वैसे तो बांग्लादेश अपने लिए अनुकूल शर्तें हासिल करने में कामयाब रहा लेकिन क्या वो BRI के ज़रिए चीन को सामरिक घुसपैठ की अनुमति दिए बिना आर्थिक सहायता का फायदा उठाने में कामयाब होगा?
भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों में पिछले दशक के दौरान मज़बूती आई है. 2022 में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने से लेकर मुक्त व्यापार समझौते (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) को लेकर बातचीत आगे बढ़ने तक, लगातार मज़बूत होती आर्थिक भागीदारी इस द्विपक्षीय रिश्ते को आगे ले जाती है. पॉज़िटिव आर्थिक विकास, हिंद महासागर क्षेत्र में उनकी अहम भू-सामरिक लोकेशन और साझा सांस्कृतिक परंपराओं ने द्विपक्षीय साझेदारों को करीब लाने का काम किया है.
लेकिन भारत इकलौता देश नहीं है जिसने बांग्लादेश के साथ अपनी साझेदारी को मज़बूत किया है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान चीन ने भी बांग्लादेश के साथ अपनी भागीदारी बढ़ाई है और अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ज़रिए वो निवेश बढ़ा रहा है. आज बांग्लादेश ऐसे क्षेत्र के रूप में उभरा है जहां चीन और भारत अपना प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़ाने के लिए कदम उठा रहे हैं. ये लेख 2016 से 2022 के बीच बांग्लादेश में चीन के निवेश, ख़ास तौर पर BRI के तहत, की पड़ताल करता है और चीन-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों के लिए भू-सामरिक और भू-आर्थिक परिणामों की रूपरेखा पेश करता है.
BRI और विज़न 2041
2016 में चीन ने बांग्लादेश के साथ 26 समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए और औपचारिक रूप से बांग्लादेश को अपने प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यक्रम BRI का एक हिस्सा बनाया. इसके बाद चीन के विदेश मामलों के उप मंत्री सुन वीडोंग के साथ बैठक के दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने कहा कि ‘चीन के साथ विकास को लेकर साझेदारी बांग्लादेश के द्वारा ‘विज़न 2041’ हासिल करने की क्षमता को बढ़ाएगी’. विज़न 2041 ग़रीबी उन्मूलन, लगातार आर्थिक विकास और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के ज़रिए बांग्लादेश को एक विकसित देश में बदलने की 20 वर्षीय योजना है. विकास को लेकर योजना के तहत बांग्लादेश को अपने कायापलट के लिए खर्च करने के उद्देश्य से हर साल 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर की ज़रूरत होगी, ये एक उभरती अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी रकम है. वैसे तो पिछले दशक में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ोतरी हुई है लेकिन खराब क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और ऊर्जा की कमी ने उसकी अर्थव्यवस्था को अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने से रोका है.
ये लेख 2016 से 2022 के बीच बांग्लादेश में चीन के निवेश, ख़ास तौर पर BRI के तहत, की पड़ताल करता है और चीन-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों के लिए भू-सामरिक और भू-आर्थिक परिणामों की रूपरेखा पेश करता है.
पश्चिमी देशों के बहुपक्षीय (मल्टीलेटरल) कर्ज देने वालों और लोकतंत्रों जैसे कि अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK), जो इंफ्रास्ट्रक्चर में इस तरह की कमी के लिए फंड मुहैया कराते हैं, ने कमज़ोर संस्थानों, अधिक भ्रष्टाचार और कथित मानवाधिकार उल्लंघनों एवं 2014 और 2018 के चुनावों में शेख़ हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को खोखला करने से जुड़ी चिंताओं की वजह से सहायता और कर्ज़ को अक्सर रोक दिया. यहीं पर चीन आगे आया और 2016 में उसने बांग्लादेश को अरबों डॉलर की सहायता और कर्ज मुहैया कराया. आज बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के सभी बड़े सेक्टर में चीन की 240 कंपनियों का दबदबा है. रेल की पटरी, ऊर्जा उत्पादन और बिजली ट्रांसमिशन से लेकर परिवहन के बुनियादी ढांचे, डिजिटाइज़ेशन, ई-गवर्नेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और 2041 तक बांग्लादेश के द्वारा उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को पूरा करने में चीन इन महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में विकास के लिए अभिन्न हिस्सा बन गया है.
बांग्लादेश में चीन की बड़ी परियोजनाएं
2016-22 के बीच चीन की सरकारी और प्राइवेट कंपनियों ने बांग्लादेश में लगभग 26 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया. 2022 में चीन बांग्लादेश में FDI मुहैया कराने वाले सबसे बड़े देश के तौर पर उभरा. उस साल चीन ने लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया जो कि 2021 के 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से 30 प्रतिशत ज़्यादा था. इन दोनों वर्षों में बांग्लादेश निवेश विकास प्राधिकरण (BIDA) के द्वारा रजिस्टर किए गए FDI में चीन का हिस्सा 65 प्रतिशत से ज़्यादा रहा.
तालिका 1: बांग्लादेश में चीन के समर्थन से बड़ी परियोजनाएं
स्रोत: बांग्लादेश और चीन की सरकार के आंकड़े से लेखक के द्वारा इकट्ठा
ऊर्जा, कनेक्टिविटी, डिजिटाइज़ेशन, रिन्यूएबल एनर्जी और मानव संसाधन विकास की परियोजनाओं में चीन ने निवेश किया है. इनमें से चीन ने विशेष तौर पर ऊर्जा और परिवहन के बुनियादी ढांचों पर ध्यान केंद्रित किया है.
2022 में चीन बांग्लादेश में FDI मुहैया कराने वाले सबसे बड़े देश के तौर पर उभरा. उस साल चीन ने लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया जो कि 2021 के 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से 30 प्रतिशत ज़्यादा था.
उदाहरण के लिए, चीन ने करनाफुली सुरंग का निर्माण किया है जो कि दक्षिण एशिया में नदी के नीचे पहली रोड टनल है. ये सुरंग ढाका-चटगांव-कॉक्स बाज़ार में रहने वाले 3 करोड़ 40 लाख लोगों के लिए ट्रैफिक को सुव्यवस्थित बनाती है. इसके अलावा, चीन ने महत्वपूर्ण परियोजनाओं जैसे कि ढाका में दशेरकंडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और ‘इन्फो-सरकार’ ICT प्रोजेक्ट– जो 2,500 सरकारी दफ्तरों को जोड़ता है- को पूरा किया है.
इन परियोजनाओं के अलावा केवल 2023 में चीन ने बांग्लादेश में लगभग 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है. इनमें सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड के नेतृत्व में ढाका में 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्लाज़्मा सेंटर, लग्ज़री गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए SSH और काइशी नाम की दो अपैरल कंपनियों का निवेश और शिनयी ग्लास के द्वारा 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से बांग्लादेश में सबसे बड़ी ग्लास फैक्ट्री का प्रस्तावित निर्माण शामिल है.
फिर भी चीन के निवेश ने बांग्लादेश में चिंताएं भी खड़ी की हैं, यहां तक कि सरकार के भीतर भी चिंता है. अगस्त 2022 में वित्त मंत्री मुस्तफा कमाल ने कहा कि विकासशील देशों को कर्ज़ के जाल में फंसने से बचने के लिए BRI के तहत चीन के निवेश को लेकर सावधान रहना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि चीन ने विकासशील देशों में कर्ज का जो संकट पैदा किया है, उसके लिए उसे आगे बढ़कर ज़िम्मेदारी लेने की ज़रूरत है.
बांग्लादेश में चीन की बढ़ती मौजूदगी- लेन-देन की साझेदारी
कर्ज़ के जाल को लेकर चिंताओं के बावजूद बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था से चीन का जुड़ना जारी है. चीन ने 550 किलोमीटर में फैले 21 पुल और 11 हाइवे, 600 किलोमीटर में फैली सात रेलवे लाइन और देश में 50 प्रतिशत से ज़्यादा सप्लाई की जाने वाली बिजली के लिए 27 ऊर्जा एवं पावर जेनरेशन प्रोजेक्ट का निर्माण किया है. इसके अलावा बांग्लादेश में आने वाले समय में बनने वाली 90 प्रतिशत ऊर्जा परियोजनाओं की फंडिंग चीन के द्वारा की जा रही है. भौतिक निवेश के अलावा चीन के शंघाई और शेंझेन स्टॉक एक्सचेंज ने बांग्लादेश के सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार ढाका स्टॉक एक्सचेंज में 25 प्रतिशत हिस्सा भी खरीदा है. चीन की सरकारी कंपनियों ने बांग्लादेश में तीन गैस फील्ड भी ख़रीदे है. ये गैस फील्ड बांग्लादेश में स्थानीय खपत के लिए आधे से ज़्यादा गैस का उत्पादन करते हैं. एक छोटे से समय में चीन ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को भारी निवेश से भर दिया है.
आज इस दक्षिण एशियाई देश में रक्षा, परिवहन, ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सेक्टर आर्थिक विकास के लिए चीन के प्रोत्साहन पर निर्भर हैं.
आर्थिक सहायता के अलावा चीन ने बांग्लादेश को पश्चिमी देशों के दबाव से बाहर निकालने में भी मदद की है. चीन ने उस समय पद्मा नदी पर पदमा मल्टीपर्पस (बहुउद्देश्यीय) ब्रिज के लिए फंडिंग की जब 2013 में विश्व बैंक इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर चिंता का ज़िक्र करते हुए बाहर हो गया था. 10 साल बाद भारत की तरफ से आपत्ति के बावजूद बांग्लादेश सरकार ने चीन को इस बात की अनुमति दे दी कि वो पदमा ब्रिज और बाकी 11 पुलों एवं 11 हाइवे को दक्षिण एशिया में BRI के एक्सटेंशन के तौर पर कह सके. 2017 में चीन की सरकारी कंपनियों ने गैस फील्ड भी खरीदे जब शेवरॉन कॉर्पोरेशन अमेरिका के दबाव में बांग्लादेश से बाहर हो गया. राजनीतिक दबावों और पश्चिमी देशों के अलगाव, जैसे कि डेमोक्रेसी समिट 2021 से बांग्लादेश को बाहर रखना, ने बांग्लादेश को चीन की तरफ और भी ज़्यादा धकेल दिया है.
इसके बदले में चीन को बहुत फायदा होता है क्योंकि वो हस्तियों पर बहुत अधिक केंद्रित बांग्लादेश की राजनीति को मज़बूत करता है. ख़बरों के मुताबिक, बांग्लादेश में चीन के 33 प्रतिशत प्रोजेक्ट व्यावसायिक रूप से फायदेमंद नहीं हैं लेकिन फिर भी उन्हें इजाज़त दे दी गई क्योंकि बांग्लादेश की राजनीति के भीतर असरदार हस्तियों को उनसे लाभ होना है. बांग्लादेश की मीडिया रिपोर्ट में अटकलें लगाई गई हैं कि पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार के कम-से-कम दो पूर्व मंत्रियों ने बुनियादी ढांचे की चार से ज़्यादा महत्वपूर्ण परियोजनाओं का ठेका चीन की कंपनियों को दिलाने के लिए पैरवी की थी. इस तरह की घटनाएं ऐसी साझेदारी का संकेत देती हैं जो बांग्लादेश के द्वारा फैलाई गई ‘विकास’ की बात से आगे जाती है. बल्कि ऐसी घटनाएं बांग्लादेश की बेहद ताकतवर राजनीति की चीन पर बढ़ती निर्भरता को दिखाती हैं जो चीन के लिए सामरिक सेंध में बदल जाती हैं.
निष्कर्ष
बांग्लादेश जैसे एक गतिशील लेकिन कम आमदनी वाले देश के लिए समझदारी होगी कि वो अंतर्राष्ट्रीय ऋण और FDI के मामले में अलग-अलग देशों को चुने. फिर भी बांग्लादेश चीन की सहायता और निवेश पर काफी निर्भर हो गया है और इस तरह उसने चीन के लिए सामरिक फायदे की स्थिति बना दी है. आज इस दक्षिण एशियाई देश में रक्षा, परिवहन, ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सेक्टर आर्थिक विकास के लिए चीन के प्रोत्साहन (स्टिमुलस) पर निर्भर हैं. जैसे-जैसे चीन बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक सत्ता को मज़बूत कर रहा है, वैसे-वैसे उसे बदले में BRI को आगे बढ़ाने के लिए बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में आगे जा रहे अलग-अलग सेक्टर की पहुंच हासिल हो रही है. अभी तक बांग्लादेश अपनी शर्तों के मुताबिक चीन से समझौता करने में कामयाब रहा है. देखने वाली बात ये है कि बांग्लादेश चीन की आर्थिक सहायता का फायदा उठाने और BRI के ज़रिए देश में चीन की सामरिक घुसपैठ को इजाज़त देने के बीच संतुलन स्थापित करने में सफल रहता है या नहीं.
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Prithvi works as a Junior Fellow in the Strategic Studies Programme. His research primarily focuses on analysing the geoeconomic and strategic trends in international relations. ...