Author : Ankita Dutta

Published on Jul 15, 2023 Updated 0 Hours ago
अटलांटिक घोषणापत्र की व्याख्या!

यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सुनक के वॉशिंगटन दौरे के दौरान 8 जून 2023 को “अटलांटिक डिक्लेरेशन (घोषणापत्र): 21वीं सदी की अमेरिका-UK आर्थिक साझेदारी के लिए एक रूप-रेखा” पर हस्ताक्षर किए. अपनी तरह के इस पहले घोषणापत्र और इसके एक्शन प्लान से उम्मीद जताई जा रही है कि “एक नये प्रकार की इनोवेटिव पार्टनरशिप” को बढ़ावा मिलेगा जिसमें तक़नीकक, अर्थव्यवस्था और व्यापार समेत सहयोग के सभी क्षेत्र शामिल होंगे. व्यापार और निवेश संबंधों को गहरा करने के साथ-साथ घोषणापत्र से उम्मीद की जाती है कि ये रक्षा, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में UK-अमेरिका सहयोग को मज़बूत करेगा. ये लेख नये अटलांटिक आर्थिक घोषणापत्र का विश्लेषण करता है और इस बात का आकलन करता है कि ये घोषणापत्र दोनों देशों की साझेदारी को कैसे प्रभावित करता है. 

UK-अमेरिका संबंधों के मूल आदर्श 1941 के अटलांटिक चार्टर में खोजे जा सकते हैं जिस पर विंस्टन चर्चिल और फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट ने हस्ताक्षर किए थे. इस चार्टर ने विश्व युद्ध के बाद की दुनिया के लिए दोनों देशों के साझा लक्ष्यों को निर्धारित किया और उनके “विशेष संबंधों” की बुनियाद रखी.

अटलांटिक चार्टर से लेकर नये अटलांटिक आर्थिक घोषणापत्र तक 

UK-अमेरिका संबंधों के मूल आदर्श 1941 के अटलांटिक चार्टर में खोजे जा सकते हैं जिस पर विंस्टन चर्चिल और फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट ने हस्ताक्षर किए थे. इस चार्टर ने विश्व युद्ध के बाद की दुनिया के लिए दोनों देशों के साझा लक्ष्यों को निर्धारित किया और उनके “विशेष संबंधों” की बुनियाद रखी. जून 2021 में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक समझौते पर दस्तख़त किए जिसे “नया अटलांटिक चार्टर” कहा गया. इस बात को स्वीकार करते हुए कि दुनिया पिछले 80 वर्षों में बदल गई है इस नये चार्टर में फिर से प्रतिबद्धता जताई गई कि दोनों साझेदार लोकतंत्र, कानून के शासन, इत्यादि समेत पुराने वादों और जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसी नई चुनौतियों पर सहयोग करेंगे. 

प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और राष्ट्रपति बाइडेन ने “अटलांटिक घोषणापत्र” के नाम से एक नये आर्थिक सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए. नये घोषणापत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का स्वरूप अर्थशास्त्र के साथ बदल रहा है और ये एक-दूसरे से ज़्यादा जुड़ रहा है. अमेरिका और UK नई अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जिनमें “निरंकुश देशों” जैसे कि चीन और रूस से मिल रही चुनौतियां शामिल हैं. इसके अलावा विघटनकारी तक़नीककों, गैर-सरकारी हरकतों और जलवायु परिवर्तन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की चुनौतियां भी हैं. उभरती चुनौतियों से निपटने के मक़सद से दोनों देशों ने व्यापार और तक़नीक में अपने लचीलेपन को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम किया है और रक्षा, सुरक्षा एवं खुफिया संबंधों की सीमा का विस्तार करने के लिए सहयोग किया है. यूक्रेन को लगातार समर्थन, नेटो की मजबूती, ऑकस- जो कि ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है- पर अमल और अमेरिका-UK इंडो-पैसिफिक डायलॉग के तहत बेहतर तालमेल के ज़रिए इसे हासिल किया गया है. 

अमेरिका ने UK के द्वारा AI सेफ्टी पर पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन की शुरुआत करने की योजना का स्वागत किया है. ये सम्मेलन अलग-अलग भागीदारों को इस तक़नीक की सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए साथ लाने पर ध्यान देगा.

ये नया आर्थिक घोषणापत्र सामरिक निर्भरता कम करने की दिशा में काम करेगा. साथ ही लचीली, सुरक्षित और अलग-अलग तरह की सप्लाई चेन बनाने में भी काम आएगा. इस घोषणापत्र का ध्यान महत्वपूर्ण और उभरती तक़नीकों; व्यापार एवं निवेश को गहरा करने के तरीकों की तलाश और विज्ञान, स्वास्थ्य सुरक्षा, अंतरिक्ष एवं रक्षा जैसे क्षेत्रों में अमेरिका-UK के गठजोड़ को मज़बूत करने पर भी होगा. 21वीं सदी की अमेरिका-UK आर्थिक साझेदारी के लिए एक्शन प्लान (ADAPT) का उद्देश्य आज की चुनौतियों के मुताबिक आर्थिक संबंधों को आगे ले जाना और सहयोग के पांच बुनियादों की पहचान करना है- 

पहली बुनियाद है महत्वपूर्ण और उभरती तक़नीकों में अमेरिका-UK के नेतृत्व को सुनिश्चित करना क्योंकि ये तक़नीकें राष्ट्रीय सुरक्षा को निर्धारित कर रही हैं. इसमें इनोवेटिव 5G और 6G सॉल्यूशंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर सेक्टर में सहयोग बढ़ाने वाली रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है. इन लक्ष्यों को हासिल करने के उद्देश्य से घोषणापत्र में सामरिक तक़नीकों के लिए निजी पूंजी (प्राइवेट कैपिटल) जुटाने की बात की गई है. इस निजी निवेश को हासिल करने के लिए अमेरिका-UK स्ट्रैटजिक टेक्नोलॉजिज़ इन्वेस्टर काउंसिल की स्थापना की जाएगी ताकि अटलांटिक के आर-पार फंड की कमी को दूर करने के लिए जानकारों और निवेशकों को एक साथ लाया जा सके. 

दूसरी बुनियाद है आर्थिक सुरक्षा और तक़नीकी रक्षा के संबंध में टूलकिट और सप्लाई चेन पर सहयोग को आगे बढ़ाना. घोषणापत्र में कहा गया है कि तक़नीक की सुरक्षा के कई टूल पुराने समय के, तक़नीक और खतरों के हिसाब से बनाए गए थे. इसलिए मौजूदा रेगुलेटरी ढांचे को अपडेट करने की ज़रूरत है. अमेरिका और UK अपनी-अपनी टूलकिट को “संवेदनशील और दोहरे उपयोग की उभरती तक़नीकों और दूसरे निर्यात नियंत्रित सामानों (राष्ट्रीय सुरक्षा की वजह से बिना लाइसेंस के किसी सामान के निर्यात पर रोक) एवं तक़नीकों के भेद खुलने से रोकने के लिए” एक साथ करेंगे. ऐसा लगता है कि फोकस बाहरी निवेशों और संवेदनशील तक़नीकों में निर्यात नियंत्रण के साथ-साथ सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण तकनीकों की लचीली सप्लाई चेन बनाने को काबू करने पर है. इसमें आर्थिक प्रतिबंधों की शासन व्यवस्था को मजबूत करने की बात भी की गई है ताकि उल्लंघन से निपटा जा सके और “साझा तौर पर उन पर निशाना साधा जा सके जो रूस, बेलारूस और अन्य देशों में यूक्रेन पर रूस के अवैध आक्रमण में मदद पहुंचा रहे हैं जिनमें वो सामान और तक़नीक हासिल करना है जो रूस के हमले में मदद पहुंचाते हैं”.

तीसरी बुनियाद है एक समावेशी और जवाबदेह डिजिटल कायापलट के लिए साझेदारी करना. फोकस AI के जवाबदेह विकास और अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय पहल, जिनमें ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर AI शामिल है, और अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठनों के साथ-साथ G7 हिरोशिमा AI प्रोसेस के जरिए उनकी कोशिशों के तालमेल पर है. अमेरिका ने UK के द्वारा AI सेफ्टी पर पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन की शुरुआत करने की योजना का स्वागत किया है. ये सम्मेलन अलग-अलग भागीदारों को इस तक़नीक की सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए साथ लाने पर ध्यान देगा. इसमें AI के जोख़िमों पर निगरानी के लिए सुरक्षा उपायों की तलाश करना शामिल है. इससे सीख है अमेरिका-UK के डेटा ब्रिज की स्थापना की योजना, ताकि दोनों देशों के बीच सुरक्षित डेटा फ्लो को आसान बनाया जा सके, और AI को लेकर सहयोग को तेज़ करने के लिए प्राइवेसी प्रोटेक्शन को सुरक्षित करना. एक और पहल जो शुरू की गई वो है प्राइवेसी को बढ़ाने वाली तक़नीकों पर सहयोग जो आर्थिक और सामाजिक फायदों को बढ़ावा देने के लिए जवाबदेह AI के मॉडल के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद करेगा. 

चौथी बुनियाद है भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था का निर्माण. अमेरिका और UK ने पेरिस समझौते के तहत अपने-अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक बार फिर से प्रतिबद्धता जताते हुए इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए ज़रूरी पांच महत्वपूर्ण खनिजों के बारे में एक अहम खनिज समझौते पर बातचीत शुरू करने का फैसला किया है. इससे UK के कारोबारियों को इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट (महंगाई पर नियंत्रण रखने वाला अमेरिका का कानून) के तहत टैक्स छूट हासिल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने एक साल का साझा स्वच्छ ऊर्जा सप्लाई चेन एक्शन प्लान भी शुरू किया है जो अमेरिका और UK के साथ-साथ किसी तीसरे देश में भी स्वच्छ ऊर्जा की मांग के लिए क्षमता के निर्माण को तेज करने में उनके द्वारा बनाई जाने वाली अल्पकालीन योजनाओं की पहचान करेगी. उन्होंने आधुनिक, शांतिपूर्ण परमाणु तकनीकों, जिनमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्शन शामिल हैं, को दुनिया भर में सुलभ बनाने के लिए एक सिविल न्यूक्लियर पार्टनरशिप (नागरिक परमाणु साझेदारी) भी शुरू की है जिस पर बड़े अधिकारियों की नजर रहेगी. ये परमाणु साझेदारी जलवायु परिवर्तन की दिशा में उनकी व्यापक कोशिशों का हिस्सा है और इसका लक्ष्य 2030 तक नये इंफ्रास्ट्रक्चर और एंड-टू-एंड फ्यूल साइकिल क्षमता को विकसित करना है ताकि रूस के संसाधनों पर निर्भरता को कम किया जा सके. 

इस अटलांटिक घोषणापत्र को अमेरिका और UK के द्वारा अपनी तरह का पहला समझौता माना गया है और इसका लक्ष्य दोनों देशों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है. ये ब्रेक्ज़िट के बाद की दुनिया में उनकी साझेदारी को नया करने के लिए दोनों देशों की कोशिशों का प्रतिनिधित्व करता है. 

पांचवीं बुनियाद है रक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में दोनों देशों के गठजोड़ को मजबूत करना. इसके तहत अमेरिका और UK ऑकस समेत अपने दीर्घकालीन रक्षा सहयोग का बेहतर इस्तेमाल करेंगे. अमेरिका ने डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट के टाइटल III के अर्थ के भीतर यूनाइटेड किंगडम को “घरेलू स्रोत” के तहत जोड़ने की पहल की है. ऐसा होने पर दोनों देशों की रक्षा औद्योगिक संरचना में सहयोग को और गहरा करने में मदद मिलेगी. साथ ही अलग-अलग तरह के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिकी निवेश के लिए नये अवसरों का निर्माण करने में मदद मिलेगी. दोनों देश अंतरिक्ष सहयोग के सभी क्षेत्रों में सहयोग के अवसरों की तलाश करने के साथ-साथ स्वास्थ्य और जैविक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में भी काम करेंगे. 

निष्कर्ष

अमेरिका और UK के बीच द्विपक्षीय संबंधों को अक्सर “विशेष” कहा जाता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान रिश्ते ऐसे नहीं रहे हैं. पहले UK के ब्रेक्ज़िट वोट (यूरोपियन यूनियन से अलग होना) और फिर उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल (प्रोटोकॉल के तहत उत्तरी आयरलैंड औपचारिक तौर पर EU के सिंगल मार्केट से अलग है लेकिन इसके बावजूद EU के व्यापार से जुड़े नियम इस पर लागू होते हैं) की वजह से संबंधों में गतिरोध आया था. अपना काम-काज संभालने के बाद प्रधानमंत्री सुनक ने उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल के तहत मौजूदा मुद्दों को हल करने के लिए और विंडसर फ्रेमवर्क (UK के यूरोपियन यूनियन से अलग होने के बाद कानूनी समझौता) समेत संबंधों में बाधाओं को दूर करने की दिशा में काम किया है. इसके साथ-साथ वो यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए अमेरिका के साथ एक प्रमुख समर्थक के तौर पर उभरे हैं. इस नये अटलांटिक घोषणापत्र के साथ दोनों देश आर्थिक और तक़नीकी सहयोग के क्षेत्र में नया मानक (स्टैंडर्ड) निर्धारित करने के लिए अपने सहयोग को बढ़ा रहे हैं. 

इस अटलांटिक घोषणापत्र को अमेरिका और UK के द्वारा अपनी तरह का पहला समझौता माना गया है और इसका लक्ष्य दोनों देशों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है. ये ब्रेक्ज़िट के बाद की दुनिया में उनकी साझेदारी को नया करने के लिए दोनों देशों की कोशिशों का प्रतिनिधित्व करता है. अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और तक़नीक के बीच संबंधों को स्वीकार करते हुए इसका उद्देश्य इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका और UK के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है. वैसे तो घोषणापत्र का आर्थिक परिणाम दीर्घकालीन लगता है लेकिन दोनों पक्ष ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी साझेदारी इतनी मज़बूत है कि चीन की बढ़ती आक्रामकता के साथ-साथ यूक्रेन में संघर्ष को देखते हुए ये नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए पर्याप्त है. ये महत्वपूर्ण तक़नीकों, AI, सेमीकंडक्टर, नागरिक परमाणु समझौते, महत्वपूर्ण खनिजों और रक्षा सहयोग के मामले में बातचीत शुरू करने को लेकर उनकी तरफ से दिए जा रहे ज़ोर में दिखाई दे रहा था. 

2022 में 279.2 बिलियन पाउंड, जो कि UK के कुल व्यापार का 16.3 प्रतिशत हिस्सा है, के व्यापार के साथ अमेरिका UK का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा. 2021 में अमेरिका में UK का कुल निवेश 461.4 अरब पाउंड रहा जो UK के द्वारा कुल बाहरी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का 26.1 प्रतिशत हिस्सा है. वहीं 2021 में अमेरिका ने UK में 675.7 अरब पाउंड का निवेश किया जो UK में आए कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का 33.7 प्रतिशत हिस्सा है. लेकिन इसके बावजूद अटलांटिक घोषणापत्र लंबे समय से दोनों देशों के बीच जताई जा रही व्यापार समझौते की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है. ये ऐसा लक्ष्य था जो 2019 में कंज़र्वेटिव पार्टी के चुनाव घोषणापत्र का भी हिस्सा था. उम्मीदों से हटकर ये घोषणापत्र रक्षा खरीद से लेकर डेटा सुरक्षा और परमाणु सहयोग के अलग-अलग क्षेत्रों में पहल की तरह है. संक्षेप में कहें तो घोषणापत्र दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साथ काम करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का सांकेतिक प्रतिनिधित्व है, साथ ही भविष्य के हिसाब से इस गठबंधन को तैयार करने के लिए है.  

अंकिता दत्ता ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज प्रोग्राम में फेलो हैं.

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