Expert Speak Raisina Debates
Published on May 02, 2024 Updated 0 Hours ago

इस वक़्त दुनिया इतिहास के बेहद निर्णायक मोड़ से गुज़र रही है, जहां भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदिता लगातार तीखी होती जा रही है.

सामरिक गठबंधन बनाने की कोशिश: भारत, जापान और हिंद प्रशांत!

ये लेख रायसीना क्रॉनिकल्स 2024 सीरीज़ का एक हिस्सा है


9वां रायसीना डायलॉग आयोजित करने के लिए मैं आपको तह-ए-दिल से बधाई देता हूं. मेरे लिए ये बहुत सम्मान की बात है कि मैं इस संवाद की दसवीं सालगिहर के मौक़े पर सभी संबंधित सदस्यों का स्वागत कर रहा हूं.

 

इस वक़्त दुनिया इतिहास के बेहद निर्णायक मोड़ से गुज़र रही है, जहां भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदिता लगातार तीखी होती जा रही है और, वो तमाम मुद्दे उभरकर आ रहे हैं जिन पर पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच सहयोग की ज़रूरत है. ऐसी दुनिया में भारत, जो एक लोकतांत्रिक और दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, ने स्थायी आर्थिक विकास को हासिल किया है और आज दक्षिण एशिया में उसकी बहुत अहमियत है. इसके अतिरिक्त, हिंद महासागर में भारत की स्थिति उसे सामरिक और भू-राजनीतिक अहमियत प्रदान करती है.

 

मैं इन पृष्ठभूमियों को बख़ूबी समझता हूं, तो मैं भारत के विदेश मंत्रालय और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के नेतृत्व के प्रति अपना सम्मान प्रकट करता हूं, जिन्होंने ये संवाद आयोजित किया है. ये ऐसा मंच है जो राय बनाने वाले नेताओं और प्रभावशाली शब्दों को एक दूसरे से जोड़ता है.

 

दुनिया के तमाम देशों के मंत्रियों, सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, चीफ ऑफ डिफेंस (CHODs), कारोबारी दुनिया के बड़े अधिकारियों, मीडिया कर्मियों, रिसर्चर्स और फेलो की भागीदारी की वजह से रायसीना डायलॉग बेहद अर्थपूर्ण परिचर्चा का मंच बन गया है. और इसने इस क्षेत्र की स्थिरता और शांति की बुनियाद रखी है और इसके बाद इस मंच ने हिंद प्रशांत के तमाम मुद्दों पर परिचर्चा करके वैश्विक शांति और स्थिरता में भी अपना योगदान दिया है. मेरा ये दृढ़ विश्वास है कि भविष्य में संवाद की अहमियत औओर भी बढ़ जाएगी. मैं अपनी दिल की गहराइयों से ये ख़ुशी व्यक्त करता हूं कि जापान और भारत इतनी अहम ज़िम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं और उनके बीच, ‘विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी है’ और दोनों देशों के संबंध को बड़ी तेज़ गति से और भी मज़बूती दी जा रही है.

 

मैं इस डायलॉग में इसके पांचवें संस्करण से ही भाग ले रहा हूं, और बहुस्तरीय पैनल परिचर्चाओं और बैठकों के ज़रिए मैंने अपने सहयोगी देशों और समान विचारधारा वाले देशों के रक्षा प्रमुखों के साथ वैश्विक सुरक्षा के वातावरण को लेकर खुले ज़हन के साथ परिचर्चाओं में हिस्सा लिया है. इसमें भारत भी शामिल रहा है, जो हमारे साथ सार्वभौमिक मूल्यों और सामरिक हितों को साझा करता है. ये डायलॉग जो बहुत और तमाम तरह के किरदारों को मिलने का मौक़ा मुहैया कराता है, ये आपसी समझ को और गहरा करने और सहयोग को मज़बूती देने के मामले में काफ़ी अर्थपूर्ण साबित हुआ है. विशेष रूप से मुझे याद है कि जैसे ये अभी कल की ही बात हो: पांचवें रायसीना डायलॉग (2020 में) मुझे जनरल बिपिन रावत से मिलने का मौक़ा मिला था, जो देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे. एक दुर्घटना के बाद जनवरी 2021 में उनका निधन हो गया था. जनरल बिपिन रावत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने के बाद ये उनकी किसी डिफेंस चीफ के साथ ये पहली बैठक थी; हालांकि हम खुलकर अपनी राय एक दूसरे से साझा करने में सफल रहे थे. इस बैठक के नतीजे हमारे मौजूदा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रक्षा सहयोग में दिखाई देता है. इस मौक़े का लाभ उठाते हुए मैं जनरल बिपिन रावत के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा प्रकट करना चाहता हूं.

 

इसके अलावा, मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहता हूं कि चीफ ऑफ डिफेंस के साथ बैठकों इस बात का एहसास हुआ कि भारत के एक भू-राजनीतिक खिलाड़ी के तौर पर मौजूद होने का एहसास हुआ, और पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत की भूमिका को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाएं और बढ़ती जा रही हैं. ‘स्वतंत्र और खुले हिंद प्रशांत’ के नज़रिए के तहत जापान के आत्मरक्षा बलों और भारत के सैन्य बलों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को देखें, तो नियमों पर आधारित एक स्वतंत्र और मुक्त अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने के लिहाज़ से जापान और भारत बेहद महत्वपूर्ण हैं. मैं ये मानता हूं कि इस वक़्त भारत, 2017 के ज्वॉइंट डॉक्ट्रिन इंडियन आर्म्ड फोर्सेज़ के अंतर्गत एक संयुक्त बल स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. इसी तरह जापान के आत्मरक्षा बल भी अपने संयुक्त अभियान की ताक़त को और मज़बूत बना रहे हैं. इसकी मिसाल पर्मानेंट ज्वाइंट हेडक्वार्टर्स (PJHQ) के तौर पर दिखाई देती है. इन क़दमों के तहत इस साल सितंबर में भारत और जापान के बीच पहली ज्वाइंट स्टाफ मीटिंग हुई थी. जापान के ज्वाइंट स्टाफ के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ के तौर पर मैं जापान और भारत के बीच इस संयुक्त स्तरीय सहयोग को देखकर अपने दिल की गहराइयों से ख़ुश हूं. जापान और भारत के सहयोग में ऐसे क़दमों से रायसीना डायलॉग को संवाद और परिचर्चाओं के नए अवसर प्राप्त होंगे. 

 

मैं अपनी ओर से बधाई देना चाहता हूं और मुझे ये उम्मीद है कि भविष्य में आने वाले सबी भागीदारों के लिए रायसीना डायलॉग ‘विचारों का अखाड़ा’ बना रहेगा.

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