2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए बाइडेन अपने संभावित रिपब्लिकन विरोधी डोनाल्ड ट्रंप से पीछे चल रहे हैं. इज़रायल को मज़बूत सैन्य समर्थन शायद इस रुझान को पलट सकता है और एक उम्रदराज राष्ट्रपति की उनकी छवि को बदल सकता है. मिडिल ईस्ट में दो एयरक्राफ्ट करियर भेजने का आदेश देकर बाइडेन ने अपने मज़बूत इरादे का संकेत दिया है. हालांकि मध्य पूर्व को लेकर अमेरिका की दीर्घकालीन नीति बाहरी और आंतरिक- दोनों कारणों पर निर्भर करेगी. बाहरी रूप से मध्य पूर्व की नीति पर बाइडेन का बहुत कम नियंत्रण है जो कि अब अमेरिका से और भी दूर है. इसके पीछे कई कारण हैं- फिलिस्तीन का मक़सद अब सबसे ऊपर है; इस क्षेत्र में गैर-सरकारी (नॉन-स्टेट) और सरकारी (स्टेट) किरदारों के बीच आतंक की मज़बूत धुरी है; ईरान को JCPOA (ज्वाइंट कंप्रीहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन यानी ईरान के द्वारा परमाणु हथियारों को विकसित करने से रोकने वाला समझौता) में फिर से लाने में अमेरिका की कम होती क्षमता और दिलचस्पी है; और अब पूरी ताकत के साथ इज़रायल की मदद करने की आवश्यकता है. आंतरिक रूप से व्हाइट हाउस में एक रिपब्लिकन उम्मीदवार, ख़ास तौर पर डोनाल्ड ट्रंप, के आने से बिना पलक झपकाए बाइडेन की मध्य पूर्व की नीति को ठुकरा दिया जाएगा. आख़िरकार, ट्रंप पहले ही मौजूदा समस्या के लिए नेतन्याहू को ज़िम्मेदार ठहरा चुके हैं और हमास को ‘स्मार्ट’ बता चुके हैं.
इज़रायल पर हमास के हमले से पैदा क्षेत्रीय अस्थिरता ने अमेरिका को फिर से इस तरह मध्य पूर्व में घसीट दिया है जिसकी इच्छा अमेरिका ने शायद नहीं की होगी. ये बाइडेन प्रशासन के सामने यूक्रेन युद्ध और कोविड-19 महामारी के बाद विदेश नीति की एक और परीक्षा है. ये स्थिति उस समय आई है जब अमेरिका के अपने नागरिक दुनिया भर में लगी आग को बुझाने में अमेरिका की ख़ुद से तय ज़िम्मेदारी से थक चुके हैं.
विवेक मिश्रा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं.
कबीर तनेजा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.