Author : Tenzin Karma

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jul 17, 2024 Updated 0 Hours ago

OCEN भारत के MSME क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखता है, खासकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में, जहां महिलाएं सबसे बड़ी लाभार्थी बन सकती हैं.

भारत की नॉर्थ-ईस्ट राज्यों की महिला उद्यमियों के लिये अपनाये जा रहे डिजिटल समाधान!

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम स्तरीय उद्यम (एमएसएमई), भारत सरीखे, उभरती हुई अर्थव्यवस्था, के लिए जीवनदायी की भूमिका में है. वर्ष 2021 में, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में, एमएसएमई ने 29 प्रतिशत के महत्वपूर्ण सकल मूल्य वर्धित भागीदारी का योगदान दिया है. हालांकि, वे अब भी बड़े पैमाने पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. कर्ज़ की उपलब्धता न होना एक स्थायी समस्या बनी हुई है, जो लैंगिक असमानता को बढ़ावा देती है और लैंगिक भेदभाद को प्रोत्साहित करती है. जुलाई 2020 से मार्च 2022 तक के प्राप्त डेटा से ये संकेत मिलता है कि भारत में कुल 8,016,195 पंजीकृत एमएसएमई में से महिलाएं  मात्र 18 प्रतिशत में हिस्सेदारी रखती हैं.

डिजिटलीकरण की भारत की यात्रा की राह में आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियों से निपटने की दिशा में, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क (OCEN), एक महत्वपूर्ण कदम है.  

21 वीं सदी में बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण की भारत की यात्रा की राह में आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियों से निपटने की दिशा में, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क (OCEN), एक महत्वपूर्ण कदम है. ओ.सी.ई.एन. एक ऐसे प्रोटोकॉल का समूह है जिसे मुख्य रूप से एमएसएमई को लक्ष्य में रखते हुए बनाया गया है, ताकि वो कर्ज़ देने की प्रक्रिया के लिये एक खुला और लोकतांत्रिक नेटवर्क को स्थापित कर पाये. इसमें भारत के एमएसएमई क्षेत्र, खासकर के देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र (नॉर्थ ईस्टर्न रीजन) को, जहां महिलायें इस योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं, वहां के व्यावसायिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल देने की क्षमता है.   

अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, और त्रिपुरा राज्य मिलकर एक एनईआर या नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स का निर्माण करते हैं, जहां साल 2000 के मध्य तक कुल 1.64 मिलियन एमएसएमई हुआ करते थे. जिसमें साल 2020 आते-आते उनमें 138,000 MSME और जुड़ चुके थे. यहां के अनौपचारिक उत्पाद क्षेत्र, जिसमें कई  एमएसएमई शामिल हैं, ये सब मिलकर, एनईआर क्षेत्र में 62 प्रतिशत औद्योगिक उत्पादन का योगदान देते हैं. ऐसा करते हुए वे इस क्षेत्र में सबसे बड़े भागीदार के रूप में मौजूद हैं. इसलिए इन इलाकों में एमएसएमई की सहायता करना काफी महत्वपूर्ण साबित होगा और, इसमें OCEN उनके वित्तीय संघर्षों को पार पाने में काफी सहायता कर सकता है. इसके साथ ही, ओसीईएन के पास वो क्षमता है कि वो एनईआर रीजन के इन MSME की पूंजी तक पहुँच बनाने और उनके ऑपरेशंस को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. खासकर के  महिलाओं जो अल्पसंख्यकों की श्रेणी में आती हैं उनके मालिकान हक़ वाले व्यवसायों के  संचालन को बढ़ाने की असीम संभावना है.  

NER प्रदेशों में महिला उद्यम 

NER में आय-सृजन गतिविधियों में शामिल महिला उद्यमियों की संख्या सबसे अधिक है. साल 2022 के पहले तिमाही में, एनईआर से 7,889 महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म उद्यमियों ने एमएसएमई मंत्रालय के साथ अपने छोटे उद्यमों या बिज़नेस का पंजीकरण कराया था, जिसमें हस्तशिल्प एवं हथकरघा बुनाई उद्योग, महिला उद्यमियों के लिए रोज़गार के प्रमुख सेक्टर के रूप में उभर कर सामने आए हैं. पूरे नॉर्थ ईस्ट रीजन में, कुल 18,509 पंजीकृत बुनकरों एवं कारीगरों में से 84% महिलाएं हैं.  

NER में आय-सृजन गतिविधियों में शामिल महिला उद्यमियों की संख्या सबसे अधिक है. साल 2022 के पहले तिमाही में, एनईआर से 7,889 महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म उद्यमियों ने एमएसएमई मंत्रालय के साथ अपने छोटे उद्यमों या बिज़नेस का पंजीकरण कराया था

हालांकि, इनमे से ज्य़ादातर महिलाओं के स्वामित्व वाली एमएसएमई को अपने व्यापार को औपचारिक रूप से लॉन्च करने के लिए ज़रूरी धन अथवा ऋण के लिए स्थानीय समुदायों पर निर्भर रहना पड़ता है. बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से लोन लेने के लिए ज़रूरी अतिरिक्त सुरक्षा (कोलैट्रेल सिक्योरिटी) उपलब्ध करा पाने में असमर्थ होने की वजह से, महिला उद्यमीयों को अपने स्थानीय समुदायों द्वारा दिये जाने वाले अनौपचारिक ऋण पर निर्भर रहना पड़ता है. वर्ष 2003 में कराए गए एक अध्ययन के द्वारा ये सुझाव दिया गया कि महिला उद्यमी अपने उद्यम या रोज़गार की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, अक्सर अपने नज़दीकी मित्रों, और परिवार के लोगों से ऊंचे ब्याज दरों पर अनुचित कर्ज़ ले लेते हैं जिनको वापिस करने की समय-सीमा भी कई बार अनुचित होती है. इस प्रकार के अनौपचारिक सामुदायिक कर्ज़ पर निर्भरता, अंततः उनके व्यापार के लिए घातक सिद्ध होती है.  

साल 2016 में त्रिपुरा में कार्यरत महिला बाँस हस्तशिल्प उद्यमियों पर कराए गए एक अध्ययन में ये सुझाव दिया गया कि क्रेडिट स्कोर की उपलब्धता के उद्यमशील व्यवहार संग काफी अहम सकारात्मक संबंध हुआ करते थे. इस वजह से, महिला उद्यमी जो, इन औपचारिक कर्ज़ के स्रोतों से संपर्क कर पाने में असमर्थ होतीं थीं, उनके पास व्यवसाय शुरू करने एवं उसे चला पाने के लिए आवश्यक शर्तों की सख्त़ कमी होती थी.

असम में उपलब्ध हैंडलूम सूक्ष्म उद्यम पर आधारित एक अन्य अध्ययन  में पाया गया कि हथकरघा सूक्ष्म उद्योग शुरू करने का निर्णय लेने वाली महिला के लिए ऋण सुविधा प्राप्त करने की सहूलियत भी एक महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक कारक है. उपलब्ध मज़बूत ऋण की स्थिति एवं ऋण देने की व्यापक सुविधा ने महिलाओं को किसी भी तरह के उद्यम/व्यवसाय खोलने की संभावना को और भी अधिक बढ़ा दिया है. ये अंतरदृष्टि एनईआर में चल रहे विभिन्न रुझानों को सत्यापित करता है: महिला सूक्ष्म उद्यमियों के लिए ऋण एवं ऋण तक पहुँच पाना काफी महत्वपूर्ण है, और बैंकों से पारंपरिक ऋण प्राप्त करना, पुरुषों की तुलना में, महिला उद्यमियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है.  

इन हालातों के मद्देनज़र, ओसीईएन, पूरे नॉर्थ ईस्टर्न रीजन में महिलाओं के स्वामित्व वाली एमएसएमई उद्यमों द्वारा झेले जा रहे कर्ज़ की समस्याओं एवं चुनौतियों को बेहतर तरीके से संबोधित कर सकता है.  

OCEN कैसे सहायता कर सकती है

ओसीएएन एनईआर क्षेत्र के महिलाओं के स्वामित्व वाली एमएसएमई उद्यमों को ऋण तक सरल पहुँच प्रदान कर सकता है एवं कई महिला उद्यमियों द्वारा पारंपरिक धन ऋण की प्रक्रिया में जो समस्यायें झेलनी पड़ती हैं, उससे उन्हें छुटकारा दिला सकती है. 

सबसे पहले OCEN के प्रोटोकॉल के अंतर्गत, ऋण देने की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल है. ऋण लेने अथवा देने की पूरी प्रक्रिया को स्मार्टफोन अथवा अन्य डिवाइस में मौजूद ऐप की मदद से पूरा किया जा सकता है, जो महिलाओं के स्वामित्व वाली एमएसएमई को एक सरल पहुँच प्रदान करता है.  

दूसरे, अल्प अवधि के लिये, छोटी टिकट साइज़ वाले कर्ज़, ओसीईएन की पहचान है. ओसीईएन के ढांचे के अंतर्गत, ऋणदाता बैंक, व्यवसायियों को, छोटी राशि वाले, कम समय वाले ऋण मुहैया कराते हैं. कई छोटे-छोटे उद्यम अपने व्यवसाय के लिए ज़रूरी लंबी अवधि वाले कर्ज़ के पात्र नहीं है, क्योंकि ऋण के लिए आवेदन करने के लिये कई सालों के स्थिर आय का प्रमाण होना ज़रूरी है. 

कई छोटे-छोटे उद्यम अपने व्यवसाय के लिए ज़रूरी लंबी अवधि वाले कर्ज़ के पात्र नहीं है, क्योंकि ऋण के लिए आवेदन करने के लिये कई सालों के स्थिर आय का प्रमाण होना ज़रूरी है. 

ये एनईआर के एमएसएमई, ख़ासकर के अनौपचारिक विनिर्माण क्षेत्र पर लागू होता है, क्योंकि ऋण लाभ की पात्रता के लिए - लगातार वर्षों की सतत आय के क्षेत्र में कमी होती है. इसके साथ ही, एनईआर में, पारंपरिक बुनकर सरीखे सूक्ष्म उद्यम “अवरुद्ध क्रेडिट लाईन, की समस्या से पीड़ित हैं, जो उनके क्रेडिट इतिहास का नुकसान करती है और पारंपरिक लोन तक उनके पहुंच को रोकने का काम करती है. 

ओसीईएन के तहत दिया जाने वाला ऋण किसी खास उद्देश्य के लिए दिए जाने वाली एक छोटी सी राशि होती है, जो कर्ज़ देने वाले को, कर्ज़ की मांग कर रहे उधारकर्ता के बिना किसी मज़बूत ऋण इतिहास या स्थिर आय के स्रोत के रिकॉर्ड के बावजूद, कर्ज़ देने के लिए ज़रूरी भरोसा देती है. कम अवधि वाले कर्ज़, सबसे ज्य़ादा महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई को फायदा पहुंचाती है क्योंकि इसकी मदद से वे अपनी किसी संकट अथवा परेशानी का, धन की समय पर उपलब्धता की मदद से तुरंत समाधान निकाल पाती है और अपने व्यवसाय को निर्विघ्न चालू रख पाती है. उदाहरण के लिए, ओसीईएन द्वारा प्राप्त ऋण की मदद से एमएसएमई को अपने उत्पादों को सीधे-सीधे बाज़ार तक पहुंचा पाने में मदद मिलती है. पूंजी तक पहुँच की मदद से  वे बिचौलियों जैसी बाधा  से पार पाने में भी सफल होते हैं, और वे  व्यापार को सीधे-सीधे अपने ग्राहक तक पहुँचा पाते हैं. तीसरा ये कि ओसीईएन फ्रेमवर्क के अंतर्गत लोन एजेंट, उधारकर्ताओं को कम ब्याज दर पर लोन दिलाने में सहायता  करते हैं. निम्न ब्याज दर पर मिलने वाले ऋण, महिला उद्यमियों के लिए काफी किफायती एवं सुलभ बनते हैं, खासकर उन महिलाओं को, जो अनौपचारिक कर्ज़दाताओं और ऊंचे दर पर ब्याज़ चुकाने की परेशानी से जूझ रहे है. 

चौथी, पारंपरिक बैंक ऋण लेने के दौरान ज़रूरी पारंपरिक कोलैट्रल (समानांतर) सिक्योरिटी के  ज़मानत के तौर पर ज़रूरी व्यक्तिगत वित्तीय डेटा संग्रह के उद्देश्य से ओसीईएन ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) का इस्तेमाल करती है. 

NER की क्षमता  

छोटे व्यवसाय, ख़ासकर के उभरते हुए देशों की अर्थव्यवस्था के मूलभूत स्तंभ है. ये पैटर्न मेक्सिको और इंडोनेशिया सरीखे देशों में भी देखा जा सकता है. हालांकि ये सच है कि ओसीईएन, भारत में एमएसएमई को एक व्यापक समाधान उपलब्ध नहीं करा सकता है, इन उद्यमों का सशक्तिकरण, आर्थिक प्रगति एवं विकास के लिए काफी अहम है. पूर्वोत्तर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने, आर्थिक गति को तेज़ करने, और भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद को बेहतर करने के लिए, एमएसएमई का सशक्तिकरण काफी महत्वपूर्ण है. अपनाये गए इस नज़रियों से इस क्षेत्र में एक सक्षम, मज़बूत एवं लचीली आर्थिक परिदृश्य को जो प्रोत्साहन मिलेगा उससे, निस्संदेह एक शुद्ध सकारात्मक वातावरण बनेगा.   

पूर्वोत्तर राज्यों की महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई के बीच ओसीईएन को बढ़ावा दिये जाने का विमर्श वहां के निवासियों की तकनीकी क्षमता पर विचार किए बगैर नहीं किया जा सकता है. चूंकि ओसीईएन पूरी तरह से डिजिटल प्रणाली है और स्मार्टफोन ऐप पर उनका प्रसारण किया जा चुका है, ऐसे में जो भी लोग इसका फायदा उठाना चाहते हैं उनके लिये ये ज़रूरी है कि उनके पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा मौजूद हो.  साल 2023 की सालाना एजुकेशन रिपोर्ट के अनुसार असम में एक सर्वे में शामिल 78.8% 17-18 वर्ष के युवाओं के पास मोबाईल फोन उपलब्ध थे जिससे वे अपना बुनियादी डिजिटल कार्य कर पा रहे थे. अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में कराए गए सर्वेक्षण में ये % 68 तो 91.4 % के बीच रहा. असम, मिज़ोरम, और मेघालय में, कराए गए सर्वेक्षण में पुरुषों की तुलना में इसी उम्र सीमा में आने वाली महिलाओं के पास, सामान्य डिजिटल कार्यों को करने के लिए उपलब्ध स्मार्टफोन कम पाया गया है.  

स्मार्टफोन की असमान रूप से पहुंच, इस क्षेत्र में महिलाओं द्वारा संचालित व्यवसायों के स्वास्थ्य को काफी महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित कर सकती है. 

स्मार्टफोन की असमान रूप से पहुंच, इस क्षेत्र में महिलाओं द्वारा संचालित व्यवसायों के स्वास्थ्य को काफी महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित कर सकती है. बारीक आंकड़ों की कमी जिससे ये पता लगाया जा सके कि महिला उद्यमी किस तरह  से और कितनी संख्या में इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही हैं, उसके अभाव में यह विश्लेषण और भी जटिल हो गया है. सीमित पहुँच एवं इस्तेमाल, इन उद्यमों को नवीन, रचनात्मक, और लाभकारी नीति मध्यस्थता, के साथ-साथ सूचना की विस्तृत पहुँच से बाहर कर देता है. 

उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के पास डिजिटलीकरण में सुधार के लिए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी  के क्षेत्र में कई योजनाएं है. जैसे कि अरुणाचल प्रदेश के स्कूलों में आईटी के बुनियादी ढांचों का विकास. यहां प्राथमिक उद्देश्य में कोई बदलाव नहीं है: जो महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ पूर्वोत्तर के राज्यों में ऐसी रूपरेखा को तैयार करना है जिससे इन राज्यों की अर्थव्यवस्था को मज़ूबती प्रदान करना है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के कई नज़रिये हैं जिनमें OCEN जैसी नई टेक्नोलॉजी की मदद से इस इलाके में व्यापार को मज़बूत करना शामिल है.    

 

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