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मौजूदा आर्थिक झटके की चोट और बांग्लादेश के टाका की क़ीमत पर उसके असर का सामना बांग्लादेश के आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के लोग कर रहे हैं.
विदेश से भेजी गई रक़म सांख्यिकी के हिसाब से घरेलू खर्च, बचत और निवेश के ज़रिए किसी देश के विकास को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण कारण साबित हुई है. वास्तव में विदेश से भेजी गई रक़म जीवन स्तर को बढ़ाने और मौद्रिक नीति के विकास, ख़ास तौर पर बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों के लिए, में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. बांग्लादेश विदेश से पैसा हासिल करने के मामले में दुनिया के 10 बड़े देशों में से एक है. अलग-अलग देशों (मुख्य तौर पर मध्य-पूर्व में) में काम करने वाले बांग्लादेश के लोग पैसा वापस अपने देश भेजते हैं. ये रक़म बांग्लादेश की GDP का लगभग 7 प्रतिशत है और ये पैसा बांग्लादेश में ग़रीबी कम करने के एजेंडे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.
अलग-अलग देशों में काम करने वाले बांग्लादेश के लोग पैसा वापस अपने देश भेजते हैं. ये रक़म बांग्लादेश की GDP का लगभग 7 प्रतिशत है और ये पैसा बांग्लादेश में ग़रीबी कम करने के एजेंडे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है
लेकिन कोविड-19 महामारी ने बांग्लादेश में विदेश से आने वाली रक़म पर बहुत बुरा असर डाला है. इसकी वजह ये है कि बड़ी तादाद में बांग्लादेश के प्रवासी उन देशों में फंसे हुए हैं जहां सख़्त लॉकडाउन के उपाय किए गए हैं या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं की वजह से वो वापस अपने देश आ गए हैं. इसके अलावा विदेश में नौकरी छूट जाने की वजह से भी भेजी गई रक़म में कमी आई है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में विदेश से भेजी गई रक़म में 15.12 प्रतिशत की कमी आई और ये 21.03 अरब अमेरिकी डॉलर रही. वैसे जुलाई 2022 में ईद-उल-अज़हा त्योहार के दौरान बांग्लादेश में ज़्यादा रक़म आने की उम्मीद की जा रही थी.
आंकड़ा 1: बांग्लादेश में भेजी गई रक़म (बिलियन अमेरिकी डॉलर में) (2014-2022)
स्रोत: लेखक का अपना, बांग्लादेश बैंक का डेटा
विदेशी मुद्रा की कमी और गिरता टाका
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में चालू खाते के घाटे को अक्सर विदेश से भेजी गई रक़म से ठीक किया गया है. लेकिन विदेश से भेजी गई रक़म में कमी ने भुगतान संतुलन (BOP) को प्रभावित किया है और विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) के भंडार को बिगाड़ा है. इससे डॉलर के मुक़ाबले बांग्लादेशी टाका की स्थिति पर असर पड़ा है. टाका का दुर्भाग्य उस समय साफ़ दिखा जब एक दशक के भीतर एक दिन में इसकी क़ीमत सबसे ज़्यादा गिरी (0.91 प्रतिशत की गिरावट) और भाव एक डॉलर के मुक़ाबले 87.50 टाका पर पहुंच गया. ठीक एक साल पहले एक अमेरिकी डॉलर का भाव 84.40 टाका था. दिसंबर 2022 में भाव एक डॉलर के मुक़ाबले 105.82 बांग्लादेशी टाका तक पहुंच गया. इसके बावजूद, ये ज़रूर ध्यान रखा जाना चाहिए कि बांग्लादेशी टाका के भाव में 3.18 प्रतिशत की गिरावट इसके पड़ोसी देशों की मुद्रा की क़ीमत में एक ही साल में आई कमी, जैसे कि भारतीय रुपये (8.56 प्रतिशत), पाकिस्तानी रुपये (30.18 प्रतिशत) और श्रीलंका के रुपये (79.82 प्रतिशत), के मुक़ाबले ज़्यादा ख़राब नहीं है. करेंसी की क़ीमत में गिरावट दक्षिण एशिया की आर्थिक कमज़ोरी की तरफ़ इशारा करती है.
अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले बांग्लादेशी टाका में गिरावट से आयात महंगा हो जाएगा जिससे अनुकूल व्यापार संतुलन को बनाए रखने के सरकार के उद्देश्य में मदद मिलेगी. लेकिन इससे आयातित सामानों और दूसरे ग़ैर-आयातित घरेलू सामानों की क़ीमत में बढ़ोतरी होगी और ये महंगाई में और योगदान करेगी. बांग्लादेशी टाका की क़ीमत पर असर को कम करने के लिए बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने अपने पास मौजूद विदेशी मुद्रा को बेचने की कोशिश की. इसकी वजह से बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट आई और ये 2021 के 46.39 अरब अमेरिकी डॉलर से कम होकर जुलाई 2022 में 39.77 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया. इसने बांग्लादेश में पूंजी निवेश को बहुत नुक़सान पहुंचाया है क्योंकि निवेशकों को कम मुनाफ़ा होने का डर सताने लगा. निवेशकों के इस डर ने बांग्लादेश में दीर्घकालीन विकास की संभावनाओं को ख़राब किया है. रूस-यूक्रेन युद्ध ने बांग्लादेश की दिक़्क़तों में और बढ़ोतरी की है. कच्चे तेल एवं खाद्य उत्पादों के आयात बिल में बढ़ोतरी, सप्लाई चेन में रुकावट और पश्चिमी देशों में महंगाई की तेज़ रफ़्तार की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में और कमी आई है और निकट भविष्य के लिए बांग्लादेश की उम्मीदों पर नकारात्मक असर पड़ा है. साथ ही सरकार को 2023-24 के लिए विकास का पूर्वानुमान कम करके 6.5 प्रतिशत करना पड़ा है.
आंकड़ा 2: बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार (बिलियन अमेरिकी डॉलर में) (2014-2022)
स्रोत: लेखक का अपना, बांग्लादेश बैंक का डेटा
महंगाई का दबाव
वैश्विक बाज़ार में अनिश्चितता और बांग्लादेशी टाका की क़ीमत पर उसके असर ने देश में ग़रीबों की स्थिति को लेकर राजनीतिक व्यवस्था के सामने एक मूलभूत सवाल खड़ा कर दिया है. एक तरफ़ तो महंगाई की वजह से समाज के ग़रीब तबके को अपने खाने-पीने और पोषण की ज़रूरत को लेकर समझौता करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ आवश्यक सामानों जैसे कि गैस की कमी ने देश में सभी आर्थिक क्षेत्रों को ख़राब ढंग से प्रभावित किया है. इन मुद्दों को समझते हुए और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को विकास से जुड़ी बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं की रफ़्तार को कम करना पड़ा और खर्च कम करने के उपायों को लागू करना पड़ा जैसे कि सरकारी अधिकारियों के विदेश दौरे पर रोकथाम.
आने वाले दिनों में समाज के वित्तीय रूप से कमज़ोर वर्ग को काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि बांग्लादेशी टाका में गिरावट और सामानों की महंगाई उनके लिए गुज़र-बसर करना चुनौतपूर्ण बना देगी. ग़ैर-खाद्य महंगाई में परिवहन, संचार, कपड़े और चप्पल-जूते की क़ीमत का बड़ा योगदान है लेकिन खाद्य महंगाई, जो जून 2022 में बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई है, के मामले में तेल का योगदान बढ़ गया है. इसकी वजह है खाद्य तेल का निर्यात करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के द्वारा आपूर्ति में कमी करना. कृषि सामानों की क़ीमत पर भी असर पड़ा है क्योंकि ढुलाई और मशीनीकरण की लागत में बढ़ोतरी हुई है.
बांग्लादेश की समग्र मुद्रास्फीति दर जून 2022 में बढ़कर 7.56 प्रतिशत हो गई जो एक साल पहले 5.36 प्रतिशत थी. इस तरह पिछले नौ साल में ये सबसे ज़्यादा मुद्रास्फीति की दर थी. 2021 की शुरुआत से बांग्लादेश ने मुद्रास्फीति दर में लगातार बढ़ोतरी को देखा है. इसकी एक वजह महामारी की वजह से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में आई रुकावट है. इसके अलावा बाज़ार के फिर से खुलने पर मांग की वजह से भी क़ीमत में बढ़ोतरी हुई है. रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके नतीजतन आवश्यक सामानों के दाम में बढ़ोतरी भी एक कारण है.
आंकड़ा 3: बांग्लादेश में मुद्रास्फीति की दर (2021-2022)
स्रोत: लेखक का अपना, बांग्लादेश बैंक का डेटा
आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा महंगाई के दबाव की वजह से सरकार के द्वारा इकट्ठा राजस्व बढ़ते खर्च को पूरा करने में सक्षम नहीं है. इसके कारण बांग्लादेश के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी होती है. दूसरी ओर, ‘जुड़वां कमी की अवधारणा’ (ट्विन डेफिसिट हाइपोथेसिस) का पालन करते हुए राजकोषीय घाटा व्यापार संतुलन पर असर डालता है, इससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होती है और एक ख़राब चक्र के रूप में घरेलू अर्थव्यवस्था पर और ज़्यादा महंगाई का दबाव पड़ता है. हालांकि, ज़्यादातर विकासशील देश इसका खामियाज़ा भुगतते हैं, ख़ासतौर पर बड़े बाहरी झटकों जैसे कि महामारी या रूस-यूक्रेन संघर्ष का सामना करना पड़े तो. इसलिए बांग्लादेश को हर हाल में निकट भविष्य में इससे बाहर निकलने के लिए घरेलू अर्थव्यवस्था में भी मूलभूत बदलाव करने पड़ेंगे.
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के उद्देश्य से तैयार नीतियों को न्यायसंगत विकास के व्यापक लक्ष्य के भीतर काम करना चाहिए क्योंकि कमज़ोर तबके के लोग मौजूदा आर्थिक झटकों से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.
अगस्त 2022 में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने कहा था कि “बांग्लादेश कभी श्रीलंका नहीं बनेगा. हम किसी भी विकास की परियोजना पर काम शुरू करने से पहले व्यावहारिक ढंग से सोचते हैं और इसलिए बांग्लादेश सभी वैश्विक चुनौतियों से निपटते हुए आगे बढ़ना जारी रखेगा.” इसलिए, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के उद्देश्य से तैयार नीतियों को न्यायसंगत विकास के व्यापक लक्ष्य के भीतर काम करना चाहिए क्योंकि कमज़ोर तबके के लोग मौजूदा आर्थिक झटकों से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.
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Soumya Bhowmick is a Fellow and Lead, World Economies and Sustainability at the Centre for New Economic Diplomacy (CNED) at Observer Research Foundation (ORF). He ...
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