घाना, टोगो, बेनिन, नाइजीरिया
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हरित ऊर्जा बुनियादी ढांचा, परिवहन ढांचा, रेलवे, टिकाऊ खनन, संचार बुनियादी ढांचा
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आबिदजान-उगाडोगोउ
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पश्चिमी अफ्रीका
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आइवरी कोस्ट, बुर्किना फासो
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परिवहन बुनियादी ढांचा, संचार बुनियादी ढांचा
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प्रायिया/डकार-आबिदजान
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पश्चिमी अफ्रीका
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सेनेगल, गांबिया,गिनी-बिसाऊ, गिनी, सिएरा लियोन, लाइबेरिया, आइवरी कोस्ट, काबो वर्दे
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बहुमूल्य धातु निकास, खनिज प्रॉसेसिंग, ऊर्जा बुनियादी ढांचा, परिवहन बुनियादी ढांचा, संचार हार्डवेयर
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कोटोनोऊ-नियामी
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पश्चिमी अफ्रीका
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बेनिन, नाइजर
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सोने का खनन, खनिज प्रॉसेसिंग, टिकाऊ खनन, परिवहन बुनियादी ढांचा
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मापुतो-गैबोरोन-वाल्विस खाड़ी
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दक्षिण अफ्रीका
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मोज़ाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, इस्वातिनी, बोत्स्वाना, नामीबिया
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महत्वपूर्ण खनिज, खनन, डिजिटल बुनियादी ढांचा, सामाजिक बुनियादी ढांचा
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डरबन-लुसाका
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दक्षिण अफ्रीका
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दक्षिण अफ्रीका, बोत्स्वाना, ज़िम्बॉब्वे, ज़ाम्बिया
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महत्वपूर्ण खनिज, टिकाऊ खनन, खनिज प्रॉसेसिंग, डिजिटल बुनियादी ढांचा
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गलियारों की कुल संख्या: 6
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शामिल क्षेत्र: 2
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शामिल देश: 19
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लाभ पाने वाले क्षेत्रों की कुल संख्या: 13
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स्रोत: ग्लोबल गेटवे इन्वेस्टमेंट डॉज़ियर
वैसे तो पश्चिमी अफ्रीका और NCEA गलियारे वाले देशों में यूरोप के लक्ष्य और पहल व्यापक रहे हैं, फिर भी ऐसा लगता है कि दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्र में ग्लोबल गेटवे सतर्कतापूर्वक और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है. यहां यूरोपीय संघ ने वाल्विस खाड़ी, मापुतो और डरबन बंदरगाहों और उनके बीच पड़ने वाले क्षेत्र के विकास के लक्ष्य के साथ सिर्फ़ दो गलियारों की शुरुआत की है (पहले टेबल 1, फिर चित्र 1 देखें). वाल्विस खाड़ी नामीबिया का इकलौता गहरे समुद्र वाला बंदरगाह है और यहां एक बहुद्देश्यीय बंदरगाह बनाने को लेकर अतीत में चीन ने दिलचस्पी दिखाई है. डरबन और मापुतो बंदरगाहों के अलावा वाल्विस खाड़ी मध्य अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका के भूमि से घिरे अफ्रीकी देशों के लिए वैश्विक बाज़ारों के साथ संपर्क सूत्र के तौर पर काम करता है. ये बंदरगाह प्रशांत और अटलांटिक महासागरों में अहम जहाज़ी रास्तों का भी नियंत्रण करते हैं और गहरे समंदर में खनन, तेल की खोज और वाणिज्यिक स्तर पर मछली पकड़ने जैसे ब्लू इकोनॉमी क्षेत्रों के लिए अज्ञात क्षेत्र हैं. इस इलाक़े में ढांचागत कूटनीति में यूरोपीय संघ के प्रवेश का लक्ष्य इन नाज़ुक जहाज़ी मार्गों, बंदरगाहों और ब्लू इकोनॉमी से जुड़े क्षेत्रों को यूरोपीय बाज़ारों के लिए सुरक्षित करना है.
ग्लोबल गेटवे के लिए यूरोपीय संघ की रणनीतिक अनिवार्यताएं
इन तमाम क्षेत्रों में कनेक्टिविटी से जुड़ा बुनियादी ढांचा तैयार करने के लक्ष्य के अलावा इन 19 देशों के साथ बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के स्थिर आर्थिक जुड़ाव से पैदा होने वाले भूराजनीतिक जोख़िमों को कम करना भी ग्लोबल गेटवे का घोषित उद्देश्य है (टेबल 1 देखिए). EU चीन को एक ‘व्यवस्थागत प्रतिद्वंदी’ के साथ-साथ एक वाणिज्यिक साझेदार के रूप में भी देखता है. दशकों तक यूरोपीय संघ और उसके पश्चिमी साथियों ने चीन को अपने सभी विदेशी विनिर्माण अड्डों और औद्योगिक आयातों के इकलौते गंतव्य के तौर पर आगे बढ़ाया, जिसने बदले में और समय के साथ पश्चिम को चीन पर अत्यधिक निर्भर बना दिया. 2022 में यूरोपीय संघ और चीन के बीच दैनिक व्यापार 2.43 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर था. इस दौरान यूरोपीय संघ का माल व्यापार घाटा 441.56 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो लगातार बढ़ रहा है, जिसे चीन में उसके राजदूत ने ‘मानवीय इतिहास में सबसे बड़ा’ क़रार दिया है. वैश्विक मंच पर चीन का रुख़ लगातार आक्रामक होता जा रहा है. ऐसे में ग्लोबल गेटवे, यूरोपीय संघ द्वारा अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और चीनी अर्थव्यवस्था के साथ धीरे-धीरे अलगाव के ज़रिए अपनी अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों के जोख़िम से मुक्त करने का प्रयास है.
2013 में BRI की शुरुआत के साथ ही चीन को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बुनियादी ढांचे के विकास की भू-रणनीतिक प्रासंगिकता का एहसास हुआ. दशकों तक विकेंद्रीकृत सहायता वितरित करने के बाद ग्लोबल गेटवे, यूरोपीय संघ द्वारा विकासात्मक और बुनियादी ढांचा कूटनीति के क्षेत्र में प्रवेश का प्रयास है, जिसके तहत वो पूरी विकासशील दुनिया में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने की क़वायद कर रहा है. पूरे अफ्रीका में विकास को बढ़ावा देने के लक्ष्य से पारदर्शी वित्तीय सहायता के ज़रिए अनुभव पर आधारित शोध से तैयार गलियारे, चीन के ‘वन बेल्ट, वन रोड’ कार्यक्रम का आकर्षक विकल्प प्रस्तुत करते हैं. यूरोपीय संघ को भागीदार देशों के साथ बुनियादी ढांचा सहयोग को गहरा करके और लोकतांत्रिक मूल्यों, सुशासन, स्थिरता और समान भागीदारियों के आधार पर विकासात्मक विश्वदृष्टि को आगे बढ़ाकर विकासात्मक प्रभाव पैदा करने का एक अनोखा अवसर मिला है. इस तरह की विशाल पैमाने वाली पहलों के लिए समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के साथ काम करने की भी आवश्यकता होगी. यूरोपीय संघ को उम्मीद है कि ये पहल विकासशील दुनिया में बुनियादी ढांचे के विकास के अंतर को कम करने और पूरे ग्लोबल साउथ में चीन की अनियत, वाणिज्यिक और शोषणकारी ऋण देने की होड़ के ख़िलाफ़ दुनिया भर के लोकतंत्रिक देशों को एकजुट करने की क़वायद के तौर पर काम करेगी.
अफ्रीका में ग्लोबल गेटवे, यूरोपीय संघ में वैश्विक कनेक्टिविटी पहलों की एक और कड़ी है, जिसे यूरोपीय संघ तैयार करना चाहता है.
निष्कर्ष
बुनियादी ढांचे से जुड़ी कूटनीति में यूरोपीय संघ का विशिष्ट स्थान है. हाल ही में इसने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ कनेक्टिविटी साझेदारी संपन्न की है. 2020 मंत्रिस्तरीय घोषणा के आधार पर ये दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी साझेदारी को आगे बढ़ाने का भी इरादा रखता है. अफ्रीका में ग्लोबल गेटवे, यूरोपीय संघ में वैश्विक कनेक्टिविटी पहलों की एक और कड़ी है, जिसे यूरोपीय संघ तैयार करना चाहता है. ये क़वायद ऐसी ऊर्जा मूल्य श्रृंखलाओं के लिए है जो बाहरी झटकों के प्रति अप्रभावित रहें या कम से कम लचीली हों.
पृथ्वी गुप्ता ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में जूनियर फेलो हैं
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