ये लेख व्यापक ऊर्जा निगरानी: भारत और विश्व सीरीज़ का हिस्सा है.
दुनिया के कई हिस्सों में LPG (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) को “ऑटो गैस” के तौर पर भी जाना जाता है क्योंकि ये गाड़ियों में इस्तेमाल में आने वाला सबसे सामान्य अनब्लेंडेड (गैर-मिश्रित) वैकल्पिक ईंधन है. गाड़ियों में खपत होने वाले ईंधन में ऑटो गैस का हिस्सा अमेरिका में महज़ 0.04 प्रतिशत से लेकर यूक्रेन में लगभग 28 प्रतिशत तक है. 2021 में पांच देशों- रूस, तुर्किए, कोरिया, पोलैंड और यूक्रेन- को मिलाकर ऑटो गैस की खपत का हिस्सा दुनिया की कुल खपत में 50 प्रतिशत था और 25 देशों को जोड़ने पर 80 प्रतिशत हिस्सा था. भारत में 34 करोड़ 80 लाख रजिस्टर्ड गाड़ियों में से केवल 20 लाख पेट्रोल-LPG डुअल यूज़ गाड़ियां हैं जो कुल रजिस्टर्ड गाड़ियों का लगभग 0.5 प्रतिशत है जबकि केवल LPG से चलने वाली गाड़ियां सिर्फ 1,31,125 हैं जो 2023 में कुल रजिस्टर्ड गाड़ियों में 0.04 प्रतिशत से भी कम है. ट्रांसपोर्टेशन फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल में LPG की हिस्सेदारी में व्यापक अंतर सरकार की नीतियों में अंतर के अनुरूप है.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MONPG) की तरफ से जारी आदेश में विशेष रूप से कहा गया कि किसी सरकारी तेल कंपनी या उसके समान मार्केटिंग करने वाली कंपनी एक ऑटो LPG डिस्पेंसिंग स्टेशन (ALDS) का डीलर नियुक्त करेगी.
रेगुलेटरी ढांचा
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा 52 में संशोधन के बाद मोटर व्हीकल ऑर्डर में उपयोग के लिए LPG रेगुलेशन और 2001 में सेंट्रल मोटर व्हीकल (अमेंडमेंट) रूल्स की शुरुआत ने ऑटो ईंधन के रूप में LPG के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MONPG) की तरफ से जारी आदेश में विशेष रूप से कहा गया कि किसी सरकारी तेल कंपनी या उसके समान मार्केटिंग करने वाली कंपनी एक ऑटो LPG डिस्पेंसिंग स्टेशन (ALDS) का डीलर नियुक्त करेगी. डीलर को स्टैटिक एंड मोबाइल प्रेशर वेसल्स (SMPV) (अनफायर्ड) रूल्स, 1981 के तहत डिस्पेंसिंग की सुविधा के मामले में सुरक्षा नियमों को पूरा करने के लिए चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोज़िव्स (मुख्य विस्फोटक नियंत्रक) से आवश्यक लाइसेंस हासिल करने की ज़रूरत होगी. आदेश में ये भी कहा गया है कि ऑटो LPG की बिक्री सिर्फ एक अधिकृत ऑटो LPG डिस्पेंसिंग स्टेशन डीलर के द्वारा की जाएगी. इसमें ये आवश्यक किया गया कि हर ऑटो LPG डिस्पेंसिंग स्टेशन डीलर को ऑटो LPG किसी सरकारी तेल कंपनी या उसके समान मार्केटिंग करने वाली कंपनी से ख़रीदना होगा. साथ ही कोई भी व्यक्ति ऑटो LPG की ख़रीद या उसका इस्तेमाल किसी मोटर गाड़ी में तब तक नहीं करेगा जब तक कि गाड़ी में एक ऑटो LPG टैंक और कन्वर्ज़न किट स्थायी रूप से फिट नहीं है. LPG टैंक और कन्वर्ज़न किट सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, 2001 में अधिसूचित प्राधिकरण/टेस्टिंग एजेंसी से मंज़ूर होनी चाहिए.
दूसरी बातों के अलावा डीलर को डिस्पेंसिंग स्टेशन में हर समय ऑटो LPG के पर्याप्त भंडार की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे. ऑटो LPG की कीमत एडमिनिस्टर्ड प्राइसिंग मेकेनिज़्म (सरकार द्वारा कीमत तय करने की प्रणाली) से अलग बाज़ार आधारित होगी लेकिन विदेश से आने वाली LPG के दाम पर सरकार नियंत्रण रखती है. चूंकि LPG का घरेलू उत्पादन मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, ऐसे में ऑटो LPG का आयात किया जाता है. घरेलू LPG सिलेंडर का गैर-घरेलू काम जैसे कि किसी गाड़ी में इस्तेमाल की इजाज़त नहीं है.
गाड़ी के ईंधन के रूप में LPG
एक इंटरनल कंबस्टन इंजन में ऑक्टेन रेटिंग किसी ईंधन के द्वारा बिना फटे कंप्रेशन और रेजिस्टेंस को झेलने की क्षमता का एक मानक माप है. जितनी ज़्यादा ऑक्टेन रेटिंग होगी, ईंधन बिना फटे उतना ज़्यादा कंप्रेशन झेल सकता है. तय ऑक्टेन रेटिंग से कम ईंधन का इस्तेमाल करने से इग्निशन सिस्टम में स्पार्क निकलने से पहले हवा-ईंधन का मिश्रण अपने आप इग्नाइट (जलना) हो सकता है. इस दौरान ख़ास “खटखटाने” या “पिंगिंग” की आवाज़ आती है. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि ज़्यादा प्रेशर की वजह से इंजन को नुकसान हो सकता है. स्पार्क-इग्निशन इंजन में हवा-ईंधन का मिश्रण कंप्रेशन साइकिल के दौरान गर्म हो जाता है और इसके बाद तेज़ी से जलने के लिए स्पार्क प्लग के द्वारा ट्रिगर किया जाता है. ज़्यादा कंप्रेशन रेशियो इंजन को हवा-ईंधन मिश्रण के दिए गए द्रव्यमान (मास) से अधिक मैकेनिकल एनर्जी (यांत्रिक ऊर्जा) निकालने के लिए सक्षम बनाता है. इसकी वजह से अधिक थर्मल (तापीय) क्षमता हासिल होती है. ज़्यादा कंप्रेशन रेशियो का इस्तेमाल आम तौर पर पेट्रोल की तरह LPG के साथ किया जाता है लेकिन LPG की ऑक्टेन संख्या पेट्रोल की तुलना में ज़्यादा होती है. भारत में ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले पेट्रोल ब्रांड में न्यूनतम 91 ऑक्टेन रेटिंग की ज़रूरत होती है. LPG प्रोपेन और बूटेन का मिश्रण है और प्रोपेन की ऑक्टेन रेटिंग 112 है जबकि बूटेन की 94. पेट्रोल के मुकाबले LPG की ज्यादा ऑक्टेन रेटिंग परफॉर्मेंस और कार्यक्षमता के फायदे दे सकती है.
पेट्रोल की तुलना में LPG की कम कार्बन तीव्रता कालिख बनाने की इसकी प्रवृत्ति को कम करती है और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन को सीमित करती है.
LPG इंजन में ज़्यादा आधुनिक इग्निशन टाइमिंग और अधिक कंप्रेशन रेशियो का उपयोग स्टैंडर्ड पेट्रोल इंजन की तुलना में प्री-इग्निशन या नॉक की कम संवेदनशीलता के साथ किया जा सकता है. स्पार्क इग्नाइटेड इंजन में पोर्ट फ्यूल इंजेक्शन और डायरेक्ट इंजेक्शन सबसे उपयुक्त LPG फ्यूलिंग टेक्नोलॉजी हैं. ईंधन के तौर पर LPG के साथ पोर्ट फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम के इंडिविजुअल इंजेक्टर को अलग-अलग सिलेंडर में एयर फ्लो में अंतर के आधार पर किसी ख़ास सिलेंडर को ज़्यादा या कम ईंधन पहुंचाने के लिए कंट्रोल किया जा सकता है. ये समग्र रूप से इंजन के लिए सख्त एयर टू फ्यूल कंट्रोल रेशियो मुहैया करता है और इसके परिणामस्वरूप ज़्यादा सक्षम थ्री-वे कैटेलिटिक कन्वर्ज़न भी जो नुकसानदेह प्रदूषण पैदा करने वाले तत्वों जैसे कि HC (हाइड्रोकार्बन), NOx (नाइट्रस ऑक्साइड), NH3 (अमोनिया) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) के उत्सर्जन को कम करता है.
कुछ इंजन में पेट्रोल की तुलना में PM बनने के मामले में LPG कुदरती तौर पर फायदेमंद है. LPG की अधिक अस्थिरता कंबस्टन चैंबर के भीतर मिश्रण को बढ़ावा देती है जो कम स्ट्रैटिफाइड एयर और फ्यूल मिक्सचर प्रदान करती है और कालिख बनने के साथ जुड़े स्थानीय क्षेत्रों को कम करती है. पेट्रोल की तुलना में LPG की कम कार्बन तीव्रता कालिख बनाने की इसकी प्रवृत्ति को कम करती है और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन को सीमित करती है. इसके अलावा तरल अवस्था में LPG का डायरेक्ट इंजेक्शन आधुनिक पेट्रोल इंजन के फायदों को बरकरार रखता है और कार्यक्षमता में बढ़ोतरी भी कर सकता है.
भारत में डुअल यूज़ LPG गाड़ियां हैं जो पेट्रोल और LPG दोनों पर चलती हैं और केवल LPG पर चलने वाले मॉडल भी हैं. डुअल फ्यूल गाड़ियों में LPG के लिए एडिशनल फ्यूल इंजेक्टर को इंस्टॉल करने की ज़रूरत होती है जबकि केवल LPG पर चलने वाली गाड़ियों में पेट्रोल इंजेक्टर की जगह LPG इंजेक्टर लगा होता है. ये LPG की प्रति मात्रा कम ऊर्जा (लोअर एनर्जी पर वॉल्यूम) और चिकनाई (लुब्रिसिटी) में अंतर की वजह से ज़रूरी है जिसके लिए अलग-अलग इंजेक्टर डिज़ाइन की आवश्यकता होती है. चाहे मॉडल कुछ भी हो लेकिन LPG गाड़ियां हर सिलेंडर के लिए एक समर्पित (डेडिकेटेड) इंजेक्टर का उपयोग करती हैं और इस तरह सिंगल प्वाइंट इंजेक्शन सिस्टम की तुलना में हर सिलेंडर के आधार पर एयर टू फ्यूल रेशियो का ज़्यादा रिफाइंड कंट्रोल पेश करती हैं.
ऑटो LPG की खपत में ग्रोथ
LPG से चलने वाली गाड़ियां CNG (कंप्रेस्ड नैचुरल गैस) और पेट्रोल की गाड़ियों के मुकाबले चलाने में सस्ती हैं. LPG के लिए कन्वर्ज़न किट CNG के लिए कन्वर्ज़न किट की तुलना में कम खर्चीली है और LPG गाड़ियां CNG गाड़ियों के मुकाबले ईंधन की समान मात्रा में तीन गुना ज़्यादा दूरी तय कर सकती हैं. LPG व्हीकल का रखरखाव CNG गाड़ियों की तुलना में अपेक्षाकृत आसान है. LPG गाड़ियां और डिस्पेंसिंग स्टेशन अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं क्योंकि LPG को 10-12 गुना वायुमंडलीय दबाव (एटमॉस्फेरिक प्रेशर) पर स्टोर किया जाता है जबकि CNG को 200-250 गुना वायुमंडलीय दबाव पर स्टोर किया जाता है. मौजूदा कीमत पर 12 किमी/लीटर का माइलेज देने वाली पेट्रोल गाड़ी को रोज़ 50 किलोमीटर चलाने पर होने वाला खर्च LPG गाड़ी पर होने वाले खर्च की तुलना में दोगुना होने का अनुमान है. लेकिन इन फायदों के बावजूद ट्रांसपोर्ट के लिए LPG की खपत भारत में कम हो रही है.
भारत में सप्लाई पक्ष की तरफ से LPG के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में परिवहन ईंधन की तुलना में खाना बनाने के ईंधन के रूप में इसके उपयोग पर ध्यान दिया गया.
2011-12 में कुल LPG उपभोग में ऑटो LPG का उपभोग 2,33,000 टन या केवल 1.4 प्रतिशत था. 2022-23 में ऑटो LPG की खपत घटकर सिर्फ 1,06,000 टन रह गई जो कि कुल LPG खपत का 0.3 प्रतिशत से भी कम थी. 2011-12 और 2022-23 के बीच कुल मिलाकर LPG की खपत 5.3 प्रतिशत के सालाना औसत से बढ़ी जबकि ऑटो LPG की खपत 6 प्रतिशत के सालाना औसत से कम हुई. ऑटो LPG डिस्पेंसिंग स्टेशन 2011-12 के 652 से बढ़कर 2014-15 में 681 हो गए. लेकिन उस समय से ऑटो डिस्पेंसिंग स्टेशन की संख्या में लगातार कमी आ रही है और 2022-23 में 526 ऑटो LPG डिस्पेंसिंग स्टेशन थे. भारत में सप्लाई पक्ष की तरफ से LPG के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में परिवहन ईंधन की तुलना में खाना बनाने के ईंधन के रूप में इसके उपयोग पर ध्यान दिया गया. चूंकि पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में LPG अपेक्षाकृत एक स्वच्छ जीवाश्म ईंधन है, ऐसे में परिवहन सेक्टर में इसके उपयोग को प्रोत्साहन देना स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण को कम करने में योगदान देगा. ऑटो LPG को पहुंचाने में लेन-देन की लागत को कम करना और ऑटो LPG के इस्तेमाल में रेगुलेटरी बोझ को हल्का करना आसान नीतिगत पहल हो सकती हैं जो ऑटो LPG के इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकते हैं.

स्रोत: पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनेलिसिस सेल
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