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तुलनात्मक रूप से देखें, तो पिछले कई दशकों से चीन की एटमी रणनीति लगातार एक जैसी रही है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से चीन के परमाणु हथियारों का ज़ख़ीरा तेज़ी से बढ़ रहा है. चीन, अपने एटमी हथियार दागने की व्यवस्थाओं का भी लगातार आधुनिकीकरण कर रहा है. 2006 का चीन का रक्षा श्वेत पत्र, उसकी परमाणु रणनीति की सबसे प्रामाणिक व्याख्या करता है. इस दस्तावेज़ में कहा गया है कि चीन ‘आत्मरक्षा की परमाणु रणनीति’ का पालन करता है. चीन की पारंपरिक एटमी रणनीति, पहले इस्तेमाल न करने और दुश्मन पर निश्चित पलटवार के लिए सीमित परमाणु हथियार रखने पर आधारित रही है. हालांकि, हाल में आए बदलाव, विशेष रूप से चार मामलों- संख्या, गुणवत्ता, विविधता और संचालन के तरीक़ों में बदलावों से चीन की बदलती एटमी रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं.
अमेरिकी रक्षा विभाग के पहले के पूर्वानुमानों को आधार मानें, तो परमाणु हथियारों की इतनी तादाद केवल एक दशक में तो तैयार नहीं हुई होगी.
पहला चीन के एटमी हथियारों में तादाद का बदलाव देखने को मिल रहा है. 2020 में अमेरिका के रक्षा विभाग की चीन की सैन्य शक्ति पर रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि चीन के पास लगभग 200 परमाणु हथियार हैं. हालांकि 2022 की ताज़ा चाइना मिलिट्री पावर रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि शायद चीन के एटमी हथियारों की संख्या 400 के पार पहुंच गई है. अमेरिकी रक्षा विभाग के पहले के पूर्वानुमानों को आधार मानें, तो परमाणु हथियारों की इतनी तादाद केवल एक दशक में तो तैयार नहीं हुई होगी. इसके अलावा, पेंटागन ने अनुमान लगाया है कि अगर परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ने की यही रफ़्तार रही, तो 2031 तक चीन के पास 1,000 और साल 2035 तक 1,500 परमाणु हथियार हो जाएंगे. ये उतनी ही संख्या है, जितने परमाणु हथियार अमेरिका और रूस, 2010 में हुई न्यू स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी (New START) के तहत रख सकते हैं. इसके अलावा, चीन अपनी रॉकेट फोर्स ब्रिगेड का भी विस्तार कर रहा है. 2017 से 2019 के बीच चीन ने लगभग 10 नई मिसाइल ब्रिगेड बनाई हैं. केवल तीन वर्षों में 29 से 39 ब्रिगेड के गठन की ये अभूतपूर्व रफ़्तार रही है. इस समय चीन की PLA RF के पास 40 सक्रिय ब्रिगेड हैं. हाल ही में चीन ने युमेन, हामी, हांग्गिन बैनर और जिलांताई में 350 से 400 के बीच ठोस ईंधन वाली मिसाइलें रखने के अड्डे बनाए हैं. इससे पहले चीन कई दशकों तक अपने DF-5 तरल ईंधन वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) के लिए 20 मिसाइल सिलो का संचालन करता था. मिसाइल रखने के ठिकानों (Silo) के निर्माण की ये बढ़ती तादाद चीन के सामरिक रुख़ और बर्ताव में आते बदलावों की तरफ़ इशारा कर रही है. मिसाल के तौर पर ये कहा जा रहा है कि जिलांताई में बनाए गए 14 सिलो, ख़ास तौर से नए तरह के अभियानों के प्रशिक्षण और विकास की परिकल्पनाओं को ध्यान में रखकर आरक्षित किए गए हैं.
Table 1: दुनिया में परमाणु हथियारों के संभावित ज़ख़ीरे
देश | सक्रिय परमाणु हथियारों की संख्या | तैनाती |
रूस | 5,889 | 1674 तैनात + 2815 रिज़र्व +1400 रिटायर्ड |
अमेरिका | 5,244 | 1670 तैनात + 100 तैनात ग़ैर सामरिक + 1938 रिज़र्व + 1536 रिटायर्ड |
चीन | 400-410 | N/A |
फ्रांस | 290 | N/A |
ब्रिटेन | 225 | N/A |
पाकिस्तान | 170 | N/A |
भारत | 164 | N/A |
इज़राइल | 90 | N/A |
उत्तर कोरिया | 30 | N/A |
कुल तादाद | 12,512 |
स्रोत: Hans M. Kristensen, Matt Korda and Eliana Reynolds, Federation of American Scientists, 2023.
दूसरा, चीन अपने परमाणु हथियार चलाने की व्यवस्था का भी आधुनिकीकरण कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान चीन ने अपने परमाणु हथियारों को सटीक बनाने और हमले की सूरत में उनके बचाव की क्षमता में काफ़ी सुधार किया है. मिसाल के तौर पर, कहा जा रहा है कि चीन की हालिया लंबी दूरी की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM), यानी ठोस ईंधन पर आधारित डोंगफेंग (DF-41) के ग़लत निशाना लगाने की आशंका केवल 100 मीटर के दायरे की है. इसके अलावा, चीन की दोहरी क्षमता ‘हॉट स्वैपेबल’ थिएटर रेंज का परमाणु हथियार चलाने वाली DF-26 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, पुरानी DF-21 मिसाइल की तुलना में ज़्यादा सटीक निशाना लगा पाने में सक्षम है. जहां तक हमले के बाद बचाव की बात है तो चीन, ज़मीन में Silo बनाकर ICBM रखने की जो व्यवस्था कर रहा है, उससे पता चलता है कि वो अपनी परमाणु रणनीति लॉन्च ऑन वॉर्निंग (LOW) की दिशा में ले जा रहा है. LOW का मतलब परमाणु हथियार के ऐसे हमले से है, जो दुश्मन के मिसाइल लॉन्च करने की ख़बर मिलते ही, उसके निशाने पर लगने से पहले पलटवार के लिए मिसाइल लॉन्च करना है. जैसा कि चीन की परमाणु रणनीति की विद्वान, फियोना कनिंघम का कहना है कि ये रवैया ज़मीन पर आधारित चल परमाणु बलों के फ़ायदेमंद न होने से जुड़ी चिंताओं को ज़ाहिर करता है. फिर चाहे उनके हमले में बचने की क्षमता हो, आवाजाही, संचार या फिर लागत हो. चीन मल्टिपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRV) पर भी काम कर रहा है, और 2022 की चीन की सैन्य शक्ति पर रिपोर्ट में ये बताया गया है कि चीन की DF-5B इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलें, पांच MIRV ले जा सकती हैं.
Table 2: चीन की परमाणु शक्ति वाली मिसाइलों की तादाद
नाम | वर्ग | रेंज (किलोमीटर में) |
DF-41 | ICBM | 13,000-15,000 |
DF-5 | ICBM | 13,000 |
JL-3 | SLBM | अज्ञात |
JL-2 | SLBM | 8,000-9,000 |
DF-31 | ICBM | 7,000-11,700 |
DF-4 | ICBM/IRBM | 4,500-5,500 |
DF-26 | IRBM | 4,000 |
DF-21 | MRBM | 2,150 |
DF-17 | HGV | 1,800-2,500 |
DF-16 | SRBM | 800-1,000 |
DF-15 | SRBM | 600 |
DF-11 | SRBM | 280-300 |
DF-12 | SRBM | 280 |
CJ-10 | Cruise | 2,000 |
स्रोत: मिसाइल डिफेंस प्रोजेक्ट, “Missiles of China,” मिसाइल थ्रेट सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज़ 12 अप्रैल, 2021. चाइना, Missile Defence Advocacy Alliance, जनवरी 2023.
तीसरा, संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने के साथ साथ चीन अपनी परमाणु त्रिशक्ति यानी थल, जल और हवा से परमाणु हमले की अपनी क्षमता में भी विविधता ला रहा है. चीन की परमाणु शक्ति का सबसे भरोसेमंद तत्व ज़मीन आधारित, सड़कों पर चलने वाली MIRV में सक्षम DF-41 मिसाइल है, जो 15 हज़ार किलोमीटर दूर तक निशाना लगा सकती है. हालांकि, बूमर कही जाने वाली चीन की टाइप 094 परमाणु शक्ति वाली बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस पनडुब्बी (SSBNs), उनके टैक्टिकल डेटरेंस का सबसे अहम हथियार कही जाती हैं. ख़बरों में कहा गया है कि चीन के पास जिन क्लास की पांच से छह पनडुब्बियां हैं जो JL-2 और शायद JL-3 पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBMs) से लैस हैं, और उनकी पहुंच अमेरिका तक है. इसके अलावा, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि परमाणु हमले करने में सक्षम चीन के H-6 बमवर्षक विमान अब पूरी तरह सक्रिय हो चुके हैं. चीन एक नया परमाणु हमले में सक्षम सब-सोनिक सामरिक स्टेल्थ बमवर्षक विमान Xian H-20 और हवा में लॉन्च की जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें भी विकसित कर रहा है. ये दोनों अगले कुछ वर्षों में तैनात किए जा सकते हैं. इन तब्दीलियों ने पहली बार चीन की परमाणु हमले की त्रिशक्ति को भरोसमंद बनने के मुहाने पर पहुंचा दिया है.
चीन की दोहरी क्षमता ‘हॉट स्वैपेबल’ थिएटर रेंज का परमाणु हथियार चलाने वाली DF-26 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, पुरानी DF-21 मिसाइल की तुलना में ज़्यादा सटीक निशाना लगा पाने में सक्षम है.
आख़िर में चीन सामरिक रणनीति के नए तौर तरीक़े और परिकल्पनाएं भी विकसित कर रहा है. सैन्य ढांचे में हालिया बदलावों के साथ चीन की रॉकेट फोर्स (PLARF) अपने ताक़तवर एटमी हथियारों को अपनी लॉन्च ब्रिगेड या सिलो के अधिक क़रीब रखना शुरू करेगी. ऐतिहासिक रूप से अंदरूनी चीन के छिनलिंग के पहाड़ी इलाक़ों में स्थित बेस 67 (पहले का बेस 27), ही चीन के परमाणु हथियारों के रखरखाव के लिए ज़िम्मेदार था. लेकिन, चीन के सुरक्षा विशेषज्ञ डेविड लोगान और फिलिप सॉन्डर्स ने अपनी हालिया रिसर्च रिपोर्ट में रेखांकित किया है कि परमाणु हथियारों के लिए ज़िम्मेदार चीन की रॉकेट फोर्स की रेजिमेंट जो पहले मिसाइल अड्डों की निगरानी में काम करती थीं, वो अब केंद्रीय हथियार डिपो के तहत काम करती हैं. इसका मतलब है कि चीन का इरादा एटमी हथियारों के देश भर में विस्तार के साथ उसके नियंत्रण की केंद्रीकृत व्यवस्था की तरफ़ बढ़ने का है. इस परिस्थिति में चीन अपनी मिसाइलों के अड्डों को ज़्यादा चौकस रखेगा ताकि LOW की क्षमता बनाए रख सके, और वो मिसाइलों को बदल बदलकर सक्रिय एटमी हथियारों से लैस रखेगा, ताकि उन्हें चेतावनी मिलने पर तुरंत दाग़ा जा सके.
Table 3: पीएलए रॉकेट फोर्स के अड्डे
बेस संख्या | क्या ज़िम्मेदारी है | शहर |
Base 61 | अभियान चलाना | हुआंगशान |
Base 62 | अभियान चलाना | कुनमिंग |
Base 63 | अभियान चलाना | हुआइहुआ |
Base 64 | अभियान चलाना | लानझाऊ |
Base 65 | अभियान चलाना | शेनयांग |
Base 66 | अभियान चलाना | लुओयांग |
Base 67 | हथियार जमा रखना | बाओजी |
Base 68 | इंजीनियरिंग | लुओयांग |
Base 69 | परीक्षण और प्रशिक्षण | यिनचुआन |
स्रोत: मा शियू, पीएलए रॉकेट फोर्स संगठन, China Aerospace Studies Institute.
इन बदलावों के अतिरिक्त, चीन परमाणु हथियारों की सहयोगी व्यवस्थाएं जैसे कि पहले चेतावनी देने वाले रिमोट सेंसिंग उपग्रह और ज़मीन पर लगने वाले उन्नत रडार भी विकसित कर रहा है. हाल ही में चीन ने अपनी नई हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल का भी परीक्षण किया है जो संभवत: फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बम्बार्डमेंट सिस्टम से लैस है. कुछ ठोस सबूत इशारा करते हैं कि चीन अपनी परमाणु रणनीति लगातार बदल रहा है. इन बदलावों के पीछे के कारण समझना बहुत अहम है. डेविड लोगान और फिलिप सी. सॉन्डर्स की हालिया रिपोर्ट गहराई से इन तत्वों पर रौशनी डालती है. दुनिया के अलग अलग क्षेत्रों के विद्वानों के ऐसे और रिसर्चों से हमें चीन की घोषित परमाणु नीति और लगातार बढ़ती एटमी क्षमताओं के बीच बढ़ते फ़ासले को समझने में मदद मिलेगी.
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SuyashDesai is a research scholar studying Chinas defence and foreign policies. His research areas include Chinese security and foreign policies Chinese military affairs Chinese nuclear ...
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