Author : Pratnashree Basu

Published on Aug 17, 2023 Updated 0 Hours ago
दक्षिणी चीन सागर में ‘बार्बी’ की कठिन यात्रा!

जुलाई की शुरुआत में, जब दुनिया भर में बार्बी फ़िल्म का ज़ोर शोर से प्रचार किया जा रहा था, हनोई ने इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया. यह फ़िल्म 21 जुलाई को रिलीज़ होने वाली थी लेकिन फ़िल्म के एक दृश्य में एक मानचित्र में दक्षिणी चीन सागर में विवादास्पद नाइन-डैश लाइन को दिखाया गया था. मानचित्र को लेकर फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान ने भी ऐतराज़ जताया था. फिलीपींस ने इस मामले पर विचार करने के लिए एक बोर्ड का गठन किया था, जिसके अनुसार यह एक “कार्टून जैसा मानचित्र” था. इसके बाद मनीला ने उस दृश्य में मानचित्र को धुंधला करके उस फ़िल्म को दिखाने की अनुमति दे दी. लेकिन हनोई ने इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया. फ़िल्म की निर्माता कंपनी वार्नर ब्रदर्स का कहना है कि मानचित्र बच्चों के बनाए चित्र जैसा है जिसका कोई ख़ास मतलब नहीं है.



बार्बी कोई पहली हॉलीवुड फ़िल्म नहीं है, जिसमें दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र का गलत चित्रण न किया गया हो और उसे लेकर भू-राजनीतिक विवाद की स्थिति न पैदा हुई हो.

बार्बी कोई पहली हॉलीवुड फ़िल्म नहीं है, जिसमें दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र का गलत चित्रण न किया गया हो और उसे लेकर भू-राजनीतिक विवाद की स्थिति न पैदा हुई हो. 2022 में, एक्शन-एडवेंचर फिल्म अनचार्टेड को वियतनाम में प्रतिबंधित कर दिया गया था, और 2021 में, नेटफ्लिक्स ने हनोई और मनीला के ऐतराज जताने के बाद ऑस्ट्रेलियाई जासूसी ड्रामा सीरीज़ पाइन गैप से दो एपिसोड हटा दिए. विवादास्पद मानचित्र दिखाने के कारण 2019 में आई फ़िल्म एबोमिनेबल को भी वियतनाम में प्रदर्शित नहीं किया गया था. जबकि फ़िल्म के एक दृश्य में जो मानचित्र दिखाया गया है, वह वास्तव में कल्पनाशील तरीके से बनाया गया एक कार्टून मात्र है, जिसकी विकृत आकृतियों से बमुश्किल देशों का पता चलता है. ऐसे मानचित्र पर भी नाइन डैश लाइन को दिखाना परेशान करने वाली बात है क्योंकि ऐसे किसी चित्रण का कोई मतलब नहीं है. वियतनाम द्वारा फ़िल्म पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के तुरंत बात, चीनी सोशल मीडिया ने फ़िल्म में नाइन डैश लाइन को शामिल करने के वार्नर ब्रदर्स के फ़ैसले का समर्थन करते हुए उसका जश्न मनाया.



कहानी के ज़रिये रणनीतिक संदेश



भले ही इससे पारंपरिक सुरक्षा मुद्दों न जुड़े हों लेकिन जिस तरह से चीनी नाविकों का वियतनाम या फिलीपींस की समुद्री सीमाओं में घुसना एक भू-राजनीतिक मुद्दा है, ठीक उसी तरह दृश्य माध्यम के ज़रिए किसी देश की संप्रभुता को गलत ढंग से प्रस्तुत करना भी एक भू-राजनीतिक मुद्दा है.

हालिया वर्षों में, कुछ फ़िल्मों और टीवी कार्यक्रमों को दक्षिणी चीन सागर के मानचित्र में विवादास्पद नाइन डैश लाइन दिखाने के कारण कई विवादों का सामना करना पड़ा है और उसके कारण उन्हें कुछ नतीजों का भुगतान करना पड़ा है. नाइन डैश लाइन एक समुद्री सीमा रेखा है, जिसका उपयोग करके चीन दक्षिणी चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपने क्षेत्रीय अधिकारों का दावा करता है. उसके इस दावे का विरोध क्षेत्र के कई देशों जैसे वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान करते हैं, जिसके कारण यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील और तनावपूर्ण मुद्दा है. बीजिंग ने बहुत ही योजनाबद्ध और आक्रामक तरीके से दक्षिणी चीन सागर में अपनी समुद्री सीमाओं का विस्तार किया है जो UNCLOS द्वारा तय की गई समुद्री क्षेत्रीय सीमा का सीधा उल्लंघन है, और साथ ही उसने स्थाई मध्यस्थता न्यायालय के फैसले की भी अवहेलना की है जिसने दक्षिणी चीन सागर में फिलीपींस के समुद्री क्षेत्र की सीमा पर उसकी संप्रभुता को बरकरार रखा है. इतना ही नहीं बीजिंग ने समूचे दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र पर अपना दावा बताते हुए और इसे नाइन डैश लाइन द्वारा सीमांकित करते हुए एक मानचित्र का प्रकाशन भी किया है.

बीजिंग ने बहुत ही योजनाबद्ध और आक्रामक तरीके से दक्षिणी चीन सागर में अपनी समुद्री सीमाओं का विस्तार किया है जो UNCLOS द्वारा तय की गई समुद्री क्षेत्रीय सीमा का सीधा उल्लंघन है.


अजीब बात तो ये है कि फ़िल्म निर्माता चीन द्वारा प्रकाशित दक्षिणी चीन सागर के मानचित्र का ही प्रयोग करते हैं जबकि इसे लेकर बार-बार आपत्तियां जताई जाती रही हैं. फ़िल्मों में दक्षिणी चीन सागर के मानचित्र में नाइन डैश लाइन को दिखाए जाने को लेकर जो भी शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं, उनका आधार अंतर्राष्ट्रीय कानूनों द्वारा स्थापित सिद्धांत और नियम आधारित व्यवस्था है, जो महज़ नैतिक, सांस्कृतिक या धार्मिक कारणों से नहीं उपजी हैं, जैसा कि आमतौर पर किसी कला से जुड़े विवादों में देखने को मिलता है.

यह आपत्तियां जायज़ हैं क्योंकि भले ही इन फ़िल्मों और टीवी सीरीजों का भू-राजनीतिक गतिविधियों से कोई लेना देना न हो लेकिन नाइन डैश लाइन का प्रयोग कहीं न कहीं दक्षिणी चीन सागर पर चीन के दावे को वैधता प्रदान करता है, जो क्षेत्र में स्थित अन्य देशों के दावों को ख़ारिज करता है और सबसे ज़रूरी बात कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र कानून का उल्लंघन करता है. अगर भौगोलिक मानचित्र को बार-बार एक ख़ास ढंग से प्रस्तुत किया जाता है तो इसे एक ख़ास तरह के भू-राजनीतिक दृष्टिकोण के प्रति समर्थन या उसे वैधता प्रदान करने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है. क्षेत्रीय संप्रभुता को स्थापित करने में मानचित्रों की अहम भूमिका होती है. और यही कारण है कि वियतनाम और अन्य देशों की शिकायतें और न केवल वैध हैं, बल्कि जब-जब इन सीमाओं के उल्लंघन के मामले सामने आएंगे तब-तब इनका विरोध किया जाना चाहिए.



बॉक्स ऑफिस पर चीन का दबदबा



2022 तक, चीन पूरे विश्व में राजस्व के मामले में सबसे बड़ा बॉक्स ऑफिस बाज़ार था, जिस पर हाल ही में 2023 में अमेरिका ने कब्ज़ा जमा लिया है. इसलिए वार्नर ब्रदर्स, ड्रीमवर्क्स, सोनी और कई अन्य अमेरिकी निर्माता कंपनियों के लिए चीन एक बहुत बड़ा बाज़ार है. सिनेमा के लिहाज़ से एक आकर्षक बाज़ार होने के अलावा, चीन कई सालों से हॉलीवुड में वित्तीय निवेश और यहां तक कि देश के कई थिएटरों को ख़रीद करके उसने निर्णयन शक्ति अर्जित कर ली है. और ये निर्माता कंपनियां वित्तीय लाभ के लिए चीन पर ज्य़ादा से ज़्यादा निर्भर हो गई हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि चीन इतनी बड़ी ताक़त है कि उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. लेकिन यह वास्तव में एक चिंताजनक बात है कि चीन चीज़ों को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ कर पेश करने और अपनी सुविधा के हिसाब से नियमों का निर्धारण करने की क्षमता रखता है.

सिनेमा के लिहाज़ से एक आकर्षक बाज़ार होने के अलावा, चीन कई सालों से हॉलीवुड में वित्तीय निवेश और यहां तक कि देश के कई थिएटरों को ख़रीद करके उसने निर्णयन शक्ति अर्जित कर ली है.


बीजिंग के लिए हर एक मुद्दा राजनीतिक है. संप्रभुता के सवाल पर यह स्वाभाविक है कि हर एक देश इसे एक राजनीतिक मुद्दे के तौर पर देखेंगे. लेकिन चीन इस लिहाज़ से अन्य देशों की तुलना में अलग है कि उसके साथ व्यापार करने की बहुत ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ती है, और अक्सर यह क़ीमत वित्तीय लाभ से परे राजनीतिक सौदेबाजी में तब्दील हो जाती है. ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जब बीजिंग ने ऐसी सामग्री दिखाए जाने के लिए निर्माता कंपनियों को दंडित किया है जिसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपने देशवासियों को नहीं दिखाना चाहती. यहां तक कि चीन को एक तानाशाह देश की बजाय एक परोपकारी देश के रूप में दिखाए जाने के लिए उसने पूरी स्क्रिप्ट को ही बदल दिया. भले ही इस साल उससे सबसे बड़े बॉक्स ऑफिस बाज़ार का खिताब छीन गया हो, लेकिन अभी भी यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा बॉक्स ऑफिस बाज़ार है और आगे भी उसके पास इतनी ताक़त बनी रहेगी कि वह यह तय कर सके कि पर्दे पर क्या दिखाया जाए और कैसे दिखाया जाए. इसलिए, नाइन-डैश लाइन दिखाने वाले मानचित्र इतने महत्वपूर्ण नहीं हैं कि उन पर कोई कदम उठाया जा सके. बार्बी चीन के राजनीतिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दबदबे को दिखाने वाली आख़िरी फ़िल्म नहीं होगी.

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Pratnashree Basu is an Associate Fellow, Indo-Pacific at Observer Research Foundation, Kolkata, with the Strategic Studies Programme and the Centre for New Economic Diplomacy. She ...

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