Author : Nele Leosk

Published on Jul 18, 2023 Updated 0 Hours ago

एस्टोनियाई अनुभव ने हमें बताया है कि डीपीआई (Digital Public Infrastructure) और डीपीजी  (Digital Public Goods ) प्रशासनिक और राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के लिए व्यवहार्य और मूल्यवान टूल हैं.

Estonian Case – डिजिटल पब्लिक इंफ़्रास्ट्रक्चर का विकास और प्रसार
Estonian Case – डिजिटल पब्लिक इंफ़्रास्ट्रक्चर का विकास और प्रसार

अपने युवा लोकतंत्र और नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य की कल्पना करते हुए, एस्टोनिया ने राजनीतिक और प्रशासनिक आधुनिकीकरण की  विशिष्ट और जानी पहचानी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल तकनीक़ों पर बहुत जल्दी भरोसा किया.  लिहाज़ा तकनीक़ी और सामाजिक विज्ञान के इंटरसेक्शन में, एस्टोनियाई  अनुभव शासन और लोकतंत्र पर डिजिटल टेक्नोलॉजी की भूमिका का अध्ययन करने का एक शानदार मौक़ा देता है.  इस संबंध में यह आलेख डीपीआई (Digital Public Infrastructure) और डीपीजी (Digital Public Goods ) के विकास और प्रचार में एस्टोनिया की भूमिका को लेकर चर्चा करता है. यह चर्चा और डीपीआई का आगे का विकास, चार मुख्य कारणों से सबसे महत्वपूर्ण है. पहला यूजर्स की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होना – समूचे सरकारी सेवाओं की बढ़ती एकजुटता, जो रजिस्ट्री और सूचना प्रणालियों के बीच बेहतर अंतःक्रियाशीलता (interoperability) का नतीज़ा है, और जो ना सिर्फ निजी क्षेत्र के भागीदारों के साथ बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के साझीदारों के साथ भी शामिल है. दूसरा, कई देशों के बीच संबंध और सहयोग बढ़ने की वज़ह से, जो राष्ट्रों के ख़ास डिजिटलीकरण (digitalization) आवश्यकताओं के लिए मौज़ूदा सार्वजनिक समाधानों को अपनाने और अनुकूलन का नतीज़ा है. यह राष्ट्रों को ना केवल सीखने की अवस्था को मज़बूत और कम करता है, बल्कि डिजिटल समाधानों के बेहतर विकास के लिए संसाधनों और कौशल के पूलिंग को भी तैयार करता है. डीपीआई का तीसरा महत्वपूर्ण पहलू वेंडर लॉक-इन के जोख़िम को कम करना है और इसके परिणामस्वरूप, डिजिटल विकास पर राष्ट्रों की स्वायत्तता और नियंत्रण में वृद्धि करना है. आख़िरी और डीपीआई के विस्तार की चौथी महत्वपूर्ण विशेषता खुलापन, पारदर्शिता और समावेशी सिद्धांतों को और बढ़ावा देकर लोकतांत्रिक मूल्यों को मज़बूत करना है. इस आलेख के बचे हुए हिस्से में डीपीआई और इसकी सकारात्मक एक्सटर्नलिटिज पर चर्चा की जाएगी, जो डिजिटलीकरण की एस्टोनियाई प्रक्रिया के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहे.

एक सामाजिक-तकनीक़ी कंस्ट्रक्ट (निर्माण) होने के नाते, डीपीआई विविध व्याख्याओं, परिभाषाओं और भेदों के साथ एक जटिल अवधारणा है. मोटे तौर पर  डीपीआई डिजिटल स्पेस में लोगों को सार्वजनिक और नागरिक जीवन में संलग्न करने के लिए आवश्यक उपकरणों  और प्रणालियों के बारे में बताता है. उसी के अनुरूप, इस पेपर के प्रयोजन के लिए, डीपीआई को डिजिटल पब्लिक गुड्स (डीपीजी) और ऑनलाइन सार्वजनिक/राजनीतिक जुड़ाव के लिए सही वातावरण, या “इकोसिस्टम” के रूप में समझा जाता है. इसका मतलब यह है कि, अधिक विशिष्ट दृष्टिकोणों पर विस्तार करते हुए, इस पेपर में  डीपीआई केवल डीपीजी के एक सीमित सेट को संदर्भित नहीं करता है जिसे डिजिटलीकरण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है (मिसाल के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक पहचान, डेटा शेयरिंग और भुगतान के लिए समाधान). इसके बदले  डीपीआई में संपूर्ण मानकों, टेक्निकल कंपोनेंट्स (तकनीक़ी घटकों) और सेवाओं के साथ-साथ संस्थागत और संगठनात्मक ढांचे/प्रक्रियाएं शामिल हैं, जो डीपीजी के साथ ही साइबर स्पेस में सार्वजनिक और नागरिक संवाद के लिए आवश्यक हैं. इसमें इंस्टीट्यूशनल सेटिंग्स के तहत, इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क और इनफॉर्मेशन सोसाइटी स्ट्रैटिजी जैसी नीतियां, साथ ही कानून द्वारा निर्धारित नियम और विनियम (जैसे, सार्वजनिक सूचना तक पहुंच अधिनियम) शामिल हैं. इसके अलावा, डीपीजी के प्रबंधन और वित्तपोषण, ख़रीद प्रक्रियाओं और नियमों, यहां तक कि संगठनों की ऑनलाइन कनेक्टिविटी से संबंधित संगठनात्मक सेटअप भी इस पेपर की डीपीआई की समझ के तहत शामिल होंगे.

यह आलेख डीपीआई (Digital Public Infrastructure) और डीपीजी (Digital Public Goods ) के विकास और प्रचार में एस्टोनिया की भूमिका को लेकर चर्चा करता है. यह चर्चा और डीपीआई का आगे का विकास, चार मुख्य कारणों से सबसे महत्वपूर्ण है.

डीपीआई के विकास और प्रसार में एस्टोनिया का निरंतर योगदान दो आधार पर प्रस्तुत किया जा सकता है. पहला डीपीआई के ठोस विकास और अपनाने से संबंधित है जो एस्टोनिया की डिजिटलीकरण की सफल प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है. यह देश की नीति और कानूनी ढांचे, संगठनात्मक और वित्तीय सेट-अप और सरकारी आधुनिकीकरण के लिए ओपन सोर्स डिजिटल समाधानों के विकास को बताता है,  जो अन्य लोगों के लिए रियूज (फिर से इस्तेमाल के लिए) उपलब्ध कराया गया है. यहां नए डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाने के साथ इसके खुलेपन को मानने के लिए प्रतिबद्धता की देश की क्षमता को उजागर किया जा सकता है. दूसरा आयाम दुनिया भर में डीपीआई के विकास और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एस्टोनिया के प्रयासों और पहलों से संबंधित है. यह द्विपक्षीय और बहुपक्षीय भागीदारी के ज़रिए विश्व स्तर पर डीपीआई को लागू करने में देश के निरंतर प्रचार और समर्थन में परिलक्षित होता पाया गया है.

एस्टोनिया के डिजिटल पब्लिक इंफ़्रास्ट्रक्चर का निर्माण

पहले आयाम के संबंध में, और नीतियों और कानूनी ढ़ांचे को देखते हुए, एक ओपन डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर (या इको सिस्टम) के निर्माण के लिए  डीपीआई के विकास में एस्टोनियाई योगदान को कई परिस्थितियों या फिर सिद्धांतों में बहुत पहले निर्धारित किया गया था. कुछ सिद्धांत, जैसे सार्वजनिक सूचना तक पहुंच, एस्टोनिया में एक सूचना समाज के विकास का मार्गदर्शन करने वाले बहुत प्रारंभिक दस्तावेज़ों पर निर्धारित किए गए थे. एक बेहतर उदाहरण एस्टोनियाई सूचना नीति के सिद्धांत हैं, जिसे 1998 में संसद द्वारा अपनाया गया था. इस दस्तावेज़ ने टेक्नोलॉजी को सरकारी सूचना प्रणाली के संकीर्ण संदर्भ में बिना डाले लोकतांत्रिक सामाजिक परिवर्तन के लिए इसे बेहद अहम माना था. इसके व्यापक दायरे के अलावा, दस्तावेज़ों के डिजिटलीकरण में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ सहयोग पर भी यह जोर देता है और सार्वजनिक सूचना तक पहुंच सहित बेहतर रेग्यूलेशन के लिए आवश्यक क्षेत्रों की ओर इंगित करता है. इसी तरह, “वन्स ओनली” (केवल एक बार) का सिद्धांत डेटाबेस एक्ट (1997) की शुरुआत में स्थापित किया गया था और 2008 से, पब्लिक इन्फॉर्मेशन एक्ट में शामिल किया गया था.यह सिद्धांत, जिसमें कहा गया है कि सरकार और सार्वजनिक संस्थान एक बार पहले ही दी जा चुकी जानकारी को लेकर  अनुरोध नहीं कर सकते हैं  और डेटा एक्सचेंज सिस्टम (यानी, एक्स-रोड) के ज़रिए स्टेट डेटाबेस और इन्फॉर्मेशन सिस्टम के परस्पर संबंध द्वारा जिसे सुरक्षित किया गया था.

एस्टोनियाई इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क (स्टेट इन्फॉर्मेशन सिस्टम की इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क) में डेटा का खुलापन और रियूजेबिलिटी भी एक मुख्य सिद्धांत रहा है. यह दस्तावेज़, जो सार्वजनिक, निजी और तीसरे क्षेत्र के संस्थानों के साथ-साथ सभी इच्छुक पार्टियों के योगदान और सुझावों के लिए खुला था, खुले मानकों के बारे में निर्णय प्रदान करता है जिसका अनुपालन सार्वजनिक क्षेत्र के लिए अनिवार्य बना दिया गया. दस्तावेज़ में कहा गया है कि जब तक अन्यथा उचित न हो, ओपननेस के सिद्धांतों को सार्वजनिक संस्थानों को सूचना प्रणाली और सॉफ्टवेयर ख़रीद के विकास में मार्गदर्शन करना चाहिए. ना सिर्फ  सार्वजनिक संस्थानों को नए मुफ़्त सॉफ़्टवेयर बनाते समय, ओपन सोर्स/फ्री सॉफ़्टवेयर लाइसेंस का उपयोग करने के दौरान भी इन्हें प्रोत्साहित किया गया था. इतना ही नहीं सूचना के रियूज को सार्वजनिक क्षेत्र तक सीमित नहीं होना चाहिए, और तो और सार्वजनिक क्षेत्र की जानकारी के निरंतर उपयोग में योगदान देना और सेवाओं समेत सभी बाज़ार ऑपरेटरों और अतिरिक्त मूल्य के प्रदाताओं को मदद देना भी इसमें शामिल था.कुल मिलाकर, एस्टोनियाई सार्वजनिक संस्थानों द्वारा सूचना प्रणाली का विकास रियूजेबिलिटी, टेक्नोलॉजी न्यूट्रिलिटी और अनुकूलनशीलता के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया गया है.

इस दस्तावेज़ ने टेक्नोलॉजी को सरकारी सूचना प्रणाली के संकीर्ण संदर्भ में बिना डाले लोकतांत्रिक सामाजिक परिवर्तन के लिए इसे बेहद अहम माना था. इसके व्यापक दायरे के अलावा, दस्तावेज़ों के डिजिटलीकरण में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ सहयोग पर भी यह जोर देता है और सार्वजनिक सूचना तक पहुंच सहित बेहतर रेग्यूलेशन के लिए आवश्यक क्षेत्रों की ओर इंगित करता है. 

डीपीआई के विकास और डीपीजी के प्रसार में अन्य योगदान को पब्लिक इन्फॉर्मेशन एक्ट और डेटाबेसेस एक्ट (बाद में पब्लिक इन्फॉर्मेशन एक्ट में इसे शामिल  किया गया) के तहत पब्लिक डेटा तक सार्वजनिक पहुंच प्रदान कर स्थापित किया गया.  पब्लिक इन्फॉर्मेशन एक्ट (पीआईए) जो 2000 में पारित किया गया था, और 1 जनवरी 2001 को लागू हुआ, सभी सार्वजनिक संस्थानों को सार्वजनिक हित की ऑनलाइन सामग्री प्रदान करने वाली वेबसाइटों को बनाने और रखने के लिए बाध्य करता है. इसके अलावा पीआईए सार्वजनिक जानकारी के रियूज करने का अधिकार देता है, यह एस्टोनियाई ओपन डेटा कानून के रूप में काम करता है, डेटा के संग्रह, रखरखाव और शेयरिंग को यह रेग्युलेट करता है और इसलिए, सार्वजनिक रजिस्ट्रियां भी इससे रेग्युलेट होती हैं. इसके अलावा, पब्लिक इन्फॉर्मेशन एक्ट नेशनल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (आरआईएचए), डेटा एक्सचेंज लेयर एक्स-रोड के प्रबंधन को भी नियंत्रित करता है. ओपन डेटा ग्रीन पेपर जैसे अन्य दस्तावेज़ भी डेटा को खोलने की प्रक्रिया में मदद करते हैं.

कुल मिलाकर एस्टोनिया में एक मज़बूत संस्थागत ढ़ांचा है जो डीपीआई के विकास और प्रसार को आगे बढ़ाता है. इन ज़रूरी कानूनी कार्रवाई में डेटाबेस एक्ट (1997 में अपनाया गया), पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (1996 में अपनाया गया), पब्लिक इन्फॉर्मेशन एक्ट – पीआईए (2000 में अपनाया गया, 1 जनवरी 2001 को लागू हुआ), एक्स-रोड रेगुलेशन (2003 को अपनाया गया), और स्टेट एसेट्स एक्ट शामिल हैं लेकिन यह इन्हीं कानूनों तक सीमित नहीं हैं. 2021 में स्टेट असेट्स एक्ट में संशोधन किया गया जिससे 2021 में डिजिटल पब्लिक डेवलपमेंट के लिए एक अनिवार्य ओपन-सोर्स आवश्यकता को पेश करने के साथ-साथ उन सार्वजनिक क्षेत्र के डिजिटल विकास को रियूज करने के लिए खोलने की संभावना है. इस संशोधन ने एस्टोनियाई सार्वजनिक क्षेत्र में डीपीआई के महत्व को और मज़बूत किया है, जो 2000 के दशक से डिजिटल सोसाइटी पॉलिसी और फ्रेमवर्क में मौज़ूद है  और यह हमेशा से एस्टोनिया के डिजिटल बदलाव को निर्देशित करता है.एक्स-रोड रेग्युलेशन मूल ज़रूरतों और सिद्धान्तों को सूचीबद्ध करता है जिससे कि सार्वजनिक संस्थानों और निजी उद्यमों की इन्फॉर्मेशन सिस्टम और एक्स-रोड के सदस्यों के बीच डेटा एक्सचेंज मुमकिन हो सके.

क़ानूनी और संस्थागत ढ़ांचे में लिखे गए सिद्धांतों के अलावा, एस्टोनिया ने अपने डीपीआई और डीपीजी की स्थिरता की निगरानी और गारंटी के लिए एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक और वित्तीय सेट-अप भी बनाया है.फिनलैंड के साथ मिल कर बनाए गए नॉर्डिक इंस्टीट्यूट फॉर इंटरऑपरेबिलिटी सॉल्यूशंस (एनआईआईएस) इसका स्पष्ट उदाहरण है. 2017 में स्थापित एनआईआईएस, सीमा पार डेटा शेयरिंग और सेवा वितरण के लिए डीपीआई के विकास और रखरखाव के लिए ज़िम्मेदार है. 2021 में 2.5 मिलियन यूरो के बज़ट के साथ, अपने तीन सदस्यों (एस्टोनिया, फिनलैंड और आइसलैंड) द्वारा इसे समान रूप से साझा किया गया, एनआईआईएस एक्स-रोड सॉफ्टवेयर और ई-डिलीवरी हार्मनी का प्रबंधन करती है, जो ईयू डेटा एक्सचेंज समाधान के लिए प्रवेश द्वार जैसा है. एस्टोनिया में, एस्टोनियाई इन्फॉर्मेशन सिस्टम अथॉरिटी (आरआईए) स्टेट इन्फॉर्मेशन सिस्टम के विकास और प्रबंधन का समन्वय करता है, जिसमें एक्स-रोड जैसी अहम पब्लिक इंफ़्रास्ट्रक्चर से संबंधित संचालन भी शामिल हैं लेकिन इसमें स्टेट पोर्टल, स्टेट पब्लिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (आरआईएचए) की प्रशासनिक प्रक्रिया भी शामिल होती है. यहां तक कि इसमें इलेक्ट्रॉनिक डॉक्युमेंट एक्सचेंज सेंटर (डीवीके) भी शामिल है.सीमा पार वित्तीय और मानव संसाधनों के बेहतर पूलिंग को स्वीकार्य बनाकर एस्टोनिया में डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर के विकास और रखरखाव के लिए एनआईआईएस जैसी पहल महत्वपूर्ण हैं.

अनिवार्य राष्ट्रीय डिजिटल आईडी के साथ, डेटा शेयरिंग इंफ़्रास्ट्रक्चर एक्स-रोड एस्टोनियाई ई-गर्वनमेंट इंफ़्रास्ट्रक्चर की आधारशिला है और डीपीआई के विकास और प्रचार के लिए एस्टोनिया के प्रयासों के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक है. एक्स-रोड दिसंबर 2001 में जारी किया गया था और एक्स-रोड से जुड़ा पहला डेटाबेस पॉपुलेशन रजिस्ट्री था [[i].] भले ही सरकारी संस्थानों ने अपनी सूचना प्रणाली और रजिस्ट्रियों को एक्स-रोड से जोड़ना शुरू करने में कुछ साल लगा दिए लेकिन यह प्लेटफॉर्म अब 900 से अधिक सार्वजनिक और निजी संगठनों को एक साथ जोड़ता है, 3000 से अधिक सेवाएं प्रदान करता है और आज तक इसके लिए 11 बिलियन से अधिक रिक्वेस्ट दर्ज़ किए गए हैं.

यह कई मायनों में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है. एस्टोनिया डिजिटल कॉमन्स वर्किंग ग्रुप का सदस्य है. इस समूह की स्थापना फरवरी 2022 में यूरोप की तकनीक़ी क्षमता को बढ़ाने, यूरोपीय संघ के मूल्यों के अनुरूप डिजिटल समाधान विकसित करने और ओपन डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर के ज़रिए बाहरी निर्भरता को कम करने और डिजिटल संप्रभुता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए की गई थी. 

एक्स-रोड के अलावा डीपीआई के सुधार और प्रसार के लिए एस्टोनिया की प्रतिबद्धता नए डीपीजी के निरंतर विकास में भी देखी जा सकती है, ख़ास तौर पर एआई गॉवस्टैक के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में इसे महसूस किया जा सकता है. साल 2022-2023 के लिए हाल ही में 20 मिलियन यूरो के बज़ट के साथ एआई कार्य योजना,  लगभग 40 रियुजेबल बिल्डिंग ब्लॉक्स का विकास, जिन्हें अन्य डिजिटल टूल और सेवाओं के साथ एकीकृत किया जा सकता है, इसमें शामिल हैं. इसके अलावा, 2025 तक सभी सरकारी चैटबॉट ‘बुरोक्रेट’ के विकास के लिए 13 मिलियन यूरो का बज़ट आवंटित किया गया है. कुछ अन्य ओपन-सोर्स एआई कंपोनेंट में ट्रांसलेशन इंजन, स्पीच रिकॉगनिशन और सिंथेसिस टूल्स और साथ ही टेक्स्ट एनालिटिक्स समाधान भी शामिल किए  गए हैं.

विदेश नीति और एस्टोनिया की डिजिटल गुड्स का विश्वव्यापी हिस्सा

एस्टोनियाई विदेश नीति रणनीति के  तहत डिजिटल टेक्नोलॉजी का समर्थन, एक ट्रांसवर्सल / हॉरिजेन्टल तरीक़े से, एस्टोनिया की विदेश नीति के उद्देश्यों की पूर्ति, विशेष रूप से सुरक्षा, व्यापार / आर्थिक नीति और विकास सहयोग के संदर्भ में यह ज़रूरी है. इस क्षेत्र में, एस्टोनिया 18 जुलाई, 2022 को अपनाई गई ईयू डिजिटल डिप्लोमेसी के काउंसिल निष्कर्षों में निर्धारित डिजिटल कूटनीति के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का समर्थन करता है. यह दस्तावेज़ ग्लोबल गेटवे रणनीति के अनुरूप, लचीला और विश्वसनीय डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने का भी समर्थन करता है.

यह कई मायनों में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है. एस्टोनिया डिजिटल कॉमन्स वर्किंग ग्रुप का सदस्य है. इस समूह की स्थापना फरवरी 2022 में यूरोप की तकनीक़ी क्षमता को बढ़ाने, यूरोपीय संघ के मूल्यों के अनुरूप डिजिटल समाधान विकसित करने और ओपन डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर के ज़रिए बाहरी निर्भरता को कम करने और डिजिटल संप्रभुता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए की गई थी. एस्टोनिया ई-गवर्नमेंट वर्किंग ग्रुप के जीआईजेड [[ii]] के साथ ईयू D4D का सदस्य भी है, जो डीपीजी के उपयोग को बढ़ावा देता है और डिजिटल परिवर्तन में ब्लॉक-आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है. D4D हब को दिसंबर 2020 में यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष, उर्सुला वॉन डेर लेयेन, यूरोपीय राष्ट्राध्यक्षों और D4D हब भागीदारों द्वारा लॉन्च किया गया था. डी 4 डी  हब एक रणनीतिक मल्टी स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म के तौर  पर काम करता है जो टीम यूरोप और उसके वैश्विक भागीदारों के बीच डिजिटल सहयोग को बढ़ावा देता है. अब तक एस्टोनिया समेत 12 देश इस हब से जुड़ चुके हैं.

निष्कर्ष के तौर पर, एस्टोनियाई अनुभव ने हमें बताया है कि प्रशासनिक और राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के लिए डीपीआई और डीपीजी दोनों व्यवहार्य और मूल्यवान टूल्स हैं. ये एस्टोनिया की डिजिटलीकरण की सफल प्रक्रिया के लिए प्रमुख निर्धारक थे और, जैसा कि हमने इस देश की प्रारंभिक प्रतिबद्धता से, नई तकनीक़ों के उपयोग के ज़रिए, ओपननेस और ट्रांसपेरेंसी के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मज़बूत करने पर जोर दिया है.

अक्टूबर 2020 में, एस्टोनिया ने जर्मनी, इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) और डिजिटल इम्पैक्ट एलायंस (डायल), एस्टोनिया के साथ मिलकर गॉवस्टैक की शुरुआत की.  इस पहल का मक़सद लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप एक डिजिटल सोसाइटी के विकास में योगदान देना और डिजिटल बिल्डिंग-ब्लॉक्स या डीपीआई के साझा विकास से लाभ उठाना है. यह उन विकासों को शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण है जो अन्यथा, वित्तीय और मानव संसाधनों द्वारा प्रतिबंधित होंगे.  गोवस्टैक, इंप्लीमेंटेशन स्टेज में एंट्री कर रहा है और यह बहुपक्षीय और द्विपक्षीय साझेदारी दोनों के  माध्यम से वैश्विक डिजिटल सहयोग में योगदान देता रहा है.मल्टीलैटरल के रूप में : आईटीयू पार्टनर 2 कनेक्ट, यूएन ग्लोबल डिजिटल एज़ेंडा, यूएन डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस शामिल हैं. द्विपक्षीय तौर  पर गॉवस्टैक वर्तमान में यूक्रेन, मिस्र और रवांडा जैसे कई देशों के साथ संभावित साझेदारी पर काम कर रहा है.

एस्टोनिया जून 2022 में डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस में भी शामिल हो गया है, जो संयुक्त राष्ट्र डिजिटल सहयोग रिपोर्ट के 8 कंपोनेंट में से एक है और साथ ही, डिजिटल पब्लिक गुड्स चार्टर का समर्थन करता है.  ईस्टडेव (EstDev) के ज़रिए – एस्टोनियाई विकास सहयोग एजेंसी – एस्टोनिया भी डिजिटल सरकार और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में टीम यूरोप के पहल को लागू करवाने में भागीदार रहा है. इसके अलावा, 2002 में अपनी स्थापना के बाद से, ई-गवर्नेंस अकादमी की दुनिया भर में एस्टोनिया के डिजिटलीकरण के अनुभव को साझा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यह गैर-लाभकारी फाउंडेशन (एस्टोनिया सरकार, ओपन सोसाइटी इंस्टीट्यूट (ओएसआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की एक संयुक्त पहल) एस्टोनिया के ओपन डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने की कोशिशों के लिए मौलिक रही है, जिसमें एक्स-रोड को लागू करने के लिए कई देशों ने समर्थन किया है.

वास्तव में, एक्स-रोड व्यापक रूप से लागू एस्टोनियाई डीपीजी का एक बड़ा उदाहरण है, जिसे सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों द्वारा 20 से अधिक देशों में लागू किया जा रहा है. फ़रो आइलैंड्स, फ़िलिस्तीन, काइमैन आइलैंड्स, सर्बिया, जिबूती और किर्गिस्तान जैसे कुछ देशों में, एक्स-रोड को ई-गवर्नेंस एकेडमी फ़ाउंडेशन के समर्थन से लागू किया जा रहा है, जो तेलिन में स्थित एक डिजिटल गवर्नेंस कंपीटेंस सेंटर  है. इसके अलावा, यूक्रेन, नामीबिया और बेनिन सहित कई अन्य देशों में, एक डेटा इंटरऑपरेबिलिटी समाधान जो एक्स-रोड प्रोटोटाइप का पालन  करता है, ई-गवर्नेंस एकेडमी फाउंडेशन और साइबरनेटिका जैसे निजी क्षेत्र के भागीदारों के साथ मिलकर लागू किया जा रहा है. नॉर्टल, एक्टोर्स और कई अन्य राष्ट्र इससे जुड़े हैं.अंततः, एक्स-रोड के साथ एस्टोनिया के अनुभव और अभ्यास ने यूरोपीय इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क के लिए एक महत्वपूर्ण आधार के रूप में काम किया है. संयुक्त राष्ट्र डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस की रजिस्ट्री में भी यह शामिल है.

कुल मिलाकर, अपनी आज़ादी के बाद से, एस्टोनिया पब्लिक डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर के साथ सरकार और राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिए स्वतंत्र और ओपन सोर्स सॉल्युशन को शुरुआती दौर में अपनाने वाले राष्ट्र के तौर पर इसका बहुत ही मुखर समर्थक रहा है. जैसा कि हम उपरोक्त उदाहरणों से देख सकते हैं, यह दृष्टि एस्टोनियाई संस्थागत ढ़ांचे में गहराई से निहित  है. इसे एक जटिल संगठनात्मक और वित्तीय व्यवस्था के साथ-साथ कई बहुपक्षीय साझेदारियों के साथ विकसित और कायम रखा गया है. डिजिटल बुनियादी ढांचे और वस्तुओं के विकास और प्रावधान के अलावा, डीपीआई के लिए एस्टोनिया का समर्थन इस देश की दूसरों द्वारा विकसित डिजिटल पब्लिक गुड्स को लागू करने की प्रतिबद्धता में भी देखा जा सकता है. एक अच्छा उदाहरण 2012 में क्राउडसोर्सिंग लोकतांत्रिक पहल रहवाकोगु (पीपुल्स असेंबली) के लिए आइसलैंड में सिटीजन फाउंडेशन द्वारा विकसित एक ऑनलाइन भागीदारी मंच का उपयोग करना था. तब से, इस मंच का उपयोग कई एस्टोनियाई नगर पालिकाओं द्वारा स्थानीय मामलों में नागरिकों की सार्वजनिक और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. तेलिन शहर मौज़ूदा समय में इसी मंच का उपयोग करते हुए, शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार के मक़सद से एक क्राउडसोर्सिंग पहल का संचालन कर रहा है. नागरिकों के राजनीतिक जुड़ाव और भागीदारी को बढ़ावा देने और अंततः हमारे लोकतंत्रों को मज़बूत करने में जीपीआई के महत्व का यह एक और शानदार उदाहरण है.

निष्कर्ष के तौर पर, एस्टोनियाई अनुभव ने हमें बताया है कि प्रशासनिक और राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के लिए डीपीआई और डीपीजी दोनों व्यवहार्य और मूल्यवान टूल्स हैं.  ये एस्टोनिया की डिजिटलीकरण की सफल प्रक्रिया के लिए प्रमुख निर्धारक थे और, जैसा कि हमने इस देश की प्रारंभिक प्रतिबद्धता से, नई तकनीक़ों के उपयोग के ज़रिए, ओपननेस और ट्रांसपेरेंसी के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मज़बूत करने पर जोर दिया है. इसके अलावा, डीपीआई एस्टोनिया की सुरक्षा, प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाने के लिए भी बेहद अहम थे. राष्ट्रीय स्तर पर और सीमा पार से रिसोर्स की पूलिंग (संसाधनों को जुटाना)  और कार्यों और निवेशों का अलाइनमेंट, स्थायी डिजिटलीकरण की गारंटी के लिए बेहद आवश्यक है, और स्किल (कौशल) के साथ-साथ अन्य संसाधनों की कमी के संदर्भ में इसकी अहमियत बनी रहेगी. ये दोनों सबक और टूल्स थे जिन्हें एस्टोनिया दुनिया के साथ साझा करने के लिए उत्सुक और समर्पित रहा है,  जिससे कि अन्य देशों के साथ मिलकर समाज की ताक़त को बढावा दिया जा सके. ये ऐसे उद्देश्य हैं, जैसा कि कोरोना संकट और यूक्रेन पर आक्रमण ने हमें दिखाया है, कि राष्ट्रों को अब डीपीआई को हमारे लोकतांत्रिक भविष्य की बुनियाद के लिए हासिल करने का प्रयास करना चाहिए.


[i] Population register is needed in the case of all services  and by being connected to the X-Road, it allows for the exchange of up-to-date data between all insitutions connecetd to the X-Road (and are authorised for the latter, of course). Thus, when a person applies for a study allowance, or a social benefit, or files taxes, all the relevant data is retrieved from the Population Register automatically. This means that there is no need to submit any documents or fill in forms etc. Each person can receive a service and access registries via the national portal www.eesti.ee with their eID or Mobile ID; citizens can also review and correct their data in the Population Register.

[ii] Deutsche Gesellschaft für Internationale Zusammenarbeit.

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