Author : Vivek Mishra

Published on Feb 27, 2024 Updated 0 Hours ago

बाइडेन प्रशासन रूस-यूक्रेन संघर्ष और इज़रायल-गज़ा युद्ध के बीच घरेलू राजनीतिक समर्थन बरकरार रखने और प्रमुख सहयोगियों के साथ खड़े रहने के बीच उलझा हुआ है.  

बाइडेन की दुविधा: वैश्विक संघर्ष के बीच राजनीतिक समर्थन हासिल करने की कोशिश!

अमेरिकी कांग्रेस (सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव) वर्तमान समय में अभूतपूर्व तनाव का सामना कर रही है. इसकी मुख्य वजह घरेलू राजनीति से लेकर अंतर्राष्ट्रीय एवं भू-राजनीतिक मामलों तक कई मुद्दों पर रिपब्लिकंस और डेमोक्रैट्स के बीच चल रही रस्साकशी है. महत्वपूर्ण बात ये है कि घरेलू मुद्दे अमेरिका की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से ऐसे जुड़े हुए लगते हैं कि उन्हें अलग नहीं किया जा सकता है. हाल के घटनाक्रम के तहत राष्ट्रपति बाइडेन के द्वारा यूक्रेन और इज़रायल के लिए मदद और सीमा सुरक्षा के उद्देश्य से 105 अरब अमेरिकी डॉलर के प्रस्ताव को रिपब्लिकंस ने सीनेट में नाकाम कर दिया. इस प्रस्ताव का लक्ष्य मुख्य रूप से सहयोगियों के प्रति अमेरिका के भरोसे को बढ़ाना और अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को मज़बूत करना था. ये रुकावट राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं जैसे कि अमेरिका की दक्षिणी सरहद पर सीमा सुरक्षा, बड़ी संख्या में इमिग्रेशन और यूक्रेन एवं इज़रायल के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता के बीच अभूतपूर्व संपर्क की वजह से आई है. 

दो मौजूदा युद्धों, एक यूरोप में और दूसरा मिडिल ईस्ट में, ने अमेरिकी कांग्रेस में दरार पैदा कर दी है. डेमोक्रैट्स ने भी अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव में इज़रायल को लेकर एक बिल को रोक दिया है जिसमें इज़रायल को यूक्रेन से अलग करके मदद के तौर पर 17.6 अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया कराने की बात है. सीनेट में रिपब्लिकंस ने इसका जवाब एक द्विदलीय सीमा समझौते को रोक कर दिया जिसमें सीमा पर पाबंदियों को सख़्त करने की बात है. राष्ट्रपति बाइडेन युद्ध में फंसे यूक्रेन के लिए सहायता की खातिर और अपनी पार्टी के बुनियादी सिद्धांतों और यूक्रेन को अपने प्रशासन के समर्थन को जोड़ने वाले डेमोक्रेटिक मुद्दे को बचाने के लिए एक प्रतिबंधात्मक सीमा समझौते पर  तैयार हो गए.

वैसे तो अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रैट्स ने यूक्रेन और इज़रायल को सहायता प्रदान करने के बाइडेन प्रशासन के फैसले को दक्षिण में सीमा सुरक्षा के मुद्दे से जोड़ दिया है लेकिन कुछ डेमोक्रैट्स की ये भी इच्छा है कि इज़रायल और यूक्रेन को मुहैया कराई जा रही सहायता को अलग-अलग कर दिया जाए क्योंकि यूक्रेन को दोनों पार्टियों का ज़्यादा समर्थन मिल सकता है. इज़रायल को सहायता का मुद्दा प्रशासन के लिए ज़्यादा पेचीदा है क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ सदस्य गज़ा में चल रहे संघर्ष और इसमें जान गंवाने वाले आम लोगों को लेकर सहमत नहीं हैं.

दो मौजूदा युद्धों, एक यूरोप में और दूसरा मिडिल ईस्ट में, ने अमेरिकी कांग्रेस में दरार पैदा कर दी है. डेमोक्रैट्स ने भी अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव में इज़रायल को लेकर एक बिल को रोक दिया है जिसमें इज़रायल को यूक्रेन से अलग करके मदद के तौर पर 17.6 अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया कराने की बात है. 

राष्ट्रपति बाइडेन भी कांग्रेस के कुछ गुटों से काफी ज़्यादा दबाव में हैं. इन गुटों का मानना है कि गज़ा और इज़रायल को लेकर उनकी नीति शायद गलत है, ख़ास तौर पर गज़ा में बहुत अधिक संख्या में आम लोगों की मौत को देखते हुए जो तादाद अब 30,000 के करीब पहुंच गई है. इसके अलावा अमेरिकी इंटेलिजेंस का ये इशारा है कि हमास के लड़ाकों में से केवल एक-तिहाई ही मारे गए होंगे. इसकी वजह से ट्रंप के ख़िलाफ़ तेज़ अभियान करीब आने के बावजूद बाइडेन को इज़रायल की सहायता के मामले में जल्द कुछ कदम उठाने होंगे. शुरुआत में इज़रायल के मौजूदा संघर्ष को लेकर बाइडेन का रुख दोनों देशों के बीच पुराने गठबंधन के मुताबिक था. इस गठबंधन के तहत अमेरिका ऐतिहासिक रूप से इज़रायल के साथ खड़ा रहता है, भले ही घरेलू हालात कुछ भी हों. युद्ध शुरू होने के बाद भी ये रवैया दोहराया गया और अमेरिकी कांग्रेस एवं अमेरिका में इज़रायल समर्थक मज़बूत लॉबी ने इज़रायल को काफी समर्थन दिया. लेकिन गज़ा में इज़रायल का अभियान जारी रहने के साथ बाइडेन प्रशासन पर ये दबाव बढ़ रहा है कि वो युद्ध से पीछे हटने के लिए नेतन्याहू को मजबूर करे. हालांकि इसके बावजूद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आगे बढ़े हैं और अब अंतिम मोर्चे के रूप में मिस्र की सीमा के पास राफा में ऑपरेशन के लिए योजना बनाई गई है.

हमास-इज़रायल संघर्ष को लेकर बाइडेन के रवैये में एक निश्चित बदलाव आया है. ये पिछले चार महीनों के दौरान इस क्षेत्र में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के कई दौरों से दिखता है. वैसे तो इज़रायल के लिए अटूट समर्थन के पक्ष में अभी भी ठोस बयानबाज़ी की जा रही है लेकिन युद्ध को लेकर नैरेटिव में थोड़ी नरमी आई है जो एक अधिक सोचे-समझे रवैये का संकेत है. राष्ट्रपति बाइडेन के हाल के बयानों में दबाव साफ तौर पर दिखता है. उनके बयान इशारा करते हैं कि गज़ा में इज़रायल का सैन्य जवाब शायद ज़रूरत से ज़्यादाहै और वेस्ट बैंक में बसे इज़रायली नागरिकों की हिंसा के ख़िलाफ़ उनका शासकीय आदेश (एग्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर) बाइडेन पर बढ़ते दबाव का संकेत देता है, विशेष रूप से उनके राष्ट्रपति कार्यकाल में निर्णायक बिंदु को देखते हुए. ये दबाव पेचीदा समीकरण के बारे में बताता है जिसके तहत वैश्विक मंच पर अमेरिका के हितों और प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखने में बाइडेन घरेलू राजनीतिक दबावों और अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों का सामना कर रहे हैं.                    

इमिग्रेशन

बाइडेन प्रशासन को रिपब्लिकंस के द्वारा बार-बार इमिग्रेशन और सीमा सुरक्षा के मुद्दों पर कमज़ोर दिखाया गया है. नवंबर में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव नज़दीक आने के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा एक निर्णायक मुद्दे के तौर पर उभरा है जो रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक- दोनों के उम्मीदवारों की प्रचार रणनीति को तय कर रहा है. रिपब्लिकंस अक्सर आंकड़ों का हवाला देते हैं जो बाइडेन प्रशासन के तहत सीमा पर माइग्रेंट (प्रवासियों) को हिरासत में लेने या उन्हें देश से बाहर करने के मामलों में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी का संकेत देते हैं. इस तरह रिपब्लिकंस बताते हैं कि दीवार बनाकर सीमा को मज़बूत करने की उनकी नीति इमिग्रेशन की समस्या का एक असरदार समाधान पेश करेगी. 

अमेरिका के भीतर चल रही बहस में अक्सर अपने देश की इमिग्रेशन स्थिति की तुलना यूरोप से की जाती है और कुछ लोग अमेरिका को इस मामले में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में देखते हैं.

अमेरिका के भीतर चल रही बहस में अक्सर अपने देश की इमिग्रेशन स्थिति की तुलना यूरोप से की जाती है और कुछ लोग अमेरिका को इस मामले में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में देखते हैं. यूरोप, जहां सामाजिक-आर्थिक संतुलन को बदलने में इमिग्रेशन प्रमुख फैक्टर रहा है, से अलग अमेरिका ने अभी तक ख़ुद को बचाया है. इसके पीछे कई फैक्टर हैं जिनमें दोनों तरफ से समुद्र से घिरी लाभदायक भौगोलिक स्थिति से लेकर इमिग्रेशन नीति की ज़रूरत का ज़्यादा सुर्खियों में रहना शामिल है. इसके उलट मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और एशिया जैसे क्षेत्रों, जहां संघर्ष की वजह से अक्सर लोग अपना देश छोड़ते हैं, से अपनी नज़दीकी और ज़मीन से इनके साथ जुड़े होने की वजह से यूरोप इमिग्रेशन के मामले में ज़्यादा दबाव का सामना करता है.

बाइडेन की दुविधा

राष्ट्रपति बाइडेन ख़ुद को असमंजस की स्थिति में पाते हैं क्योंकि उनके प्रशासन से उम्मीद की जाती है कि वो इज़रायल के लिए अमेरिका के ऐतिहासिक समर्थन को जारी रखेंगे. इसकी वजह अतीत का डोनेशन और मौजूदा राजनीतिक भावना है जो इज़रायल की सुरक्षा के लिए की गई किसी भी कार्रवाई को अपर्याप्त समर्थन समझने पर इसे आतंकवाद को संभावित रूप से दोषमुक्त करने के समान मानती है. हालांकि बाइडेन इज़रायल और यूक्रेन की सहायता को अलग-अलग करने के लिए अपनी ही पार्टी के भीतर दबाव का सामना कर रहे हैं.

एक तरफ तो इज़रायल को सहायता और सीमा समझौते के संबंध में कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों के बीच व्यापक समर्थन को देखते हुए रिपब्लिकंस के साथ बाइडेन अधिक नज़दीकी तौर पर जुड़ने वाले माने जाते हैं. दूसरी तरफ डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों से इस बात को लेकर दबाव है कि इज़रायल और यूक्रेन को सहायता में अंतर किया जाए. ये पार्टी के भीतर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और संघर्षों को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण को दिखाता है.

इन दबावों ने कई महीनों से अमेरिकी कांग्रेस को काफी बांट दिया है और इसका समाधान दूर तक दिखाई नहीं देता, ख़ास तौर पर डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन- दोनों उम्मीदवारों के जोश से भरे हुए राजनीतिक अभियानों के बीच. 24 फरवरी को साउथ कैरोलाइना में होने वाली रिपब्लिकन प्राइमरी के नज़दीक आने के साथ हर किसी की निगाहें प्रतिस्पर्धी के तौर पर ट्रंप और हेली पर है और व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप को जीत मिलेगी. इसकी वजह उनका मज़बूत समर्थन और 60 डेलीगेट्स को इकट्ठा करना है. इससे रिपब्लिकन पार्टी के भीतर राष्ट्रपति उम्मीदवार की रेस में उनकी स्थिति मज़बूत होगी.

इस बीच राष्ट्रपति बाइडेन के सामने अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं. वैसे तो डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर उनके सामने कोई बड़ा चेहरा नहीं है और उन्हें केवल डीन फिलिप्स जैसे दावेदार को हराना है लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उनके ऊपर दूसरे ख़तरे मंडरा रहे हैं. 

इस बीच राष्ट्रपति बाइडेन के सामने अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं. वैसे तो डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर उनके सामने कोई बड़ा चेहरा नहीं है और उन्हें केवल डीन फिलिप्स जैसे दावेदार को हराना है लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उनके ऊपर दूसरे ख़तरे मंडरा रहे हैं. पिछले दिनों बाइडेन की उम्मीदवारी, जो चुनावी सर्वे में एक मौजूदा राष्ट्रपति के लिए पहले ही रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है, को झटका न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) के द्वारा 8 फरवरी को जारी स्पेशल काउंसल की रिपोर्ट के रूप में लगा है. रिपोर्ट में राष्ट्रपति पद के लिए बाइडेन की मानसिक तीक्ष्णता और फिटनेस पर संदेह जताया गया है. इस तरह असरदार ढंग से राष्ट्रपति के रूप में काम करने की उनकी उम्र और क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं. हो सकता है कि सीधे तौर पर इस रिपोर्ट से उनकी उम्मीदवारी पर असर नहीं पड़े लेकिन ये तय है कि बाइडेन और उनके नेतृत्व को लेकर लोगों की सोच पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

पिछले चार वर्षों के दौरान बाइडेन प्रशासन ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं जिनमें आर्थिक बढ़त, साइबर स्पेस एवं AI के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क (नियामक रूप-रेखा) तैयार करना और इंफ्रास्ट्रक्चर पर महत्वपूर्ण खर्च शामिल हैं. इसके अलावा पाबंदियों पर कार्यकारी कदम, चीन को आधुनिक तकनीकों का निर्यात और महंगाई में कमी उनके कार्यकाल की बड़ी विशेषताएं हैं. लेकिन सर्वे में बाइडेन के ख़िलाफ़ ट्रंप की लगातार बढ़त से संकेत मिलता है कि उम्मीद के मुताबिक इन उपलब्धियों की गूंज ज़ोर से अमेरिका के लोगों को सुनाई नहीं दी होगी.

रूस-यूक्रेन और इज़रायल-हमास के बीच दो बड़े युद्धों ने बाइडेन प्रशासन को नाज़ुक स्थिति में डाल दिया है. बाइडेन प्रशासन देश में मज़बूत राजनीतिक जनादेश बरकरार रखने और मिडिल ईस्ट में इज़रायल जैसे प्रमुख सहयोगी के साथ खड़े रहने के बीच फंसा हुआ है. इसके साथ-साथ यूक्रेन का समर्थन भी है जो राष्ट्रपति बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी और उनके प्रशासन के सिद्धांतों के लिए काफी महत्व रखता है. 

विवेक मिश्रा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं.

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