Author : Abhijit Singh

Published on Oct 21, 2023 Updated 0 Hours ago

परमाणु हमला करने में सक्षम चीनी पनडुब्बी पर मौजूद चालक दल की दुखद मृत्यु, चीनी नौसेना के साथ-साथ परमाणु पनडुब्बियां संचालित करने वाली दूसरी नौसेनाओं के लिए आत्म-मंथन का अवसर होना चाहिए.

चीनी नौसेना की पनडुब्बी 093-147 का हादसा: सच्चाई और सबक़

बैरेंट्स सागर की तलहटी में एक परमाणु पनडुब्बी के पिछले कंपार्टमेंट में फंसे एक युवा रूसी अधिकारी ने बाहरी दुनिया के लिए एक नोट लिखाउसे बड़ी सफ़ाई से मोड़कर अपनी जेब में रख लियाये अगस्त 2000 की बात हैरूसी पनडुब्बी कुर्स्क में टर्बाइन रूम के कमांडर लेफ्टिनेंटकैप्टन दिमित्री कोलेशनिकोव अपने 22 साथियों के साथ फंसकर सामने खड़ी मौत का सामना कर रहे थेउन्होंने लिखा: “कंपार्टमेंट छहसात और आठ के सभी कर्मी नौवें  कंपार्टमेंट में  गए हैंयहां हममें से 23 कर्मी हैंहमने हादसे की वजह से ये निर्णय लिया हैहममें से कोई बाहर नहीं निकल सकता.” कुछ दिनों के बाद जब बचाव टीम वहां पहुंची तब दिमित्री और उनके हमवतन साथी मृत पाए गए.

मीडिया में आई ख़बरें आधी-अधूरी हैं, लेकिन माना जा रहा है कि चीनी पनडुब्बी अपनी ही चेन और एंकर डिवाइस में फंस गई थी.

पनडुब्बी हादसा

अक्टूबर 2023 के पहले हफ़्ते में चीनी पनडुब्बी के हादसे का ख़ुलासा हुआख़बरों के मुताबिक इसमें चालक दल के 55 सदस्यों की जान चली गईताज़ा हादसा रूसी पनडुब्बी कुर्स्क के डूबने और दोनों के बीच की भयावह समानताओं की याद दिलाता हैकुर्स्क की तरह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) 093-417 परमाणु हमला करने में सक्षम पनडुब्बी हैदोनों ही पनडुब्बियां अपेक्षाकृत छिछले पानी में अभ्यास कर रही थीहालांकि ये अभ्यास अलगअलग क्षेत्रों और 23 वर्षों के अंतराल पर हो रहे थेइसी बीच पनडुब्बी की प्रणाली में आई ख़राबी ने विनाशकारी घटनाओं की झड़ी लगा दीजिसमें चालक दल के तक़रीबन सभी सदस्यों की जान चली गईदोनों ही मामलों में नौसैनिक अधिकारियों द्वारा तलाश और बचाव अभियान में देरी किए जाने का संदेह हैअगस्त 2000 में रूस ने काफ़ी देर तक विदेशी मदद नहीं मांगी और चीन तो अब तक इस घटना को स्वीकार ही नहीं कर रहा है.

सवाल बरक़रार हैआख़िर PLAN 093-417 के साथ क्या हुआ होगाआधिकारिक तौर पर खोया हुआ क़रार दिए बिना परमाणु पनडुब्बी ने पूरे चालक दल को कैसे खो दियाक्या इस सिलसिले में कोई सबक़ सीखा जा सकता हैमीडिया में आई ख़बरें आधी-अधूरी हैंलेकिन माना जा रहा है कि चीनी पनडुब्बी अपनी ही चेन और एंकर डिवाइस में फंस गई थी. ये फंदे पीले सागर में चीनी तट के नज़दीक छिपकर इंतज़ार करने वाले पश्चिमी जहाज़ों को पकड़ने के मक़सद से लगाए गए थेकथित तौर पर ये हादसा 21 अगस्त को घटित हुआजब चीनी पनडुब्बी ब्रिटिश और अमेरिकी पनडुब्बियों के लिए लगाए गए ‘चेन और एंकर’ जाल से अनजाने में टकरा गईइससे ऑक्सीजन उत्पादन प्रणाली ख़राब हो गईबताया जाता है कि जहाज़ की मरम्मत करने में क़रीब छह घंटे का वक़्त लग गयालेकिन तब तक 22 अफ़सरोंसात ऑफ़िसर कैडेट्सनौ पेटी अफ़सरों और 17 नाविकों की दम घुटने से मौत हो चुकी थी.

दरअसल चीन को ऐसी किसी क़वायद से अपनी नौसेना के पनडुब्बी संचालनों में आने वाली रुकावटों की पूरी जानकारी थी. अगर चीनी नौसेना किसी दुश्मन पनडुब्बी को “फांसने” में कामयाब हो जाती तो चीन ने उसके साथ क्या किया होता?

कइयों का विचार है कि ये परिकल्पना अविश्वसनीय हैपर्यवेक्षक इशारा करते हैं कि पीले सागर में कथित हादसे के बाद चीनी नौसेना द्वारा तलाशी और बचाव का आदेश दिए जाने की कोई ख़बर नहीं आई थीपरमाणु पनडुब्बी में हुए हादसे के बाद ज़बरदस्त खोजबीन शुरू होनी चाहिए थीसजीव रिएक्टर कोर से लैस पनडुब्बी का डूबनाक्षेत्र और दुनिया भर की राजधानियों में चिंता का सबब बन जाना चाहिए थादिलचस्प रूप से ऐसा नहीं हुआयक़ीनन PLAN ने इस पर चेतावनी इसलिए जारी नहीं कि क्योंकि पनडुब्बी को ‘खोया हुआ’ घोषित नहीं किया गया थापनडुब्बी में उपस्थित चालक दल के सदस्य अब भी मरम्मत के कार्य में जुटे हुए थेहालांकि तट पर मौजूद नौसैनिक अधिकारियों को शायद ये पता होगा कि पनडुब्बी पर कोई हादसा हुआ हैऑक्सीजन प्रणाली के नाकाम होने पर पनडुब्बी की कमांड टीम ने तट पर मौजूद अधिकारियों को हादसे के बारे में जानकारी देने के लिए निश्चित रूप से कुछ ना कुछ प्रयास किए होंगेअगर पनडुब्बी किसी भी तरह के ख़तरे में होती तो चालक दल ने निश्चित रूप से एक आपातकालीन बोया तैरने के लिए छोड़ा होताअजीब बात है कि PLAN द्वारा संभावित बचाव अभियान के लिए नौसैनिक परिसंपत्तियों को कहीं भी भेजे जाने के कोई संकेत नहीं थे.

हदसा क्यों?

दक्षिण चीन सागर में चीनी नौसेना द्वारा दुश्मन पनडुब्बियों के लिए जाल तैयार किए जाने के दावे भी सवालों के घेरे में हैंये सुझाव भी बेतुका है कि PLAN का इरादा एक विशाल पनडुब्बी को जानवर की तरह तार के जाल में फंसाने का थाचीन द्वारा समंदर में विशाल फंदा स्थापित करने के आदेश दिए जाने का विचार भी बेहद संदेहास्पद लगता हैदरअसल चीन को ऐसी किसी क़वायद से अपनी नौसेना के पनडुब्बी संचालनों में आने वाली रुकावटों की पूरी जानकारी थी. अगर चीनी नौसेना किसी दुश्मन पनडुब्बी को “फांसने” में कामयाब हो जाती तो चीन ने उसके साथ क्या किया होता? सुनने में जितना भी कल्पनाशील लगे लेकिन ज़रा सोचिए अगर पश्चिम की कोई पनडुब्बी चीनी जाल में फंसकर समंदर की तलहटी पर पहुंच जाए तो कितना बखेड़ा होगाइसके नतीजे चीन के लिए भयानक होंगे.

इस सिलसिले में ज़्यादा तार्किक परिकल्पना ताइवानी मीडिया की ओर से आईस्पष्ट रूप से PLAN 093-417 के साथ हादसा चीन के बंदरगाह शहर डालियन के नज़दीक तब हुआ जब टेस्ट टॉरपीडो पानी के नीचे फट गयाजिससे पनडुब्बी और उसका चालक दल नीचे गिर गएज़ाहिर तौर पर लियाओनिंग समुद्री सुरक्षा प्रशासन ने 20-27 अगस्त तक डालियान के तट से दूर सैन्य अभ्यास को लेकर नौवहन चेतावनी जारी की थीख़बरों के मुताबिक इस संस्था ने इसके बाद पांच बार चेतावनियां जारी कीजिससे ये सुनिश्चित कर लिया गया कि 20 अगस्त से 8 अक्टूबर तक ये इलाक़ा बग़ैर कोई आवाजाही वाला समुद्री क्षेत्र बना रहेकइयों ने इसे अजीब क़रार दिया हैजो इस क्षेत्र में संभावित रूप से एक हादसे का संकेत करता हैहालांकि ये पटकथा भी इस बात का ब्योरा नहीं देती कि आख़िर चीनी नौसेना सक्रिय रूप से अपनी परमाणु पनडुब्बी की तलाश क्यों नहीं कर रही थीअगर पनडुब्बी भौतिक रूप से सुरक्षित थी और आख़िरकार अपने चालक दल के सभी मृत सदस्यों के साथ सतह पर  गईतो ऐसा लगता है कि इसे किसी ने देखा ही नहीं है.

निष्कर्ष

इतने सारे अनसुलझे सवालों के साथ ये कहना कठिन है कि PLAN 093-417 के साथ वास्तव में हुआ क्या था. अब तक चीन ने कुछ भी ख़ुलासा नहीं किया है. चीन के सैन्य नेतृत्व का ध्यान इस हादसे के सामरिक और परिचालनात्मक प्रभावों पर होने के आसार हैं. चीनी नौसेना को ये मालूम है कि उसे कम से कम समंदर के नीचे युद्धकला में अभी काफ़ी काम करना हैऔर इस दिशा में अमेरिकी नौसेना के साथ अभी भारीभरकम अंतर मौजूद हैटाइप 93 को चीन के सबसे आधुनिक और शांत पनडुब्बियों के तौर पर गिना जाता हैऑक्सीजन उत्पादन प्रणाली में इस तरह की ख़राबी से एक अहम कमज़ोरी बेपर्दा होती हैजिससे ताक़त दिखाने वाली सेना के तौर पर PLAN की विश्वसनीयता कम होती हैनिश्चित रूप से चीन के नौसैनिक नेतृत्व ने एक लंबे अर्से से समंदर के नीचे अपने कौशल में मौजूद कमी की भरपाई करने की अहमियत समझ रखी हैयहां तक कि मई 2003 में मिंग श्रेणी की पनडुब्बी 361 में मशीनी ख़राबी आने से 70 नाविकों की मौत के बाद से PLAN ने पनडुब्बी क्षमताएं सुधारने के प्रयास किए हैंहालांकि परमाणु हमला करने में सक्षम पनडुब्बियों में गड़बड़ियों को ठीक करने में चीनी नौसेना कभी भी सफल नहीं हो सकी है.

इतने सारे अनसुलझे सवालों के साथ ये कहना कठिन है कि PLAN 093-417 के साथ वास्तव में हुआ क्या था. अब तक चीन ने कुछ भी ख़ुलासा नहीं किया है. चीन के सैन्य नेतृत्व का ध्यान इस हादसे के सामरिक और परिचालनात्मक प्रभावों पर होने के आसार हैं.

बहरहालभारत द्वारा चीनी नौसेना को कम करके आंकने की ये कोई वजह नहीं होनी चाहिएनौसैनिक कमांडरों को एक वास्तविकता का अच्छे से ज्ञान है कि पनडुब्बी संचालन स्वाभाविक रूप से जोख़िम भरे होते हैंसमंदर में वाक़ये होते रहते हैंसमुद्री वातावरण बेहद अप्रत्याशित होते हैंयहां कबकैसे और किसकिस रूप में ख़तरे सामने  जाएंकिसी को पता नहीं होताफिर भी नौसेनाएं ख़तरों के साथ रहना सीख लेती हैंचीनी नौसेना को भले ही झटका लगा होलेकिन उसके द्वारा सुधार किया जाना तय हैएक हादसे से वो अपने आधुनिकीकरण की क़वायद में रुकावट नहीं आने देगीभारत और हिंदप्रशांत में उसके साझेदारों को निश्चित रूप से सतर्क रहना चाहिए.


अभिजीत सिंह ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के मेरिटाइम पॉलिसी इनिशिएटिव के प्रमुख हैं.

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