Author : Dev Jyoti

Published on Feb 02, 2024 Updated 0 Hours ago

म्यांमार बॉर्डर पर पिछले दिनों चीन का सैन्य अभ्यास म्यांमार के शान प्रांत में संघर्ष में बढ़ोतरी को लेकर चीन की बढ़ती चिंता के बारे में बताता है.

बर्मा को लेकर चीन का असमंजस: ऑपरेशन 1027 का दोहरा असर

27 अक्टूबर 2023 को म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA), अराकान आर्मी और तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी को मिलाकर बने थ्री ब्रदरहुड अलायंस (TBA) ने “ऑपरेशन 1027” की शुरुआत की. जातीय-अल्पसंख्यक नेतृत्व वाले संगठनों की ये तिकड़ी पूर्वी म्यांमार के शान प्रांत के उत्तर में सक्रिय है. दो महीने से ज़्यादा लंबे ऑपरेशन के दौरान म्यांमार के सबसे बड़े व्यापार और विकास साझेदार चीन की सीमा पर स्थित शान प्रांत में म्यांमार की सैन्य सरकार को बड़े पैमाने पर क्षेत्र का नुकसान हुआ है. 1 नवंबर 2023 को सैन्य सरकार के प्रवक्ता ज़ॉ मिन तुन ने शान प्रांत के कई सेक्टर में म्यांमार की सेना की हार को स्वीकार किया जिनमें सरहद पर स्थित अहम शहर चिनश्वेहॉ शामिल है. 

 हाल के घटनाक्रमों, जिनकी वजह से म्यांमार में चीन के व्यापारिक हितों को नुकसान हुआ है, के जवाब में 25 नवंबर 2023 को चीन की सेना ने म्यांमार की सीमा पर “लड़ाई से जुड़ी ट्रेनिंग की गतिविधियों” की शुरुआत करने का ऐलान किया. 

बढ़ते मानवीय संकट और हाल के घटनाक्रमों, जिनकी वजह से म्यांमार में चीन के व्यापारिक हितों को नुकसान हुआ है, के जवाब में 25 नवंबर 2023 को चीन की सेना ने म्यांमार की सीमा पर “लड़ाई से जुड़ी ट्रेनिंग की गतिविधियों” की शुरुआत करने का ऐलान किया. ये सैन्य अभ्यास 28 नवंबर 2023 तक जारी रहा और इस दौरान दक्षिणी थिएटर कमांडर की फुर्ती, सीमा को बंद करने और गोला-बारूद दागने की क्षमता का इम्तिहान लिया गया. चीन का सैन्य अभ्यास म्यांमार के शान प्रांत में संघर्ष में बढ़ोतरी को लेकर चीन की बढ़ती चिंता के बारे में बताता है लेकिन इसके साथ-साथ चीन के लिए ऑपरेशन 1027 के दोहरे असर को समझने की भी ज़रूरत है. 

ऑपरेशन 1027 का दोहरा असर

ऑपरेशन 1027 की शुरुआत के समय से थ्री ब्रदरहुड अलायंस ने सीमा पर स्थित कई शहरों पर कब्ज़ा कर लिया है. इसकी वजह से म्यांमार और चीन- दोनों के व्यापार और विकास से जुड़े हितों को काफी नुकसान हुआ है. शान प्रांत चीन की भू-आर्थिक महत्वाकांक्षा यानी चीन-म्यांमार इकोनॉमिक कॉरिडोर (CMEC), जो कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है, के लिए महत्वपूर्ण है. इस प्रोजेक्ट में कई तेल और गैस पाइपलाइन, सड़क और चीन के यून्नान को म्यांमार के रखाइन प्रांत के बंदरगाह शहर क्याउकप्यू से जोड़ने वाली रेल परियोजना शामिल हैं. इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ चीन के सहयोग की वजह से ज़मीन पर अपने अधिकारों के उल्लंघन का जातीय अल्पसंख्यकों ने विरोध किया. 2021 में म्यांमार की सत्ता में सेना की वापसी के बाद से चीन ने म्यांमार में 113 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है लेकिन जातीय अल्पसंख्यकों के विरोध से इस पर ख़तरा पैदा हो गया है. 

जब से विद्रोही गठबंधन ने सीमा पर स्थित शहरों को अपने कब्ज़े में लिया है, तब से रखाइन प्रांत के गहरे समुद्री बंदरगाह क्याउकफाई से शुरू होने वाले 770 किमी के तेल पाइपलाइन नेटवर्क ने कई हमलों का सामना किया है. ये पाइपलाइन नेटवर्क रूस के तेल को चीन के यून्नान तक पहुंचाता है. ऑपरेशन 1027 की सफलता से सैन्य सरकार के कब्ज़े से वो महत्वपूर्ण हिस्सा निकल गया है जो चीन-म्यांमार के बीच द्विपक्षीय सीमा व्यापार में 40 प्रतिशत का योगदान करता है. चिनश्वेहॉ पर विद्रोहियों के कब्ज़े के बाद चीन की तरफ से सैन्य अभ्यास के ऐलान का मतलब न सिर्फ सीमा पर बढ़ते उग्रवाद का मुकाबला करना था बल्कि अपनी तैयारी की परीक्षा और 2015 की तरह व्यापक पैमाने पर मानवीय संकट, जब म्यांमार की सेना ने सीमा पर उग्रवाद विरोधी अभियानों को तेज़ कर दिया था, को दोहराने से रोकना भी था. 

2023 में उस तरह की स्थिति उभरने से रोकने के लिए चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के दक्षिणी थिएटर कमांड (STC) की तैयारी का परीक्षण किया.

2015 के अभियान के दौरान कथित तौर पर म्यांमार की वायुसेना (MAF) ने सीमा पर चीन की तरफ बमबारी की थी. इसको लेकर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी जिसमें एक “निर्णायक जवाब” का सख्त संदेश शामिल था. उग्रवाद के ख़िलाफ़ इस अभियान के दौरान म्यांमार के कोकांग इलाके में रहने वाले चीनी मूल के हज़ारों लोग विस्थापित हुए थे. 2023 में उस तरह की स्थिति उभरने से रोकने के लिए चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के दक्षिणी थिएटर कमांड (STC) की तैयारी का परीक्षण किया. इसके साथ-साथ कुछ हद तक इसका मक़सद विद्रोही संगठनों को इस क्षेत्र में चीन के हितों को नुकसान पहुंचाने से रोकना भी था. हालांकि ये पूरी तरह साफ है कि विद्रोही संगठनों को रोकने का चीन का मक़सद पूरा नहीं हुआ क्योंकि ड्रिल की शुरुआत के तीन दिन के बाद TBA ने सीमा के प्रवेश द्वार कीन सैन क्यात को अपने नियंत्रण में ले लिया. ये इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कृषि औजार और उपभोक्ता उत्पादों के आयात के लिए म्यांमार का एक प्रमुख व्यापारिक बिंदु है. ये म्यांमार की तरफ से चीन को अपने कृषि उपज के निर्यात के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले 105 मील के बड़े व्यापार ज़ोन का भी एक हिस्सा है. कीन सैन क्यात बॉर्डर गेट पर कब्ज़े के बाद विद्रोहियों ने चीन से सामान ला रहे 258 गाड़ियों के काफिले में से 120 ट्रकों में आग लगा दी. 

ऊपर बताए गए मामले इस तरह की तस्वीर बना सकते हैं कि ऑपरेशन 1027 म्यांमार में चीन के हितों के लिए नुकसान पहुंचाने वाला रहा है लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है. चीन के बारे में माना जाता है कि वो सीमा पर सक्रिय विद्रोही संगठनों पर काफी असर रखता है. लेकिन इसके बावजूद चीन ने मौजूदा संकट के शुरुआती दौर में अपने असर का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि चीन म्यांमार की सैन्य सरकार के बॉर्डर गार्ड फोर्सेज़ (BGF) और सीमा पर सक्रिय अवैध टेलीकॉम जालसाज़ों और जुआ खिलाने वाले संगठनों पर कार्रवाई में उसकी नाकामी से निराश था. इन जालसाज़ों ने चीन के हज़ारों नागरिकों को ठगा है. 

मई 2023 से चीन ने सैन्य सरकार के नेतृत्व को स्पष्ट संकेत भेजा था कि उसे ये स्वीकार नहीं है कि BGF ख़ामोशी से म्यांमार में ज़बरन मज़दूरी के घोटाले वाले गिरोह का समर्थन करे और उनके द्वारा अलग-अलग तरह की अवैध गतिविधियों पर नज़र नहीं डाले. लेकिन BGF ने चीन की चेतावनियों पर ध्यान देने के बदले कोकांग इलाके में जालसाजों को अपना समर्थन जारी रखा. 

सैन्य सरकार के रुख से निराश चीन ने म्यांमार के उत्तरी शान प्रांत के स्वायत्त क्षेत्रों- वा और मोंग ला इलाकों में एकतरफा कार्रवाई शुरू कर दी. चीन के कड़े रुख की वजह से वा रीजन से चीन में धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल 1,207 लोगों को निकाला गया. वा रीजन में अधिकारियों ने 40 से ज़्यादा घोटाले के अड्डों पर छापेमारी की. चीन ने न केवल म्यांमार की सैन्य सरकार के ख़िलाफ़ अपना कड़ा रुख दिखाया बल्कि सॉफ्ट पावर का भी इस्तेमाल किया. चीन के अधिकारियों ने फिल्म बनाने वाले को प्रोत्साहित किया कि वो “नो मोर बीट्स” और “लॉस्ट इन द स्टार्स” जैसी फिल्म बनाएं ताकि म्यांमार की सैन्य सरकार को बदनाम किया जा सके और ऐसी छवि बनाई जा सके कि म्यांमार के जालसाज़ों का गिरोह पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ख़तरा है. 

शरणार्थी भाग रहे हैं और चीन-म्यांमार सीमा को पार करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए हाल के हफ्तों में चीन नुकसान को काबू करने का प्रयास कर रहा है.

इसके अलावा ऑपरेशन 1027 की शुरुआत होने पर TBA ने ये कहकर अपने आक्रमण को सही ठहराया कि उनके मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य सीमा के इलाके में BGF समर्थित जालसाजों को बाहर करना है. TBA ने इन जालसाजों को सैन्य सरकार के मुखिया मिन ऑन्ग लाइंग की “ड्रग आर्मी” का नाम दिया है. इन घटनाओं की वजह से सैन्य सरकार के वफादारों के बीच ये राय बनी है कि चीन ने उत्तर में ख़ामोशी से विद्रोह का समर्थन किया है. इसको लेकर यांगून और नेपीडाव में बड़े पैमाने पर चीन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए हैं. 

नुकसान को काबू में करना चाहता है चीन

ऑपरेशन 1027 ने सीमावर्ती इलाकों से BGF और लाइंग के वफादार BGF सदस्यों द्वारा समर्थित जालसाज़ों के गैंग को उखाड़कर शुरुआती दौर में चीन के हितों के पक्ष में काम किया लेकिन नवंबर के बाद के दिनों में संघर्ष में तेज़ी ने इस इलाके में चीन के फायदेमंद व्यापार और निवेश को काफी ख़तरा पहुंचाया है. इसके अलावा विद्रोह और उसके ख़िलाफ़ अभियानों ने बड़े पैमाने पर मानवीय संकट को जन्म दिया है. शरणार्थी भाग रहे हैं और चीन-म्यांमार सीमा को पार करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए हाल के हफ्तों में चीन नुकसान को काबू करने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए वो मौजूदा संकट के समाधान के उद्देश्य से संघर्ष में शामिल पक्षों के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश में लगा है. 

दिसंबर के पहले हफ्ते में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में म्यांमार के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री थान स्वे से मुलाकात की और ये उम्मीद जताई कि देश में सुलह को बढ़ावा देने और मौजूदा संकट के हल के लिए म्यांमार की सरकार दृढ़तापूर्वक कोशिश करेगी. इस बैठक के बाद चीन ने सैन्य सरकार और संघर्ष में शामिल संगठनों के बीच बातचीत में मध्यस्थता की और समस्या के जल्द समाधान की उम्मीद जताई. 

हालांकि चीन की तरफ से उम्मीद जताने के बाद TBA ने अपना बयान भी जारी किया जिसमें उसने ये स्पष्ट किया कि मिशन 1027 का अंतिम लक्ष्य सेना को सत्ता से उखाड़ फेंकना है और वो अपने मक़सद से कोई समझौता नहीं करेगा. उसके बयान में शांति वार्ता का कोई ज़िक्र नहीं था. इसलिए ये देखा जाना बाकी है कि क्या सैन्य सरकार और विद्रोही संगठनों पर चीन का दोहरा असर संकट के समाधान में वाकई काम करेगा या फिर चीन ने संकट की शुरुआत में दृढ़ता से कार्रवाई नहीं करके अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. 

देव ज्योति ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में रिसर्च इंटर्न हैं.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.