Published on Jun 01, 2022 Updated 17 Hours ago

इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत की योजना के हिस्से के रूप में और मौजूदा रूस-यूक्रेन संघर्ष, जिसने ये दिखाया है कि हर देश सिर्फ़ अपने लिए है

5जी तक़नीक पर कनाडा की योजना से चीन की बेदख़ली: चीन के ख़िलाफ़ भू-आर्थिक फ़रमान!

ये लेख चीन के तकनीक का उदय: घुसपैठ के ज़रिए हिस्सेदारी सीरीज़ का हिस्सा है.


कनाडा के द्वारा चीन की कंपनियों- हुआवे और ज़ेडटीई- को अपने 5 जी टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क से बाहर करने का फ़ैसला भले ही देर से आया लेकिन जहां तक नागरिकों की निजता और संचार की सुरक्षा का मामला है तो ये सही दिशा में उठाया गया क़दम है. 19 मई 2022 को एक नीतिगत बयान में जस्टिन ट्रूडो प्रशासन ने अपने इरादे साफ़ कर दिए: “कनाडा की सरकार आज ये एलान कर रही है कि वो कनाडा के टेलीकम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स को अपने 5जी नेटवर्क में हुआवे और ज़ेडटीई के उत्पादों और सेवाओं को तैनात करने से रोकना चाहती है.” इसके आगे 28 जून 2024 और 31 दिसंबर 2027 तक क्रमश: हुआवे और ज़ेडटीई के मौजूदा 5 जी और 4 जी उपकरण हर हाल में हटाने होंगे; और 1 सितंबर 2022 तक टेलीकम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स नये 4जी और 5जी उपकरण लेना बंद कर देंगी. इसकी वजह साफ़ है: “कनाडा की सरकार को हुआवे और ज़ेडटीई जैसे सप्लायर को लेकर गंभीर चिंता है क्योंकि इन्हें विदेशी सरकारों के ग़ैर-न्यायिक निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. ये निर्देश कनाडा के क़ानून के ख़िलाफ़ या कनाडा के हितों के लिए नुक़सानदेह हो सकते हैं.” 

“कनाडा की सरकार को हुआवे और ज़ेडटीई जैसे सप्लायर को लेकर गंभीर चिंता है क्योंकि इन्हें विदेशी सरकारों के ग़ैर-न्यायिक निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. ये निर्देश कनाडा के क़ानून के ख़िलाफ़ या कनाडा के हितों के लिए नुक़सानदेह हो सकते हैं.” 

जिन ‘ग़ैर-न्यायिक निर्देशों’ की बात की गई है वो चीन के जून 2017 के राष्ट्रीय खुफ़िया क़ानून में चार अनुच्छेद (7, 9, 12, और 14) हैं जिनके तहत चीन के उन नागरिकों और संगठनों के लिए प्रोत्साहन का प्रावधान है जो खुफ़िया जानकारी जुटाने में योगदान देते हैं, और ऐसे संबंध बनाते हैं जिनसे जासूसी में सहायता मिलती है. व्यापक पैमाने पर ऐसा होता है. उदाहरण के लिए, जनवरी 2019 में हुआवे के एक कर्मचारी को जासूसी के लिए पोलैंड में गिरफ़्तार किया गया था. इस तरह ये साफ़ है कि चीन की किसी भी कंपनी को किसी भी देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में प्रवेश की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए जैसा कि दिसंबर 2019 के इस दस्तावेज़ में दलील दी गई है. चीन की कंपनियों की वजह से सुरक्षा का जो जोखिम पैदा होता है, उसने एक-के-बाद-एक कई देशों के द्वारा अपने देश में 5जी सेवा से चीन की कंपनियों को दूर रखना सुनिश्चित किया है. मिसाल के तौर पर ऑस्ट्रेलिया ने अगस्त 2018, अमेरिका ने मई 2019 (प्रभावपूर्ण ढंग से), यूनाइटेड किंगडम ने जुलाई 2020, स्वीडन, इटली, बुल्गारिया, नॉर्थ मैसिडोनिया एवं चेक गणराज्य ने अक्टूबर 2020 (प्रभावपूर्ण ढंग से), और भारत ने मई 2021 (प्रभावपूर्ण ढंग से) में 5जी नेटवर्क से चीन की कंपनियों को बाहर किया. 

आत्मनिर्भर भारत में आई तेज़ी के बाद भारत ने आईआईटी मद्रास में टेस्ट बेड में विकसित मेड इन इंडिआ 5जी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इस तकनीक को सबसे पहले सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी बीएसएनएल में तैनात किया जाएगा जिसके बाद इसे प्राइवेट ऑपरेटर्स के सामने पेश किया जाएगा. 

इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत की योजना के हिस्से के रूप में और मौजूदा रूस-यूक्रेन संघर्ष, जिसने ये दिखाया है कि हर देश सिर्फ़ अपने लिए है. आत्मनिर्भर भारत में आई तेज़ी के बाद भारत ने आईआईटी मद्रास में टेस्ट बेड में विकसित मेड इन इंडिआ 5जी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इस तकनीक को सबसे पहले सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी बीएसएनएल में तैनात किया जाएगा जिसके बाद इसे प्राइवेट ऑपरेटर्स के सामने पेश किया जाएगा और आख़िर में इसे शायद बाक़ी दुनिया को भी दिया जाएगा. इसी तरह दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग को उम्मीद है कि वो 2028 तक 6जी का शुरुआती व्यवसायीकरण और 2030 तक बड़े पैमाने पर व्यवसायीकरण शुरू कर लेगी. रातों-रात, सबसे कम क़ीमत पर आधुनिक 5 जी उपकरण मुहैया कराने में जो बढ़त हुआवे को थी वो कमज़ोर पड़ गई है. विडंबना की बात है कि इसे एक अनावश्यक ढंग से निर्दयी और ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामक शी जिनपिंग- जो चीन में हर चीज के प्रमुख हैं- ने प्रोत्साहन दिया है जो अपने आकर्षण की सोच पर भरोसा करते हैं. इसका नतीजा: नामंज़ूरी का भू-आर्थिक फ़रमान है जो लोकतांत्रिक देशों के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में चीन की कंपनियों के द्वारा घुसपैठ को रोकता है और ये आगे भी जारी रहेगा. 

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