Author : Harsh V. Pant

Published on Jun 15, 2022 Updated 29 Days ago

अमेरिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपनी हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली को भी मोर्चे पर लगा दिया है. पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष की स्थिति में त्वरित कार्रवाई के लिए चीन पूरी तरह से कमर कसे हुए है.

चीन की आक्रामक परमाणु योजनाओं ने किया अमेरिका को चिंतित!

हाल में जारी एक अमेरिकी रिपोर्ट ने भारत और चीन के विरोधी देशों की चिंता को बढ़ा दिया है. इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीन अपने परमाणु जखीरों को तेजी से बढ़ा रहा है. इसमें यह दावा किया गया है कि यह संख्या 2030 तक एक हजार का आंकड़ा भी पार कर सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि चीन की इस योजना के पीछे क्‍या मकसद है. क्‍या यह भारत के लिए खतरे की घंटी है. चीन के इस परमाणु बमों की आंच किन देशों तक पहुंच सकती है. रूस यूक्रेन जंग के बीच चीन की यह तैयारी अमेरिका के लिए भी एक सबब है. क्‍या वह अमेरिका को खुली चुनौती देने वाला है. आइए जानते हैं कि इस सब मसलों पर विशेषज्ञ हर्ष वी पंत  की क्‍या राय है. 

रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीन अपने परमाणु जखीरों को तेजी से बढ़ा रहा है. इसमें यह दावा किया गया है कि यह संख्या 2030 तक एक हजार का आंकड़ा भी पार कर सकती है.

1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि सीमा विवाद को लेकर चीन हाल के वर्षों में ज्‍यादा ही आक्रामक मूड में दिख रहा है. पूर्वी लद्दाख में वह जिस तरह से सैन्‍य तैयारियों में जुटा है, उससे भारत की चिंता लाजमी है. हाल में इस बात की चर्चा रही है कि चीन अपने सैन्‍य हथियारों को बढ़ा रहा है. इस क्रम में यह भी कहा गया है कि उसने अपने परमाणु मिसाइलों की संख्‍या में इजाफा किया है. यह भारत और अमेरिका के लिए चिंता का विषय है. हालांकि, भारत एक शांति प्र‍िय राष्‍ट्र है. उसने सदैव परमाणु हथियारों के मामले में कहा है कि इसका इस्‍तेमाल केवल अपनी सुरक्षा तक सीमित है. इधर, चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्‍या में इजाफा कर रहा है, ऐसे में भारत को भी अपनी नई सैन्‍य रणनीति बनानी चाहिए. खासकर तब जब वह पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर भारत से उलझा हुआ है.

2- उन्‍होंने कहा कि चीन अपनी सैन्‍य ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है. इस लिहाज से भारत को भी अपनी सैन्‍य क्षमता में इजाफा करना चाहिए. हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्‍तान की चुनौती को देखते हुए भारत सरकार अपने सैन्‍य उपकरणों को अत्‍याधुनिक करने में जुटी है. रूसी एस-400 मिसाइल और फ्रांस का राफेल इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए. इसके अलावा भारतीय वायु सेना में जल्‍द ही कई तरह के अत्‍याधुनिक युद्धक विमान शामिल हो सकते हैं. उन्‍होंने कहा कि भारत ने ऐसे कई जगहों पर अपने सैन्‍य अड्डे विकसित किए हैं, जहां से युद्ध के दौरान चीन और पाकिस्‍तान को एक साथ निशाना बनाया जा सकता है.

चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्‍या में इजाफा कर रहा है, ऐसे में भारत को भी अपनी नई सैन्‍य रणनीति बनानी चाहिए. खासकर तब जब वह पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर भारत से उलझा हुआ है.

विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने की योजना 

3- उन्‍होंने कहा कि चीन की योजना 2049 तक विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने की है. उसी वर्ष चीन में कम्युनिस्ट शासन के सौ साल पूरे होंगे. उन्‍होंने कहा कि यह सामरिक गोलबंदी अमेरिका को भी संदेश देने के लिए की जा रही है, लेकिन भारत सहित चीन के सभी पड़ोसी देशों को इससे सतर्क रहना होगा. वैसे भी शी चिनफिंग के आक्रामक कदम मुख्य रूप से एशिया पर केंद्रित रहे हैं. पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागर से लेकर हिमालयी क्षेत्र तक इसके उदाहरण हैं.

4- उन्‍होंने कहा कि चीन में तेजी से बढ़ते परमाणु हथियारों के भंडार मुख्य रूप से एशियाई देशों को ही झेलनी पड़ेगी. जापान से लेकर फिलीपींस, भारत और भूटान तक सभी शी की आक्रामक नीतियों का दंश पहले से ही झेल रहे हैं. बड़े परमाणु जखीरे के साथ शी चीन की अत्यंत सुरक्षित परमाणु ढाल के पीछे अपनी पारंपरिक-सैन्य तिकड़मों और हाइब्रिड युद्ध की रणनीति को और आगे बढ़ाएंगे. ऐसे परिदृश्य में ताइवान पर कसते चीनी शिकंजे को रोक पाना मुश्किल हो सकता है. ऐसा कोई घटनाक्रम एशियाई और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति को बुनियादी रूप से बदलने की क्षमता रखता है.

बड़े परमाणु जखीरे के साथ शी चीन की अत्यंत सुरक्षित परमाणु ढाल के पीछे अपनी पारंपरिक-सैन्य तिकड़मों और हाइब्रिड युद्ध की रणनीति को और आगे बढ़ाएंगे. ऐसे परिदृश्य में ताइवान पर कसते चीनी शिकंजे को रोक पाना मुश्किल हो सकता है.

5- उन्‍होंने कहा कि चीन ने अपनी हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली को भी मोर्चे पर लगा दिया है. पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष की स्थिति में त्वरित कार्रवाई के लिए चीन पूरी तरह से कमर कसे हुए है. अपने अति सक्रिय परमाणु अभियान को छिपाने के बजाय चीन ने अपने उत्तर-पश्चिमी इलाके में दो नई परमाणु मिसाइल इकाइयों का निर्माण किया है. चीन अपनी अंतर महाद्वीपीय मिसाइलों (आइसीबीएम) की संख्या भी 20 से बढ़ाकर 250 करने की योजना बना रहा है. इन परमाणु हथियार निर्माण इकाइयों के माध्यम से दुनिया भर को यही संदेश देना है कि वह एक ऐसी उभरती हुई महाशक्ति है, जिसकी योजनाओं में कोई पहलू अवरोध नहीं डाल सकता.

क्‍या है अमेर‍िका की रिपोर्ट

अमेर‍िका की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन और पाकिस्तान के पास भारत की तुलना में ज्यादा परमाणु हथियार हैं. रिपोर्ट कहती है कि चीन, पाकिस्तान और भारत तीनों ही इस वक्त बैलिस्टिक, क्रूज, न्यक्लियर मिसाइल पर काम रहे हैं, जिसके जरिए समुद्र से मार की जा सके. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, पाकिस्तानी सरकार ने कभी आधिकारिक तौर पर नहीं बताया कि उसके पास कितने परमाणु हथियार है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के पास करीब 165 परमाणु हथियार हो सकते हैं.

अमेरिकी अधिकारियों द्वारा एक वर्ष पूर्व लगाए गए अनुमान से कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से चीन अपने परमाणु हथियार बढ़ा रहा है. अगले छह वर्षों के भीतर चीन के पास 700 से ज्यादा न्यूक्लियर हथ‍ियार होंगे. 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों की संख्या के बैरियर को तोड़ दिया है. अमेरिकी अधिकारियों द्वारा एक वर्ष पूर्व लगाए गए अनुमान से कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से चीन अपने परमाणु हथियार बढ़ा रहा है. अगले छह वर्षों के भीतर चीन के पास 700 से ज्यादा न्यूक्लियर हथ‍ियार होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संख्या 2030 तक एक हजार का आंकड़ा भी पार कर सकती है.

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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है.

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