Author : Pratnashree Basu

Published on May 20, 2023 Updated 0 Hours ago
अमेरिका और फिलीपींस समझौते के व्यापक दायरे पर एक नज़र

साल 2023 के अभी चार महीने ही बीते हैं लेकिन इतने कम समय में ही संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, ख़ासकर पूर्व एशिया और दक्षिण चीन सागर में कई गतिविधियां देखी गई है. फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के हालिया अमेरिका दौरे पर द्विपक्षीय साझेदारी के विस्तार को जारी रखने पर सहमति जताने के अलावा दोनों देशों ने 3 मई को अमेरिका-फिलीपींस रक्षा सहयोग से जुड़े "आधारभूत सिद्धांतों" की नींव रखी. अमेरिका और फिलीपींस बहुत लंबे समय से द्विपक्षीय संधि समझौते का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के दौर में हुई थी. 1951 में म्यूचुअल डिफेंस ट्रीटी (MDT) पर संयुक्त हस्ताक्षर के बाद से इस संधि समझौते की शुरुआत हुई थी. इसने दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और आपसी सुरक्षा के लिए सैद्धांतिक आधार का निर्माण किया, जिससे मनीला इस क्षेत्र में वाशिंगटन का सबसे पुराना सहयोगी बन गया.

जब भी इस क्षेत्र में अमेरिका अपनी पहुंच बनाने की कोशिश करता है तो चीन की स्वाभाविक प्रतिक्रिया ऐसी धारणाओं को हवा देने की होती है जिसके अनुसार वाशिंगटन इन देशों पर अपनी संप्रभुता त्यागने के लिए दबाव बना रहा है ताकि वे अमेरिकी की कठपुतली बनकर क्षेत्र में अस्थिरता फैलाएं और चीन के खिलाफ़ काम करें.


जैसी अपेक्षा थी, बीजिंग ने इस नई गतिविधि को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर की है, और इसे वाशिंगटन द्वारा चीन के खिलाफ़ घेराबंदी के लिए दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का एक छोटा गुट बनाने का प्रयास बताया है. जब भी इस क्षेत्र में अमेरिका अपनी पहुंच बनाने की कोशिश करता है तो चीन की स्वाभाविक प्रतिक्रिया ऐसी धारणाओं को हवा देने की होती है जिसके अनुसार वाशिंगटन इन देशों पर अपनी संप्रभुता त्यागने के लिए दबाव बना रहा है ताकि वे अमेरिकी की कठपुतली बनकर क्षेत्र में अस्थिरता फैलाएं और चीन के खिलाफ़ काम करें. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता, माओ निंग ने ज़ोर देते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर बाहरी देशों के लिए शिकार का मैदान नहीं है. इस बीच, राज्य के स्वामित्व वाले विदेशी भाषा के न्यूज चैनल, CGTN ने राष्ट्रपति मार्कोस के 'ख़तरनाक प्रेम संबंध' के खिलाफ़ चेतावनी दी है.


अमेरिका-फिलीपींस रक्षा साझेदारी का विस्तृत दायरा


दिलचस्प बात यह है कि दोनों देशों द्वारा जारी संयुक्त बयान में मनीला के सहयोगी होने की हैसियत से अमेरिका ने समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं और दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता को बरकरार रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है, और साथ ही दोनों पक्षों ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए "ताइवान जल-संधि में शांति और स्थिरता को बनाए रखने की ज़रूरत" पर बल दिया है. वास्तव में, अमेरिका और फिलीपींस के बीच रक्षा संबंधों में विस्तार हुआ है, जिसमें पहले दक्षिण चीन सागर और अब ताइवान जल-संधि शामिल है. यह क्षेत्र में सुरक्षा तंत्र की मज़बूती को दर्शाता है जो बीजिंग द्वारा दक्षिण चीन सागर में अपनी पहुंच को बढ़ाने और क्षेत्र में बार-बार दखल देने और ताइवान पर दबाव बनाने के बीच एक पुल बनाने का काम करता है. देखा जाए तो ताइवान जल-संधि मनीला से महज़ 800 मील की दूरी पर है, ऐसे में आश्चर्य नहीं है कि वॉशिंगटन और मनीला के संधि समझौते के व्यापक दायरे में इस क्षेत्र की सुरक्षा भी शामिल है.

MDT के मूलभूत सिद्धांतों के तहत, अमेरिका और फिलीपींस बाहरी आक्रमण की स्थिति में एक-दूसरे की मदद के लिए सहमत हुए थे. MDT अमेरिका-फिलीपींस संबंध का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, जो सैन्य साझेदारी और संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यासों के लिए आधार प्रदान करता है. अमेरिका ने फिलीपींस को सैन्य सहायता और उपकरण प्रदान किए हैं, उसकी सेना को आधुनिक बनाने और विभिन्न क्षेत्रों, जैसे समुद्री सुरक्षा एवं आतंकवाद से बचाव से जुड़े मामलों में उसकी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद की है.

 

मानवाधिकार और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे समय-समय पर तनाव के कारण रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद अमेरिका और फिलीपींस के बीच संधि समझौता दोनों देशों की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. जिस तरह से एशिया में भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव जारी है, अमेरिका-फिलीपींस की साझेदारी संभवतः इस क्षेत्र में स्थिरता और सहयोग के लिए महत्वपूर्ण बनी रहेगी.

मानवाधिकार और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे समय-समय पर तनाव के कारण रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद अमेरिका और फिलीपींस के बीच संधि समझौता दोनों देशों की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है.


अब, अमेरिका और फिलीपींस में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए समझौते में विस्तार के तहत प्रमुख खतरों और चुनौतियों को लेकर जानकारियां साझा करने से जुड़ी प्रतिबद्धता को शामिल किया गया है. इस नए और 'मज़बूत' समझौते में अमेरिका-फिलीपींस एनहैंस्ड डिफेंस कोऑपरेशन एग्रीमेंट के तहत ऐसे नए क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है जो मनीला की समुद्री सुरक्षा और आधुनिकीकरण के प्रयासों में योगदान दे सकें. यह मानवीय सहायता और आपदा के दौरान राहत पहुंचाने में स्थानीय क्षमताओं में सुधार के साथ-साथ साझे प्रयासों में अमेरिका की भागीदारी के लिए जगह बनाता है.

हिंद-प्रशांत के लिए इस यात्रा के मायने क्या हैं


राष्ट्रपति मार्कोस की यह यात्रा दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून के वाशिंगटन दौरे के बाद हो रही है, जहां अमेरिका ने प्योंगयांग के हाल ही में परमाणु परीक्षण करने के बाद सियोल को ओहियो श्रेणी की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल युक्त पनडुब्बी देने पर सहमति जताई थी. इससे पहले अप्रैल में, मनीला ने वाशिंगटन को संयुक्त प्रशिक्षण, उपकरणों की तैनाती और रन वे, ईंधन भंडारण और सैन्य आवास जैसी सुविधाओं के निर्माण के लिए चार अतिरिक्त सैन्य ठिकानों के उपयोग की अनुमति दी. इन नए स्थानों तक पहुंच महत्वपूर्ण है क्योंकि उनमें से दो जगहें, इसाबेला और कागायन हैं, जो ताइवान के बेहद क़रीब हैं. जबकि पालावान मिलिट्री बेस स्प्रैटली द्वीपों के पास है, जो लंबे समय से चीन और फिलीपींस के बीच विवाद का कारण रहा है. दोनों देश दक्षिण चीन सागर में एक साथ समुद्री गश्त लगाने के लिए सहमत हुए हैं और मनीला मनीला जापान से जुड़े एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते का भी आकलन कर रहा है. अप्रैल के बीच में, राष्ट्रपति मार्कोस के दौरे से पहले, दोनों देशों ने दक्षिण चीन सागर में हुए अब तक के सबसे बड़े सैन्य अभ्यासों (बालिकातन अभ्यास) में हिस्सा लिया था.


चीन इन नए घटनाक्रमों की तेजी और उससे जुड़े कारणों को देखते निश्चित रूप से बौखलाया हुआ है. बेशक, इस तरह के रणनीतिक कदम क्षेत्र में 'समान सोच' वाले देशों की सुरक्षा को मज़बूत बनाने के लिए उठाए गए हैं. लेकिन बीजिंग की नाराज़गी के बावजूद, इन घटनाक्रमों से यही संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा व्यवस्था के दायरे को और ज्यादा मज़बूत किए जाने की ज़रूरत है.

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