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निकट भविष्य में भारत में बिटकॉइन ETF की संभावना दिखाई नहीं देती, हालांकि चंद वित्तीय प्लेटफॉर्म भारतीय निवेशकों के लिए संभावित अवसर उपलब्ध करा सकते हैं.
एक दशक के निरंतर प्रयासों के बाद स्पॉट बिटकॉइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs) को अमेरिका में अनुमोदन मिल गया है, जो एक अहम कामयाबी का संकेत है. मंज़ूरी के बाद के दिनों में, अमेरिका में सूचीबद्ध ETFs में 4.6 अरब अमेरिकी डॉलर के शेयरों का कारोबार देखा गया, जिससे इन अभूतपूर्व उत्पादों के लिए निवेशकों का उत्साह झलकता है. ऐसी उन्नतियों के व्यापक वैश्विक प्रभाव को देखते हुए सतर्कतापूर्ण निगरानी और विश्लेषण आवश्यक हो जाता है.
बस कुछ ही वर्षों में, क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल नवाचार से खरबों डॉलर वाली टेक्नोलॉजी के तौर पर उभर गई है, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली को अस्त-व्यस्त करने के लिए तैयार है.
बस कुछ ही वर्षों में, क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल नवाचार से खरबों डॉलर वाली टेक्नोलॉजी के तौर पर उभर गई है, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली को अस्त-व्यस्त करने के लिए तैयार है. बिटकॉइन और तमाम अन्य डिजिटल मुद्राओं को ना केवल तेज़ी से निवेश के तौर पर देखा जा रहा है, बल्कि विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की ख़रीद के लिए इनका मुद्राओं के रूप में भी प्रयोग किया जा रहा है, जिनमें सॉफ़्टवेयर और डिजिटल रियल एस्टेट शामिल है. अफ़सोस की बात है कि इनमें कई अवैध वस्तुएं भी शामिल हैं.
क्रिप्टोकरेंसी के हिमायती इसे लोकतंत्रीकरण की ताक़त के रूप में देखते हैं, जो मुद्रा निर्माण और नियंत्रण पर केंद्रीय बैंकों द्वारा प्रयोग किए जा रहे परंपरागत अधिकार को चुनौती देता है. दूसरी ओर, आलोचकों की दलील है कि नियामक निरीक्षण का अभाव आपराधिक संस्थाओं, आतंकवादी संगठनों और शैतानी राज्यसत्ताओं को सशक्त बना देता है. इसके अलावा, उनका तर्क है कि ये डिजिटल परिसंपत्तियां सामाजिक विषमता में योगदान देती हैं, इनके बाज़ार में भारी अस्थिरता है, और ये अपनी ऊर्जा खपत के चलते पर्यावरण पर भारी बोझ डालते हैं.
वर्तमान में जारी तर्क-वितर्कों के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी की निर्विवाद वृद्धि पिछली उम्मीदों से आगे निकल गई है. लगभग एक दशक की चुनौतियों के बाद बिटकॉइन ETFs की प्राप्ति अब तय दिखाई देती है, जो इन डिजिटल परिसंपत्तियों को मुख्यधारा के वित्तीय बाज़ारों के साथ एकीकृत करने में उल्लेखनीय कामयाबी दर्शाता है. भले ही इस घटनाक्रम को अमेरिका और दुनिया के तमाम अन्य हिस्सों में स्वीकार कर लिया जाए, लेकिन इस मसले पर भारत का रुख़ अभी अनिश्चित है, जिससे देश में ऐसी प्रगति के लिए संभावित समर्थन को लेकर सवाल खड़े होते हैं.
ETF स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाने वाला एक गतिशील निवेश उपकरण है, जो विशिष्ट सूचकांकों, वस्तुओं, बॉन्डों या परिसंपत्तियों की एक पूरी श्रृंखला को दर्शाता है. अपनी पारदर्शिता, तरलता और किफ़ायतीपन के लिए मशहूर ETFs, निवेशकों को विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे ऐसा लचीलापन हासिल होता है जो व्यक्तिगत स्टॉक ट्रेडिंग की याद दिलाता है.
पारंपरिक वित्तीय संस्थानों के पास अब क्रिप्टो एक्सचेंजों की पेचीदगियों में उलझे बिना निवेश करने का सीधा अवसर है. इन ETFs में क्रिप्टो एक्सचेंजों से हासिल वास्तविक बिटकॉइन्स भी शामिल होंगे और कस्टोडियनों के ज़रिए सुरक्षित रूप से रखे जाएंगे.
अमेरिका में कामयाबी के नतीजतन स्पॉट बिटकॉइन ETFs का अनुमोदन हो गया है, जो एक दशक तक चले निरंतर प्रयासों के बाद एक अहम उपलब्धि है. सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) द्वारा समर्थित ऐसे बहुप्रतीक्षित उत्पाद अमेरिका के प्रमुख बाज़ारों- न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, Cboe ग्लोबल मार्केट्स, और नैस्डैक पर अपनी पारी शुरू करने को तत्पर हैं. इससे परंपरागत ब्रोकरेज ऐप्स के ज़रिए खुदरा ग्राहकों के बीच बिटकॉइन पहुंच के लिए एक क्रांतिकारी युग की शुरुआत होगी. पारंपरिक वित्तीय संस्थानों के पास अब क्रिप्टो एक्सचेंजों की पेचीदगियों में उलझे बिना निवेश करने का सीधा अवसर है. इन ETFs में क्रिप्टो एक्सचेंजों से हासिल वास्तविक बिटकॉइन्स भी शामिल होंगे और कस्टोडियनों के ज़रिए सुरक्षित रूप से रखे जाएंगे. ये मुख्यधारा के वित्तीय बाज़ारों में बिटकॉइन के एकीकरण का एक निर्णायक क्षण है.
बिटकॉइन ETFs संस्थागत निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान के तौर पर उभरे हैं, जो विश्व की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी के साथ जुड़ाव का एक विश्वसनीय अवसर उपलब्ध कराते हैं. ऐसे विकल्पों के अभाव में संस्थान अक्सर वायदा (फ्यूचर) ETFs या क्लोज़-एंडेड फंड्स का रुख़ करते हैं, जिनमें से हरेक के साथ ऊंचे शुल्कों और सीमित दक्षता जैसी चुनौतियां जुड़ी होती हैं. बिटकॉइन ETFs की शुरुआत से ना सिर्फ़ पहुंच बढ़ती है, बल्कि संस्थानों के लिए निवेश प्रक्रिया भी सुव्यवस्थित हो जाती है. इससे क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार की निवेश क्षमता का लाभ उठाने के लिए ज़्यादा किफ़ायती और दक्ष साधन उपलब्ध होते हैं. ये आगे की ओर बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण क़दम है, जो संस्थागत निवेशकों की आवश्यकताओं का निपटारा करता है, और क्रिप्टोकरेंसी निवेश परिदृश्य के व्यापक उभार में योगदान देता है.
अतीत में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं (जैसे वॉलेट से छेड़छाड़ और कंपनी के अचानक बंद होने के नतीजतन वित्तीय घाटों) के बावजूद बारीक़ी से विनियमित अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों पर ETFs की शुरुआत से सकारात्मक परिवर्तन हुआ है. खुदरा निवेशक अब अपने मौजूदा ब्रोकरेज खातों के ज़रिए इन ETFs तक सुगमता से पहुंच बना सकते हैं. इनकी बेहद सावधानी से निगरानी की जाती है, जिससे निवेश प्रक्रिया की समग्र सुरक्षा बढ़ जाती है.
साल के अंत तक बिटकॉइन का मूल्य एक लाख अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाने का पूर्वानुमान है, जो दो दशक पहले गोल्ड ETFs द्वारा दिखाए गए प्रभाव की याद दिलाता है. इससे उद्योग का उत्साह और बढ़ जाता है. ख़ासतौर से ब्लैकरॉक जैसे प्रमुख खिलाड़ियों द्वारा अमेरिका में इन उत्पादों को प्रस्तुत करने की मंज़ूरी हासिल कर लेने के साथ बिटकॉइन ETFs की हालिया मंज़ूरी क्रिप्टो परिदृश्य में नई जान फूंकती है. इस स्वीकृति से संस्थागत और खुदरा निवेशों में वृद्धि को बढ़ावा मिलना तय है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी इकोसिस्टम में नई ताक़त आएगी. स्पॉट बिटकॉइन ETFs की शुरुआत क्रिप्टो उद्योग के लिए विजयी पल का संकेत करती है, जिससे इसकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है और बिटकॉइन को मुख्यधारा में और गहराई से स्वीकृति मिलती है. SEC के साथ व्यापक संघर्ष के बीच ये जीत उद्योग की मज़बूती को रेखांकित करती है. अब जबकि बिटकॉइन ETFs अपनी पारी शुरू कर रहे हैं, उनके संभावित प्रभाव ऐतिहासिक बदलावों की गूंज सुनाते हैं, जो सोने की क़ीमतों पर गोल्ड ETFs के कायाकल्पकारी प्रभाव के साथ समानताएं दर्शाते हैं. अमेरिका में क्रिप्टो निवेश का परिदृश्य आशाओं भरे नए युग की दहलीज़ पर खड़ा है, जो पहले से व्यापक पहुंच, बढ़ी हुई तरलता, और बिटकॉइन के मूल्य में भारी लाभ प्रस्तुत करती है.
क्रिप्टोकरेंसी पर अमेरिका और भारत के दृष्टिकोण में उल्लेखनीय अंतर है. अमेरिका में बिटकॉइन ETFs का अनुमोदन क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक ठोस संस्थागत सत्यापन के रूप में खड़ा है, जो शुरुआती दौर में सट्टे और अस्थिर परिसंपत्ति के तौर पर इसकी ख़ासियतों के ब्योरे से बदलाव का संकेत करते हैं.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए विनियामक समर्थन का स्तर अनिश्चित बना हुआ है, जो इस उभरते परिदृश्य में सावधानी से आगे बढ़ने की अहमियत पर ज़ोर देता है.
अनिश्चितता और अस्थिरता भारत के क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार की पहचान रही है, विनियमन को लेकर सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के विचार बदलते रहे हैं. 2018 में RBI ने बैंकों के ज़रिए क्रिप्टो लेन-देन को प्रतिबंधित करके उन्हें परंपरागत वित्तीय प्रणाली से अलग कर दिया था. 2020 में सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध हटाने के फ़ैसले ने उद्योग में नई जान फूंक दी, जिससे इस क्षेत्र में स्टार्ट अप में उछाल आया. जुलाई 2022 में भारत ने सभी लेन-देन पर स्रोत पर 1 प्रतिशत टैक्स काटने (TDS) के साथ क्रिप्टोकरेंसी मुनाफ़ों पर 30 फ़ीसदी टैक्स लागू कर दिया. 2023 के आख़िर में, वित्तीय ख़ुफ़िया इकाई (FIU) ने कथित “अवैध परिचालनों” और भारत के एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विनियमनों का अनुपालन नहीं करने पर 9 ऑफशोर क्रिप्टो एक्सचेंजों को नोटिस जारी किया. वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले FIU ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) से भारत में इन नौ क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों से जुड़े URL को ब्लॉक करके कार्रवाई करने का आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए विनियामक समर्थन का स्तर अनिश्चित बना हुआ है, जो इस उभरते परिदृश्य में सावधानी से आगे बढ़ने की अहमियत पर ज़ोर देता है. इस अस्पष्ट वातावरण के बीच निकट भविष्य में भारत में बिटकॉइन ETF की संभावना दिखाई नहीं देती. फिर भी, कुछ वित्तीय प्लेटफॉर्म भारतीय निवेशकों के लिए संभावित अवसर पेश कर सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी के प्रति भारत के व्यापक उत्साह की, ख़ासतौर से यहां की युवा आबादी के बीच गूंज सुनाई दे रही है, जो बिटकॉइन ETFs के प्रति उभरती प्रतिक्रिया को ऐसा विमर्श बना देती है जिसपर नज़र रखना महत्वपूर्ण है.
सौरादीप बाग ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं
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Sauradeep is an Associate Fellow at the Centre for Security, Strategy, and Technology at the Observer Research Foundation. His experience spans the startup ecosystem, impact ...
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