2016 में लॉन्च होने के बाद से भारत का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक इंक़लाब लाने वाला किरदार बनकर उभरा है. इसे भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया था. आज UPI करोड़ों भारतीयों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका है. हमारा रिसर्च ये बताता है कि UPI से लेन-देन में एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी से GDP की विकास दर में 0.03 फ़ीसद का इज़ाफ़ा होता है. इससे आर्थिक विस्तार में UPI की भूमिका बख़ूबी रेखांकित होती है. इस लेख में हम UPI के विस्फोटक विकास, भारत की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव, यूज़र्स का भरोसा जीतने में इसकी सफलता और फिनटेक के क्षेत्र में इसके ज़रिए भारत के वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की समीक्षा कर रहे हैं.
इस लेख में हम UPI के विस्फोटक विकास, भारत की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव, यूज़र्स का भरोसा जीतने में इसकी सफलता और फिनटेक के क्षेत्र में इसके ज़रिए भारत के वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की समीक्षा कर रहे हैं.
UPI का चलन: विकास और मूलभूत ढांचा
UPI की विकास यात्रा किसी असाधारण कामयाबी से कम नहीं है. जनवरी 2018 में इसके ज़रिए 80 करोड़ लेनदेन हो रहे थे, जो जुलाई 2024 में बढ़कर 14.4 अरब तक पहुंच गए थे. आज भारत का 80 प्रतिशत डिजिटल लेन-देन UPI के ज़रिए ही होता है. [2] UPI को जनता द्वारा इतने बड़े पैमाने पर अपनाए जाने की बड़ी वजह इसका बिना किसी बाधा के बैंकिंग के मौजूदा ढांचे से जुड़ना और मोबाइल इंटरनेट का व्यापक इस्तेमाल रही है.
UPI से जुड़े मूलभूत ढांचे के अहम पहलू इस प्रकार हैं:
-मोबाइल इंटरनेट सेवा की पहुंच: UPI को देश भर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने की बड़ी वजह मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा का तेज़ी से देश भर में विस्तार रही है. जुलाई 2024 तक देश की 42.4 करोड़ आबादी [2] के पास सस्ते स्मार्टफोन थे, जिनकी मदद से वो UPI जैसे डिजिटल भुगतान के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं.
-बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ाव: UPI की कामयाबी इसके देश की संगठित बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ाव से गहराई से जुड़ी है. JAM यानी जन-धन खाते, आधार और मोबाइल की कनेक्टिविटी के त्रिकोण ने जून 2024 तक देश की लगभग 90 करोड़ आबादी तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने में बहुत अहम भूमिका अदा की है.
-आधार और UPI: आधार को UPI से जोड़ना- यानी 1.3 अरब भारतीयों [1],[3] की एक डिजिटल पहचान वाली व्यवस्था खड़ी होने से सुरक्षित और विश्वसनीय लेन-देन सुनिश्चित हो सका है, जिसने इसके यूज़र्स के बीच भरोसा क़ायम करने में बुनियादी आधार का काम किया है.
भरोसा ही वो बुनियाद है, जिसके ऊपर UPI की कामयाबी की कहानी लिखी गई है. [6] UPI में यूज़र्स के यक़ीन के पीछे दो अहम कारण हैं. पहला, डिजिटल इंडिया की पहल के तहत सरकार ने UPI पर मुहर लगाई है, जिससे इसकी वैधता और विश्वसनीयता स्थापित हो सकी. प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जैसी सरकारी योजनाओं में UPI का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल इस भरोसे का सबूत है, जिसने UPI और वित्तीय समावेशन के कार्यक्रमों को एक दूसरे से जोड़ा है.
दूसरा, UPI को आधार के साथ जोड़ने की वजह से सुरक्षा का एक मज़बूत ढांचा भी तैयार हुआ है, जिससे लेन-देन का सुरक्षित होना और भुगतान करने वालों की पहचान विश्वसनीयता के साथ स्थापित करना सुनिश्चित हो सका है. इसके अतिरिक्त UPI के ज़रिए भुगतान के साथ ही लेन-देन का अपडेट हासिल हो जाता है, और इससे जुड़े विवादों का निपटारा भी तुरंत हो जाता है. इसकी वजह से एक पारदर्शी माहौल तैयार हुआ है, जिसमें इसके यूज़र्स को लगता है कि बात पूरी तरह से उन्हीं के हाथ में है.
भारत की अर्थव्यवस्था में UPI का असर काफ़ी प्रभावशाली रहा है. इसकी वजह से भारत में न केवल वित्तीय लेन-देन आसान हुआ है, बल्कि UPI वित्तीय समावेशन और GDP विकास दर बढ़ाने में भी अहम भूमिका अदा कर रहा है.
भारत की अर्थव्यवस्था में UPI का असर काफ़ी प्रभावशाली रहा है. [5],[7] इसकी वजह से भारत में न केवल वित्तीय लेन-देन आसान हुआ है, बल्कि UPI वित्तीय समावेशन और GDP विकास दर बढ़ाने में भी अहम भूमिका अदा कर रहा है. UPI ने 30 करोड़ लोगों को देश की संगठित बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा है. 2018 से 2024 के बीच प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए बैंक खातों की तादाद में 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. [3] यानी UPI को अपनाए जाने के साथ ही जन-धन योजना के अंतर्गत बैंक खाते खोलने की रफ़्तार में भी तेज़ी आई है.
रिसर्च का तरीक़ा और इसके नतीजे
हमने 2016 में UPI की शुरुआत से लेकर उसके बाद के सात वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया, ताकि हम UPI के लेन-देन की तादाद को समझ सकें और वित्तीय लेन देन के अन्य तरीक़ों जैसे कि चेक, क्रेडिट कार्ड और ATM से इसकी तुलना कर सकें. हमने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले GDP के तिमाही वाले आंकड़ों, और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI 2023) द्वारा आधिकारिक रूप से हर तिमाही को जारी किए जाने वाले इंटरनेट, मोबाइल और बैंक खातों की संख्या से भी इसकी तुलना की. हमने तमाम आंकड़ों के बीच रिग्रेशन के विश्लेषण की परिकल्पना के अंतर्गत इन आंकड़ों को परखा.
इस विश्लेषण से ये पता चला कि UPI के लेनदेन में अगर एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है, तो उसकी वजह से GDP विकास दर में 0.03 प्रतिशत का इज़ाफ़ा होता है.
इस विश्लेषण से ये पता चला कि UPI के लेनदेन में अगर एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है, तो उसकी वजह से GDP विकास दर में 0.03 प्रतिशत का इज़ाफ़ा होता है. इससे आर्थिक विस्तार में UPI की भूमिका का पता चलता है.[8][9] दोनों के बीच संबंध काफ़ी मज़बूत है. इससे ये संकेत मिलता है कि पिछले सात वर्षों के दौरान UPI का इस्तेमाल भारत की GDP विकास दर का एक मज़बूत संकेत है. UPI ने क़र्ज़ हासिल करने में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी ग़रीबों को काफ़ी आसानी उपलब्ध कराई है. 2018 से 2023 के दौरान बहुत छोटी छोटी रक़म वाले क़र्ज़ों में 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो UPI के लेन-देन और छोटे क़र्ज़ के वितरण में संबंध का भी सूचक है.[9]
वैश्विक आकांक्षाएं: सॉफ्ट पावर का औज़ार बना UPI
UPI को अन्य देशों को निर्यात करने की भारत की महत्वाकांक्षा उसके दुनिया में अपने आपको विकास और ख़ास तौर से डिजिटल वित्त के एक अहम साझीदार के तौर पर स्थापित करने के सामरिक क़दम के तौर पर दिखती है. घरेलू स्तर पर UPI की सफलता की वजह से जापान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), फ्रांस और अब मालदीव ने अपने वित्तीय आधुनिकीकरण के तौर पर इसके इस्तेमाल में दिलचस्पी दिखाई है. विश्व स्तर पर UPI को बढ़ावा देकर भारत तकनीकी कूटनीति कर रहा है. अन्य बाज़ारों में कामयाबी से UPI को लागू करके भारत ख़ुद को बड़े पैमाने पर लागू किए जा सकने वाले डिजिटल भुगतान के सुरक्षित समाधान मुहैया कराने में अगुवा के तौर पर स्थापित कर सकता है.
UPI के दुनिया भर में विस्तार से न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रचार होगा, बल्कि उसके सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव में भी इज़ाफ़ा होगा. UPI की कामयाबी भारत के इनोवेशन में विश्वसनीय साझीदार बनने की कोशिश में योगदान देगी, जिससे आर्थिक साझेदारियों के नए अवसर पैदा होंगे. इसका एक उम्मीद भरा उदाहरण 9 अगस्त 2024 को विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर का मालदीव दौरा उनका राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू द्वारा स्वागत करने के तौर पर दिखा था.[10] इसके बाद 10 अगस्त 2024 को भारत और मालदीव ने मालदीव में UPI को लागू करने के एक समझौते पर भी दस्तख़त किए थे.
चुनौतियां और कमज़ोरियां
अपनी कामयाबी के बावजूद UPI कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. अगर भारत को इसकी विकास गाथा को जारी रखना है, तो इन चुनौतियों से पार पाना होगा. तमाम संभावनाओं के बावजूद, UPI के निर्यात की राह में तमाम चुनौतियां हैं. जापान जैसे विकसित बाज़ारों में जहां स्थापित वित्तीय व्यवस्थाएं पहले से मौजूद हैं, वो UPI अपनाने की राह में कई अहम रोड़े खड़े करती हैं. इन बाधाओं से पार पाने के लिए सामरिक सहयोग और नीतिगत समर्थन आवश्यक होगा. इनमें तकनीक के मूलभूत ढांचे को खड़ा करने के लिए भारत द्वारा सीधी सब्सिडी देना भी शामिल है.
-डेटा की निजता और सुरक्षा: लेन-देन की बढ़ती मात्रा के साथ ही डेटा के संरक्षण और साइबर सुरक्षा को लेकर चिंताएं भी बढ़ती जा रही हैं. यूज़र का भरोसा बनाए रखने के लिए निजी और वित्तीय जानकारी को सुरक्षित बनाने के ठोस उपाय करने होंगे.
-क्षेत्रीय असमानताएं: वैसे तो UPI को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है. लेकिन, इंटरनेट की उपलब्धता और वित्तीय साक्षरता की कमी की वजह से तमाम क्षेत्रों में इसे अपनाने के मामले में असमानताएं देखी जा रही हैं. व्यापक वित्तीय समावेशन हासिल करने के लिए इन कमियों को दूर करना आवश्यक है.
-भुगतान की पारंपरिक व्यवस्थाओं के साथ एकीकरण: UPI अभी क्रेडिट कार्ड और चेक जैसे भुगतान के पारंपरिक तरीक़ों की जगह पूरी तरह से नहीं ले सका है. UPI का इस्तेमाल फ्री रखते हुए इन व्यवस्थाओं के साथ UPI का इस्तेमाल बिना किसी टकराव के कैसे जारी रखा जा सकता, ये सुनिश्चित करना एक अहम चुनौती है. ऐसा करके UPI को मास्टरकार्ड और वीज़ा जैसे पारंपरिक व्यवस्थाओं के साथ मुक़ाबले के लिए तैयार किया जा सकता है. इस वक़्त वित्तीय लेन-देन के पारंपरिक खिलाड़ियों का प्राइस टू बुक रेशियो (लगभग 56 प्रतिशत) है, जिससे ये संकेत मिलता है कि अपने खातों में दर्ज आंकड़ों की तुलना में ग्राहक और हिस्सेदार इन पारंपरिक माध्यमों को 56 गुना अधिक मूल्यवान मानते हैं.
UPI एक मंच से कहीं बढ़कर है; ये आविष्कार करने की भारत की क्षमता और उसके वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था का अगुवा बनने का सबूत है. इसकी राह में डेटा की निजता और विश्व स्तर पर इस्तेमाल को लेकर चुनौतियां ज़रूर हैं. लेकिन, UPI अभी अपनी वास्तविक सफलता से काफ़ी दूर है. आज जब भारत UPI को दूसरे देशों में लागू करने की संभावनाओं को तलाश रहा है, तब UPI, भारत की तकनीकी कूटनीति का स्तंभ और विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ने का एक अहम औज़ार बन सकता है.
दुनिया UPI को अपनाए, इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत के नीति निर्माताओं के लिए एक अहम चुनौती ये है कि वो इसे भारत के प्रशिक्षण केंद्रों और प्रबंधन संस्थानों में को एक केस स्टडी के तौर पढ़ाएं.
Endnotes
-
Unique Identification Authority of India (UIDAI). Aadhaar: The Foundation of Digital India. 2023.
-
Regulatory Authority of India (TRAI). Mobile Internet Penetration Report. 2023.
-
Reserve Bank of India (RBI). Report on Digital Transactions in India. 2023.
-
National Payments Corporation of India (NPCI). Annual Report 2019-22. 2022.
-
Asrani, C., and A.K. Kar. "Diffusion and Adoption of Digital Communications Services in India." Information Technology for Development (2022).
-
Morgan, R.M., and S.D. Hunt. "The Commitment-Trust Theory of Relationship Marketing." Journal of Marketing 58, no. 3 (2020): 20-38.
-
Remeikienė, R., and L. Gasparėnienė. "The Role of ICT Development in Boosting Economic Growth." 2021.
-
Wong, T.-L., W.-Y. Lau, and T.-M. Yip. "Cashless Payments and Economic Growth: Evidence from Selected OECD Countries." Journal of Central Banking Theory and Practice 9, no. s1 (2020): 189-213.
-
Bansal, Rohit, et al. "Regression Study on Unified Payment Interface (UPI) and Economic Growth: India Evidences." Fellowship Program in Management, Indian School of Business, 2023-2024.
-
Ministry of External Affairs, Government of India. "Press Release." August 11, 2024.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.