Published on Jun 20, 2023 Updated 0 Hours ago
बिम्सटेक (BIMSTEC) की ज़रूरतें: खाद्य सुरक्षा और व्यापार में जान डालना

इस साल भारत G20 की बैठकों की अध्यक्षता कर रहा हैएक वैश्विक मंच की इन बैठकों में भारतबंगाल की खाड़ी (BoB) और विकासशील दुनिया की प्राथमिकताओं को उठाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैमिसाल के तौर परबे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (BIMSTEC) के सदस्य देशों जैसे कि बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारत के मौजूदा व्यापार की स्थितिभारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तक इनकी पहुंच और भारत की नेबरहुड फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीतियों में उनकी केंद्रीय भूमिका को देखते हुएभारत की G20 अध्यक्षताइन देशों के लिए आर्थिक रूप से अहम हैताकि ये देश बेहतर बहुपक्षीय संबंध विकसित कर सकें.

भारत के सबसे कमज़ोर पड़ोसी देश जैसे कि श्रीलंका और नेपाल अभी भी महामारी के असर, या फिर हालिया वैश्विक उथल पुथल, जैसे कि रूस और यूक्रेन के युद्ध से पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में भारत की केंद्रीय भूमिका उन्हें समाधान मुहैया करा सकते हैं, जो भारत के अपने अनुभव पर आधारित हों.

इसके अलावा चूंकि भारत के सबसे कमज़ोर पड़ोसी देश जैसे कि श्रीलंका और नेपाल अभी भी महामारी के असरया फिर हालिया वैश्विक उथल पुथलजैसे कि रूस और यूक्रेन के युद्ध से पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैंऐसे में भारत की केंद्रीय भूमिका उन्हें समाधान मुहैया करा सकते हैंजो भारत के अपने अनुभव पर आधारित हों. औरभारत खाद्य और ऊर्जा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से जुड़े अहम मुद्दों के समाधान देने के साथ साथऔर अंतरराष्ट्रीय आम सहमति भी बना सकता है.

खाद्य सुरक्षा

रूस और यूक्रेन के युद्ध और उसके बाद पैदा हुए खाद्य संकट के चलते खाद्य सुरक्षा एक बड़ी चिंता के रूप में उभरी हैयूक्रेन और रूसवैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला की अहम कड़ियां हैंदोनों के बीच युद्ध से कम और मध्यम आमदनी वाले देशों के कमज़ोर तबक़ों की खाद्य सुरक्षा पर दूरगामी असर पड़ा हैइनमें बिम्सटेक देश भी शामिल हैंयही नहींये देश पहले ही महामारी के बाद के दौर में भुखमरी से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे थे.

रूस और यूक्रेन के युद्ध का वैश्विक प्रभाव उस वक़्त स्पष्ट हो गयाजब इसके कारण ज़रूरी खाद्यान्नों के निर्यात में खलल पड़ गयाचूंकिरूस और यूक्रेनगेहूंजौ और सूरजमुखी के तेल के बड़े निर्यातक देश हैंऐसे में इनके यहां से निर्यात रुक जाने से पूरी दुनिया के देशों में भयंकर नतीजे देखने को मिलेयुद्ध के कारणयूक्रेन के क़रीब दो करोड़ टन अनाज का निर्यात रुक गयाजिसका असर पूरे अफ्रीका के देशोंमध्य पूर्व और एशिया के उन देशों पर पड़ाजो हर महीने लगभग 60 लाख टन कृषि उत्पाद के आयात के भरोसे रहते हैं. हालांकि जून 2022 तकखाद्यान्न का ये निर्यात अपने शुरुआती दौर की तुलना में घटकर पांचवां हिस्सा ही रह गयाइससे दुनिया भर में क़िल्लत और बढ़ गई और कृषि क्षेत्र पर युद्ध का असर और उजागर हो गया.

Figure 1: म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड और बांग्लादेश में खाद्य असुरक्षा की मौजूदा स्थिति (आबादी का प्रतिशत)

इसके अलावाश्रीलंका में आर्थिक संकट का वहां की आबादी की खाद्य सुरक्षा पर बेहद बुरा असर पड़ा थावहीं बांग्लादेश को खाने पीने के सामानों की महंगाई से जूझना पड़ाश्रीलंका की बात करें तोवहां 2021 में अचानक से पूरे कृषि क्षेत्र में ऑर्गेनिक फार्मिंग लागू किए जाने का देश के कृषि व्यापार के प्रदर्शन पर विपरीत असर पड़ा थाहालात इतने ख़राब हो गए कि श्रीलंका को चावलचीनी और खाने पीने का वो सामान भी ख़रीदना पड़ाजो श्रीलंका में पहले उसकी अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पैदा होता था. 2022 तक श्रीलंका के प्रमुख उत्पाद चाय के उद्योग को 42.5 करोड़ डॉलर का भारी नुक़सान उठाना पड़ाइससे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा की आमदनी की स्थिति और बिगड़ गईइन हालात को देखते हुए क्षेत्रीय संगठनों के लिए ऐसे संकटों से निपटने के लिए सुरक्षा के उपाय करना बहुत अहम हैजो भूराजनीतिक स्थितियों और घरेलू अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के कारण उनकी खाद्य सुरक्षा को ख़तरे में डाल सकते हैं.

युद्ध के कारण, यूक्रेन के क़रीब दो करोड़ टन अनाज का निर्यात रुक गया, जिसका असर पूरे अफ्रीका के देशों, मध्य पूर्व और एशिया के उन देशों पर पड़ा, जो हर महीने लगभग 60 लाख टन कृषि उत्पाद के आयात के भरोसे रहते हैं.

आसियान फूड बैंक की तर्ज परख़ास बिम्सटेक देशों के लिए बनाए गए एक खाद्य बैंक की स्थापना एक आकर्षक पहल हो सकती हैजो क़ीमतों में स्थिरता लाने में योगदान दे सकता हैइसके अलावानवंबर 2022 में भारत ने बिम्सटेक देशों के कृषि मंत्रियों की दूसरी बैठक की मेज़बानी की थीजिससे सदस्य देशों को कृषि क्षेत्र में परिवर्तन लाने और खाद्य व्यवस्था में मोटे अनाजों को बढ़ावा देने में सहयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेअपनी ज़रूरत से अधिक उत्पादन करने वाले देशों में खाद्य पदार्थों जैसे कि मिलेट्स के उत्पादन और क्षेत्र के भीतर व्यापार को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है.

ऊर्जा व्यापार

जब हम ऊर्जा के आयात की पड़ताल करते हैंतो ये स्पष्ट हो जाता है कि बिम्सटेक के सभी सदस्य देशविशेष रूप से भारतम्यांमार और भूटान इन आयातों पर बहुत अधिक निर्भर हैईंधन के व्यापार पर निर्भरता इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती हैजिसके कारण बिम्सटेक देशों पर बाहरी आर्थिक झटकों का असर पड़ने की आशंका बढ़ जाती हैइसके अलावारूसयूक्रेन युद्धऊर्जा संसाधनों के मामले में देशों के आत्मनिर्भर बनने की महत्ता को और भी रेखांकित करता है.

Table 2: BIMSTEC देशों का ईंधन आयात (कुल आयातित उत्पादों में हिस्सेदारी, प्रतिशत में)

Country Most Recent Year Import Percentage
Bangladesh 2015 11
Bhutan 2012 18
India 2021 30
Myanmar 2021 20
Nepal 2021 15
Sri Lanka 2021 16
Thailand 2021 16

Source: Authors’ own, data from World Bank

नवीनीकरण योग्य ऊर्जा की तरफ आगे बढ़ने में नाकामी और ईंधन के आयात पर बहुत अधिक निर्भरता के कारण बांग्लादेशऊर्जा सुरक्षा के मामले में बेहद चुनौतीपूर्ण हालात का सामना कर रहा हैइसके अलावारूसयूक्रेन युद्ध ने इन चिंताओं को और भी बढ़ा दिया हैऊर्जा की बढ़ती हुई कीमतों और सब्सिडी के बढ़ते हुए बोझ ने वित्तीय असंतुलन और चालू खाते के घाटे को बहुत बढ़ा दिया हैजिससे बड़ी आर्थिक चुनौतियां पैदा हो गई हैंइसके नतीजे में बांग्लादेश की सरकार को ख़र्च में कटौती के उपाय लागू करने पड़ेऔरइसका नतीजा ये हुआ कि अगस्त 2022 में बांग्लादेश की सरकार ने डीज़ल और केरोसिन की क़ीमत में 42.5 प्रतिशतऑक्टेन के दाम में 51.6 फ़ीसद और पेट्रोल की क़ीमतों में 51.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दीइससे डीज़ल और केरोसिन के दाम 114 टकाऑक्टेन की क़ीमत 135 टका और पेट्रोल का दाम 130 टका प्रति लीटर हो गयाबांग्लादेश में पिछले दो दशकों में इन चीज़ों के दाम में ये सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी थीजिसके बाद बांग्लादेश में भी पेट्रोलडीज़ल के दाम भारतचीन और नेपाल के स्तर के बराबर हो गए.

पहलेअक्टूबर 2005 में प्लान ऑफ एक्शन फॉर एनर्जी कोऑपरेशन इन BIMSTECऔर अगस्त 2018 में बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना के सहमति पत्र पर दस्तख़त करने के बावजूद, BIMSTEC देश ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के मामले में चुनौतियों का सामना करते रहे हैंइन चुनौतियों में ज़रूरी मूलभूत ढांचे की और ज़रूरतबिजली का एक लचीला बाज़ार और आपसी तालमेल वाली ग्रिड व्यवस्था और बिजली की शक्ति और प्राकृतिक गैस की पाइप लाइन तकनीक के मामले में ग्रिड कोड की कमी जैसी बातें शामिल रही हैंइसके साथ साथवित्तीय नीतियों और उससे जुड़े दूसरे मसलों के अभाव भी इस क्षेत्र के देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की धीमी रफ़्तार के ज़िम्मेदार रहे हैंहालांकि, 2021 में बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन कोऑर्डिनेशन कमेटी ने इन मसलों से निपटने पर अपना ध्यान लगाया हैइस समिति के लक्ष्यों मेंबिजली के व्यापार और आदानप्रदान के लिए एक नीतिगत ढांचा विकसित करनाक़ीमतें तय करने की व्यवस्था बनाना और बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन मास्टर प्लान का अध्ययन (BGIMPS) करना शामिल है

G20 का मंच उन्नत और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक प्रशासन के मामलों में सहयोग को बढ़ावा देने और बड़ी चुनौतियों पर परिचर्चाएं करने के मौक़े उपलब्ध कराता है. इस संदर्भ में भारत के पास अनूठा अवसर है

2022 के जलवायु सम्मेलन (COP27) में भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया थाइसके लिए भारत ने कोयले और तेल समेत सभी तरह के जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बंद करने की दूरगामी रणनीति भी पेश की थीअपने इस विज़न के साथ तालमेल बिठाते हुए भारतबंगाल की खाड़ी क्षेत्र में सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के स्रोतों के मामले में नई तरक़्क़ी को बढ़ावा दे सकता हैइसके साथ साथभारत का नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशनग्रीन हाइड्रोजन के निर्माणइस्तेमाल और निर्यात को बढ़ावा दे सकता है और इस क्षेत्र की मूल्य संवर्धक श्रृंखलाओं (Value Chains) में औद्योगिक और परिवहन संबंधी कार्बन उत्सर्जन को कम करने की गति तेज़ कर सकता है.

कुल मिलाकरG20 का मंच उन्नत और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक प्रशासन के मामलों में सहयोग को बढ़ावा देने और बड़ी चुनौतियों पर परिचर्चाएं करने के मौक़े उपलब्ध कराता हैइस संदर्भ में भारत के पास अनूठा अवसर है कि वो ख़ास तौर से बिम्सटेक क्षेत्र में और व्यापक रूप से हिंद प्रशांत क्षेत्र के विकासशील देशों के समुदाय के बीच क्षेत्रीय वैल्यू चेन्स को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता हासिल करने की अहमियत पर ज़ोर दे सकता हैखाद्य और ऊर्जा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके भारत ये दिखा सकता है कि किस तरह मज़बूत क्षेत्रीय साझेदारियां विकसित करने से आर्थिक तरक़्क़ी को बढ़ावा दिया जा सकता हैखाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है और ऊर्जा के क्षेत्र में टिकाऊपन को मज़बूती दी जा सकती हैइसके अलावाऐसे प्रयास BIMSTEC देशों के बीच अधिक नज़दीकी सहयोगतकनीक के आदानप्रदान और क्षमता के निर्माण का रास्ता खोल सकते हैंजिससे आख़िरकार एक अधिक समृद्ध और आपस में जुड़े हुए हिंद प्रशांत का मार्ग प्रशस्त होगा.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.

Authors

Debosmita Sarkar

Debosmita Sarkar

Debosmita Sarkar is a Junior Fellow with the SDGs and Inclusive Growth programme at the Centre for New Economic Diplomacy at Observer Research Foundation, India. ...

Read More +
Soumya Bhowmick

Soumya Bhowmick

Soumya Bhowmick is an Associate Fellow at the Centre for New Economic Diplomacy at the Observer Research Foundation. His research focuses on sustainable development and ...

Read More +