Author : Anchal Vohra

Published on May 17, 2021 Updated 0 Hours ago

न तो नेतन्याहू की सरकार और न ही हमास इस बात के लिए तैयार हैं कि वो इस संघर्ष को ख़त्म कर दें

क्या इज़राइल और फिलिस्तीन संपूर्ण युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?

इज़राइल के सुरक्षा बलों और फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच नियमित रूप से होने वाले छोटे-मोटे टकराव ने पिछले हफ़्ते तब एक ख़तरनाक मोड़ ले लिया, जब इज़राइल की पुलिस अल-महान शक्ति गतिशीलता, अंतर्राष्ट्रीय मामले, सामरिक अध्ययन, पश्चिम एशिया, अंतर्राष्ट्रीय मामले, अरब इजरायली संघर्ष, आयरन डोम मिसाइल, इज़राइल,महान शक्ति गतिशीलता, अंतर्राष्ट्रीय मामले, सामरिक अध्ययन, पश्चिम एशिया, अंतर्राष्ट्रीय मामले, अरब इजरायली संघर्ष, आयरन डोम मिसाइल, इज़राइल,अक़्सा मस्जिद के अहाते में घुस गई. ऊपरी तौर पर तो इज़राइली पुलिस भीड़ को क़ाबू करने की नीयत से अल-अक़्सा मस्जिद के अहाते में दाख़िल हुई थी. लेकिन, जल्द ही हालात बिगड़ गए, क्योंकि इज़राइली पुलिस की कार्रवाई की प्रतिक्रिया स्वरूप फिलिस्तीनी संगठन हमास ने इज़राइल के कई शहरों पर रॉकेट बरसाए. फिर उसके बदले में इज़राइल की सेना ने गज़ा पट्टी पर बमबारी की.

हालात कैसे बिगड़ गए

इस संघर्ष में अब तक दर्जनों फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. वहीं, हमास के रॉकेट से एक बच्चे समेत छह इज़राइली नागरिकों की मौत हो चुकी है. इस्लामिक फिलिस्तीनी संगठन हमास, जिसे इज़राइल एक आतंकवादी संगठन कहता है, ने अब तक एक हज़ार से ज़्यादा रॉकेट दाग़े हैं, इसके ज़रिए हमास ने इज़राइल के आयरन डोम डिफेंस सिस्टम पर छा जाने की कोशिश की है.

न तो नेतन्याहू की सरकार और न ही हमास इस बात के लिए तैयार हैं कि वो इस संघर्ष को ख़त्म कर दें

इन दिनों गज़ा पट्टी का आसमान धुएं के घने ग़ुबार से भरा रहता है, क्योंकि इज़राइल लगातार यहां हमास के कमांडरों के घरों को निशाना बना रहा है. वहीं, तेल अवीव का आसमान भी रॉकेट की मार से छलनी नज़र आता है और लोग लगातार घर से भागकर छुपते दिखाई देते हैं. बाड़ के दोनों तरफ के रहने वाले भयभीत हैं. लेकिन, न तो नेतन्याहू की सरकार और न ही हमास इस बात के लिए तैयार हैं कि वो इस संघर्ष को ख़त्म कर दें, वरना ये संघर्ष जल्द ही संपूर्ण युद्ध में तब्दील होने का डर है.

कहीं भारी क़ीमत न चुकानी पड़ जाए

मध्य पूर्व की शांति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के मुख्य संयोजक टोर वेनेसलैंड ने ट्वीट करके कहा कि, ‘गोलीबारी फ़ौरन रोक दीजिए, वरना हम बड़ी तेज़ी से संपूर्ण युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं.’ वेनेसलैंड ने ये भी कहा कि, ‘सभी पक्षों के नेताओं को संघर्ष कम करने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी. गज़ा पट्टी को युद्ध की भारी क़ीमत चुकानी पड़ रही है, और ये क़ीमत आम लोग चुका रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापित करने के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर काम कर रहा है. हिंसा को अभी के अभी रोकिए.’

इसी बीच, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के चीफ प्रॉसीक्यूटर, फतोऊ बेनसौदा ने कहा कि इस संघर्ष पर उनकी पूरी नज़र है. वो देख रही हैं कि कहीं इस संघर्ष के दौरान युद्ध अपराधों को तो नहीं अंजाम दिया जा रहा है. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि उनकी चेतावनी, लोगों को रोकने का काम करेगी. फतोऊ बेनसौदा ने कहा कि, ‘मैं पश्चिमी तट, जिसमें पूर्वी येरूशलम भी शामिल है, में तेज़ी से बढ़ रही हिंसा को गंभीर चिंता के साथ देख रही हूं. हम गज़ा के हालात को भी देख रहे हैं कि कहीं वहां ऐसे कृत्य तो अंजाम नहीं दिए जा रहे, जो रोम की संधि के अंतर्गत युद्ध अपराध कहे जाते हों.’

जो बाइडेन ने कहा कि, ‘मेरी अपेक्षा और उम्मीद ये है कि ये संघर्ष बहुत जल्द ख़त्म होगा. लेकिन, अगर आपके क्षेत्र में हज़ारों रॉकेट की बारिश हो रही हो, तो इज़राइल को भी अपनी रक्षा करने का अधिकार है.’

कई दिनों से लगातार जारी हिंसा के रुकने के संकेत कम से कम फिलहाल तो नहीं दिख रहे. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात की और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हिंसा जल्द रूकेगी. जो बाइडेन ने कहा कि, ‘मेरी अपेक्षा और उम्मीद ये है कि ये संघर्ष बहुत जल्द ख़त्म होगा. लेकिन, अगर आपके क्षेत्र में हज़ारों रॉकेट की बारिश हो रही हो, तो इज़राइल को भी अपनी रक्षा करने का अधिकार है.’

लेकिन, ज़मीनी स्तर पर इज़राइल की सेना का कहना है कि उसे गज़ा पट्टी में दाख़िल होने का आदेश है और हवाई हमले तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक हमास को इज़राइल का संदेश ठीक से नहीं समझ आ जाता. इज़राइली सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जोनाथन कॉनरिकस ने ब्रिटेन के न्यूज़ चैनल स्काई न्यूज़ से कहा कि, ‘अगर हमास रॉकेट दाग़ना बंद कर देता है, तो ये लड़ाई रुक जाएगी.’ हालांकि कर्नल जोनाथन ने अपने बयान में ये भी जोड़ा कि हमास और इस्लामिक जिहाद को अब तक इज़राइल का संदेश ‘प्राप्त नहीं हुआ’ है.

जब हमास ने इज़राइल पर रॉकेट की फायरिंग शुरू की, तो उसे पता था कि उसे इसकी बहुत अधिक क़ीमत चुकानी पड़ेगी. ये क़ीमत लोगों की जान जाने और पहले से ही टूटी-फूटी हालत वाले गज़ा पट्टी इलाक़े में और तबाही की शक्ल में होगी. फिर भी, हमास ने इज़राइल के शहरों पर रॉकेट से हमले किए और पूरी ताक़त से किए. इसकी एक वजह तो ये थी अगर अल-अक़्सा की घटना के बाद उसने इज़राइल पर पलटवार न किया, तो फिलिस्तीनियों के बीच हमास की विश्वसनीयता ख़त्म होने का डर था, क्योंकि, अल-अक़्सा मस्जिद इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद है. पर, हमास के हमला करने का मुख्य कारण ये जताना था कि फिलिस्तीनियों के संघर्ष में वो आज भीप्रासंगिक बना हुआ है. कुछ लोग ये मानते हैं कि इज़राइल पर रॉकेट दाग़कर हमास ने अपनी हैसियत का एहसास करा दिया है. वहीं, कुछ अन्य लोगों की नज़र में हमास का ये क़दम आत्मघाती ही साबित हुआ. क्योंकि, इससे फिलिस्तीन के बेगुनाहों को अपनी जान गंवानी पड़ी और लोगों को बेवजह की मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है.

दुनिया की प्रतिक्रियाएं

मोटे तौर पर दुनिया ये मानती है कि इज़राइल को हमास के रॉकेटों से अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है. लेकिन, ये एक असमान युद्ध है. सैन्य स्तर पर इज़राइल, हमास की तुलना में बहुत आगे है. इसके बावजूद संघर्ष को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया इज़राइल के ही पक्ष में झुकी नज़र आती है.

मोटे तौर पर दुनिया ये मानती है कि इज़राइल को हमास के रॉकेटों से अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है. लेकिन, ये एक असमान युद्ध है. 

फिलिस्तीन की तुलना में कहीं ज़्यादा ताक़त का इस्तेमाल करने की रणनीति इज़राइल लंबे समय से अपनाता आ रहा है और बहुत से लोगों का मानना है कि इसी की मदद से इज़राइल इस क्षेत्र में अब तक ख़ुद को बचाए हुए है, जबकि पूरा क्षेत्र उसके विरुद्ध है. समय बीतने के साथ साथ इज़राइल ने जॉर्डन और मिस्र के साथ शांति समझौते भी कर लिए हैं. अभी हाल ही में इज़राइल ने संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान के साथ भी रिश्तों को सामान्य बनाने के समझौते किए हैं. बहुत से लोग ये मानते हैं कि इज़राइल के साथ शांति स्थापना की इस मुहिम में सऊदी अरब भी शामिल है.

हालांकि, फिलिस्तीनी जनता को लगता है कि उनके अरब बंधों ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है. ये भाव ख़ास तौर से पिछले साल अरब देशों और इज़राइल के बीच हुए समझौते के बाद मज़बूत हुआ है. विशेषज्ञों के बीच ये राय आम है कि अमेरिका को दोनों पक्षों के बीच बातचीत की मध्यस्थता करनी चाहिए. शांति प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करना चाहिए. इसके साथ साथ अगर कभी न ख़त्म होने वाले इस संघर्ष को समाप्त करना है, तो अमेरिका को फिलिस्तीनियों की मांग को भी शांति प्रक्रिया में शामिल करना होगा. और अधिक रॉकेट हमलों और हवाई हमलों से केवल लोगों की जान ही जाएगी.

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