चीन: शी ने फिर छेड़ी वित्तीय जगत के महारथियों पर नकेल कसने की मुहिम
एक ओर चीन में ‘बाघ के साल’ का जश्न मनाया जा रहा है तो दूसरी ओर ऐसा लग रहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने चीन में वित्तीय जगत के ‘बाघों’ के शिकार का अभियान दोबारा शुरू कर दिया है. सीसीपी में बोलचाल की ज़ुबान में वरिष्ठ सदस्यों को बाघ के नाम से पुकारा जाता है. ऐसे में लगता है कि कारोबारी समूहों और आर्थिक अफ़सरशाही के बीच की साठगांठ को तोड़ने की सीसीपी की मुहिम से कुनबे में हड़कंप मच गया है. चीन में लूनर नववर्ष के जश्न के बीच हांगझाऊ में पार्टी के पूर्व सचिव झोउ जियांगयोंग को सीसीपी से निष्कासित कर दिया गया. पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था द सेंट्रल कमीशन फ़ॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन (CCDI) ने झाऊ पर “पूंजीपतियों से मिलीभगत करने” और “पूंजी के बेतरतीब विस्तार” का समर्थन करने का इल्ज़ाम लगाया है.
सीसीपी के कर्ताधर्ताओं द्वारा देश के वित्तीय क्षेत्र का एजेंडा तय करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसके बाद चीन की बिग टेक कंपनियों ख़ासतौर से अलीबाबा के ख़िलाफ़ ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हो गई थी.
पहली बार सीसीपी के एक शीर्ष अधिकारी से जुड़े भ्रष्टाचार के किसी मामले में ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है. दिसंबर 2020 में सेंट्रल इकॉनोमिक वर्क कॉन्फ़्रेंस ने पूंजी के बेतरतीब विस्तार के मुद्दे से निपटने का प्रण लिया था. सीसीपी के कर्ताधर्ताओं द्वारा देश के वित्तीय क्षेत्र का एजेंडा तय करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसके बाद चीन की बिग टेक कंपनियों ख़ासतौर से अलीबाबा के ख़िलाफ़ ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हो गई थी. इससे पहले अलीबाबा को 35 अरब अमेरिकी डॉलर का आईपीओ लाने की योजना आख़िरी वक़्त पर सीसीपी के दबाव में रद्द करनी पड़ी थी. अलीबाबा का मुख्यालय हांगझाऊ में है. लिहाज़ा हांगझाऊ में सीसीपी के वरिष्ठ नेता रहे झोऊ पर गाज गिरना महज़ इत्तेफ़ाक़ की बात नहीं है. सरकार नियंत्रित मीडिया ने झोऊ के रिश्तेदार का ज़मीन के जाली सौदों में हाथ बताया है.
झोऊ के निष्कासन से कुछ अर्सा पहले ही CCDI ने चाइना लाइफ़ इंश्योरेंस (दुनिया की विशालतम बीमा कंपनियों में से एक) के मुखिया वांग बिन के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामले की जांच शुरू की थी. पिछले कुछ समय से चाइना डेवलपमेंट बैंक में भी घपलों से जुड़े मुकदमों और तफ़्तीशों की बाढ़ सी आ गई है. राज्य परिषद (चीन की कैबिनेट) इस बैंक की निगरानी करती है और सीसीपी की उच्च प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को यही रकम मुहैया कराता है. चाइना डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रमुख हु हुआईबांग को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है. उन्हें बड़ी कंपनियों को कर्ज़ की मदद के बदले तक़रीबन 8.5 करोड़ युआन (1.32 करोड़ अमेरिकी डॉलर) लेने का दोषी पाया गया है. पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था ने 2021 में चाइना डेवलपमेंट बैंक के एक और अधिकारी झांग माओलॉन्ग के ख़िलाफ़ जांच बिठा दी. झांग बरसों पहले रिटायर हो चुके हैं.
जनवरी 2022 में CCDI के पूर्ण अधिवेशन में सीसीपी के महासचिव शी जिनपिंग भी शामिल हुए. इसमें पारित प्रस्तावों से साफ़ है कि पूंजी के बेतरतीब विस्तार पर नकेल कसने की क़वायद अगले चरण में प्रवेश कर चुकी है. अब पार्टी में उच्च पदों पर बैठे नेताओं पर जाल डालने की तैयारी है.
कारोबार और पार्टी के बीच सांठ-गांठ
जनवरी 2022 में CCDI के पूर्ण अधिवेशन में सीसीपी के महासचिव शी जिनपिंग भी शामिल हुए. इसमें पारित प्रस्तावों से साफ़ है कि पूंजी के बेतरतीब विस्तार पर नकेल कसने की क़वायद अगले चरण में प्रवेश कर चुकी है. अब पार्टी में उच्च पदों पर बैठे नेताओं पर जाल डालने की तैयारी है. एक लंबे अर्से से सीसीपी के रिटायर हो चुके सदस्यों को बाक़ी की ज़िंदगी आराम से बिताने देने का अलिखित नियम चला आ रहा था. बहरहाल, अब पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी ने इस नियम को पलट दिया है. अब रिटायर्ड अधिकारियों पर भी जांच का फंदा कसने लगा है. कारोबारियों से रिश्तों को लेकर स्थानीय कार्यकर्ता और उनके रिश्तेदार 2021 में पार्टी के निशाने पर रहे हैं.
जनवरी में हुए सम्मेलन में राष्ट्रपति शी ने भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी को सीसीपी के अधिकारियों और बड़े कॉरपोरेशनों (ख़ासतौर से वित्तीय क्षेत्र में) के हितों के बीच की मिलीभगत को तोड़ने का नए सिरे से फ़रमान सुनाया. कारोबार और पार्टी के बीच साठगांठ से अर्थव्यवस्था के लिए कई तरह के व्यवस्थागत ख़तरे भी पैदा हो गए हैं. बड़े-बड़े लोगों से संपर्क रखने वाले कारोबारी समय-समय पर भारी-भरकम रकम हासिल करने में कामयाब होते रहे हैं. इस सिलसिले में एवरग्रैंड केस की मिसाल दी जा सकती है. चीन की सबसे बड़ी रिएलिटी डेवलपर कंपनियों में से एक एवरग्रैंड में सीसीपी के शीर्ष नेताओं का कारोबारी हिस्सा रहा है. बदले में सीसीपी ने एवरग्रैंड के संस्थापक शू जियाइन को ‘बेहतरीन निजी उद्यमी’ के ख़िताब से नवाज़ा था. साथ ही ये भी सुनिश्चित किया गया कि कंपनी को बेरोकटोक रकम हासिल होती रहे. नतीजतन रिएलिटी क्षेत्र की ये कंपनी 300 अरब अमेरिकी डॉलर की देनदारियों वाली कर्ज़ में डूबी सबसे बड़ी इकाई बन गई.
चीन के भीतर अलीबाबा के जैक मा ने शंघाई में बुंड सम्मेलन में खुले तौर पर सीसीपी के शासन-प्रशासन की आलोचना की थी. सम्मेलन में देश के हुक्मरान और बैंकिंग जगत के बड़े-बड़े सूरमा इकट्ठे हुए थे. शिक्षा जगत से जुड़े लोग भी खुले तौर पर ऐसी ही आशंका जताते आ रहे हैं.
बैंकिंग क्षेत्र की चीन के आर्थिक विकास में बेहद अहम भूमिका है. चीन में 60 प्रतिशत से भी ज़्यादा फ़ाइनेंस बैंक मुहैया कराते हैं जबकि केवल 20 फ़ीसदी रकम ही शेयर और बॉन्ड जारी करके जुटाए जाते हैं.
Source: Arthur R. Kroeber, China’s Economy: What Everyone Needs to Know (Oxford University Press, 2016), pp. 128.]
लिहाज़ा कारोबारी हितों के लिए वित्तीय क्षेत्र में पार्टी से जुड़े लोगों की अहमियत बढ़ जाती है. वैकल्पिक तौर पर सीसीपी के भीतर शी का विरोधी खेमा शी को चुनौती देने के लिए वित्तीय जगत के इन सूरमाओं का इस्तेमाल कर सकता है. शी से दो-दो हाथ करने के लिए इनसे ज़रूरी पूंजी जुटाई जा सकती है. CCDI को अब टेक प्लैटफ़ॉर्मों और सीसीपी के प्रभावशाली तत्वों के बीच मिलीभगत की पड़ताल की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसी साठगांठ से एकाधिकार का निर्माण हो गया है. सीसीपी अब तक भ्रष्टाचार को केवल सामाजिक बुराई और टेक प्लैटफ़ॉर्मों को महज़ दौलत पैदा करने वाली इकाई के तौर पर देखती आ रही थी. ऐसा लगता है कि सीसीपी ने अब अपना नज़रिया बदल लिया है.
बैंकिंग सेक्टर में वित्तीय जोख़िम
जनवरी 2022 में सीसीपी की पत्रिका ‘Qiushi’ में लिखे लेख में शी ने इस नई सोच को रेखांकित किया है. शी के मुताबिक बेशक़ चीन की अर्थव्यवस्था में तेज़ गति से हुए विस्तार ने सोशल मीडिया नेटवर्क, आईटी फ़र्मों और डिजिटल अर्थव्यवस्था की काया पलट दी, लेकिन नियमों को ठेंगा दिखाने वाले “अस्वस्थ” घटनाक्रमों से देश की आर्थिक और वित्तीय सुरक्षा को ख़तरा पहुंच रहा है.
सीसीपी के भीतर एक विचार ये है कि कुछ टेक कंपनियों की सेवाओं ने सार्वजनिक वस्तु का रूप ले लिया है. इससे इन कंपनियों को अनुपात से ज़्यादा रसूख़ हासिल हो गया है. डर इस बात का है कि कॉरपोरेट समूह अपनी ताक़त के बूते सीसीपी के सामने चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं. ये महज़ अटकलबाज़ियां नहीं है. ऐसा लगता है कि सीसीपी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हार से सबक़ लिया है. ग़ौरतलब है कि अमेरिका में 2020 के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान सोशल मीडिया कंपनियों ने ट्रंप का बहिष्कार कर रखा था. चीन के भीतर अलीबाबा के जैक मा ने शंघाई में बुंड सम्मेलन में खुले तौर पर सीसीपी के शासन-प्रशासन की आलोचना की थी. सम्मेलन में देश के हुक्मरान और बैंकिंग जगत के बड़े-बड़े सूरमा इकट्ठे हुए थे. शिक्षा जगत से जुड़े लोग भी खुले तौर पर ऐसी ही आशंका जताते आ रहे हैं. शंघाई की फुदान यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर वु शिनवेन ने चेताया है कि चीन के कारोबारी महारथियों ने काफ़ी आर्थिक ताक़त हासिल कर ली है और अब वो इसे सीसीपी के कुछ तत्वों की मदद के बूते सियासी ताक़त में बदलने को बेताब हैं. इसके मायने ये हैं कि चीन में कुछ लोग शी की निरंकुश सत्ता के ख़िलाफ़ हो सकते हैं. शी द्वारा आजीवन सत्ता में बरकरार रहने का संकेत दिए जाने के बाद इस बात की आशंका और बढ़ गई है.
चीन के प्रशासकीय ढांचे में CCDI के उभार से नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं. अगर आर्थिक अफ़सरशाही को लगातार जांच पड़ताल में उलझाए रखा गया तो इससे उद्यमों को दिए जाने वाले जायज़ कर्ज़ों पर बुरा असर पड़ सकता है.
सौ बात की एक बात ये है कि एक लंबे अर्से से शी ‘वित्तीय जोख़िमों’ को कुंद करने की बात करते आ रहे हैं. चीन के बैंकिंग सेक्टर में कर्ज़ से जुड़े संकट को इसी नाम से जाना जाता है. ऐसा लगता है कि सीसीपी ने चीन में बैंकिग क्षेत्र की सफ़ाई का अभियान शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत के तौर पर चीन के बैंकिंग और बीमा नियामक आयोग ने 2021 में 490 अरब अमेरिकी डॉलर के आकार के ‘बैड एसेट्स’ को बट्टे खाते में डाल दिया. ये हाल के समय में एक रिकॉर्ड है. इससे सीसीपी को सही मायनों में बैंकिंग क्षेत्र की असल तस्वीर मिल गई है. एक और बात ये है कि चीनी अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोले जाने के बाद से आर्थिक अफ़सरशाही में काम कर रहे सीसीपी कैडर को एक तरह से बेरोकटोक काम करने की छूट मिल गई थी. झू रोंगजी जैसे लोग जो चीनी सेंट्रल बैंक के गवर्नर हुआ करते थे, आगे चलकर राज्य के मुखिया बन गए. सीसीपी के आंतरिक ढांचे में ये दूसरे नंबर का पद है. विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चीन के दाख़िले को लेकर सीसीपी के भीतर के रुढ़िवादियों को रज़ामंद करने में झू की निर्णायक भूमिका रही थी. आख़िरकार 2001 में चीन WTO का सदस्य बन गया. जनवरी में CCDI के पूर्ण अधिवेशन की भाषा से ऐसा लगता है कि सीसीपी की वरीयता सूची में भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी का दर्जा ऊंचा हो गया है. शी ने 2012 से 2017 तक CCDI की अगुवाई करने का ज़िम्मा वांग क्विशान को सौंपा था. फ़िलहाल वांग चीन के उपराष्ट्रपति हैं.
चीन के प्रशासकीय ढांचे में CCDI के उभार से नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं. अगर आर्थिक अफ़सरशाही को लगातार जांच पड़ताल में उलझाए रखा गया तो इससे उद्यमों को दिए जाने वाले जायज़ कर्ज़ों पर बुरा असर पड़ सकता है. CCDI को ‘सत्ता’ और ‘पूंजी’ के बीच की मिलीभगत को ख़त्म करने का फ़रमान सुनाया गया है. साथ ही रिश्वत देने वालों को काली सूची वाले दस्तावेज़ में डालने की क़वायद भी शुरू की गई है. इससे साफ़ है कि निजी कंपनियां अब सीसीपी के निशाने पर रहेंगी. इन हालातों में भले ही शी को पार्टी को अपने रंग में रंगने का संतोष हासिल हो जाए लेकिन इससे चीन में निवेश का माहौल तबाह हो सकता है.
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