पिछले हफ्ते उम्मीदें लगाई जा रही थीं कि सरकार आखिरकार नई थिएटर कमांड्स के निर्माण की घोषणा करेगी, ताकि सैन्यबलों को एकीकृत किया जा सके. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. अप्रैल में पता चला था कि थिएटर कमांड्स के निर्माण में विलंब हो रहा है.
इनसे सैन्य बल और सम्पत्तियां किसी विशिष्ट भौगोलिक लोकेशन में एक ही कमांडर के अधीन हो जाती हैं. नए सीडीएस जनरल अनिल चौहान से सरकार ने कहा था कि वे एकीकृत भौगोलिक कमांड्स के निर्माण के लिए सेना के तीनों अंगों के बीच सर्वसम्मति बना लें. वर्तमान में सैन्यबलों के 19 भौगोलिक व फंक्शनल कमांड्स हैं.
2020 में जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पद सृजित किया गया था तो एकीकरण और संयुक्तीकरण संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए तीन साल का समय दिया गया था. पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत को सरकार ने अभूतपूर्व सहयोग दिया.
नए सीडीएस जनरल अनिल चौहान से सरकार ने कहा था कि वे एकीकृत भौगोलिक कमांड्स के निर्माण के लिए सेना के तीनों अंगों के बीच सर्वसम्मति बना लें.
उन्हें नवगठित सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) के सचिव पद की जिम्मेदारी भी दी गई थी. वे चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष भी थे और रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकार भी. यह डीएमए का ही विचार था कि मिलिट्री कमांड्स का पुनर्गठन करते हुए संयुक्त कमांड्स बनाई जाएं, ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए ऑपरेशंस में एकरूपता लाई जा सके.
लेकिन ऐसा तभी हो सकता था, जब सीडीएस मौजूदा बुनियादी ढांचे का अधिकतम उपयोग करते हुए और तीनों अंगों में संयुक्तता लाते हुए उन्हें अधिक कारगर बनाते. दूसरे शब्दों में, आमूलचूल बदलाव लाने के अलावा सीडीएस से यह भी कहा गया था कि मौजूदा कमांड्स के स्तर पर काम करें, जहां वर्कशॉप्स, मेसिंग सुविधाएं, मेडिकल संगठन, कैंटीन, लॉजिस्टिक सुविधाएं, शस्त्रागार, प्रशिक्षण स्थल जैसी अचल-संस्थाओं का डुप्लिकेशन होता है. दूसरी चुनौती थी साइबर और स्पेस से सम्बंधित या स्पेशल ऑपरेशंस का एकीकरण करना, जिनके लिए सेना के तीनों अंगों की सहभागिता जरूरी होती है. लेकिन इन तमाम स्तरों पर न के बराबर काम हुआ. विभिन्न सेवाओं के अधिकारियों की क्रॉस-पोस्टिंग और एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक कानून को पास करने जैसे असम्बद्ध कदम ही उठाए गए.
पूर्व सीडीएस रावत ने कॉम्बैट में वायुसेना के महत्व को कम बताते हुए एक अनावश्यक विवाद छेड़ दिया था, जिससे इन प्रयासों में व्यवधान आया. तीन या चार भौगोलिक कमांड्स के गठन की घोषणा करते हुए इस मामले में समाधान खोजने के प्रयास भर किए गए थे और ये आशाएं लगाई जा रही थीं कि इनके बाद चीजें अपने आप सही हो जाएंगी.
यह प्रयोग एक परीक्षण के रूप में किया गया था, ताकि बाद में इसे भारतीय सेना के दूसरे भागों पर भी लागू किया जा सके. जबकि राजनीतिक वर्ग और सेना- दोनों के ही द्वारा इस कमान की उपेक्षा की गई है.
लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इस मामले में राजनीतिक मार्गदर्शन नहीं प्रदान कराया गया, जबकि चीन में थिएटराइजेशन में केंद्रीय सैन्य आयोग ने मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसके अध्यक्ष स्वयं शी जिनपिंग हैं. अमेरिका में गोल्डवॉटर-निकोल्स एक्ट के माध्यम से तीनों बलों का एकीकरण किया गया था. लेकिन भारतीय समस्याओं के लिए तो नितांत भारतीय समाधानों की ही दरकार होगी.
इस दिशा में कुछ प्रयास पहले किए जा चुके हैं, लेकिन उनकी अनदेखी की गई है. मिसाल के तौर पर 2001 में मंत्रिसमूह की एक रिपोर्ट से हुए सुधारों के बाद भारत की पहली ट्राय-सर्विस ज्योग्राफिकल कमांड का गठन अंदमान और निकोबार कमान के रूप में किया गया था.
इस समयावधि में यह कमान पहले ही खासे अनुभव अर्जित कर चुकी है, साथ ही उसने कुछ माइक्रो-संरचनाएं भी रची हैं. यह प्रयोग एक परीक्षण के रूप में किया गया था, ताकि बाद में इसे भारतीय सेना के दूसरे भागों पर भी लागू किया जा सके. जबकि राजनीतिक वर्ग और सेना- दोनों के ही द्वारा इस कमान की उपेक्षा की गई है. हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि एकीकरण की प्रक्रिया के दौरान हम अपने रक्षा-ढांचे में असंतुलन की स्थिति न निर्मित कर दें.
यह लेख मूल रूप से दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुआ था
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