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ब्लू फूड में समुद्री संसाधनों की प्रचुरता का लाभ उठाकर वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थायित्व को बढ़ावा देने की काफ़ी संभावनाएं हैं.
ब्लू फूड दुनिया में सबसे ज़्यादा व्यापार किए जाने वाली खाद्य वस्तुओं में से एक है. ये दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा और पोषण में बेहद अहम भूमिका अदा करता है और इससे करोड़ों लोगों को रोज़गार भी हासिल होता है. दुनिया भर के लगभग तीन अरब लोग अपनी जंतु प्रोटीन की खपत के 20 प्रतिशत हिस्से को पूरा करने के लिए ब्लू फूड्स पर निर्भर रहते हैं. वहीं, मछली मारने का उद्योग दुनिया की लगभग दस बारह फ़ीसद आबादी को रोज़ी रोटी देता है. ब्लू इकॉनमी का मतलब समुद्री संसाधनों के ज़रिए आर्थिक विकास, समाज की भलाई और पर्यावरण की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की एक नई रणनीति को अपनाना है. इसमें संसाधनों के टिकाऊ दोहन, मछलियों के भंडारण की रक्षा करने और समुद्री जैव विविधता के संरक्षण के लिए विज्ञान पर आधारित प्रबंधन के तौर तरीक़े अपनाए जाते हैं. समुद्र से मिलने वाले भोजन का टिकाऊ उत्पादन, ब्लू इकॉनमी का एक प्रमुख केंद्र बिंदु है, क्योंकि समुद्री खाद्य पदार्थों में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे बेहद ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं. जलीय संसाधनों का कुशल उपयोग करने से न केवल दुनिया की बढ़ती आबादी का पेट भरने में मदद मिलती है, बल्कि इससे ज़मीन पर आधारित प्रोटीन के संसाधनों की तुलना में पर्यावरण पर कम नकारात्मक असर पड़ने का लाभ भी होता है.
ब्लू इकॉनमी की परिकल्पना में इंसानी गतिविधियों और पर्यावरण के संबंध पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में. वैसे तो इंसान हज़ारों सालों से तटीय इलाक़ों में रहते और इनके भरोसे जीते आए हैं. लेकिन, ब्लू इकॉनमी एक आधुनिक तरीक़ा है, जिसका मक़सद समुद्री संसाधनों को सभी आर्थिक स्तरों पर पूरी तरह एकीकृत करना है. इसमें स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर का एकीकरण तक शामिल है. इसका मक़सद टिकाऊ विकास की एक सोची समझी और कुशल रणनीति का निर्माण करना है.
समुद्र से मिलने वाले भोजन का टिकाऊ उत्पादन, ब्लू इकॉनमी का एक प्रमुख केंद्र बिंदु है, क्योंकि समुद्री खाद्य पदार्थों में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे बेहद ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं.
ब्लू इकॉनमी की क़ीमत का शुरुआती आकलन 1.5 अरब डॉलर लगाया गया है, जिसके 2030 तक 2.5 से 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का पूर्वानुमान लगाया गया है. सबसे कम विकसित और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) में ग़रीबी उन्मूलन और कोविड-19 महामारी के असर से टिकाऊ तरीक़े से उबरने के लिए ब्लू इकॉनमी की संभावनाओं का इस्तेमाल करने में दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. अफ्रीकी संघ का एजेंडा 2063 ब्लू इकॉनमी को अगले मोर्चे के तौर पर देखता है. सबूत ये दिखाते हैं कि कई समुद्री क्षेत्रों में ज़बरदस्त विकास देखने को मिला है. इसमें सबसे उल्लेखनीय सी-फूड उद्योग है, जो खाद्य उद्योग का सबसे तेज़ी से तरक़्क़ी कर रहा हिस्सा है, इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में सबसे तेज़ी से तरक़्क़ी कर रहा तटीय पर्यटन भी इसके तहत आता है.
टिकाऊ और न्यायोचित खाद्य व्यवस्था को बढ़ावा देकर ब्लू फूड्स, ग़रीबी घटाने और भुखमरी के उन्मूलन टिकाऊ विकास के लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने की प्रगति में काफ़ी अहम भूमिका निभाते हैं. ये न केवल सूक्ष्म पोषक तत्वों और जंतु प्रोटीन से समृद्ध पोषक खाना उपलब्ध कराकर नवजात बच्चों और मां की मौत की दर कम करते हुए ज्ञानात्मक कार्यों (SDG 2- शून्य भुखमरी, SDG 3- अच्छी सेहत और भलाई) में सहायता प्रदान करते हैं. बल्कि ब्लू फूड ग्रीनहाउस गैसों के न्यूनतम उत्सर्जन के साथ खाने के टिकाऊ उत्पादन में भी योगदान देते हैं (SDG 12- उत्तरदायी खपत, SDG 14- ज़मीन के नीचे जीवन, SDG 15- ज़मीन पर जीवन), और ये छोटे स्तर के किसानों को रोज़ी रोटी भी मुहैया कराते हैं (SDG 1- कोई ग़रीबी नहीं, SDG 8- सम्मानजनक कार्य और आर्थिक विकास, SDG 10- असमानता में कमी).
समुद्री संसाधनों का उपयोग करते हुए वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थायित्व को मज़बूती देने में ब्लू फूड की परिकल्पना, काफ़ी संभावनाओं वाली है. समुद्री और जलीय माहौल तमाम तरह के समुद्री खाद्य पदार्थ, जिनमें काई और अन्य जलीय जीव शामिल होते हैं. ये खाद्य पदार्थों के पोषक और स्थायी संसाधन बन सकते हैं. इस संभावना का दोहन करने से खाद्य आपूर्ति में विविधता आती है. इससे ज़मीन पर होने वाली पारंपरिक खेती पर पड़ रहा आबादी का दबाव कम होता है, और अधिक लचीली वैश्विक खाद्य व्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है.
ब्लू फूड्स का स्थायित्व, कुशल प्रबंधन किए जाने पर समुद्री इकोसिस्टम के फिर सजीव होने की क्षमता से प्राप्त होता है. ये टिकाऊ मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर के स्थायी बर्ताव से भी मेल खाता है, और इससे जैव विविधता के संरक्षण और पर्यावरण के कुप्रभावों को सीमित रखने में भी सहायता मिलती है. समुद्री संसाधनों की पोषक समृद्धि की पहचान करने उनका उपयोग करने से ब्लू फूड, खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने का एक उम्मीदों भरा रास्ता दिखाते हैं और साथ ही साथ स्थायित्व के दूरगामी लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहायक होते हैं.
समुद्री और जलीय माहौल तमाम तरह के समुद्री खाद्य पदार्थ, जिनमें काई और अन्य जलीय जीव शामिल होते हैं. ये खाद्य पदार्थों के पोषक और स्थायी संसाधन बन सकते हैं.
ब्लू फूड न केवल अरबों लोगों को खाना और पोषण की सुरक्षा मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि ये समुद्र और नदियों के किनारे रहने वाले बहुत से समुदायों की रोज़ी रोटी, अर्थव्यवस्थाओं और संस्कृतियों को टिकाऊ बनाए रखने में भी मददगार होते हैं. ज़मीन पर रहने वाले जीवों से मिलने वाले खाने की तुलना में ब्लू फूड्स में उल्लेखनीय विविधता देखने को मिलती है और अक्सर उनमें सूक्ष्म पोषक तत्व और फैटी एसिड मिलते हैं, और जिनका उत्पादन पर्यावरण के लिए मुफ़ीद तरीक़ों से किया जा सकता है. Figure 1 में दिखाया गया है कि किस तरह ब्लू फूड्स, खाद्य व्यवस्थाओं में बदलाव लाने के लिहाज़ से अहम हैं. इसीलिए, खाद्य और पोषण की सुरक्षा में ब्लू फूड्स की केंद्रीय भूमिका को समझना, जलीय जीवों और इकोसिस्टम की विविधता को सुरक्षित बनाने के पीछे का अहम तर्क प्रदान करता है.
वैश्विक खाद्य व्यवस्था में ब्लू फूड्स की भूमिका
खाद्य सुरक्षा और स्थायित्व को बढ़ावा देने में ब्लू फूड्स की संभावनाएं, बेहद अहम वैश्विक चुनौतियों से निपटने का एक उम्मीद भरा रास्ता दिखाती हैं. इसके लिए पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक विचारों को एकीकृत करने वाले व्यापक नज़रिए की ज़रूरत है.
अब जब हम स्थायी विकास के लक्ष्य हासिल करने की समय सीमा यानी 2030 के क़रीब आते जा रहे हैं, तो पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक विचारों को जोड़ने वाले व्यापक नज़रिए को अपनाते हुए, खाद्य सुरक्षा और स्थायित्व को बढ़ाने में ब्लू फूड की संभावना को साकार किया जा सकता है. इससे मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक लचीली और फलती फूलती खाद्य व्यवस्था में योगदान दिया जा सकेगा.
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Dr. Shoba Suri is a Senior Fellow with ORFs Health Initiative. Shoba is a nutritionist with experience in community and clinical research. She has worked on nutrition, ...
Read More +Dr. Ray, an Executive MBA and PhD with 11+ years of expertise in employee wellbeing, is the Section Head - Wellness at TVS Motor Company's ...
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