Published on Aug 08, 2019 Updated 0 Hours ago

भारत सरकार को अब ये साफ़ तौर पर सोचने की ज़रूरत है कि चीन के साथ पारंपरिक हथियारों में पिछड़ने से बचने और बराबरी का संतुलन हासिल करने के लिए क्या करना ज़रूरी है.

चीन का रक्षा श्वेत पत्र 2019: चीन की बढ़ती परंपरागत सैन्य क्षमता और भारत के लिए उसके मायने

वर्ष 2019 के लिए चीन का श्वेत पत्र अंतरराष्ट्रीय हालात को लेकर व्यापक समीक्षा वाला है, जिसमें विश्व कूटनीति में चीन अपने लिए बड़ा अहम रोल देखता है. श्वेत पत्र में एशिया-प्रशांत महासागर क्षेत्र के सामरिक हालात और हक़ीक़तों के बारे में विस्तार से लिखा गया है. साथ ही इस क्षेत्र को लेकर श्वेत पत्र में चीन का आधिकारिक रोल भी बताया गया है. श्वेत पत्र के ज़रिए चीन ने उन आशंकाओं को भी निराधार साबित करने की कोशिश की है कि वो एशिया-प्रशांत में अपनी दादागीरी स्थापित करना चाहता है. मौजूदा हालात में ये बहुत प्रासंगिक है कि चीन की थल सेना, वायु सेना और नौसेना का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण किया जा रहा है. अगर हम चीन के रक्षा श्वेत पत्र की बारीकी से समीक्षा करें तो पता चलता है कि चीन के सैन्य बल बड़े पैमाने पर नए नए हथियारों का इस्तेमाल और तैनाती बढ़ा रहे हैं.

चीन की थल सेना के पास 3500 के आस-पास टाइप-96 और टाइप-99 टैंक भी हैं. हालांकि, भारत से लगी सीमा पर तैनाती के लिहाज़ से ये टैंक बहुत भारी हैं. लेकिन, चीन का रक्षा श्वेत पत्र इस बात की तरफ़ साफ़ इशारा करता है कि जल्द ही भारत से लगी सीमा पर वो टाइप-15 हल्के टैंक तैनात करने जा रहा है.

चीन की थल सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हथियारों के मामले में कई बड़े क़दम उठा रहे हैं. इसकी बख़्तरबंद कोर बहुत विशाल है. इसके पास सबसे ज़्यादा संख्या में टैंक हैं. चीन की थल सेना के पास जो प्रमुख लड़ाकू टैंक हैं, उनमें टाइप-59 प्रमुख हैं. इन्हें जल्द ही चीन की सेना से रिटायर किया जाने वाला है. इसके बाद दूसरे नंबर पर हैं टाइप-79 और इसका ही एक वैरिएंट टाइप-88. इन्हें चीन की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सीमित संख्या में ही तैनात किया गया है. इसके अलावा चीन की थल सेना के पास 3500 के आस-पास टाइप-96 और टाइप-99 टैंक भी हैं. हालांकि, भारत से लगी सीमा पर तैनाती के लिहाज़ से ये टैंक बहुत भारी हैं. लेकिन, चीन का रक्षा श्वेत पत्र इस बात की तरफ़ साफ़ इशारा करता है कि जल्द ही भारत से लगी सीमा पर वो टाइप-15 हल्के टैंक तैनात करने जा रहा है. ये टैंक ख़ास तौर से पहाड़ी जंग के लिए बनाए गए हैं. चीन की सेना के टाइप-79 और टाइप-88 टैंक भी धीरे-धीरे रिटायर किए जा रहे हैं. जैसा कि श्वेत पत्र में लिखा है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, अपनी धार और लचीलापन बढ़ाना चाहती है. इसके लिए ही टाइप-15 हल्के टैंकों की तैनाती बढ़ाई जा रही है क्योंकि ये चीन की सेना की मौजूदा ज़रूरत पूरी करते हैं. इनका वज़न 35 टन है और इनका इंजन 1000 हॉर्स पावर का है. इन टैंकों में 105 मिलीमीटर की तोप लगी हुई है. और बख़्तरबंद को भेदने वाले गोले होते हैं. साथ ही इन टैंकों से मिसाइलें भी लॉन्च की जा सकती हैं. इन टैंकों की फ़ायरिंग रेंज तीन हज़ार मीटर तक है. हल्के होने और चलाने में आसान होने के अलावा इन टैंकों की सुरक्षा व्यवस्था भी बहुत मज़बूत है. ऐसे में भारत से जंग की सूरत में इन टैंकों की तैनाती और अहम हो जाती है. टाइप-15 टैंक विकसित करने के अलावा श्वेत पत्र में इस बात का भी ज़िक्र है कि चीन की नौसेना में भी नए जंगी जहाज़ शामिल किए जा रहे हैं.

फिलहाल ये साफ़ नहीं है कि चीन की वायुसेना के पास उड़ने और युद्ध करने लायक़ कितने जे-20 लड़ाकू विमान हैं. लेकिन, तमाम संकेत यही इशारा करते हैं कि ऐसे कई दर्जन विमान चीन की वायुसेना ने तैनात किए हैं.

लुयांग क्लास के टाइप 052डी विध्वंसक जहाज़ और इन्हीं से मिलते हुए पुराने टाइप 052सी डेस्ट्रॉयर ही चीन की नौसेना के प्रमुख जंगी जहाज़ होंगे. चीन की नौसेना पहले से ही टाइप 052डी श्रेणी के नौ जंगी जहाज़ों का ट्रायल कर रही है. इनमें हथियार भी लगाए जा रहे हैं. टाइप 052डी विध्वंसक जहाज़ 154 मीटर लंबे होते हैं और इनका वज़न 7500 टन होता है. पानी की सतह पर जंग में इस्तेमाल होने वाले इन जंगी जहाज़ों में सबसे आधुनिक सिस्टम लगे हैं. जिन्हें एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिली स्कैन्ड अरेस सिस्टम यानी AESA कहते हैं. इनके अलावा इन डेस्ट्रॉयर्स पर 64 वर्टिकल लॉन्च्ड सिस्टम यानी VLS भी लगे हैं. वीएलएस की मदद से ये जहाज़ किसी हवाई हमले से अपनी हिफ़ाज़त कर सकते हैं. इसके अलावा टाइप 052डी जंगी जहाज़ में अच्छा रडार सिस्टम भी है, जो आस-पास शोर से इसको बचाएगा और अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के साथ काम करने में मदद करेगा. अपने बेड़े में टाइप 052डी युद्धपोत के अलावा, चीन की वायुसेना ने जे-20 फाइटर विमान भी तैनात करने शुरू कर दिए हैं.

J-20 चीन की वायुसेना का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है. ये अमेरिकी वायुसेना के एफ-22 रैप्टर विमानों से मुक़ाबले के लिए बनाया गया है. फिलहाल ये साफ़ नहीं है कि चीन की वायुसेना के पास उड़ने और युद्ध करने लायक़ कितने जे-20 लड़ाकू विमान हैं. लेकिन, तमाम संकेत यही इशारा करते हैं कि ऐसे कई दर्जन विमान चीन की वायुसेना ने तैनात किए हैं. श्वेत पत्र में भी चीन की वायुसेना में जे-20 विमानों को शामिल किए जाने का ज़िक्र है. जे-20 फाइटर विमान 20.3 मीटर लंबे होते हैं. इनके पंख 12.9 मीटर चौड़े होते हैं. इनकी अधिकतम रफ़्तार 2 मैक है. ये आधुनिकतम धातु के अयस्क से बना हुआ है. जिससे इसे रडार से छुपने की क्षमता हासिल हो जाती है. बिना हथियारों के इस विमान का वज़न 19 हज़ार किलोग्राम होता है. तो सभी हथियारों से लैस होने के बाद जे-20 फाइटर विमान का वज़न 32 हज़ार किलोग्राम तक पहुंच सकता है. ये 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है और 1100 किलोमीटर के दायरे में हवाई हमले करने में ये विमान सक्षम है. इस लड़ाकू विमान के अंदरूनी हिस्से में लंबी दूरी की मिसाइलें होती हैं. और ये विमान एलएस-6 गाइडेड बमों से भी लैस होता है. पर, इस विमान की सबसे कमज़ोर कड़ी इसका इंजन है. हालांकि जे-20 के इंजन का सबसे पहले 2011 में परीक्षण किया गया था. लेकिन, इन लड़ाकू विमानों की पहली खेप 2017 में जाकर चीन की वायु सेना को मिल सकी थी. फिर भी, इसके इंजन की खामी को दूर करना अब भी बड़ी चुनौती है. जे-20 फाइटर विमानों में WS-10B या इसके रूसी डिज़ाइन वाले इंजन AL-31FM2/3 के वज़न की वजह से इसे उड़ान के दौरान कंट्रोल करने में दिक़्क़त आती है. सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान के दौरान शोर की वजह से ये रडार की पकड़ में भी आ जाता है. लेकिन, चीन के श्वेत पत्र को पढ़कर ऐसा लगता है कि जे-20 लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी चेंगडू कॉरपोरेशन ने इसके इंजन की ख़ामियों को दूर कर लिया है. और अब इस में ज़्यादा ताक़तवर WS-15 इंजन लगाए जा रहे हैं.

चीन का ताज़ा श्वेत पत्र ये बताता है कि पारंपरिक हथियारों के विकास में चीन ने काफ़ी तरक़्क़ी कर ली है. भारतीय नज़रिए से देखें, तो ये बहुत चिंताजनक चुनौती है. चीन की बढ़ती ताक़त की बराबरी करने में भारत को कई बरस लग जाएंगे. भारत सरकार को अब ये साफ़ तौर पर सोचने की ज़रूरत है कि चीन के साथ पारंपरिक हथियारों में पिछड़ने से बचने और बराबरी का संतुलन हासिल करने के लिए क्या करना ज़रूरी है.

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