Published on Jul 30, 2024 Updated 0 Hours ago

यूरोपियन कमीशन यानी यूरोपीय आयोग के नए दिशा-निर्देशों में 2024-2029 के लिए सात क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है. अब देखना यह है कि वह इस महत्वाकांक्षी एजेंडा पर अगले पांच वर्षों में किस हद तक काम करने में सफ़लता हासिल कर पाता है.   

EU: वर्ष 2024-2029 में क्या है यूरोपियन कमीशन की प्राथमिकतायें?

2019 में यूरोपियन कमीशन ने अंतिम बार अपनी पांच वर्षीय प्राथमिकताओं को तय किया था. लेकिन इसकी घोषणा होने के कुछ महीने बाद उसे COVID-19 महामारी से जूझना पड़ा था. इसके बाद सन्‌ 2022 में इस महाद्वीप को युद्ध की वापसी का सामना करना पड़ा. यूरोपियन कमीशन यानी यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष वॉन डेर लेयेन के पहले कार्यकाल में यूरोपियन यूनियन (EU) ने संयुक्त रूप से COVID-19 वैक्सीन अभियान चलाया, महत्वकांक्षी ग्रीन डील यानी हरित समझौता किया, अपने ऊर्जा स्रोतों को रूस से इतर करते हुए रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों के 13 दौर लागू किए. इसके अलावा EU ने उनके कार्यकाल में चीन के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से संतुलित करने की कोशिश की और दुनिया का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) विनियमन कानून बनाया.

18 जुलाई को वॉन डेर लेयेन ने 401 मत हासिल करते हुए EU के सबसे शक्तिशाली प्रतिष्ठान की दूसरी बार अगुवाई करने का ज़िम्मा संभाला. उन्हें मिले 401 वोट इस दृष्टि से बेहद ज़्यादा थे कि 719 सदस्यीय यूरोपियन संसद में यह पद हासिल करने के लिए उन्हें केवल 360 मतों की ही आवश्यकता थी. इसके साथ ही यूरोपीय आयोग ने 2024-2029 के अपने संसदीय कार्यकाल के लिए नीतिगत दिशा-निर्देश यानी प्राथमिकता क्षेत्र जारी किए. इसे जारी करने का अधिकार कमीशन के अध्यक्ष को होता है. कमीशन का अध्यक्ष काउंसिल के रणनीतिक एजेंडा (EU के 27 सदस्य देशों पर आधारित) और यूरोपियन संसद के भीतर मौजूद समूहों के साथ मिलकर इसे तय करता है. वॉन डेर लेयेन के अपने शब्दों के हिसाब से, ‘‘अगले पांच वर्ष वैश्विक स्तर पर अगले पांच दशक के लिए यूरोप की जगह को तय करेंगे. ये पांच वर्ष इस बात को तय करेंगे कि हम ख़ुद अपने भाग्य विधाता बनेंगे या फिर किसी घटना या किसी और को अपना भाग्य विधाता बनने देंगे.’’ इस नाटकीय वैश्विक संदर्भ में यूरोपियन कमीशन ने निम्नलिखित सात प्राथमिकता वाले क्षेत्र तय किए हैं.

 

संपन्नता और प्रतिस्पर्धात्मकता

 

कमीशन यानी आयोग के दिशा-निर्देशों में इस बात को स्वीकार किया गया है कि कच्चा माल क्षेत्र, स्वास्थ्य और ऊर्जा के मामलों में आपूर्ति श्रृंखलाओं को हथियार बनाने और एकतरफा आश्रित होने का ख़तरा बढ़ा है. यूरोपीय आयोग की संगठनात्मक प्राथमिकताओं के केंद्र में यूरोपियन सिंगल मार्केट यानी एकल बाज़ार को रक्षा, ऊर्जा, डिजिटल तथा अन्य क्षेत्रों में गहरा करने अथवा मजबूती प्रदान करना शामिल है.

वॉन डेर लेयेन के अपने शब्दों के हिसाब से, ‘‘अगले पांच वर्ष वैश्विक स्तर पर अगले पांच दशक के लिए यूरोप की जगह को तय करेंगे. ये पांच वर्ष इस बात को तय करेंगे कि हम ख़ुद अपने भाग्य विधाता बनेंगे या फिर किसी घटना या किसी और को अपना भाग्य विधाता बनने देंगे.’’

यूरोपियन ग्रीन डील में रखे गए लक्ष्यों की पुष्टि करते हुए यूरोपीय आयोग इस बात को भी मानता है कि यूरोपियन अर्थव्यवस्था को डी-कार्बनाइज़ करना आवश्यक है. यूरोपीय आयोग का उद्देश्य है कि एक क्लीन इंडस्ट्रियल डील यानी स्वच्छ औद्योगिक समझौता तैयार किया जाए, जिसमें प्रतिस्पर्धात्मकता और रोज़गार पर बल दिया जाए. इसके साथ ही यह समझौता कंपनियों को अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक साबित होगा.

यूरोपीय आयोग का उद्देश्य है कि वह थर्ड वर्ल्ड देशों के साथ कच्चे माल, क्लीन एनर्जी यानी स्वच्छ ऊर्जा तथा क्लीन टेक यानी तकनीक की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक नई क्लीन ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट पार्टनरशीप्स विकसित करें. आयोग चाहता है कि वह इन पार्टनरशीप्स के माध्यम से इन उद्योगों में अधिक निवेश को आर्कषित करें. इसमें उसे यूरोपियन इंटेवस्टमेंट बैंक के माध्यम से सहायता मिलेगी. इसके अलावा वह कैपिटल मार्केट् यूनियन को पूर्ण करेगा. इस यूनियन की सालाना 470 बिलियन यूरो का निवेश हासिल करने की अनुमानित क्षमता है.

फार्मास्यूटिकल तथा स्वास्थ्य क्षेत्र को ऐसा क्षेत्र बताया गया है, जहां यूरोप को बेहद टिकाऊ रहना पड़ेगा और वो किसी पर भी आश्रित न हो, ऐसी स्थिती हासिल करनी होगी. इसके लिए एक क्रिटिकल मेडिसिन एक्ट की घोषणा भी की गई है.

दिशा-निर्देशों में यूरोप की कम उत्पादकता को स्वीकार करते हुए इसके लिए ‘‘डिजिटल तकनीकों के अपर्याप्त प्रसार’’ को ज़िम्मेदार बताया गया है. दिशा-निर्देशों का उद्देश्य डिजिटल सर्विसेस एक्ट और डिजिटल मार्केट एक्ट को मजबूती प्रदान करते हुए विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार और कटिंग-एज तकनीकों में यूरोप की उन्नति करना है.

यूरोपियन रक्षा और सुरक्षा

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद यूरोप के लिए कितना कुछ बदल गया है इस बात का संकेत दिशा-निर्देशों में एक नए सेक्शन यानी हिस्से से साफ़ हो जाता है. यह हिस्सा यूक्रेन को लगातार सहायता जारी रखने की बात करते हुए इस बात को स्वीकार करता है कि यूरोप ने अपनी सैन्य क्षमताओं में निवेश बेहद कम किया है. यह हिस्सा यूरोपीय आयोग की 2019-2024 की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं था.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद यूरोप के लिए कितना कुछ बदल गया है इस बात का संकेत दिशा-निर्देशों में एक नए सेक्शन यानी हिस्से से साफ़ हो जाता है.

इसके लिए अब वर्तमान में यूरोपीय आयोग के लिए एक प्राथमिकता यह है कि अब यूरोपियन डिफेंस यूनियन का गठन होगा. इसका मुखिया कमिशनर फॉर डिफेंस होगा. इस यूनियन का उद्देश्य रक्षा उत्पादों और सेवाओं के लिए एकल बाज़ार को विकसित करना, उत्पादन क्षमता में इज़ाफ़ा करना और संयुक्त ख़रीद को बढ़ावा देकर रक्षा निवेश में निजी निवेश को प्रोत्साहन देना होगा. ये सारे काम करते हुए यह यूनियन EU-NATO सहयोग को मज़बूती प्रदान करेगी और यह यूरोपियन डिफेंस इंडस्ट्रियल स्ट्रैटेजी (EDIS) को ध्यान में रखकर काम करेगी. रक्षा संबंधी मामलों में नियंत्रण सदस्य देशों की राजधानियों यानी वहां की सरकारों का ही नियंत्रण होता है. ऐसे में EU की ओर से यूरोपियन रक्षा का कायाकल्प करने की कोशिशें इतनी आसानी से सफ़ल नहीं होगी.

इसका एक लक्ष्य यह भी है कि EU की संकट और सुरक्षा से निपटने की तैयारियों, साइबर रक्षा क्षमताओं, संगठित अपराध और आतंकवाद से निपटने की क्षमताओं में इज़ाफ़ा करते हुए सीमा प्रबंधन में फ्रंटेक्स को सहायता देकर इसका कायाकल्प किया जाए. इसके अलावा यूरोपियन सीमा को तीन गुणा करते हुए कोस्ट गार्डकर्मियों की संख्या को 30,000 तक पहुंचाया जाए.

 

नागरिक और समाज

 

तीसरी प्राथमिकता में यूरोप के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता के स्तर में सुधार की बात कही गई है. बढ़ती असमानताओं और जीने के बढ़ते ख़र्च की वजह से लोगों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई है. इस हिस्से में भी युवाओं की आवाज पर ध्यान देकर सोशल मीडिया के कारण आम नागरिकों के जीवन के प्रभावित होने संबंधी चिंताओं से निपटने की बात की गई है. 2025 के बाद एक नई जेंडर इक्वॉलिटी स्ट्रैटेजी एंड एंटी रेसिज्म़ स्ट्रैटेजी यानी लिंग समानता रणनीति तथा नस्लविरोधी रणनीति का भी प्रस्ताव है.

जीवन की गुणवत्ता

 

अपने आरंभिक 100 दिनों में यूरोपीय आयोग ने वहनीयता के साथ कृषि क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने के लिए कृषि एवं खाद्य दृष्टिकोण अपनाने का वादा किया है. इसके साथ ही यह भी भरोसा दिलाया गया है कि बेहतर समुद्रीय प्रशासन, वहनीयता और नीली अर्थव्यवस्था यानी ब्लू  इकॉनमी  को बढ़ावा देने के बीच एक संतुलन स्थापित किया जाएगा. एक नई जल लचीली रणनीति भी प्रस्तावित है.

 

मूल्य एवं लोकतंत्र

 

यूरोपीय आयोग ने एक यूरोपियन डेमोक्रेसी शील्ड यानी यूरोपीय लोकतंत्र कवच का प्रस्ताव भी किया है, जो दुष्प्रचार संबंधी ख़तरों से निपटने का काम करेगा. यह ऑनलाइन हस्तक्षेप चाहे वह बाहरी यानी अंतरराष्ट्रीय हो अथवा अंदरूनी दोनों का सामना करेगा. नियमों का पालन सुनिश्चित करने के साथ ही जांच और संतुलन को मज़बूत करना भी अहम प्राथमिकता बनी हुई है. इन बातों के साथ ही EU के फंड् को शर्तों के साथ जोड़ा जाएगा. इसके अलावा EU का लक्ष्य नागरिकों और नागरी समाज के साथ बातचीत को बढ़ाना है. इसमें यूरोपियन सिटीजंस पैनल्स का सहयोग लिया जाएगा.

 

एक वैश्विक यूरोप

 

इस दस्तावेज़ में इस बात को भी स्वीकार किया गया है कि यह दौर भू-रणनीतिक प्रतिद्धंद्विता का दौर है. इसमें कुछ नए अधिकारवादी देश शामिल हैं. इसके साथ ही नीति क्षेत्रों जैसे विस्थापन और ऊर्जा का हथियार बनाकर उनका इस्तेमाल हो रहा है. इसी तरह चीन का आक्रामक रुख़ और रूस के साथ असीमित सहयोग की चुनौती भी लगातार बनी हुई है. इस संदर्भ में एक नई विदेश नीति की वकालत की गई है, जिसमें समविचारी यानी एक जैसे विचार रखने वाले सहयोगियों को साथ लेकर वर्तमान के भयावह हक़ीकतों का मुक़ाबला किया जाये. दस्तावेज़ में EU के विस्तार और भू-मध्य सागर में व्यापक तौर पर संबंध बढ़ाने की भी वकालत की गई है. इसके लिए इन क्षेत्रों पर विशेष रूप काम करने वाले आयुक्तों की नियुक्ति की पैरवी भी की गई है. दस्तावेज़ में मध्य पूर्व में अधिक सक्रिय भूमिका अदा करने के साथ ही दो-राष्ट्र समाधान पर जोर देने की भी बात की गई है.

यूरोपीय आयोग ने एक यूरोपियन डेमोक्रेसी शील्ड यानी यूरोपीय लोकतंत्र कवच का प्रस्ताव भी किया है, जो दुष्प्रचार संबंधी ख़तरों से निपटने का काम करेगा. यह ऑनलाइन हस्तक्षेप चाहे वह बाहरी यानी अंतरराष्ट्रीय हो अथवा अंदरूनी दोनों का सामना करेगा.

यह दस्तावेज़ इस बात को भी स्वीकार करता है कि भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र की प्रकृति परस्पर रूप से बंधी हुई है. ऐसे में एक नई आर्थिक विदेश नीति की ज़रूरत है. इसमें यूरोपीय प्रतिस्पर्धात्मकता और रणनीतिक तकनीकों में व्यापक निवेश का समावेश होगा. यह नीति समानांतर रूप से यूरोपीय अर्थव्यवस्था की सुरक्षा संबंधी चिंताओं से रक्षा करेगी और रणनीतिक प्रतिस्पर्धियों और प्रणालीगत शत्रुओं से निपटने का भी काम करेगी. निपटने का यह काम निर्यात नियंत्रण, आने और जाने वाले निवेश पर बेहतर ढंग से स्क्रीनिंग यानी जांच करके किया जा सकता है. इसके साथ ही नई नीति में सहयोगियों के साथ आपूर्ति श्रृंखलाओं के लचीलेपन को बनाए रखने के लिए भी काम किया जाएगा. (EU के 2019 के स्ट्रैटेजिक आउटलुक में चीन को एक सहयोगी, प्रतिस्पर्धी और प्रणालीगत प्रतिद्वंद्वी बताया गया है) इस संदर्भ में EU ने वैश्विक सहयोगियों के साथ फ्री ट्रेड लिंक्स को मज़बूत करने का वादा किया है ताकि संतुलित और पारस्परिक व्यापार को सुनिश्चित किया जा सके. यह व्यापार WTO सुधारों के साथ-साथ होगा.

महत्वपूर्ण रूप से दिशा-निर्देश वर्तमान बहुआयामी व्यवस्था की अपर्याप्त प्रकृति और इसके अब गुज़रे जमाने की बात होना स्वीकार करते हैं. इसके साथ ही ये दिशा-निर्देश यूरोप को इस व्यवस्था में सुधार के लिए बड़ी भूमिका निभाने और इसकी शुरूआत आगामी UN शिखर सम्मेलन फॉर फ्यूचर के साथ करने की वकालत करते हैं. इसमें थर्ड वर्ल्ड देशों की यूरोपीय कानून को लेकर चिंताओं की भी बात की गई है. ये चिंताएं ग्रीन डील में शामिल की गई हैं

 

इस दस्तावेज़ में EU की ग्लोबल गेटवे स्ट्रैटेजी पर बल दिया गया है. इस स्ट्रैटेजी में भारत-प्रशांत क्षेत्र और उससे जुड़े हितों को लेकर महत्व को भी इसमें उजागर किया गया है. इसमें इस बात की आवश्यकता पर बल दिया गया है कि यूरोप को भारत-प्रशांत में अपना दख़ल बढ़ाना चाहिए. इस दख़ल में एक नया रणनीतिक EU-इंडिया एजेंडा भी शामिल होना चाहिए. इसके साथ ही जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के साथ सहयोग बढ़ाकर चीन के संभावित आक्रामक रुख़ से निपटा जाना चाहिए. इसमें EU-अफ्रीका और EU-CELAC साझेदारी के महत्व पर भी ध्यान आकर्षित करवाया गया है.

इस दस्तावेज़ में EU की ग्लोबल गेटवे स्ट्रैटेजी पर बल दिया गया है. इस स्ट्रैटेजी में भारत-प्रशांत क्षेत्र और उससे जुड़े हितों को लेकर महत्व को भी इसमें उजागर किया गया है. इसमें इस बात की आवश्यकता पर बल दिया गया है कि यूरोप को भारत-प्रशांत में अपना दख़ल बढ़ाना चाहिए.

यूनियन को भविष्य के लिए तैयार करना

 

अंतिम प्राथमिकता में यूरोप के लिए एक महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडा की बात की गई है. इसमें यूरोपीय आयोग तथा यूरोपीय संसद के बीच संबंधों को मजबूत करना शामिल है. वॉन डेर लेयेन के पहले कार्यकाल में यूरोपीय आयोग पर सत्ता हथियाने और अपनी भूमिका से आगे जाकर अन्य संस्थानों और राष्ट्रीय राजधानियों यानी सरकारों पर ख़ुद को थोपने के आरोप लगे थे.

अब देखना यह है कि यूरोपीय आयोग इस महत्वाकांक्षी एजेंडा पर अगले पांच वर्षों में किस हद तक काम करने में सफ़लता हासिल कर पाता है. इसके बावजूद प्राथमिकताओं तथा उनको जारी करने का उद्देश्य वॉन डेर लेयेन के दूसरे कार्यकाल में एक अधिक ‘‘भू-राजनीतिक आयोग’’ का रास्ता तो तय कर ही सकता है.


(शैरी मल्होत्रा, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं).

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