द चाइना क्रॉनिकल्स सीरीज़ का ये 135वां लेख है.
बाइडेन प्रशासन (Biden administration) ने इस साल 25 अगस्त को 2022 के चिप्स एक्ट (Chips Act) को लागू करने के संबंध में एक कार्यकारी आदेश जारी किया. इस आदेश के तहत निर्यात नियंत्रण के कई उपाय लागू किए गए जिनके बारे में उम्मीद की जाती है कि वो चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग को अभूतपूर्व ढंग से प्रभावित करेंगे. सबसे स्पष्ट बात है कि अमेरिका का ये फ़ैसला चीन को महंगे सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई को रोक देगा; चीन ऐसी मशीन नहीं ले सकेगा जो दुनिया भर में चिप्स का उत्पादन करती हैं; और अमेरिकी नागरिक (ग्रीन कार्ड रखने वालों समेत) चीन की किसी सेमीकंडक्टर कंपनी (semiconductor industry) के लिए न तो काम कर सकेंगे, न ही वो उन्हें किसी तरह की मदद या जानकारी मुहैया करा सकेंगे. अमेरिकी सरकार की तरफ़ से ये क़दम मज़बूती से स्थापित करता है कि उसने चीन से अलग होने का फ़ैसला कर लिया है, ख़ास तौर पर तकनीकी सेक्टर में. सामरिक तौर पर अमेरिका इसके ज़रिए दो मुख्य मक़सद हासिल करना चाहता है- तकनीक के क्षेत्र में चीन के आगे बढ़ने की रफ़्तार पर लगाम और चीन की आर्थिक एवं सैन्य महत्वाकांक्षा पर नियंत्रण.
सामरिक तौर पर अमेरिका इसके ज़रिए दो मुख्य मक़सद हासिल करना चाहता है- तकनीक के क्षेत्र में चीन के आगे बढ़ने की रफ़्तार पर लगाम और चीन की आर्थिक एवं सैन्य महत्वाकांक्षा पर नियंत्रण.
बाइडेन प्रशासन ने तकनीक के क्षेत्र में चीन से दीर्घकालीन ख़तरे को बेहद गंभीरता से लिया है. टेक्नोलॉजी सेक्टर में चीन की प्रतिस्पर्धा को कुंद करने के लिए निर्यात नियंत्रण के उपायों का इस्तेमाल अमेरिकी प्रशासन के द्वारा लगातार किया जाता रहा है और 2017 से इसमें ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है. इन प्रतिबंधों ने चीन और अमेरिका के बीच अलग-अलग क्षेत्रों में तकनीक के आदान-प्रदान पर असर डाला है. अमेरिका के वाणिज्य विभाग के तहत ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्युरिटी (BIS) अमेरिकी नीति में इस बदलाव के केंद्र में है. BIS के द्वारा लाई गई अमेरिकी सूची, जिसमें उन व्यक्तियों, कंपनियों, कारोबारों और संस्थानों का नाम है जिन्हें ‘किसी ख़ास चीज़ के निर्यात, पुनर्निर्यात और/या ट्रांसफर (देश के भीतर) के लिए विशेष लाइसेंस की ज़रूरत पड़ती है’, का पिछले पांच वर्षों में काफ़ी विस्तार हुआ है. चीन के साथ ट्रंप प्रशासन के व्यापार युद्ध के दौरान पहले ही कई नये नामों को इस सूची में जोड़ा जा चुका है. ध्यान देने की बात ये है कि बाइडेन प्रशासन ने चीन के साथ प्रतिस्पर्धा को पहले से ज़्यादा तेज़ किया है जिसका नतीजा इस सूची में चीन की कंपनियों में चार गुना बढ़ोतरी के रूप में निकला है. 2018 में चीन की 130 कंपनियों के मुक़ाबले मार्च 2022 में 532 कंपनियों का नाम इस सूची में है. चिप और सेमीकंडक्टर उद्योग से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी चीन की ज़्यादातर प्रमुख कंपनियों को अमेरिका की सूची में शामिल किया गया है. महत्वपूर्ण बात ये है कि BIS ने भी कुछ अहम कंपनियों को इस सूची में जोड़ा है जबकि वो कंपनियां ग़ैर-संवेदनशील सामानों के उत्पादन से जुड़ी हुई हैं. इससे चीन के द्वारा निर्यात नियंत्रण पर चालाकी से पार पाना बेहद मुश्किल हो गया है.
निर्यात नियंत्रण के उपाय दंडात्मक
विस्तारित सूची के अलावा अमेरिका के द्वारा ताज़ा निर्यात नियंत्रण के उपाय दंडात्मक हैं जो कि पहले सिर्फ़ प्रतिबंधात्मक होते थे. अमेरिका के द्वारा ताज़ा निर्यात नियंत्रण से जुड़ी पाबंदियां इस वजह से भी असाधारण हैं क्योंकि इसमें सेमीकंडक्टर, सुपर कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और इससे जुड़े क्षेत्रों में चीन की लगभग सभी कंपनियों को ‘विदेशी प्रत्यक्ष उत्पाद नियम’ के दायरे में लाया गया है. इससे चीन की कंपनियों के द्वारा इन क्षेत्रों में अन्य अग्रणी वैश्विक कंपनियों से तकनीकी आयात करना क़रीब-क़रीब असंभव हो गया है. विदेशी प्रत्यक्ष उत्पाद नियम ये तय करता है कि अमेरिकी सॉफ्टवेयर या तकनीक का इस्तेमाल करके अमेरिका के बाहर उत्पादन निर्यात प्रशासन नियम (EAR) के तहत अमेरिकी पुनर्नियात नियंत्रण क़ानूनों के अधीन ‘विदेशी प्रत्यक्ष उत्पाद’ के रूप में आ सकता है.
विस्तारित सूची के अलावा अमेरिका के द्वारा ताज़ा निर्यात नियंत्रण के उपाय दंडात्मक हैं जो कि पहले सिर्फ़ प्रतिबंधात्मक होते थे.
चीन और अमेरिका के बीच बड़े पैमाने पर इस तकनीकी अलगाव का असर दो मुख्य कारणों से चीन के अलग-अलग क्षेत्रों पर पड़ने की उम्मीद की जा रही है: पहला कारण ये है कि लगभग 400 अरब अमेरिकी डॉलर के साथ चिप्स चीन के द्वारा आयात किया जाने वाला सबसे बड़ा उत्पाद है, ये कच्चे तेल के उत्पाद से भी ज़्यादा है. ऐसे में निर्यात नियंत्रण की पाबंदियां चीन को चिप उद्योग और इसके आयात पर निर्भर तकनीकी क्षेत्र में अंतर को पाटने के लिए अपने देश की तरफ़ देखने को मजबूर कर देगी. लेकिन कम समय में बड़े पैमाने पर घरेलू मांग के अनुपात में इस तरह की क्षमता विकसित करने की कोई भी संभावना दूर-दूर तक दिखती नहीं है. दूसरा कारण ये है कि चीन के द्वारा विशाल मात्रा में सेमीकंडक्टर के आयात के पीछे इससे जुड़े दूसरे क्षेत्रों के साथ परस्पर संबंध है जिसने पिछले दशक में तकनीक के क्षेत्र में चीन की असाधारण प्रगति की पटकथा लिखी है. निर्यात नियंत्रण को लागू करने के नतीजे के तौर पर चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन की रफ़्तार कम होने की आशंका है. ये अनुमान है कि अमेरिका के द्वारा ताज़ा निर्यात नियंत्रण के परिणामस्वरूप जिन अन्य क्षेत्रों पर असर पड़ेगा उनमें दवा उद्योग, साइबर सुरक्षा, मेडिकल इमैजिंग, जलवायु विज्ञान में प्रगति, ऑटोमेटिक गाड़ियां, हाइपरसोनिक हथियार और सप्लाई चेन ऑटोमेशन में रिसर्च और डेवलपमेंट शामिल हैं.
अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा शायद तकनीक-सुरक्षा के क्षेत्र में उपायों और जवाबी उपायों के मामले में चरम पर है. चीन ने बाइडेन प्रशासन के निर्यात नियंत्रण से जुड़े क़दमों के जवाब में अभी तक ख़ामोशी दिखाई है. लेकिन आने वाले तकनीकी संकट से निपटने के लिए चीन के द्वारा सोच-समझकर बनाई गई रणनीति की उम्मीद करनी चाहिए. इस संकट से पार पाने की कोशिश के तहत चीन बाहरी दबाव और घरेलू क्षमता में बढ़ोतरी का मिला-जुला क़दम उठा सकता है. वहीं अमेरिका सेमीकंडक्टर उद्योग में अपने वैश्विक नेतृत्व को बरकरार रखने और चीन के ख़िलाफ़ तकनीक के मामले में अपनी बढ़त को और ज़्यादा करने के लिए अपने दूसरे साझेदारों के साथ मिलकर काम कर सकता है.
दूसरे किरदारों के लिए अमेरिका के निर्यात नियंत्रण उपायों का मतलब क्या है
मौजूदा निर्यात नियंत्रण के उपाय वैश्विक स्तर पर अमेरिका के दूसरे साझेदारों और इंडो-पैसिफिक में किस तरह का असर डालेगा? इस सवाल के बीच अमेरिका के लिए ये महत्वपूर्ण होगा कि वो नीदरलैंड्स और जापान के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर के मामले में एक व्यापक सर्वसम्मति बनाए. ये तीनों देश मिलकर वैश्विक सेमीकंडक्टर उपकरण के उत्पादन में 90 प्रतिशत योगदान देते हैं. ये देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक के अपने दूसरे साझेदारों के साथ अपनी नई पाबंदियों को लेकर ज़रूरी तालमेल बनाने के लिए किस तरह बातचीत करता है. इन साझेदारों में चिप 4 ग्रुप के उसके सबसे क़रीबी सहयोगी जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान शामिल हैं. अमेरिका को पहली ही अपने चिप 4 गठबंधन को संगठित करने में संघर्ष का सामना करना पड़ा है. भविष्य में क्षेत्रीय तकनीकी नीतियों को एक समान करने के लिए अमेरिका को चिप 4 ग्रुप के अपने साझेदारों से आगे इंडो-पैसिफिक में दूसरे साझेदारों के साथ काम करना पड़ सकता है.
बाइडेन प्रशासन में कई लोग चीन को लेकर अमेरिका की नीति के मामले में बंट गए हैं. एक तरफ़ वो लोग हैं जो चाहते हैं कि चीन को अलग-थलग नहीं किया जाए और दूसरी तरफ़ वो लोग हैं जो चीन के साथ अलगाव की गति को तेज़ करना चाहते हैं. चिप्स एक्ट के लागू होने के बाद साफ़ तौर पर लगता है कि बाइडेन प्रशासन का झुकाव ऐसे लोगों के साथ है जो चाहते हैं कि चीन के साथ अलगाव की गति को तेज़ किया जाए.
बाइडेन प्रशासन में कई लोग चीन को लेकर अमेरिका की नीति के मामले में बंट गए हैं. एक तरफ़ वो लोग हैं जो चाहते हैं कि चीन को अलग-थलग नहीं किया जाए और दूसरी तरफ़ वो लोग हैं जो चीन के साथ अलगाव की गति को तेज़ करना चाहते हैं. चिप्स एक्ट के लागू होने के बाद साफ़ तौर पर लगता है कि बाइडेन प्रशासन का झुकाव ऐसे लोगों के साथ है जो चाहते हैं कि चीन के साथ अलगाव की गति को तेज़ किया जाए. राजनीतिक तौर पर देखें तो अमेरिका में कुछ समय बाद होने वाले मध्यावधि चुनाव ने भी चीन के ख़िलाफ़ इस क़दम में एक अहम भूमिका निभाई है. राष्ट्रपति बाइडेन ने भी अमेरिका में, संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह, चीन के ख़िलाफ़ व्यापक राजनीतिक सर्वसम्मति को बढ़ावा दिया है.
आख़िर में, अमेरिका के द्वारा चीन के ख़िलाफ़ सबसे कठिन नियंत्रण के उपाय को लागू करने का अपना जोखिम है. इन जोखिमों में एक ये भी है कि इससे चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग की रफ़्तार अभूतपूर्व ढंग से बढ़ सकती है. हाल ही में संपन्न चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी के 20वें राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद और लगभग नहीं के बराबर विदेशी विकल्प के साथ शी जिनपिंग एक मज़बूत घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग बनाने की ज़रूरत को चीन के ‘असाधारण कायाकल्प’ के साथ जोड़ने के लिए राष्ट्रीय आह्वान कर सकते हैं. चीन का उभरता संवाद पहले से ही “के जिआवो शिंग क़ो” (“देश को विज्ञान और शिक्षा के ज़रिए मज़बूत करने”) की कहावत पर ज़ोर दे रहा है यानी तकनीक, विज्ञान और शिक्षा पर आधारित देश के दर्जे को महत्व दिया जा रहा है. बाहर से तकनीक के आयात को लेकर चीन का कम होता विकल्प उसके लिए एक तकनीकी-राष्ट्रवाद का आह्वान करने में निर्णायक समय साबित हो सकता है.
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