हर साल 10 सितंबर को मनाया जाने वाला विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (WSPD), वैश्विक स्तर पर आत्महत्या की महाविपत्ति को दूर करने की तीव्र आवश्यकता की याद दिलाता है. हर साल लगभग 7,03,000 लोग आत्महत्या कर लेते हैं, यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति की जान जाती है. ऐसे में इस गंभीर स्थिति में सबके मिलकर कार्रवाई करने की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता. डब्ल्यूएसपीडी केवल एक औपचारिकता का पालन नहीं है; यह तुरंत काम पर लगने का आह्वान है, जो मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत की शर्म को दूर करने और साक्ष्य-आधारित निवारक रणनीतियों को लागू करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है. इन आंकड़ों की गंभीरता के बीच, मानसिक स्वास्थ्य को सुर्खियों में लाने के लिए जी20 की क्षमता एक परिवर्तनकारी अवसर के रूप में उभरती है.
सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से आत्महत्या की जटिलता को दूर करना
आत्महत्या एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जो जनसांख्यिकीय सीमाओं में बंधा नहीं रहता और मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और परिस्थितिजन्य कारकों से प्रभावित होता है. मानसिक स्वास्थ्य विकारों या दर्दनाक अनुभवों से जूझ रहे लोगों में अतिसंवेदनशीलता बढ़ जाती है. सुलभ स्वास्थ्य देखभाल और समर्थन के महत्व को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर और गरीबी, असमानता और शिक्षा जैसे अंतर्निहित कारकों को दूर करने की महत्वपूर्ण भूमिका को कम करके नहीं देखा जा सकता है. यद्यपि आत्महत्या में कमी सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ चलती है, इसकी प्रगति को सैन्य संघर्षों, जलवायु परिवर्तन और कोवि़ड-19 महामारी के कारण होने वाली वैश्विक उथल-पुथल ने प्रभावित किया है.
आत्महत्या एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जो जनसांख्यिकीय सीमाओं में बंधा नहीं रहता और मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और परिस्थितिजन्य कारकों से प्रभावित होता है.
सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के बीच सहयोगात्मक प्रयासों ने आत्महत्या रोकथाम उपायों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है. ख़तरों का सामना कर रहे व्यक्तियों की पहचान और उनका समर्थन करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएं लागू की गई हैं. यद्यपि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसे वैश्विक निकायों ने डाटा एकत्र किया है और रणनीतियों को बढ़ावा दिया है लेकिन आंशिक कार्यान्वयन के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं, जिसकी वजह से और प्रतिबद्ध होने और बेहतर समन्वय की आवश्यकता है.
उद्देश्य |
व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्ययोजना 2013–2020 के लक्ष्य |
2019 के लिए मान और हासिल प्रगति
(मानसिक स्वास्थ्य एटलस 2020)
|
उद्देश्य 1: मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रभावी नेतृत्व और शासन प्रणाली को मज़बूत करना |
लक्ष्य 1.1: 80% देशों ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मानवाधिकार दस्तावेज़ों के अनुरूप मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपनी नीति या योजना विकसित या अद्यतन कर ली होगी (2020 तक) |
99 देश, डब्ल्यूएचओ के 51% सदस्य देश (मूल्य स्व-मूल्यांकन चिह्नांकन सूची (सेल्फ़-रेटिंग चेकलिस्ट) पर आधारित है) |
लक्ष्य 1.2: 80% देशों ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मानवाधिकार दस्तावेज़ों के अनुरूप मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपने कानूनों को विकसित या अद्यतन कर लिया होगा (2020 तक) |
74 देश, डब्ल्यूएचओ के 39% सदस्य देश (मूल्य स्व-मूल्यांकन चिह्नांकन सूची पर आधारित है) |
उद्देश्य 2: समुदाय-आधारित विन्यास में व्यापक, एकीकृत और उत्तरदायी मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल सेवाएं प्रदान करना |
लक्ष्य 2 : मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सेवा का दायरा कम से कम आधा बढ़ जाएगा (2020 तक) |
– मनोविकृति वाले व्यक्तियों के 29% वैश्विक मध्य मूल्य को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ मिल रही हैं
– मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर रहे अवसाद से ग्रस्त व्यक्तियों का वैश्विक मध्य मूल्य 40% है
|
उद्देश्य 3: मानसिक स्वास्थ्य-आधारित विन्यास में प्रचार और रोकथाम के लिए रणनीतियों को लागू करना |
लक्ष्य 3.1: 80% देशों में कम से कम दो राष्ट्रीय, बहुक्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और रोकथाम कार्यक्रम होंगे (2020 तक) |
101 देश, डब्ल्यूएचओ के 52% सदस्य देश (वर्तमान कार्यक्रमों की स्व-पूर्ण सूची) |
लक्ष्य 3.2: आत्महत्या की दर 10% कम की जाएगी (2020 तक) |
जनसंख्या के प्रति 1,00,000 पर 9.0 (आयु-मानकीकृत वैश्विक अनुमान मूल्य पर आधारित है)
वैश्विक आयु-मानकीकृत आत्महत्या दर में 10% की कमी आई
|
उद्देश्य 4 : मानसिक स्वास्थ्य के लिए सूचना प्रणाली, साक्ष्य और अनुसंधान को मजबूत करना |
लक्ष्य 4: 80% देश नियमित रूप से अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य और सामाजिक सूचना प्रणालियों के माध्यम से हर दो साल में मानसिक स्वास्थ्य संकेतकों का कम से कम एक मुख्य सेट एकत्र करेंगे और रिपोर्ट करेंगे (2020 तक) |
– 62 सदस्य देश, डब्ल्यूएचओ के 31% सदस्य देश कम से कम सार्वजनिक क्षेत्र में विशिष्ट मानसिक स्वास्थ्य-डाटा संकलित कर रहे हैं
– इसके अतिरिक्त, 78 सदस्य देश, जो डब्ल्यूएचओ के 40% सदस्य देशों के बराबर हैं, मानसिक स्वास्थ्य डाटा को केवल सामान्य स्वास्थ्य आंकड़ों के हिस्से के रूप में संकलित करते हैं.
(ये मूल्य कम से कम सार्वजनिक क्षेत्र को समेटते हुए हुए मानसिक स्वास्थ्य-विशिष्ट डाटा को नियमित रूप से संकलित करने की स्व-निर्धारित क्षमता पर आधारित हैं).
|
तालिका 1: व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना 2013-2020: वैश्विक लक्ष्यों और उद्देश्यों के लिए प्रगति मूल्य. स्रोत: मानसिक स्वास्थ्य एटलस 2020 |
G20 की मानसिक स्वास्थ्य शासन प्रणाली में बदलाव लाने की क्षमताएं
जी20 की स्थापना शुरू में आर्थिक सहयोग के लिए की गई थी, लेकिन यह अब वैश्विक संकटों और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक मंच के रूप में विकसित हो गया है. जी20 नेताओं की रोम घोषणा में मानसिक स्वास्थ्य को स्वीकार करना मानसिक स्वास्थ्य शासन प्रणाली पर इसके संभावित प्रभाव को रेखांकित करता है. लगातार मानसिक कल्याण को प्राथमिकता देकर, संसाधनों का आवंटन करके, प्रबंधक प्रशिक्षण को बढ़ाकर और प्रभावी प्रथाओं को साझा करके, जी20 सदस्य देश परिवर्तनकारी वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य शासन का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं. यद्यपि अलग-अलग देश मानसिक स्वास्थ्य को अलग-अलग तरीके से देखते हैं, एक सामूहिक प्रयास अभूतपूर्व मानक स्थापित कर सकता है.
भारत ने जी20 नेताओं से राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य नीतियों को स्थापित करने का आह्वान किया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के लिए रणनीतियों और स्थायी शांति के लिए समग्र आंतरिक विकास के महत्व पर ज़ोर दिया गया.
अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान, भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को सक्रिय रूप से प्राथमिकता दी है और उसकी वकालत की है. भारत ने जी20 नेताओं से राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य नीतियों को स्थापित करने का आह्वान किया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के लिए रणनीतियों और स्थायी शांति के लिए समग्र आंतरिक विकास के महत्व पर ज़ोर दिया गया. रोज़गार के क्षेत्र में, भारत ने कार्यस्थलों में मानव-केंद्रित मानसिक स्वास्थ्य नीतियों और प्रशिक्षण को एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया. देश लचीली और समावेशी स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार करने के लिए भी प्रतिबद्ध है, जिसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य व्याप्ति (यूएचसी) प्राप्त करना है जो व्यापक मानसिक और शारीरिक कल्याण की गारंटी देता है, ख़ासकर महिलाओं और संवेदनशील समूहों के लिए. जी20 के सह-ब्रांडेड (को-ब्रांडेड) कार्यक्रम ने किशोर स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया और टेली-मानस जैसी पहल शुरू की गईं. यह कार्यक्रम युवाओं के लिए एक विशेषीकृत टेली-मेंटल स्वास्थ्य सेवा निशुल्क प्रदान करता है और किशोरों के लिए स्वास्थ्य देखभाल के महत्व पर प्रकाश डालता है, ख़ासकर मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में. इसके अलावा, इस कार्यक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. इसमें वैश्विक स्तर पर किशोरवय की स्वास्थ्य चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रभावी मॉडल साझा करना, नीतियों को सामंजस्यपूर्ण बनाना और संसाधनों को जुटाना शामिल है.
ऊपर से नीचे तक और नीचे से ऊपर तक, दोनों दृष्टिकोणों को शामिल करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को आगे ला सकता है. वैश्विक प्राथमिकताओं को आकार देने में जी20 का प्रभाव महत्वपूर्ण है और जी20 की मुख्य वार्ताओं में एकीकरण, संसाधन जुटाना और मानकीकृत सर्वोत्तम प्रथाएं, ऐसे ऊपर से नीचे तक के दृष्टिकोण हैं जो इस मामले में प्रगति को नियंत्रित कर सकते हैं. साथ ही, जागरूकता अभियानों और पहलों के माध्यम से स्थानीय समुदायों को शामिल करना, एक नीचे से ऊपर तक की रणनीति में शामिल है. सामुदायिक समूहों, स्कूलों और नेताओं के साथ सहयोग कर मानसिक कल्याण के महत्व को पुष्ट किया जा सकता है. नागरिक समाज की भागीदारी नीति निर्माण और व्यावहारिक कार्यान्वयन के बीच की खाई को पाटती है, जिससे चुनौतियों और समाधानों की बेहतर समझ प्राप्त होती है.
ब्राज़ील की G20 अध्यक्षता का मानसिक स्वास्थ्य के लिए फ़ायदा उठाना
ब्राज़ील को मिल रही जी20 की अध्यक्षता मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में निहित जटिलताओं का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ले आती है. अंतरराष्ट्रीय सहयोग में अपनी भागीदारी के इतिहास और एक प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी प्रतिष्ठा के आधार पर, ब्राज़ील सदस्य राष्ट्रों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का नेतृत्व करने की स्थिति में है. महामारी का दूरगामी प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता की कठोरता से याद दिलाता है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के महत्व को रेखांकित करता है. इन कोशिशों के अलावा, ब्राज़ील हाशिए पर रहने वाले समूहों को भी शामिल करने की वकालत बढ़-चढ़कर कर सकता है जिससे यह सुनिश्चित हो कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं न केवल सुलभ हों बल्कि सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील भी हों. मानसिक स्वास्थ्य को व्यापक विकासात्मक एजेंडों में शामिल करना कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ मिलकर गूंजता है, जो मानसिक स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित करने वाले अंतर्निहित सामाजिक निर्धारकों से निपटता है.
अब तक चल रही महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एकीकृत वैश्विक कार्रवाई की बढ़ती ज़रूरत को उजागर किया है, बिना देर किए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के साझा प्रसार की आवश्यकता को स्पष्ट किया है.
जैसे ही ब्राज़ील जी20 की कमान संभालेगा, दुनिया का ध्यान उसकी नेतृत्व क्षमता का उपयोग करने की मुड़ जाएगा ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सके. अपने समृद्ध कूटनीतिक जुड़ाव के इतिहास और एक उभरती हुई महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति के आधार पर, ब्राज़ील जी20 सदस्य देशों के बीच सहयोग की एक सामंजस्यपूर्ण सिम्फ़नी (स्वरसंगति) का आयोजन करने के लिए तैयार है. अब तक चल रही महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एकीकृत वैश्विक कार्रवाई की बढ़ती ज़रूरत को उजागर किया है, बिना देर किए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के साझा प्रसार की आवश्यकता को स्पष्ट किया है.
इन महत्वपूर्ण प्रयासों के अलावा, ब्राज़ील के पास मौका है कि वह, यह सुनिश्चित करते हुए कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं न केवल सुलभ हों बल्कि उन विविध सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप हों जिनकी वे सेवा करती हैं, हाशिए के समूहों का अगुआ पक्षकार बन सकता है. इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य को व्यापक विकासात्मक एजेंडों के भीतर एकीकृत करना कल्याण के एक समग्र दृष्टिकोण को रेखांकित करता है जो मानसिक स्वास्थ्य की गतिशीलता को प्रभावित करने वाले जटिल सामाजिक निर्धारकों को स्वीकार करता है और उनकी ओर ध्यान देता है. जैसे ही ब्राज़ील जी20 को सामूहिक कल्याण के भविष्य की ओर ले जाएगा, मानसिक स्वास्थ्य सभी के लिए एक स्वस्थ और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया को आकार देने में एक केंद्रीय भूमिका निभाने लगेगा.
मानसिक स्वास्थ्य विकास में हितधारकों का विश्लेषण
ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित हालिया शोध से पता चला है कि दानकर्ता की प्राथमिकताओं और प्राप्तकर्ता की ज़रूरतों के बीच मानसिक स्वास्थ्य सहायता ने एक स्पष्ट असंतुलन को उजागर किया है. खंडित सेवाएं, अपर्याप्त संसाधन और सर्वव्यापी शर्म निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं. इसकी रोकथाम और उपचार के लिए ज्ञान साझा करने और प्रभावी रणनीतियों को लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है.
मानसिक स्वास्थ्य के लिए विकास सहायता (DAMH) इन देशों को आवश्यक संसाधन प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में कार्य करती है. वित्त पोषण के तरीक़ों की जांच करने से स्वास्थ्य क्षेत्रों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य सहायता (MHA) के महत्व का पता चलता है. दानकर्ताओं के वित्त पोषण के तरीक़ों में उतार-चढ़ाव आया है, 2018 में अचानक वृद्धि के बाद 2020 में गिरावट आई, जो कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए वित्त के दूसरी दिशा में चले जाने की वजह से थी.
अनुसंधानकर्ता आगे बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सहायता में दानकर्ताओं का योगदान अपेक्षाकृत कम, कुल स्वास्थ्य सहायता का केवल एक अंश, ही रहा है. निजी क्षेत्र के निगमों, फ़ाउंडेशनों (ज़रूरतमंद लोगों के लिए धनराशि जुटाने या किसी विशेष शोध हेतु स्थापित एक संस्था) और व्यक्तियों के वित्तीय योगदान इसमें आगे रहे हैं. जबकि उच्च-मध्यम-आय वाले देशों में अक्सर उच्च विक्लांगता समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) पाए जाते हैं, उन्हें न्यूनतम मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त होती है. इसके विपरीत, निम्न-मध्यम और निम्न-मध्यम-आय वाले देशों को अधिक सहायता प्राप्त होती है. मानसिक स्वास्थ्य सहायता हासिल करने वालों में मुख्य रूप से गैर-सरकारी संगठन (NGOs), अंतर्राष्ट्रीय निकाय और द्विपक्षीय एजेंसियां शामिल हैं.
यात्रा, वैश्विक मानसिक कल्याण की ओर
जैसे-जैसे विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस नजदीक आ रहा है, दुनिया का ध्यान मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और ख़ुदकुशी को रोके जाने की ज़रूरत की ओर जा रहा है. जी20 वैश्विक सहयोग के लिए एक शक्तिशाली मंच के रूप में खड़ा है, जिसमें मानसिक कल्याण को आगे बढ़ाने की क्षमता है. सहयोगी प्रयासों, रणनीतिक दृष्टिकोणों के एकीकरण और ब्राज़ील की अध्यक्षता के रणनीतिक उपयोग के माध्यम से, जी20 वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य शासन प्रणाली में महत्वपूर्ण प्रगति ला सकता है. आत्महत्या की रोकथाम के इर्द-गिर्द आत्यावश्यकता का भाव संयुक्त कार्रवाई को ज़रूरी बता रहा है, और जी20 इस महत्वपूर्ण प्रयास में बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकता है. प्रतिबद्धता, सहयोग और एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ, जी20 के पास हमें एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाने की क्षमता है जहां मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक प्राथमिकताओं, लोगों की जान बचाने और सभी के लिए समग्र कल्याण को पोषित करने में एक केंद्रीय स्थान रखता हो.
वायोला सेवी डिसूज़ा प्रसन्ना स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के स्वास्थ्य नीति विभाग में एक पीएचडी छात्र है.
जेस्टीना रेचल कुरियन प्रसन्ना स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एक शोध छात्रा हैं, जो बायोमेडिसिन से संबंधित डाटा साइंस में पीएचडी कर रही हैं,
संजय पट्टांशेट्टी वैश्विक प्रसन्ना स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन में स्वास्थ्य शासन प्रणाली के विभाग प्रमुख और स्वास्थ्य कूटनीति केंद्र के समन्वयक हैं.
ऊम्मेन सी. कुरियन ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में वरिष्ठ सहयोगी और स्वास्थ्य पहल के प्रमुख हैं.
स्वास्थ्य देखभाल, भारत, अंतरराष्ट्रीय मामले, सार्वजनिक स्वास्थ्य
ऊपर दिए गई विचार लेखकों/लेखिकाओं के हैं
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.