Published on Mar 21, 2024 Updated 0 Hours ago

मध्य एशियाई देशों में नई आपूर्ति श्रृंखलाओं में काफ़ी तादाद में निवेश की गारंटी और ग़रीबी से निपटने का वादा करके, यूरोपीय संघ इस क्षेत्र के साथ आपसी तौर पर फ़ायदेमंद और एक ठोस साझेदारी निर्मित कर सकता है.

रूस और चीन के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए यूरोप और मध्य एशिया की रणनीति

आज जबकि रूस और यूक्रेन के युद्ध को चलते हुए दो साल से ज़्यादा वक़्त गुज़र चुके हैं, तो भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक दुविधाओं में इज़ाफ़े की वजह से यूरोपीय संघ और मध्य एशियाई गणराज्य (CARs) आपूर्ति श्रृंखला को लेकर बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इन मुसीबतों के बीच, दोनों क्षेत्रों के बीचटिकाऊ परिवहन कनेक्टिविटीके लिए जनवरी 2024 में ब्रसेल्स में ग्लोबल गेटवे इन्वेस्टर्स फोरम का आयोजन किया गया. इस फोरम को अंतरराष्ट्रीय और यूरोपीय वित्तीय संस्थानों से भी समर्थन मिला था और इसने कनेक्टिविटी की मद में 11 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया. इस तरह देशों के बीच एक विश्वसनीय कनेक्टिविटी कीमहत्वाकांक्षी नज़रिया हासिल करने की दिशा में एक अहम क़दमउठाया गया.

Image 1: प्रस्तावित ट्रांस कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (TITR)

इस फोरम की बैठक ने ट्रांस कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर या फिर मेडिकल कॉरिडोर में वो जान डाली है, जिसकी सख़्त दरकार थी. इस गलियारे का मक़सद यूरोप को काले सागर और कॉकेशस से होते हुए मध्य एशियाई देशों के साथ जोड़ना है. इस लेख में कनेक्टिविटी के इस प्रस्तावित गलियारे के सामरिक और भू-आर्थिक मक़सदों और रूस और चीन के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए यूरोपीय संघ और मध्य एशियाई गणराज्यों की क्षेत्रीय रणनीति में इसकी अहम भूमिका का विश्लेषण किया गया है.

इस लेख में कनेक्टिविटी के इस प्रस्तावित गलियारे के सामरिक और भू-आर्थिक मक़सदों और रूस और चीन के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए यूरोपीय संघ और मध्य एशियाई गणराज्यों की क्षेत्रीय रणनीति में इसकी अहम भूमिका का विश्लेषण किया गया है.

ग्लोबल गेटवे: मध्य एशिया के लिए यूरोपीय संघ का मूलभूत ढांचे वाला नुस्खा

EU का ग्लोबल गेटवे, देशों के बीच कनेक्टिविटी और टिकाऊ मूलभूत ढांचे के विकास के लिए एक सामरिक क़दम है. इसकी शुरुआत 2021 में हुई थी. 2021 से 2027 के बीच इसके लिए 450 अरब डॉलर की रक़म ख़र्च की जानी है. इसके ज़रिए यूरोपीय संघ का मक़सद वैश्विक प्रशासन के इर्द गिर्द घूमते नैरेटिव को गढ़ना और बहुध्रुवीय दुनिया वाले माहौल में अपने आर्थिक और भू-राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित बनाना है. इस पहल के अंतर्गत, यूरोपीय संघ ने अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका और मध्य एशिया में कई परियोजनाओं की शुरुआत की है. हाल ही में EU और मध्य एशिया के लिए जो ग्लोबल गेटवे इन्वेस्टर्स फोरम आयोजित किया गया, उसमें मध्य एशियाई गणराज्यों और ट्रांस कैस्पियन ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से जुड़े मूलभूत ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए 11 अरब डॉलर की रक़म ख़र्च करने का वादा किया गया. निवेश के इस महत्वाकांक्षी सम्मेलन से पहले यूरोपीय आयोग ने एक व्यापक अध्ययन कराया था, जिसका सटीक नामस्टडी ऑन सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट कनेक्शन बिटवीन यूरोप एंड सेंट्रल एशियाथा. इस अध्ययन में प्रस्ताव रखा गया है कि TITR की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए 20 अरब डॉलर के निवेश की ज़रूरत है और इसके लिए TITR के रास्ते में पड़ने वाली मूलभूत ढांचे की मौजूदा 33 परियोजनाओं में सुधार लाने की आवश्यकता है.

 इस गलियारे की वजह से यूरोप और एशिया के बीच सफर घटकर 15 दिन का रह जाता है. इसकी तुलना में समुद्री रास्ते से आवाजाही में लगभग एक महीने का समय लग जाता 

ट्रांस कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (TITR) की शुरुआत 2014 में की गई थी. इसके दायरे में 4250 किलोमीटर की रेलवे लाइन और 500 किलोमीटर का समुद्री रास्ता आता है. 2017 में इस गलियारे के बाकू- तिब्लिसी और कार्स रेलवे लाइन ने काम करना शुरू कर दिया था. TITR रूस के नॉर्दर्न कॉरिडोर से लगभग दो हज़ार किलोमीटर छोटा है. इस वजह से ये गलियारा अधिक किफ़ायती और रूस पर लगे प्रतिबंधों से बचने का एक आदर्श रास्ता है. इस गलियारे की वजह से यूरोप और एशिया के बीच सफर घटकर 15 दिन का रह जाता है. इसकी तुलना में समुद्री रास्ते से आवाजाही में लगभग एक महीने का समय लग जाता है. हाल के वर्षों में TITR में काफ़ी उम्मीदें जगाने वाली प्रगति देखी गई है. 2014 से 2021 के बीच 49 हज़ार मालवाहक रेलगाड़ियां इस रास्ते से गुज़रीं थीं, जिसमें सालाना 92.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. 2021 में 15 हज़ार 183 ट्रेनों के ज़रिए इस रूट से 20 फुट के बराबर इकाई वाले 14.64 करोड़ कार्गो को ढोया गया. यानी ट्रेनों की तादाद में 29 प्रतिशत तो कार्गो की मात्रा में 22.4 प्रतिशत का विशाल इज़ाफ़ा देखा गया. इस दौरान इस गलियारे से कंटेनर ट्रैफिक 2022 में 33 प्रतिशत और बढ़ गया. ऐसे में गलियारे की ज़द में आने वाले देश इसकी क्षमता 2025 तक बढ़ाकर एक करोड़ टन पहुंचाना चाहते हैं, और अगर उचित निवेश और नीतियां लागू की जाएं, तो 2030 तक इस गलियारे से कारोबार की मात्रा तीन गुने तक बढ़ाई जा सकती है.

भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक तर्क

चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के उलट, यूरोपीय संघ सभी मध्य एशियाई गणराज्यों से क्रियान्वयन में कुशलता, आर्थिक रूप से लाभ और क्षेत्रीय एकीकरण के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाना चाहता है. रूस और यूक्रेन के युद्ध ने यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा को ख़तरे में डाल दिया है और वो अभी भी रूस से होने वाले ऊर्जा के आयात के झटके से नहीं उबर सका है. 2022 में EU ने दक्षिणी गैस कॉरिडोर के ज़रिए कॉकेशस देशों से कैस्पियन सागर से गैस ख़रीदने का समझौता किया था, और वैसे तो इस आपूर्ति से रूस से होने वाली आपूर्ति की भरपाई नहीं की जा सकती है. पर, इसे सामरिक क़दम माना गया था. इन निवेशों की सामरिक अहमियत इस लिहाज़ से काफ़ी अहम है कि इससे EU को मध्य एशियाई गणराज्यों के समृद्ध हाइड्रोकार्बन भंडारों तक पहुंच हासिल होगी. मध्य एशिया के पांच देशों में पक्के और संभावित तौर पर 48 अरब बैरल तेल और 292 ट्रिलियन घनफुट प्राकृतिक गैस के भंडार हैं. यूरोपीय संघ चाहता है कि वो अपने उन्नत निजी क्षेत्र का इस्तेमाल करके यूरेशिया के बीचो-बीच निवेश को गति दे, ताकि उसे तेल और गैस की भरोसेमंद आपूर्ति मिल सके.

यूरोपीय संघ और CAR के बीच बढ़ता तालमेल, दोनों ही पक्षों के लिए फ़ायदेमंद है. EU की नीति के पीछे उसकी सामरिक स्वायत्तता बढ़ाने, अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित (और विविधतापूर्ण) बनाने और मध्य एशिया से ज़मीनी कनेक्टिविटी बढ़ाने की सोच है. वहीं, यूक्रेन पर रूस के हमले ने मध्य एशियाई देशों को रूस पर अपनी आर्थिक और सुरक्षा संबंधी निर्भरता पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है. अब CAR की नज़र में रूस ऐसा देश है, जो उनकी स्थिरता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए ख़तरा बन चुका है. इसी तरह आज़ादी के बाद से मध्य एशियाई गणराज्यों ने सोचा था कि चीन के साथ संपर्क बढ़ाने से उनके लिए कई अवसरों के द्वार खुलेंगे; हालांकि इसके साथ साथ चीन के दादागीरी वाले रवैये की वजह से इस क्षेत्र में उसके प्रति अविश्वास बढ़ा है. मिसाल के तौर पर ताजिकिस्तान और किर्गिज़स्तान को ही लीजिए, जिन पर लदा आधे से ज़्यादा विदेशी क़र्ज़ चीन का है. वैसे तो कज़ाख़िस्तान के ऊपर चीन का क़र्ज़ उसकी GDP के 6.5 प्रतिशत के बराबर ही है. लेकिन, उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान पर अभी भी उनकी GDP के 16 और 16.9 प्रतिशत के बराबर चीन का क़र्ज़ है. अगर ये देश चीन से लिया हुआ क़र्ज़ लौटा पाने में नाकाम रहते हैं, तो चीन ने पहले ही किर्गीज़िस्तान और ताजिकिस्तान जैसे देशों के साथ समझौते में ऐसी शर्तें जोड़ने के लिए मजबूर किया है, जिससे BRI की परियोजनाओं से जुड़ी संपत्तियों पर उसका अधिक नियंत्रण होगा.

यूक्रेन पर रूस के हमले ने मध्य एशियाई देशों को रूस पर अपनी आर्थिक और सुरक्षा संबंधी निर्भरता पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है. अब CAR की नज़र में रूस ऐसा देश है, जो उनकी स्थिरता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए ख़तरा बन चुका है. 

BRI में चीन के निवेश की वजह से मध्य एशियाई देशों में बड़ी तादाद में चीनी श्रमिक भी पहुंचे हैं, और इनकी वजह से सरकार की उपेक्षा और चीन की बढ़ती मौजूदगी के ख़िलाफ़ इन देशों में प्रदर्शन और हिंसक संघर्ष बढ़ गए हैं. 2015 से अब तक इन देशों में चीनियों के ख़िलाफ़ 150 से अधिक विरोध प्रदर्शन हुए हैं. विशेष रूप से कज़ाख़िस्तान, किर्गीज़िस्तान और ताजिकिस्तान इनके शिकार हुए हैं. वहीं, शिनजियांग में मुसलमानों पर ज़ुल्म ने इन देशों में चीन विरोधी भावनाओं को और भड़का दिया है. रूस की आक्रामक नीति और चीन के बढ़ते दबदबे की वजह से मध्य एशियाई देश अपनी सामरिक स्वायत्तता के लिए साझेदारियों में विविधता ला रहे हैं और यूरोप, दक्षिणी एशिया और मध्य पूर्व के साथ कनेक्टिविटी की वैकल्पिक परियोजनाओं की संभावनाएं तलाश रहे हैं.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत के बाद EU ने मध्य एशिया के साथ अपना संपर्क बढ़ा दिया है. इसके सबूत हमें कई उच्च स्तरीय दौरों के रूप में देखने को मिले हैं. यूरोपीय संघ के उपाध्यक्ष जोसेफ बोरेल ने ग्लोबल गेटवे इन्वेस्टर्स फोरम में बिल्कुल सही कहा कि, ‘मध्य एशिया अब विश्व मंच पर एक अहम खिलाड़ी बनता जा रहा है.’ इसलिए भी, मध्य एशिया के लिए EU की नीति एक अधिक व्यावहारिक एजेंडे पर आधारित है और एक बहुध्रुवीय होती दुनिया में CAR की बढ़ती भूमिका को स्वीकार किए जाने को भी दर्शाती है. सवाल ये है कि मध्य एशियाई गणराज्य क्षेत्रीय एकीकरण को कितनी गंभीरता से लेते हैं. आपसी विवादों को किस तरह सुलझाते हैं और फिर जनता के लिए मुफ़ीद संवैधानिक सुधारों के आधार पर लचीली राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्थाओं का निर्माण करते हैं, और इस तरह क़ानून के राज में सुधार के साथ साथ, धीरे धीरे अपना लोकतांत्रीकरण करते हैं. नई आपूर्ति श्रृंखलाओं में काफ़ी निवेश और मध्य एशियाई देशों में ग़रीबी से निपटने में मदद करके, यूरोपीय संघ इस क्षेत्र के साथ ऐसी मज़बूत भागीदारी विकसित कर सकता है, जो दोनों ही पक्षों के लिए फ़ायदेमंद हो.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.