मध्य एशियाई गणराज्यों (CARs-कार्स) को 2023 में भीषण आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप अनिश्चितता बढ़ी है. आंतरिक मतभेदों, जैसे कि ताजिक और किर्गिज़ गणराज्यों के बीच सीमा विवाद, ने क्षेत्रीय सहयोग को प्रभावित किया है. अफ़गानिस्तान में तालिबान की वापसी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और संप्रभुता के लिए जोखिम बढ़ा दिया है. रूस-यूक्रेन युद्ध और इसके वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभावों के बीच, मास्को की अर्थव्यवस्था और रसद पर उनकी अत्यधिक निर्भरता ने कार्स को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने और नए क्षेत्रीय गठबंधनों की पड़ताल करने के लिए मजबूर किया है. कार्स ने, अन्य कदमों के अलावा चीन, यूरोपीय संघ (ईयू), खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के साथ शिखर सम्मेलन कर संतुलित राजनयिक रणनीति के लक्ष्य को लेकर निर्णायक कदम उठाए.
रूस-यूक्रेन युद्ध और इसके वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभावों के बीच, मास्को की अर्थव्यवस्था और रसद पर उनकी अत्यधिक निर्भरता ने कार्स को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने और नए क्षेत्रीय गठबंधनों की पड़ताल करने के लिए मजबूर किया है.
क्षेत्रीय एकीकरण
2022 में, ताजिक-किर्गिज़ सीमा विवाद ने दोनों देशों में आंतरिक फूट पैदा की, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों लोगों की जान चली गई और क्षेत्रीय सहयोग प्रभावित हुआ. इस साल सितंबर में, कार्स के नेताओं और अज़रबैजान के राष्ट्रपति (विशेष आमंत्रित के रूप में) ने दुशांबे में मध्य एशिया के राष्ट्राध्यक्षों की पांचवीं सलाहकार बैठक में भाग लिया. नेताओं ने अफ़गानिस्तान में तालिबान शासन और यूरोप और उसके आगे तक जाने वाले टार्न्स-कैस्पियन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग (टीआईटीआर) की प्रगति पर चर्चा की. टीआईटीआर से 2022 में मध्य एशिया और बाकू के बीच व्यापार को तीन गुना तक बढ़ा गया था और 2023 के पहले सात महीनों के भीतर इसमें अतिरिक्त 50 प्रतिशत का उछाल स्पष्ट नज़र आया. कज़ाकिस्तान ने क्षेत्रीय व्यापार में वृद्धि पर ज़ोर दिया, जबकि उज़्बेकिस्तान ने कार्स के भीतर एक पूर्ण मुक्त व्यापार क्षेत्र का प्रस्ताव रखा.
ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के नेताओं ने भी सीमा और क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने के उद्देश्य से बैठक की परिधि में आमने-सामने वार्ता की.
मध्य एशियाई देशों ने अंतरराष्ट्रीय परिवहन के लिए भूमि-परिवहन अंतःसंबंध को मज़बूत करने और परिवहन सेवाओं के लिए एक प्रतिस्पर्धी बाज़ार तैयार करने पर सहमति व्यक्त की. बैठक के दौरान हस्ताक्षरित समझौतों के कार्यान्वयन की निगरानी राष्ट्रीय समन्वयकों की एक परिषद करेगी. ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के नेताओं ने भी सीमा और क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने के उद्देश्य से बैठक की परिधि में आमने-सामने वार्ता की. एक सप्ताह के भीतर, दोनों नेता न्यूयॉर्क में फिर से मिले ताकि एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद, व्यावहारिक समाधान पर पहुंच सकें.
संप्रभुता की चिंताओं के बीच अखिल-इस्लामवाद और अखिल-तुर्कवाद
लंबे समय तक खिंच गए रूस-यूक्रेन युद्ध ने कार्स को वैकल्पिक व्यापार मार्गों की खोज करने के लिए मजबूर किया है और उनकी संप्रभुता और सुरक्षा के बारे में चिंताएं जगाई हैं. जीसीसी और कार्स ने 19 जुलाई 2023 को जेद्दाह, सऊदी अरब में अपना पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया, जिसका उद्देश्य साझा मूल्यों, गहरे ऐतिहासिक संबंधों और पारस्परिक हितों के आधार पर राजनीतिक, रणनीतिक और सुरक्षा संबंधों को मज़बूत करना था. यहां नेताओं ने व्यापार, ऊर्जा, निवेश और रसद में सहयोग पर भी चर्चा की.
3 नवंबर 2023 को, आस्ताना में तुर्क राज्यों के संगठन (ओटीएस) का दसवां शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया, जो तुर्क दुनिया के भीतर सहयोग को गहरा करने और कार्स, तुर्की और अज़रबैजान सहित तुर्क राज्यों के बीच एकजुटता को मज़बूत करने के लिए देशों की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है. कुछ दिनों बाद, ताशकंद में 16वां आर्थिक सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें कार्स के साथ-साथ ईरान, अज़रबैजान और तुर्की के राष्ट्रपतियों और पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री ने भाग लिया. इन नेताओं ने नए आर्थिक सहयोग और नए कनेक्टिविटी परियोजनाओं, जिसमें टीआईटीआर भी शामिल है, पर चर्चा की.
वैश्विक खिलाड़ियों के साथ साझेदारी का पुनर्गठन
बीजिंग ने रूस को लेकर चिंता का सफलतापूर्वक लाभ उठाया है ताकि कार्स को अपनी सुरक्षा को मज़बूत करने में मदद मिल सके. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कज़ाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन व्यक्त किया और मई 2023 में चीन-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की, जहां उन्होंने क्षेत्र की सुरक्षा, संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के महत्व को दोहराया. 1991 से, बीजिंग ने मध्य एशिया पर अपना असर बढ़ा लिया है और व्यापार, निवेश और ऋण में इन देशों का एक प्रमुख साझेदार बन गया है. 2022 में, चीन और कार्स के बीच व्यापार 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसमें व्यापार घाटा बीजिंग के पक्ष में रहा.
1991 से, बीजिंग ने मध्य एशिया पर अपना असर बढ़ा लिया है और व्यापार, निवेश और ऋण में इन देशों का एक प्रमुख साझेदार बन गया है. 2022 में, चीन और कार्स के बीच व्यापार 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसमें व्यापार घाटा बीजिंग के पक्ष में रहा.
अफ़गानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद क्षतिग्रस्त वैश्विक स्थिति के बीच क्षेत्र में अमेरिकी हित भी बढ़े हैं. फरवरी 2023 में, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सी5+1 प्रारूप के तहत मध्य एशियाई देशों का दौरा किया और एक स्वतंत्र, सुरक्षित और समृद्ध क्षेत्र के लिए अमेरिकी समर्थन का आश्वासन देते हुए व्यापार मार्गों का विस्तार करने और नए निर्यात बाज़ार स्थापित करने के लिए 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर की योजना की घोषणा की. सितंबर 2023 में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की परिधि में पहली बार कार्स के नेताओं से मुलाकात की और सुरक्षा, व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय संपर्क पर चर्चा की, जिसमें विशेष रूप से टीआईटीआर पर ध्यान केंद्रित किया गया. बाइडन ने क्षेत्रीय अखंडता और क्षेत्र की संप्रभुता का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया. हालांकि, क्षेत्र में प्रभाव और शक्ति प्रदर्शन के लिए अमेरिकी रणनीति को अधिक सक्रिय बनने की ज़रूरत है. वर्तमान तरीका असंगत, कम संसाधनों वाला और चीन की तुलना में अप्रतिस्पर्धी है.
जटिल भू-राजनीतिक दृष्टिकोण और अपने स्वयं के विचारों के बीच, यूरोपीय संघ ने रूस को दरकिनार करके नई आपूर्ति श्रृंखलाओं और संपर्क को सुरक्षित करने के लिए क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाया है. जून 2023 में, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने दोनों क्षेत्रों के बीच अधिक सहयोग बनाने के लिए आस्ताना में मध्य एशियाई नेताओं से मुलाकात की.
आने वाला वर्ष
तुर्की, जीसीसी, ईरान और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ इनमें से कुछ जुड़ाव अखिल-तुर्कवाद और अखिल-इस्लामवाद के सिद्धांतों पर आधारित हैं. चीन के साथ सहयोग की प्रकृति भू-आर्थिक से भू-रणनीतिक में बदल रही है. बीजिंग अपने शासन मॉडल, सुरक्षा सिद्धांत और निगरानी तकनीकों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है, जबकि यूरोपीय संघ और अमेरिका विश्व स्तर पर अस्थिर भू-राजनीति के बीच ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार के लिए नई आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए जुड़ाव बढ़ाना चाहते हैं ताकि विकास का जारी रहना सुनिश्चित किया जा सके.
यूरोपीय संघ और अमेरिका विश्व स्तर पर अस्थिर भू-राजनीति के बीच ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार के लिए नई आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए जुड़ाव बढ़ाना चाहते हैं ताकि विकास का जारी रहना सुनिश्चित किया जा सके.
हालांकि, चीन का क्षेत्र के साथ जुड़ाव अमेरिका, भारत और यूरोप जैसे देशों के हितों पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है. एक लड़ाकू चीन का मुकाबला करने के लिए, इन देशों को दीर्घकालिक कनेक्टिविटी परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए, ताकि कार्स को दुनिया से जुड़ने के वैकल्पिक साधन प्रदान किए जा सकें. क्षेत्रीय मंथन और बढ़ते वैश्विक ध्यान के बीच, कार्स को अंतरराष्ट्रीय शक्ति प्रतिद्वंद्विता का मोहरा बने बिना सुरक्षा, संप्रभुता, क्षेत्रीय एकीकरण और नए कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचे को प्राप्त करने के लिए नए गठबंधन स्थापित करने और अपनी विदेश नीति को चलाने की आवश्यकता है. वे ऐसा कैसे करते हैं, इससे ही 2024 में क्षेत्रीय भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र को आकार लेगा.
ऐजाज़ वानी ओआरएफ़ में अध्येता हैं.
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