Author : Antara Vats

Published on Jul 22, 2022 Updated 29 Days ago

नेटो शिखर सम्मेलन 2022 का प्रमुख मक़सद नेटो से परे संबंधों में विविधता लाने और उन्हें मज़बूत करने के साथ-साथ अमेरिकी निर्भरता को कम करने पर था.

पारंपरिक ढ़र्रे से बिलकुल अलग: नेटो शिखर सम्मेलन 2022

यूक्रेन पर रूसी हमले के इर्द-गिर्द व्यापक संवाद के तहत, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नेटो) शिखर सम्मेलन 2022 में दो अहम विषयों पर चर्चा केंद्रित रही. 28 जून से 30 जून तक मैड्रिड, स्पेन में आयोजित किए जाने वाले नेटो शिखर सम्मेलन में जिसमें एशिया प्रशांत देशों (एशिया पेसिफिक) को शामिल करना और इमर्जिंग एंड डिसरप्टिव टेक्नोलॉजीज (ईडीटी) में निवेश को बढ़ावा देना इस साल के शिखर सम्मेलन का केंद्र बिंदु था. नेटो के गठबंधन देशों ने इस सम्मेलन के तहत एक रणनीतिक अवधारणा 2022 को अपनाया और यह दस्तावेज नेटो के मूल्यों और उद्देश्य की पुष्टि करता है. शीत युद्ध के बाद से हर 10 सालों में यह दस्तावेज सुरक्षा प्राथमिकताओं का आकलन करता है और नेटो के सैन्य और राजनीतिक विकास के लिए रास्ते खोलता है. इस वर्ष किए गए संशोधनों के बीच यह पता लगाना ज़रूरी हो जाता है कि नेटो देश कैसे कार्रवाई करते हैं और चीन के साथ रचनात्मक जुड़ाव सुनिश्चित करने और अमेरिकी निर्भरता को कम करने के साथ-साथ साझेदारी और सैन्य टूलबॉक्स में विविधता लाने के अपने मक़सद को पाने के लिए कैसे आगे बढ़ते हैं.

28 जून से 30 जून तक मैड्रिड, स्पेन में आयोजित किए जाने वाले नेटो शिखर सम्मेलन में जिसमें एशिया प्रशांत देशों (एशिया पेसिफिक) को शामिल करना और इमर्जिंग एंड डिसरप्टिव टेक्नोलॉजीज (ईडीटी) में निवेश को बढ़ावा देना इस साल के शिखर सम्मेलन का केंद्र बिंदु था.

संबंधों का विविधीकरण : नेटो से परे साझेदारी को मज़बूत करना

नेटो 32 देशों का सैन्य गठबंधन है, 30 यूरोप में और दो उत्तरी अमेरिका में हैं. एक ऐतिहासिक पहल के तहत इस साल नेटो के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) की सिफारिश पर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्षों ने मंच साझा किया है. एशिया पेसिफिक फोर (एपी 4) के नेताओं ने साइबर और समुद्री सुरक्षा पर अपने सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की है. साल 2010 के दशक की शुरुआत से ही एपी 4 “दुनिया भर में साझीदारों” के साथ ख़ुद को जोड़ता रहा है, फिर भी ऐसा पहली बार हुआ है जब इस क्षेत्र से यह देश नेटो के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधित्व शिखर सम्मेलन में मौज़ूद रहे थे.

यूरो-अटलांटिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता को स्थापित करने में समर्थन को बढ़ावा देने के अलावा एपी 4 की भागीदारी का उद्देश्य नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का विरोध करने वाले देश को एक सख़्त संदेश देना भी है. नेटो ने रूस की पहचान “सबसे अहम और प्रत्यक्ष ख़तरे” के तौर पर की है और रणनीतिक दस्तावेज में पहली बार चीन को “व्यवस्थित चुनौती” के रूप में पहचाना गया है. एक साझा विचार यह भी है कि रूस पर उसके सहयोगी चीन से अलग-थलग करके नकेल नहीं कसा जा सकता है. चीन रूस को सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (ग्लोबल सप्लाई चेन) निर्भरता को पैदा कर रहा है और सैन्य अभ्यास को अंजाम देकर क्षेत्रीय वर्चस्व को बढ़ा रहा है. और अब अपनी भागीदारी के ज़रिए एपी 4 नेटो के 32 सदस्यों के साथ साझेदारी के लिए एक व्यापक मंच तैयार करने में जुटा है और साथ ही रणनीतिक लिहाज से अहम ऑकस और क्वाड जैसे मिनीलेटरल से परे हिन्द-प्रशांत में यूरोपीय सहयोग को जुटाने में लगा है.

बेशक यह चीन के लिए अच्छा संकेत नहीं था. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन के अनुसार “काल्पनिक दुश्मन बनाने” की नेटो की रणनीति एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को कमज़ोर करेगी. संयुक्त राष्ट्र में चीनी दूत, राजदूत झांग जून ने भी शिखर सम्मेलन के ख़िलाफ़ रैली की और आरोप लगाया, “ताक़त की स्थिति में आंख मूंद कर भरोसा करना, सैन्य गठबंधनों का विस्तार और अन्य देशों की सुरक्षा की क़ीमत पर अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना अनिवार्य रूप से सुरक्षा के लिए भ्रम की स्थिति पैदा करेगा.” राजदूत जून ने नेटो को “एशिया-प्रशांत में काल्पनिक शत्रुओं की तलाश करने या विवादों और विभाजनों को रोकने” के ख़िलाफ़ चेतावनी दी. इसके अलावा, रूस भी स्वीडन और फ़िनलैंड को नेटो में शामिल होने के प्रति आगाह कर रहा है, इसके बावज़ूद शिखर सम्मेलन के एक सप्ताह बाद नेटो गठबंधन के तहत इसके सदस्य देशों ने एक्सेसन (परिग्रहण) वार्ता पर हस्ताक्षर किए.

नेटो ने रूस की पहचान “सबसे अहम और प्रत्यक्ष ख़तरे” के तौर पर की है और रणनीतिक दस्तावेज में पहली बार चीन को “व्यवस्थित चुनौती” के रूप में पहचाना गया है. एक साझा विचार यह भी है कि रूस पर उसके सहयोगी चीन से अलग-थलग करके नकेल नहीं कसा जा सकता है. 

नेटो की यथार्थवादी समालोचना के आधार पर इसके आक्रामक तेवर और विस्तार ने यूक्रेन पर आक्रमण की शुरुआत की. स्वीडन और फ़िनलैंड को शामिल करने से, दो देश जो रूस के साथ लगभग सीमा साझा करते हैं, यूक्रेन की स्थिति को और ख़राब कर सकते हैं. यहां तक कि रूस यूक्रेन जंग के बीच अगर कोई पुतिन को एक तर्कसंगत किरदार के रूप में मानता है जो साम्राज्यवादी एज़ेंडे के तहत काम कर रहा है, फिर भी यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के संभावित कारण के तौर पर नेटो के विस्तार के छिपे हुए मक़सद की जांच नहीं करना गले के नीचे नहीं उतरेगा. नेटो के विस्तार के ख़िलाफ़ सक्रिय रूप से चीन आवाज़ बुलंद कर रहा है, ऐसे में नेटो को पीपुल्स रिप्बिलक ऑफ चाइना (पीआरसी) के साथ रचनात्मक वार्ता में शामिल होने के लिए अपनी उत्सुकता दिखानी चाहिए.

मिलिट्री टूलबॉक्स में विविधता लाना – ईडीटी में निवेश

नेटो ने पूर्वी सीमा पर अपने गठबंधन के सैनिकों की संख्या बढाकर 40,000 से अधिक कर दी है. नेटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग के अनुसार सैनिकों की तादाद बढ़ाना शीत युद्ध के बाद सामूहिक रक्षा और प्रतिरोध के “सबसे बड़े बदलाव” का हिस्सा है. इसके अलावा नेटो, रूस और चीन द्वारा निवेश और दोहरे उपयोग वाली तकनीकों को बढ़ावा देने की गति को भी पाने की कोशिश में है, जिसमें वायु, समुद्र, भूमि, साइबर और अंतरिक्ष के किसी भी क्षेत्र में किसी भी संकट की रोकथाम और प्रबंधन, प्रतिरोध और रक्षा को बढ़ावा देने के साथ सुरक्षा में सहयोग शामिल है.

बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्पेन, तुर्किये और ब्रिटेन ने शिखर सम्मेलन में नेटो के इनोवेशन फंड के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है और दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं. यह एक तरह का अनूठा, बहु-संप्रभु वेंचर कैपिटल फंड (उद्यम पूंजी कोष) है जो 22 सदस्यीय देशों से मिलने वाली 1 मिलियन यूरो के साथ सैन्य और नागरिक उद्देश्यों के लिए दोहरे उपयोग वाली उभरती तकनीकों को विकसित करने वाले स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल फंड को बढ़ावा देगा. यह फंड नॉर्थ अटलांटिक के लिए डिफेंस इनोवेशन एक्सेलेरेटर (डीआईएएनए) का पूरक होगा जो महत्वपूर्ण सुरक्षा और रक्षा चुनौतियों के जवाब में प्रत्येक सहयोगी देशों के लिए इंटरऑपरेबिलिटी और तकनीक अपनाने की सुविधा देने में सहायता करेगा. 15 साल की समय सीमा के साथ इसका मक़सद सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए तकनीक और इनोवेशन (नवाचार) के साथ-साथ रक्षा तंत्र को मौलिक रूप से बदलना है.

नेटो, रूस और चीन द्वारा निवेश और दोहरे उपयोग वाली तकनीकों को बढ़ावा देने की गति को भी पाने की कोशिश में है, जिसमें वायु, समुद्र, भूमि, साइबर और अंतरिक्ष के किसी भी क्षेत्र में किसी भी संकट की रोकथाम और प्रबंधन, प्रतिरोध और रक्षा को बढ़ावा देने के साथ सुरक्षा में सहयोग शामिल है.

मौज़ूदा समय में अमेरिका ने डायना और इनोवेशन फंड के तहत एक्सीलरेटर साइटों और परीक्षण केंद्रों के ज़रिए स्थापित इनोवेशन सेक्टर में दूसरों को पहुंच प्रदान की है. 2019 में नेटो शिखर सम्मेलन में डिफेंस इन्वेस्टमेंट प्लेज के हिस्से के रूप में, नेटो सहयोगी राष्ट्र अपने सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत तक रक्षा निवेश बढ़ाने पर सहमत हुए थे. पिछले अमेरिकी राष्ट्रपति नेटो सहयोगियों से बढ़े हुए परिव्यय की अपनी मांगों को लेकर हमेशा से मुखर रहे हैं. जबकि साल 2014 से ही गैर-अमेरिकी रक्षा ख़र्च बढ़ रहा है, यह मामूली अपवादों के साथ अभी भी काफी कम है और नेटो के एज़ेंडे में अमेरिका के दबदबा का ही नतीजा है.

निष्कर्ष


नेटो को साझेदारी बढा़ने और मिलिट्री टूल्स के विविधीकरण के साथ-साथ वांछित परिणाम सुनिश्चित करने के लिए गंभीरता से विचार-विमर्श करना चाहिए, ख़ास कर इससे पहले कि नेटो सदस्य देश जो अपने दुश्मनों से घिरे हैं, उनके लिए यह महत्वाकांक्षी योजना एक बड़ी चुनौती ना बन जाए. यह वार्ता ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाती है क्योंकि अमेरिकी निवेश और विचारधारा पर अत्यधिक निर्भरता हमेशा गठबंधन के लिए एक चुनौती बनी हुई है और विरोधियों की प्रमुख चिंता रही है. नेटो के एज़ेंडे पर हावी होने वाले देशों में अमेरिका द्वारा इसका बोझ असमान रूप से सहना एक रणनीतिक योजना का हिस्सा है लेकिन राष्ट्रीय उद्देश्यों के समन्वय और एआई विकास जैसे अन्य मुद्दों के बीच युद्ध क्षेत्र में ईडीटी उपयोग की जवाबदेही और ज़िम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए साझा मानकों के लिए इसका प्रतिकूल असर हो सकता है. जैसा कि नेटो एआई से अलग तकनीक, जैसे क्वान्टम और बायोटेक्नोलॉजी के लिए अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) रणनीति के तहत बताए गए सिद्धांतों को संचालित करने की कोशिश में है तो रेग्युलेटरी अप्रोच (नियामक दृष्टिकोण) के सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए केवल सैन्य वर्चस्व पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाना चाहिए बलकि ज़मीन पर लोगों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए.

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