जब से कोविड महामारी शुरू हुई है, तभी से दुनियाभर में ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न एवं शोषण (OCSAE) के मामलों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज़ की गई है. उदाहरण के लिए यूरोपीय संघ (ईयू), अमेरिका और भारत सभी ने वर्ष 2020 और 2021 के दौरान बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री (CSAM) और ऑनलाइन ग्रूमिंग के आदान-प्रदान में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी दर्ज़ की है. ब्रिटेन स्थित वॉचडॉग दि इंटरनेट वॉच फ़ाउंडेशन ने वर्ष 2021 को ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न और शोषण के लिहाज से सबसे खराब वर्ष घोषित किया है.
ऑस्ट्रेलिया में भी ऑनलाइन गैरक़ानूनी कंटेंट के प्रसार और उपभोग में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दिखाई दी, बड़ी बात यह कि इस सामग्री में एक बड़ा हिस्सा CSAM का है. कथित तौर पर कहा जाता है कि ऑस्ट्रेलिया में महामारी के दौरान CSAM की मांग इतनी अधिक हो गई थी कि इस प्रकार के कंटेंट वाली वेबसाइटें ट्रैफिक के बोझ की वजह से क्रैश तक हो गईं.
वर्ष 2021 के एक सर्वे के मुताबिक़ ऑस्ट्रेलिया में हर तीन में से दो लोग 18 वर्ष के होने से पहले ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का शिकार होते हैं, यह दर दुनिया के किसी भी क्षेत्र से अधिक है. ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों ने “हालात की भयावहता [COVID-19 संकट के दौरान] की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि उस समय पहले की तुलना में सबसे अधिक युवा ऑनलाइन थे और अधिक संख्या में एप्स एवं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध थे.”
ऑस्ट्रेलिया में भी ऑनलाइन गैरक़ानूनी कंटेंट के प्रसार और उपभोग में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दिखाई दी, बड़ी बात यह कि इस सामग्री में एक बड़ा हिस्सा CSAM का है.
ऑनलाइन बाल सुरक्षा पर ऑस्ट्रेलिया का रुख
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया बाल सुरक्षा के मुद्दे पर बेहद गंभीर रहा है और उसने हमेशा इसकी वक़ालत की है. ऑस्ट्रेलिया वर्ष 1990 के बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (सीआरसी) का समर्थन करने वाले शुरुआती देशों में से एक था. वर्ष 2002 में ऑस्ट्रेलिया ने सीआरसी के लिए दूसरा वैकल्पिक प्रोटोकॉल अपनाया, जो बच्चों के विरुद्ध ऑनलाइन और ऑफलाइन अपराधों के लिए सीआरसी के प्रावधानों को और मज़बूत करता है.
ऑस्ट्रेलिया में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए संघीय और राज्य, दोनों स्तरों पर कड़े क़ानूनी फ्रेमवर्क विकसित किए गए हैं. ऑस्ट्रेलिया का बच्चों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ाने वाला अधिनियम यानी इनहेंसिंग ऑनलाइन सेफ्टी फॉर चिल्ड्रन एक्ट (2015) बच्चों को ऑनलाइन नुकसान पहुंचाने के विरुद्ध एक मुख्य हथियार रहा है. ऑस्ट्रेलिया के क्रिमिनल कोड के डिवीजन 273 और 274 CSAM के उत्पादन और वितरण को अपराध की श्रेणी में लाते हैं. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने ऑनलाइन ग्रूमिंग से निपटने के लिए भी क़ानूनी उपाय पेश किए हैं. इसके अतिरिक्त राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर चिल्ड्रन एंड यंग पीपल एक्ट (2008), अपराध (बाल यौन अपराधी) अधिनियम (2005), बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण अधिनियम (2007) और बाल संरक्षण अधिनियम (1999) जैसे कई क़ानून उन सभी तरह के बाल अपराधों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में सक्षम हैं, जिन्हें अब साइबर स्पेस पर लागू होने के रूप में स्पष्ट किया गया है.
महामारी के पहले वर्ष के दौरान 30 देशों में “बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ ऑनलाइन सुरक्षा” के मुद्दे पर किए गए एक सर्वेक्षण – 2020 चाइल्ड ऑनलाइन सेफ्टी इंडेक्स (सीओएसआई) में ऑस्ट्रेलिया को (स्पेन के बाद) दूसरा स्थान दिया गया. SEON ग्लोबल साइबर-सेफ्टी इंडेक्स 2020 के मुताबिक़, ऑस्ट्रेलिया को ओवरऑल साइबर-सुरक्षा (वयस्कों की ऑनलाइन सुरक्षा और व्यवसायों, सरकारों और महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर की साइबर सुरक्षा समेत) के मामले में आठवीं रैंक दी गई थी. यह दर्शाता है कि ऑस्ट्रेलिया एक लिहाज़ से सामान्य साइबर अपराधों की तुलना में बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराधों से अधिक प्रभावी तरीक़े से निपटने में सक्षम रहा है.
महामारी के दौरान OCSAE से निपटना
वर्ष 2020 के बाद से OCSAE में बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया ने तीन तरह से अपनी प्रतिक्रिया दी है. सबसे पहले, इसने एक दूरदर्शी नया क़ानून, दि ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट 2021 बनाया है, जो ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले मौजूदा उपायों को और मज़बूती प्रदान करता है. दूसरा, ऑस्ट्रेलिया ने बाल यौन शोषण को रोकने और इस तरह की गतिविधियों पर जवाबी कार्रवाई के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति (2021-30) शुरू की है, जिसमें हितधारकों का एक व्यापक स्पेक्ट्रम शामिल है. तीसरा, स्कूली सिस्टम में शामिल होकर छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को OCSAE एवं अन्य ऑनलाइन ज़ोख़िमों के बारे में संवेदनशील और ज़ागरूक बनाया जा रहा है. इसके साथ ही इन ज़ोख़िमों को दूर करने के लिए क़ानून लागू करने वाले अधिकारियों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है.
- ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम, 2021 के जरिए सुरक्षित डिजिटल वातावरण को सक्षम करना
वर्ष 2015 के बच्चों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाने वाले अधिनियम का सबसे बड़ा मकसद ऑनलाइन बाल साइबर- उत्पीड़न एवं शोषण से जुड़ी सामग्री को पहचानना और उसे वहां से हटाना था. इसके साथ ही इसका उद्देश्य सोशल मीडिया को बच्चों के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने के उपायों को लागू करना था. ऑस्ट्रेलिया का नया ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम (2021) इन विचारों पर आधारित है कि इसके दायरे में सभी नागरिक आते हैं. यह अधिनियम ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र के उच्च स्तर के अनुपालन और सहयोग की ज़रूरत पर बल देता है. यह ऑस्ट्रेलियाई eSafety कमिश्नर (जिसे “eSafety” भी कहा जाता है) को कई ऐसी नई शक्तियां प्रदान करता है, ताकि वो इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) की CSAM तक पहुंच को ब्लॉक करने और गैरक़ानूनी एवं प्रतिबंधित कंटेंट को नियंत्रित कर सके.
नए ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम का एक प्रमुख फोकस ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं (OSPs) को उपयोगकर्ता की सुरक्षा के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना है. यह अधिनियम उपयोगकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और ऑनलाइन सेवा देने वालों को OCSAE जैसे ऑनलाइन उत्पीड़न और शोषण से सक्रिय रूप से निपटने को बाध्य करने के लिए “बेसिक ऑनलाइन सुरक्षा अपेक्षाएं” (बीओएसई) की एक श्रेणी निर्धारित करता है. हालांकि, सेवा प्रदाताओं की CSAM तक पहुंच को अब रोकने की ज़रूरत है, साथ ही इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए शिकायत दर्ज़ करने के लिए एक आसान और सरल तंत्र को बनाना आवश्यक है. इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन उद्योग को अनिवार्य रूप से CSAM जैसे अवैध कंटेंट को तलाशने और हटाने के लिए कोड विकसित करना चाहिए, ऐसा नहीं करने पर eSafety उद्योग-व्यापी मानकों को लागू करने के लिए बाध्य कर सकता है. eSafety के CSAM से जुड़ी शिकायतों की जांच को प्राथमिकता देने के बाद से ऑस्ट्रेलियाई उपयोगकर्ताओं के साथ ऑनलाइन सर्विस प्रदाता कंपनियां अपनी सुरक्षा प्रक्रियाओं को संशोधित करने और उन्हें बीओएसई के मुताबिक़ और साथ ही अन्य दूसरे सामान्य अधिनियिमों के अनुरूप करने को लेकर दबाव में हैं.
ऑस्ट्रेलिया का नया ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम (2021) इन विचारों पर आधारित है कि इसके दायरे में सभी नागरिक आते हैं. यह अधिनियम ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र के उच्च स्तर के अनुपालन और सहयोग की ज़रूरत पर बल देता है.
व्यापक स्तर पर देखा जाए तो महामारी के समय के पहले से ही ऑस्ट्रेलिया ने ऑनलाइन बाल सुरक्षा को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों के तहत पारदर्शी और ज़िम्मेदारी से कार्य करने के लिए टेक फर्मों पर बड़ा दायित्व डालने और उन्हें जवाबदेह बनाने की मांग की है. ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम भी इसी बात पर ज़ोर देता है. एक हिसाब से इस अधिनियम को समग्र रूप से ऑस्ट्रेलिया के भीतर ना केवल अच्छी तरह से समझा गया है, बल्कि इसे एक मैकेनिज्म यानी तंत्र के रूप में पूरे देश में लागू भी किया जा रहा है. यह वो वजह है, जो “ऑनलाइन दुरुपयोग और शोषण के विरुद्ध लड़ाई में ऑस्ट्रेलिया को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे आगे रखता है.”
- नेशनल स्ट्रेटजी और एक ऑनलाइन सुरक्षा युवा सलाहकार परिषद की शुरुआत
ऑस्ट्रेलिया की स्टेट एवं क्षेत्रीय सरकारों ने वर्ष 2021 में ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम के समानांतर नेशनल स्ट्रेटजी टू प्रिवेंट एंड रिस्पांड टू चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज़, 2021–30 (NSPRCSA) को साथ ही साथ विकसित किया है. बाल यौन शोषण की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की “राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित रणनीतिक फ्रेमवर्क” के रूप में परिकल्पना की जा रही है. ऑनलाइन बाल सुरक्षा को केंद्र में रखते हुए एक रणनीति तैयार की गई है, जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा AUD 307 मिलियन से अधिक का निवेश करने की उम्मीद है. इसे पहले चरण में वर्ष 2021-24 तक चलने वाली एक कार्य योजना के माध्यम से पूरे ऑस्ट्रेलिया में क्रमबद्ध तरीक़े से लागू किया जाएगा. इसके अंतर्गत कुल बज़ट का लगभग पांचवां हिस्सा OCSAE का मुक़ाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की फेडरल पुलिस द्वारा सीधे तौर पर लागू की जाने वाली पहलों के लिए आवंटित किया जाएगा, जिसमें पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करना और पुलिस को तकनीकी तौर पर दक्ष बनाना शामिल होगा. उम्मीद है कि ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम से अलग हटकर ऑनलाइन बाल यौन शोषण रोकने के लिए दूसरे स्तर पर अपनाई जा रही ऑस्ट्रेलिया की यह रणनीति आने वाले दशकों में OCSAE पर काबू पाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
इतना ही नहीं, OCSAE के विरुद्ध लड़ाई में बच्चों को समान रूप से भागीदार बनाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार एक ऑनलाइन सेफ्टी युवा सलाहकार परिषद की स्थापना कर रही है. इस परिषद में 13 से 24 वर्ष की आयु के लगभग 20 ऑस्ट्रेलियाई युवा शामिल होंगे, जो ऑनलाइन सुरक्षा मुद्दों एवं साइबर- दुरुपयोग व शोषण का सामना करने के उपायों के बारे में सरकार को फीडबैक देंगे. यह तंत्र राष्ट्रीय रणनीति में एक महत्वपूर्ण मददगार की तरह होगा और राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में ज़ोख़िम व शोषण से जुड़े सभी हितधारकों को एकजुट करेगा.
- हितधारकों और निर्माण क्षमता को संवेदनशील बनाना
अपने नए क़ानून को पारित करने और अपनी व्यापक राष्ट्रीय रणनीति को शुरू करने के अलावा, महामारी के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने हितधारकों को संवेदनशील बनाने और OCSAE का मुक़ाबला करने की उनकी क्षमता का निर्माण करने के अपने पहले से मौजूद प्रयासों को जारी रखा है.
eSafety लगातार ऑस्ट्रेलियाई स्कूल सिस्टम के साथ जुड़ा हुआ है और छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को लक्षित करने वाले विभिन्न सूचना संसाधनों को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है. इसकी स्कूल कम्युनिटी एंगेजमेंट योजना फरवरी, 2020 से ऑपरेशनल है. इस योजना के तहत स्कूलों के लिए विशेष eSafety टूलकिट जारी की गई है. इस टूलकिट के उपयोग ने OCSAE समेत ऑनलाइन ज़ोख़िमों और बच्चों के ख़िलाफ़ ऑनलाइन अपराधों की शिकायत करने के लिए तंत्र को लेकर व्यापक ज़ागरूकता बढ़ाने का काम किया है. इसके अलावा, ऑस्ट्रेलियाई फेडरल पुलिस द्वारा संवेदनशीलता के लिए दूसरा मोर्चा भी प्रदान किया गया है. फेडरल पुलिस का ThinkUKnow कार्यक्रम OCSAE को रोकने में मदद करने के लिए माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए संसाधन मुहैया कराता है.
अंत में एक बात और है कि क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों का क्षमता विकास ख़ुद में एक अहम फोकस एरिया बना हुआ है. यह बेहद आवश्यक भी है. हाल में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक़ ऑस्ट्रेलिया के पुलिस अधिकारी “बाल शोषण सामग्री और बच्चों के यौन उत्पीड़न के बढ़ावे” को दूसरे सबसे गंभीर प्रकार के आपराधिक ज़ुर्म (27 की सूची में से) के रूप में देखते हैं, जो “आतंकवादी हमलों” के बाद दूसरे स्थान पर है.
आगे का रास्ता
महामारी के दौरान OCSAE पर लगाम के लिए ऑस्ट्रेलिया का दृष्टिकोण नए क़ानून और प्रतिकूल नीति के जुड़ाव को पूरी सक्रियता के साथ बहाल करने पर केंद्रित है. ज़ाहिर है कि दोनों को तत्काल परिवर्तन शुरू करने और दीर्घकालिक राष्ट्रीय रणनीतियों के कार्यान्वयन की दिशा में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
ऑस्ट्रेलिया की पुलिस एजेंसियों ने सितंबर, 2022 में पहली बार देश के युवाओं को लक्ष्य बनाने वाले ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन ट्रेंड के बारे में संयुक्त चेतावनी जारी की. जांचकर्ताओं और पुलिस अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि विदेशी अपराधी तेज़ी से ऑस्ट्रेलियाई बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं,
भले ही यह दृष्टिकोण आगे सकारात्मक परिणाम देना शुरू कर दे, लेकिन फिलहाल इसके जो रुझान सामने आ रहे हैं, वो परेशानी पैदा करने वाले हैं. ऑस्ट्रेलिया की पुलिस एजेंसियों ने सितंबर, 2022 में पहली बार देश के युवाओं को लक्ष्य बनाने वाले ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन ट्रेंड के बारे में संयुक्त चेतावनी जारी की. जांचकर्ताओं और पुलिस अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि विदेशी अपराधी तेज़ी से ऑस्ट्रेलियाई बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं, उन्हें नग्न तस्वीरें डालने के लिए मज़बूर कर रहे हैं और उनसे पैसे वसूल रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया के OCSAE विरोधी क़ानूनी और कार्यक्रम संबंधी फ्रेमवर्क को ज़मीन स्तर पर क्रियान्वित करने की बहुत आवश्यकता है. हालांकि, नया ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम CSAM के विरुद्ध लड़ाई में निजी क्षेत्र के सहयोग को लागू करने का एक विशेष अवसर प्रस्तुत करता है. इसके साथ ही दूसरे वे सभी क़ानून, जिनका मकसद OCSAE से संबंधित कृत्यों को अपराधीकरण की श्रेणी में लाना है, उन्हें भी मज़बूत किया जाना चाहिए. NSPRCSA और इसके घटक यानी नेशनल एक्शन प्लान का नज़रिया काफ़ी दूरदर्शी हैं. सरकारें, सिविल सोसाइटी और निजी किरदार एक साथ मिलकर मज़बूत बाल संरक्षण प्रणालियों को विकसित करने, अपराधियों पर लगाम लगाने, ‘बच्चों के लिए सुरक्षित कल्चर’ को बढ़ावा देने, पीड़ितों और बचे हुए लोगों को सशक्त बनाने और OCSAE को लेकर ऑस्ट्रेलिया की गहन जांच-पड़ताल करने के तरीक़ों में सुधार करने और इसका सशक्त आधार बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
अंत में एक अहम बात और है, जिस पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है, वह यह है कि बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर क्राइम की प्रकृति अक्सर देशों की सीमा के परे होती है. इसे देखते हुए ऑस्ट्रेलिया को दूसरे देशों के साथ साइबर-पार्टनरशिप बनाने पर भी काम करना चाहिए, इससे जहां OCSAE का सामना करने के लिए उसकी घरेलू कोशिशों को बढ़ावा मिल सकेगा, वहीं अंतर्राष्ट्रीय क्षमता भी मज़बूत हो सकेगी. यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने पहले से ही तकनीकी विशेषज्ञता और वक़ालत के मामले में नेतृत्वकारी क्षमता का प्रदर्शन किया है. वर्ष 2021 में ही ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण कोरिया और फिजी के साथ ऑनलाइन-बाल-सुरक्षा-संबंधी द्विपक्षीय समझौता किया है. इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया वीप्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस का एक सक्रिय सरकारी सदस्य भी रहा है. लेकिन यह सिलसिला यहीं नहीं रुकना चाहिए, ऑनलाइन बाल यौन शोषण और उत्पीड़न के विरुद्ध इस तरह की पहलों को निरंतर विस्तारित करने के साथ ही पूरी ताक़त के साथ आगे बढ़ाना चाहिए.
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