2021 में दक्षिणी पूर्वी एशिया ने आपदा की 1180 घटनाओं का सामना किया. इनसे 1123 मौतें हुईं, 17 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए और क्षेत्र को 1.1 अरब डॉलर से अधिक का नुक़सान हुआ. दक्षिणी पूर्वी एशिया पहले से ही दुनिया का सबसे अधिक आपदाओं वाला इलाक़ा रहा है. ऐसे में कोविड-19 महामारी ने इस क्षेत्र को एक साथ कई आपदाओं की चुनौतियां झेलने की स्थिति वाली आशंका में डाल दिया है.
जैसे जैसे इन आपदाओं की संख्या और भयावाहता बढ़ रही है, उसी अनुपात में क्षेत्र के बहुपक्षीय सहयोग वाले आपदा प्रबंधन नेटवर्क की महत्ता भी बढ़ती जा रह है. आसियान ने अपनी कई व्यवस्थाओं, जैसे कि- ASEAN का आपदा प्रबंध में मानवीय सहायता में समन्वय का केंद्र (AHA सेंटर), आसियान प्लस तीन और आसियान रीजनल फोरम- के माध्यम से इस क्षेत्र के सुरक्षा ढांचे में केंद्रीय भूमिका अपना ली है. आपदा की बढ़ती घटनाओं और भू-राजनीतिक तनावों के कारण, आसियान आज क्षेत्रीय बहुपक्षीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध करा रहा है.
आसियान ने अपनी कई व्यवस्थाओं, जैसे कि- ASEAN का आपदा प्रबंध में मानवीय सहायता में समन्वय का केंद्र (AHA सेंटर), आसियान प्लस तीन और आसियान रीजनल फोरम- के माध्यम से इस क्षेत्र के सुरक्षा ढांचे में केंद्रीय भूमिका अपना ली है.
हालांकि, आसियान के लंबी अवधि में टिकाऊ होने की राह में अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं. न केवल जलवायु परिवर्तन के असर इस क्षेत्र में अधिक नुमायां होते जा रहे हैं, बल्कि पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में बड़ी शक्तियों के बीच होड़ लगने के कारण पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव ने क्वॉडिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (Quad) जैसी वैकल्पिक व्यवस्थाओं को भी जन्म दिया है- क्वॉड, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच सामरिक सुरक्षा संबंधी संवाद का एक मंच है. क्वॉड को दोबारा ज़िंदा किए जाने से क्षेत्रीय सुरक्षा में आसियान की भूमिका को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं. क्योंकि अब तक आसियान को पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया में सुरक्षा के मुद्दों पर सहयोग का केंद्रीय मंच माना जाता था. इसमें पिछले तीन दशकों से आपदा प्रबंधन का विषय भी जुड़ गया था. क्योंकि कई लोगों को लगता है कि कम लेकिन अधिक सक्षम और संसाधनों से लैस सदस्यों वाले क्वॉड में कुशलता से आपदा प्रबंधन की अधिक संभावनाएं हैं. इसी वजह से इस लेख में हम क्षेत्रीय सुरक्षा के उभरते नए आयामों के बीच आपदा प्रबंधन में बहुपक्षीय सहयोग के आसियान मॉडल के सामने खड़े अवसरों और चुनौतियों पर नज़र डाल रहे हैं.
आसियान और दक्षिणी पूर्वी एशिया में आपदा प्रबंध का नेटवर्क
2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी और पूरे क्षेत्र में इसके तबाही वाले असर ने दक्षिणी पूर्वी एशिया में आपदा प्रबंधन की बहुपक्षीय व्यवस्था की ज़रूरत को उजागर किया था. सुनामी ने आसियान के कुछ क़ानूनी तौर पर बाध्यकारी समझौतों को आगे बढ़ाया था. जैसे कि 2005 का आसियान का आपदा प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया संबंधी समझौता (AADMER). उसके बाद से ये समझौता, दक्षिणी पूर्वी एशिया में आसियान देशों के बीच सहयोग, समन्वय, मदद और मानवीय मदद एवं आपका राहत के संसाधन जुटाने की बुनियाद बना है.
इस क्षेत्र में जो अन्य महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं विकसित की गई हैं, उनमें आसियान का आपदा प्रबंधन में मानवीय मदद का समन्वय केंद्र (AHA सेंटर), जो आपदा प्रबंधन में आसियान की क्रियान्वयन शाखा के तौर पर काम करता है. इसके अलावा AADMER की कार्य योजना, जो आपदा संबधी एजेंडे के विषयों को लागू करने की व्यवस्था है. हर पांच वर्ष में सुधारी जाने वाली इस योजना की मदद से आसियान ने अपने साझीदारों के साथ कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय पहलों को स्थापित किया है. जैसे कि आसियान के लिए आपात आपदा संसाधन व्यवस्था (DELSA). इसके तहत राहत सामग्री का एक क्षेत्रीय भंडार जुटाया जाता है, जिससे आसियान देशों की क्षमता बढ़ाई जा सके. इसका इस्तेमाल कंबोडिया और थाईलैंड में कोविड-19 जैसी आपदाओं और 2020 में चक्रवात गोनी के दौरान अपने भंडार केंद्रों से त्वरित गति से राहत सामग्री उपलब्ध कराने में किया गया है. ऐसी पहल और व्यवस्थाएं, अपने संवाद साझीदारों के साथ आसियान के बहुपक्षीय सहयोग के मॉडल का एक उदाहरण हैं. आख़िरकार DELSA अपने आप में ऐसा ही साझा प्रोजेक्ट है, क्योंकि इसके सहयोगी भंडारों की स्थापना को आसियान के संवाद सहयोगी जापान से मदद प्राप्त हुई थी. इन गतिविधियों ने आसियान को इस क्षेत्र के आपदा प्रबंधन नेटवर्क में केंद्रीय भूमिका अवश्य दी है, लेकिन उसके सामने चुनौतियां बनी हुई हैं.
आसियान के भविष्य के पक्ष में तर्क
बड़ी शक्तियों के बीच होड़ की राजनीति और राष्ट्रवाद के उभार और वैकल्पिक व्यवस्थाएं बनाने और फिर से ज़िंदा करने से क्षेत्र में बहुपक्षीय सहयोग का आयाम बहुत जटिल हो गया है. हाल के दिनों में ख़ास तौर से ‘सीमित बहुपक्षीयवाद’ की परिकल्पना की अहमियत बढ़ती जा रही है. आसियान केंद्रित आसियान रक्षा मंत्री प्लस और पूर्वी एशिया सम्मेलन जिसमें गठबंधनों और रिश्तों से इतर सभी देश एक मंच पर आते हैं. उनकी जगह विशिष्ट व्यवस्थाओं में दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. उदाहरण के लिए क्वॉड अब रफ़्तार पकड़ रहा है. चूंकि इसमें शामिल चार देश मानवीय मदद की आपदा राहत (HADR) देने वाले पारंपरिक देश माने जाते हैं, तो इस समूह में काफ़ी संभावना है कि वो इस क्षेत्र में आपदा से निपटने में बड़ी भूमिका अपना ले.
ऐसी पहल और व्यवस्थाएं, अपने संवाद साझीदारों के साथ आसियान के बहुपक्षीय सहयोग के मॉडल का एक उदाहरण हैं. आख़िरकार DELSA अपने आप में ऐसा ही साझा प्रोजेक्ट है, क्योंकि इसके सहयोगी भंडारों की स्थापना को आसियान के संवाद सहयोगी जापान से मदद प्राप्त हुई थी.
इसके अलावा, ये देश निजी और सामूहिक स्तर प क्षेत्र में कोविड-19 से निपटने की अगुवाई करते रहे हैं. उदाहरण के लिए अमेरिका ने आसियान देशों को वैक्सीन की 2.3 करोड़ ख़ुराक उपलब्ध कराई है और कोविड संबंधी मदद के नाम पर 15.8 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता भी दी है. ऑस्ट्रेलिया ने आसियान और दक्षिणी पूर्वी एशिया क्षेत्रीय कोविड-19 विकास प्रतिक्रिया योजना के तहत योगदान दिया है. वहीं, भारत ने आसियान के कोविड-19 रिस्पॉन्स फंड में योगदान दिया है. रिस्पॉन्स फंड में योगदान देने के साथ ही जापान ने आसियान सेंटर फ़ॉर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसीज़ ऐंड इमर्जिंग डिज़ीज़ेज सेंटर की स्थापना में भी मदद दी है और हिंद प्रशांत क्षेत्र के अन्य विकासशील देशों को भी जापान ने 10 करोड़ डॉलर तक की आर्थिक सहायता दी है. क्वॉड के ज़रिए इन देशों ने क्वॉड वैक्सीन पार्टनरशिप का भी एलान किया था, जिसका लक्ष्य 2022 के अंत तक हिंद प्रशांत क्षेत्र के देशों को टीके की 1.2 अरब ख़ुराक उपलब्ध कराना था. हालांकि, ऐसा लगता है कि ये पहल उम्मीद के मुताबिक़ कामयाब नहीं रही है, जिससे इसके प्रभावी होने और दूरगामी स्तर पर विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं.
इसके अलावा, क्वॉड में दक्षिणी पूर्वी एशिया मे आसियान की जगह लेने की ज़रा भी दिलचस्पी नहीं दिख रही है, जिससे आसियान की प्रमुख भूमिका और ज़ाहिर हो जाती है. आख़िरकार, जब 24 मई 2022 को शिखर सम्मेलन के बाद क्वॉड ने ‘हिंद प्रशांत के लिए क्वॉड की मानवीय सहायता औऱ आपदा राहत (HADR)’ का एलान भले किया था. लेकिन इस दिशा में अभी कई विवादों का समाधान होना बाक़ी है. जैसे भागीदार देशों के अलग अलग हित और चिंताएं और अन्य बहुपक्षीय व्यवस्थाओं के साथ संबंध. इसीलिए अभी भी आपदा राहत ऐसा क्षेत्र है, जहां आसियान, बाहरी देशों के लिए एक दूसरे से संवाद करने और साझेदारियां बनाने का निष्पक्ष मंच बनाकर अपनी प्रमुख भूमिका बनाए रख सकता है.
आसियान को चाहिए कि वो अन्य देशों और दूसरी क्षेत्रीय व्यवस्थाओं से संवाद की पहल बनाए रखे, ताकि सामूहिक प्रयास में अनुभव और बेहतरीन विकल्पों का लेन-देन हो सके और आपदा राहत को आकार देकर इसमें सहयोग बढ़ाया जा सके.
इसीलिए, आसियान को चाहिए कि वो अन्य देशों और दूसरी क्षेत्रीय व्यवस्थाओं से संवाद की पहल बनाए रखे, ताकि सामूहिक प्रयास में अनुभव और बेहतरीन विकल्पों का लेन-देन हो सके और आपदा राहत को आकार देकर इसमें सहयोग बढ़ाया जा सके. आख़िरकार, आसियान की सबसे बड़ी ताक़त ही उसकी कमज़ोरी है- उसने अपने सदस्य देशों की सीमित आर्थिक और सैन्य क्षमता का इस्तेमाल करके इस क्षेत्र में आसियान की प्रमुख भूमिका बनाए रखी है. इससे संगठन को क्षेत्र में अपना प्रभाव बनाए रखने में मदद मिलती है. चूंकि जलवायु परिवर्तन के बुरे असर आने वाले समय में और तेज़ होने और आपदा के रूप में नज़र आने का डर है. ऐसे में आपदा राहत के क्षेत्र में मिलकर काम करने से आपसी फ़ायदे वाले सहयोग के और अवसर मिलेंगे. तभी आसियान का भविष्य सुरक्षित रहेगा.
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