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भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइप लाइन (IBFP) दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग के मामले में एक बड़ी उपलब्धि है.
18 मार्च 2023 को भारत-बांग्लादेश संबंधों के ‘शोनाली ओध्याय’ या स्वर्णिम अध्याय में उस वक़्त एक नया पन्ना जुड़ गया जब दोनों देशों केप्रधानमंत्री एक वर्चुअल समारोह में भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन (IBFP) के उद्घाटन में शामिल हुए. इस सहयोग का एजेंडा बांग्लादेशपेट्रोलियम लिमिटेड की मदद लेकर असम के नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड से उत्तरी बांग्लादेश के राजशाही और रंगपुर डिवीज़न के 16 ज़िलों में हाईस्पीड डीज़ल की सप्लाई है. नुमालीगढ़ रिफाइनरी बांग्लादेश को 2015 से पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति कर रही है और वर्तमान में बांग्लादेश रेलवेनेटवर्क के ज़रिए भारत से 60,000 से 80,000 मीट्रिक टन डीज़ल का आयात कर रहा है. IBFP के शुरू होने से चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों से एकबैरल आयातित डीज़ल की परिवहन लागत 8 अमेरिकी डॉलर से घटकर 5 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी. IBFP परिवहन का समय भी कई दिनों से घटाकरसिर्फ़ एक घंटा कर देगी.
सीमा के पार इस तरह की ये पहली पाइपलाइन है और ये पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से शुरू होकर बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले में पार्बतीपुर उप ज़िले के तेल डिपो तक जाती है. लगभग 132 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन में क़रीब 5 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में है जबकि बाक़ी 127 किलोमीटर बांग्लादेश में.
स्रोत: नरेंद्र मोदी, यू ट्यूब
सीमा के पार इस तरह की ये पहली पाइपलाइन है और ये पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से शुरू होकर बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले में पार्बतीपुर उप ज़िलेके तेल डिपो तक जाती है. लगभग 132 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन में क़रीब 5 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में है जबकि बाक़ी 127 किलोमीटरबांग्लादेश में. पाइपलाइन की क्षमता हर साल 10 लाख मीट्रिक टन डीज़ल की सप्लाई करने की है लेकिन शुरुआत में इसके ज़रिए बांग्लादेश को 2.5 लाख टन डीज़ल की आपूर्ति प्रति वर्ष की जाएगी और बाद में इसे बढ़ाकर 4.5 लाख टन किया जाएगा. IBFP परियोजना की शुरुआत सितंबर 2018 मेंहुई थी और इसका निर्माण भारत की तरफ़ से 377 करोड़ रुपये यानी लगभग 46 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान से किया गया. ये दोनों देशों केबीच ऊर्जा सहयोग के मामले में एक बड़ी उपलब्धि है, ख़ास तौर से इसलिए क्योंकि इस परियोजना ने उम्मीद जगाई है कि पिछले साल से बांग्लादेशजिस ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है, उससे निजात मिलेगी.
अक्टूबर 2022 में बांग्लादेश ने राष्ट्रीय स्तर पर पावर ग्रिड की नाकामी का सामना किया जिसकी वजह से पूरे देश में लगभग 14 करोड़ लोगों को बिजलीकटौती का सामना करना पड़ा. वैसे तो इस बिजली संकट के सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है लेकिन बांग्लादेश के लोग लंबे समय से बार-बारबिजली गुल होने, जिसमें 10 घंटे की देशव्यापी बिजली कटौती शामिल है, का जो सामना कर रहे है, उसका ये एक स्पष्ट उदाहरण था. बिजली संकट केलिए बिजली की बढ़ती मांग और बिजली उत्पादन में बांग्लादेश के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्राकृतिक गैस की कमी को ज़िम्मेदार बताया गया है. बांग्लादेश में उत्पादित की जाने वाली लगभग 85 प्रतिशत बिजली का उत्पादन प्राकृतिक गैस और तेल से होता है. गैस की कमी के लिए कई कारणोंकी पहचान की गई है. इनमें बांग्लादेश के प्राकृतिक संसाधनों की खोज में सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी का इस्तेमाल नहीं करना; देश में बिजलीउत्पादन को काफ़ी हद तक प्राकृतिक गैस पर निर्भर बनाना; रूस-यूक्रेन संघर्ष की वजह से तेल और गैस की बढ़ती क़ीमत; रूस के कच्चे तेल पर यूरोपीयसंघ के द्वारा प्रतिबंध लगाने की वजह से यूरोप के बाज़ारों में लिक्विफाइड नेचुरल गैस की भारी मांग के कारण इसका आयात महंगा होना; और ओपेक+ के द्वारा तेल उत्पादन में कटौती शामिल है. इन कारणों में महंगाई और ईंधन ख़रीदने में मुश्किल ने बांग्लादेश को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है क्योंकिबांग्लादेश अपने कुल तेल और रिफाइन किए गए ईंधन की मांग में से लगभग 77 प्रतिशत का आयात करता है.
बांग्लादेश के बिजली संकट ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि बांग्लादेश ने निकट भविष्य में आमदनी के मामले में ऊपरी मध्यम श्रेणी के देशों में उभरने के लिए तेज़ आर्थिक विकास पर अपना ध्यान केंद्रित दिया है.
बांग्लादेश के बिजली संकट ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि बांग्लादेश ने निकट भविष्य में आमदनी केमामले में ऊपरी मध्यम श्रेणी के देशों में उभरने के लिए तेज़ आर्थिक विकास पर अपना ध्यान केंद्रित दिया है. बांग्लादेश की फलती-फूलती अर्थव्यवस्थामें सबसे आगे रेडीमेड गारमेंट उद्योग रोज़ाना की बिजली कटौती, जिसका औसत तीन घंटे है, से सीधे तौर पर प्रभावित होता है. इसके परिणामस्वरूपगारमेंट की कई फैक्ट्री के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत तक की कमी आई है. इसके अलावा अविश्वसनीय बिजली आपूर्ति की वजह से उत्पादकों केद्वारा फैब्रिक को बर्बाद होने से बचाने के मक़सद से अपनी डाइंग और वॉशिंग यूनिट को चलाने के लिए महंगे डीज़ल जनरेटर का सहारा लेना पड़ता है. इस तरह उत्पादन की लागत बढ़ जाती है जबकि देरी उत्पादन की प्रक्रिया को प्रभावित करती है. इसकी वजह से उत्पादकों को समय की भरपाई करने केलिए महंगे हवाई शिपमेंट को चुनना पड़ता है. स्वाभाविक तौर पर बांग्लादेश के गारमेंट निर्यात की प्रतिस्पर्धी क्षमता कम हो गई है और इस सेक्टर नेसितंबर 2021 की तुलना में सितंबर 2022 में 7.5 प्रतिशत की नकारात्मक विकास दर हासिल की है. रेडीमेड गारमेंट अर्थव्यवस्था में नकारात्मक विकास, गिरते ऊर्जा आयात, बढ़ते ईंधन के दाम और लंबे समय तक बिजली कटौती के रोज़ाना के संघर्ष ने बांग्लादेश के नागरिकों को भी नाराज़ कर दिया हैऔर इसकी वजह से ढाका की सड़कों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी प्रदर्शन तेज़ हुए है. ऐसे में अवामी लीग सरकार के लिए हालात अनुकूल नहींहै, ख़ास तौर से तब जब उसे इस साल चुनाव का सामना करना है.
आने वाले संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए विकास को तुरुप के पत्ते के तौर पर इस्तेमाल करने को लेकरबहुत ज़्यादा भरोसा कर रही हैं. पदमा बहुउद्देशीय सड़क एवं रेल पुल का निर्माण, भारत के साथ कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं की शुरुआत औरबांग्लादेश का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं. लेकिन बढ़ते बिजली संकट, जो बांग्लादेश के विकास को कमज़ोर करता है, को अब सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष के आरोपों की सूची में जोड़ा जा रहा है. इसी के अनुसार वित्तीय भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की कमी केख़िलाफ़ प्रदर्शनों के साथ ईंधन का बढ़ता दाम और बिजली कटौती भी बांग्लादेश नेशनल पार्टी की चुनावी रैलियों के एजेंडे का हिस्सा बन गई है. इसतरह की परिस्थितियों में फ्रेंडशिप पाइपलाइन की शुरुआत अवामी लीग के चुनावी अभियान में नई ताक़त भरने का काम करेगी क्योंकि डीज़ल कीसप्लाई में बढ़ोतरी से बांग्लादेश को बिजली के उत्पादन में प्राकृतिक गैस पर बहुत ज़्यादा निर्भर नहीं होना पड़ेगा. वर्तमान में बांग्लादेश में लगभग 6-10 प्रतिशत बिजली का उत्पादन डीज़ल की मदद से होता है. पाइपलाइन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि, “जिस समय कईदेश रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ऊर्जा संकट का सामना कर रहे हैं, उस समय ये पाइपलाइन हमारे देश के लोगों के लिए ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करनेमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.” भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोड़ा, “भरोसेमंद और किफ़ायती डीज़ल आपूर्ति कृषि क्षेत्र के लिए विशेष रूप सेलाभदायक होगी. स्थानीय उद्योगों को भी इसका फ़ायदा मिलेगा.”
भारत के लिए पाइप लाइन के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष- दोनों लाभ है. प्रत्यक्ष लाभ इस तरह से है कि पाइप लाइन दोनों देशों के बीच व्यापार एवं सहयोगको और ज़्यादा बढ़ाने में मदद करेगी, विशेष रूप से पूर्वोत्तर के ज़रिए जो ऐसा क्षेत्र है जहां दोनों देशों की सरकारें सहयोग के लिए उत्सुक हैं. जैसा किप्रधानमंत्री हसीना ने कहा, “बांग्लादेश में असम के लिए अच्छा बाज़ार बन गया है और इससे असम के लोगों को फ़ायदा होगा.” अप्रत्यक्ष लाभ इस तरहसे कि बांग्लादेश की सरकार के साथ भारत के शानदार संबंधों को देखते हुए एक और कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की चुनावी जीत सेदोनों देशों को सहयोग के उन अलग-अलग क्षेत्रों में प्रगति को और तेज़ करने में मदद मिलेगी जहां उन्होंने साझा तौर पर काम शुरू किया है.
भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग ने नई ऊंचाई देखी है जैसे कि 1,320 (660X2) मेगावाट की क्षमता के साथ बांग्लादेश के खुलना डिवीज़न के रामपाल में मैत्री थर्मल पावर प्लांट को साझा तौर पर विकसित करना और पावर प्लांट के लिए 2021 से भारत से कोयले की बढ़ी हुई आपूर्ति
भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग ने नई ऊंचाई देखी है जैसे कि 1,320 (660X2) मेगावाट की क्षमताके साथ बांग्लादेश के खुलना डिवीज़न के रामपाल में मैत्री थर्मल पावर प्लांट को साझा तौर पर विकसित करना और पावर प्लांट के लिए 2021 से भारतसे कोयले की बढ़ी हुई आपूर्ति; बांग्लादेश के द्वारा अपने क्षेत्र के ज़रिए असम से त्रिपुरा तक पेट्रोलियम, तेल और लुब्रिकेंट्स के परिवहन की अनुमतिदेना; बांग्लादेश के द्वारा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को रिफ़ाइन किए गए पेट्रोलियम उत्पादों के एक रजिस्टर्ड G2G (गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट) सप्लायर केतौर पर शामिल करना; और बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के द्वारा अदाणी पावर लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी अदानी पावरझारखंड लिमिटेड (APJL) के साथ बिजली ख़रीद समझौते पर दस्तख़त करना जिसके ज़रिए APJL बांग्लादेश को 1,496 मेगावाट बिजली प्रदानकरेगी. वर्तमान में झारखंड के गोड्डा में स्थित APJL की इकाई पड़ोसी देश को 748 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति करती है और जल्द शुरू होने वाला800 मेगावॉट का दूसरा थर्मल पावर प्लांट इस आपूर्ति में और बढ़ोतरी करेगा. भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन द्विपक्षीय सहयोग की इस गाथा मेंएक नया मील का पत्थर है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि ये हाई स्पीड डीज़ल के परिवहन का एक सतत, पर्यावरण अनुकूल और किफ़ायती माध्यम है. सबसे बढ़कर, ऊर्जा कनेक्टिविटी को मज़बूत करके IBFP दोनों देशों के लोगों को नज़दीक लाने में मदद करेगी.
सोहिनी बोस ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के सामरिक अध्ययन कार्यक्रम में जूनियर फेलो है.
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Sohini Bose is an Associate Fellow at Observer Research Foundation (ORF), Kolkata with the Strategic Studies Programme. Her area of research is India’s eastern maritime ...
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