वैसे तो अमेरिका पारंपरिक रूप से तकनीक के क्षेत्र में अपने वैश्विक दबदबे के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन चीन इस दिशा में एक मज़बूत प्रतिस्पर्धी के रूप में उभरा है. चीन अपने विशाल घरेलू बाज़ार और फलते-फूलते तकनीकी क्षेत्र के दम पर अमेरिकी तकनीकी कौशल के लिए भारी-भरकम चुनौती पेश कर रहा है. फ़िलहाल दोनों देशों के बीच तकनीकी संघर्ष चल रहा है. इसके दायरे में बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार रणनीतियां और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों सहित विभिन्न मसले शामिल हैं. अमेरिका ने मानवाधिकारों के उल्लंघन, जासूसी और यूक्रेन में रूसी कार्रवाइयों के समर्थन समेत तमाम कारणों के चलते चीन पर प्रतिबंध आयद कर दिए हैं. इन प्रतिबंधों का मुख्य उद्देश्य चीन की तकनीकी क्षमताओं को सीमित करना है. इसके लिए तकनीक से जुड़े अहम आपूर्तिकर्ताओं तक चीन की पहुंच पर पाबंदियां लगा दी गई हैं. इसके बावजूद चीन उभरती तकनीकों के विकास और उस दिशा में प्रयोग करने से जुड़ी अपनी क़वायदों में अटल है, और नवाचार की दुनिया में सबसे आगे अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए ज़बरदस्त प्रतिबद्धता दिखा रहा है.
मेटावर्स की दुनिया में चीन की तेज़ रफ़्तार
चीन में मेटावर्स की परिकल्पना, तेज़ रफ़्तार हासिल कर रही है. नानजिंग, शंघाई और झेंग्झाउ जैसे शहर वर्चुअल दुनिया में अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय क़दम उठा रहे हैं. नानजिंग ने चाइना मेटावर्स टेक्नोलॉजी और ऐप्लिकेशन इनोवेशन प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है, जिसका मक़सद मेटावर्स से जुड़े अनुसंधान में मज़बूती लाने के लिए शैक्षणिक और उद्यम संसाधनों का भरपूर लाभ उठाना है. शंघाई भी अपने मेटावर्स लक्ष्यों को आगे बढ़ा रहा है, यहां 2025 तक मेटावर्स उद्योग की कमाई 350 अरब युआन तक पहुंच जाने का अनुमान है. शंघाई शहर ने मेटावर्स उपयोग के मामलों की एक श्रृंखला का ख़ुलासा किया है. इसमें सेहत की देखभाल और उपचार से जुड़े वर्चुअल तौर-तरीक़े और वास्तुशिल्प से जुड़े ऐतिहासिक स्थानों के डिजिटल प्रतिरूप (replicas) शामिल हैं.
चीन अपने विशाल घरेलू बाज़ार और फलते-फूलते तकनीकी क्षेत्र के दम पर अमेरिकी तकनीकी कौशल के लिए भारी-भरकम चुनौती पेश कर रहा है. फ़िलहाल दोनों देशों के बीच तकनीकी संघर्ष चल रहा है.
मेटावर्स के संसार में रफ़्तार बनाए रखने के लिए झेंग्झाउ ने नीतिगत ब्लूप्रिंट्स की एक पूरी श्रृंखला सामने रखी है. मेटावर्स उद्यमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ये क़वायद की गई है. मेटावर्स उद्योग को समर्पित 10 अरब युआन के विशाल फंड के साथ झेंग्झाउ शहर विकास को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ये शहर कंपनियों के लिए आकर्षक प्रोत्साहनों की पेशकश कर रहा है. मिसाल के तौर पर, झेंग्झाउ में अपना मुख्यालय स्थानांतरित करने वाली कंपनियां को पर्याप्त पूंजी निवेश और विकास के लिए अनुकूल वातावरण मिलने वाला है. ये प्रयास मेटावर्स टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाता है, और उन्हें शिक्षा और मनोरंजन जगत के साथ जोड़ता है.
चीन की प्रतिबद्धतापूर्ण फंडिंग और तमाम प्रोत्साहनकारी उपाय, मेटावर्स क्रांति का नेतृत्व करने के उसके दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं. इनसे राष्ट्रीय स्तर पर वर्चुअल रियलिटी और व्यापक डिजिटल परिदृश्य के क्षेत्र में भारी प्रगति का रास्ता साफ़ होता है.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDCs) की अगुवाई करता चीन
डिजिटल युआन के साथ चीन, वैश्विक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के विकास की अगुवाई कर रहा है. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) इसका प्रबंधन करती है. डिजिटल युआन, वैध मुद्रा के तौर पर काम करता है जो भौतिक करेंसी RMB के बराबर है. क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, CBDCs सरकारी नियंत्रण के दायरे में आते हैं, जिससे चीन को एक केंद्रीकृत और विनियमित ढांचा हासिल होता है. डिजिटल युआन के शुरुआती चरण मुख्य रूप से प्रमुख तटीय शहरों में केंद्रित रहे हैं, जो धीरे-धीरे व्यापक राष्ट्रव्यापी लॉन्च की ओर बढ़ रहे हैं.
शंघाई शहर ने मेटावर्स उपयोग के मामलों की एक श्रृंखला का ख़ुलासा किया है. इसमें सेहत की देखभाल और उपचार से जुड़े वर्चुअल तौर-तरीक़े और वास्तुशिल्प से जुड़े ऐतिहासिक स्थानों के डिजिटल प्रतिरूप शामिल हैं.
तेज़, किफ़ायती और संभावित रूप से अधिक सुरक्षित लेनदेन इसकी ख़ासियत है, जिसके बूते डिजिटल युआन भुगतान की परंपरागत व्यवस्थाओं के मुक़ाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. बैंक जैसे बिचौलिया संस्थानों को दरकिनार करके लेनदेन को सुचारू करने से प्रोसेसिंग में तेज़ी आती है और ख़र्च कम हो जाता है. CBDCs वित्तीय गड़बड़ियों के ख़िलाफ़ अतिरिक्त सुरक्षा उपलब्ध करा सकते हैं. हालांकि निजता, गुमनामी और निगरानी से जुड़े सवाल चिंता का सबब बने हुए हैं.
चीन का व्यापक डिजिटल युआन पायलट कार्यक्रम तमाम प्रांतों और शहरों में फैला हुआ है. इससे CBDC तकनीक को और सुधारने और इस दिशा में आगे क़वायद करने की चीन की प्रतिबद्धता उभर कर सामने आती है. शहरी केंद्रों में इसका तेज़ी से विस्तार हो रहा है. आगामी 2023 एशियन गेम्स जैसे कार्यक्रमों में भी इसे आगे बढ़ाया जाना है. इस खेल के दौरान परिवहन से जुड़े भुगतानों में डिजिटल युआन का उपयोग किया जाएगा. इस तरह चीन मुख्यधारा की भुगतान प्रणालियों में CBDCs को सहज रूप से एकीकृत करने की अपनी महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन कर रहा है. इससे विश्व में डिजिटल मुद्राओं के विकास की गति तय करने वाले देश के रूप में उसकी भूमिका पुष्ट होती है.
सितंबर 2022 में हांगकांग डिजिटल युआन पायलट क्षेत्र बन गया, जिसमें सीमा पार भुगतान के प्रयोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया. हालांकि, चीन के अन्य हिस्सों की तुलना में यहां इसकी स्वीकार्यता और सफलता का स्तर काफ़ी नीचे है. फिर भी, ये क़वायद वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में RMB की स्थिति को मज़बूत करने के चीन के व्यापक उद्देश्यों से मेल खाती है. ग़ौरतलब है कि RMB विदेशी मुद्रा भंडारों में पांचवीं सबसे बड़ी परिसंपत्ति के तौर पर ऊपर चढ़ता जा रहा है. ऐसे में चीन की गतिविधियां डॉलर पर निर्भरता से दूर जाने और नए वित्तीय रास्ते पेश करने की क़वायदों के संकेत देती है.
अंतरराष्ट्रीयकरण को लेकर डिजिटल युआन की क्षमता को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसी पहलों के ज़रिए और ताक़त मिली है. डिजिटल सिल्क रोड, डिजिटल युआन को अपनाए जाने की प्रवृत्ति का विस्तार कर सकता है, जिससे डॉलर पर निर्भर वित्तीय संरचनाओं के विकल्प तलाश रहे देशों को मदद मिलेगी. चीन, डिजिटल युआन को स्वैच्छिक रूप से अपनाए जाने की क़वायदों को प्रोत्साहित करके वैश्विक वित्तीय गतिशीलता को नए सिरे से परिभाषित करने की सोच के साथ आगे बढ़ रहा है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में चीन की बढ़त
विश्व में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दौड़ में चीन अनेक पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए हुए है. AI, डेटा पर ज़बरदस्त रूप से निर्भर है, और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का ‘चीनी ख़ासियतों वाला समाजवादी’ मॉडल, विशाल डेटासेट हथियाने में ज़बरदस्त महारत रखता है. इस तरह चीनी सरकार से संबद्ध कंपनियों को एक बढ़त मिल जाती है. ऐसी तमाम कंपनियां अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा जुटाए गए डेटा का लाभ उठाने में सक्षम हो जाती हैं.
चीन का व्यापक डिजिटल युआन पायलट कार्यक्रम तमाम प्रांतों और शहरों में फैला हुआ है. इससे CBDC तकनीक को और सुधारने और इस दिशा में आगे क़वायद करने की चीन की प्रतिबद्धता उभर कर सामने आती है.
हार्डवेयर या रक्षा विनिर्माण के विपरीत, AI आम तौर पर एक ओपन साइंस मॉडल के तहत काम करता है. ये जानकारियों के हस्तांतरण के लिए अनुसंधान के ज़रिए एल्गोरिदम साझा करता है. ये ढांचा नए-नवेले खिलाड़ियों को स्थापित संस्थाओं के साथ अंतर को कम करने में मदद करता है. इस तरह उनकी प्रगति में रफ़्तार आ जाती है. पेटेंट को प्राथमिकता देने वाले पारंपरिक क्षेत्रों के उलट, AI का नवाचार, डेटा और प्रतिभा पर निर्भर करता है. इससे एक अनोखी प्रतिस्पर्धी बढ़त तैयार हो जाती है.
चीन की रणनीतिक बढ़त उसके डेटा भंडार के साथ-साथ कंप्यूटर वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बेहद कुशल समूह में छिपी है. बाज़ार से जुड़े समीकरण और गतिशीलता भी विविधतापूर्ण AI ऐप्लिकेशंस को संचालित करते हैं और नवाचार को बढ़ावा देते हैं. अनुकूल नीतियों और लचीलेपन के साथ चीन का AI क्षेत्र अग्रणी उद्यमों को बढ़ावा देते हुए शानदार वृद्धि का प्रदर्शन कर रहा है.
तकनीक के क्षेत्र में वर्चस्व की तलाश
अमेरिका और चीन के बीच तकनीक के क्षेत्र में जारी मौजूदा जंग में कई तरह के आयाम जुड़े हैं. बढ़ते तनाव और विवाद के केंद्र में है सेमीकंडक्टर्स. ट्रंप प्रशासन के तहत शुरू हुआ व्यापार युद्ध, राष्ट्रपति बाइडेन के शासन में और तेज़ हो गया है, क्योंकि अमेरिका उच्च तकनीक वाले उद्योगों में चीन की प्रगति पर नकेल डालना चाहता है.
अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा के वैश्विक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, जो बाज़ारों, आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार गतिशीलता को प्रभावित कर रहे हैं. अब यूरोप भी इस क्षेत्र में मैदान में उतर आया है. उसने राष्ट्रीय सुरक्षा और बचाव के लिए चीनी संस्थाओं पर कई तरह की पाबंदियां आयद कर दी हैं.
अमेरिकी उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो ने लगभग 600 चीनी इकाइयों की पहचान करते हुए उन्हें निगरानी सूची (यानी Entity list) में डाल दिया है. इनमें दूरसंचार और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की दिग्गज चीनी कंपनी हुआवे भी शामिल है. इसके अलावा इस सूची में सैन्य टेक्नोलॉजी, 5G, AI और उन्नत तकनीकों से जुड़ी कंपनियां और अनुसंधान संस्थान शामिल हैं.
चीनी कंपनियों के ख़िलाफ़ अमेरिकी कार्रवाई पर चीन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में दो अमेरिकी कंपनियों (लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशन और रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस) को अविश्वसनीय संस्थाओं से जुड़ी अपनी सूची में जोड़ दिया है. चीन के इस क़दम के बाद लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस को ताइवान को हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. प्रतिबंधों से जुड़ी ये क़वायद इन कंपनियों द्वारा चीन से संबंधित आयात या निर्यात गतिविधियों पर भी लागू होगी. साथ ही ये कंपनियां चीन में नए निवेश भी नहीं कर सकेंगी.
तकनीक के क्षेत्र में चीन की तरक़्क़ी में बाधा डालने के अमेरिकी प्रयासों के बावजूद चीन, रोबोटिक्स, AI और क्वॉन्टम टेक्नोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक प्रभावशाली ताक़त के तौर पर उभरा है. जहां अमेरिका सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, वहीं चीन तमाम प्रमुख क्षेत्रों में अगुवाई कर रहा है. इस तरह वो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित होता जा रहा है. अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा के वैश्विक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, जो बाज़ारों, आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार गतिशीलता को प्रभावित कर रहे हैं. अब यूरोप भी इस क्षेत्र में मैदान में उतर आया है. उसने राष्ट्रीय सुरक्षा और बचाव के लिए चीनी संस्थाओं पर कई तरह की पाबंदियां आयद कर दी हैं.
तकनीकी वर्चस्व के लिए संघर्ष, जटिल और बहुआयामी है. इसमें हरेक राष्ट्र स्थायी बढ़त हासिल करने की होड़ में लगा है. हालांकि इन सबके बावजूद अमेरिका और यूरोप ने वर्चुअल रियलिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल मुद्राओं की तैयारी में चीन की तरह वक़्त और रणनीतिक दूरदर्शिता का उपयोग नहीं किया है. प्रतिभा और डेटा, दोनों की प्रचुरता को देखते हुए टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ऐसी तरक़्क़ी चीन की बेरोकटोक प्रगति को निरंतर जारी रखने वाली है.
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