अगस्त 2022 के पहले सप्ताह में भारत ने अपने 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी का अंतिम दौर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. सरकार ने रिकॉर्ड वक्त में नीलामी के दौरान बोली जीतने वालों को स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े दस्तावेज़ भी जारी कर दिए. टेलीकॉम ऑपरेटर्स अब पहले चरण में देश के 13 शहरों में 5जी सेवाओं को शुरू करने की तैयारी में जुट गए है. कालांतर में यह सेवाएं पूरे देश में उपलब्ध हो जाएंगी.
5जी सेवाओं को अपनाने से अनेक महत्वपूर्ण लाभ मिलने वाले हैं. इसमें प्रमुखता से जिस लाभ की बात की जा रही है वह हमारे सेल्यूलर एवं अन्य उपकरणों की डाउनलोड स्पीड में तेज़ी से जुड़ी है. 5जी की अपेक्षाकृत कम लेटेन्सी (विलंबता) उभरती प्रौद्योगिकियों और सेवाओं जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) वर्चुअल रियलिटी, रोबोटिक्स और क्लाउड कम्प्यूटिंग का बेहतर समर्थन करेगी. इसके साथ ही यह ब्राउजिंग जैसी बुनियादी गतिविधियों में भी उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव प्रदान करेगी. बैंडविथ में वृद्धि के साथ, 5जी सेवाओं के कारण अंतर उपकरण यानी इंटर डिवाइस डेटा आदान-प्रदान करने में आसानी होगी और वाई-फाई उपकरणों के प्रदर्शन में भी सुधार होगा.
5जी सेवाओं के अवतरण की वजह से नए जमाने के डिजिटल एवं तकनीकी कौशल के मांग की लहर देखी जा रही है. 2022-23 में ही 5जी के साथ भारत में 40-50 मिलियन ग्राहकों के जुड़ने की संभावना है, जबकि 2025 तक 5जी से जुड़ी संपन्नता अथवा योग्यता को संभालने के लिए भारत को 22 मिलियन कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी. इनमें सुरक्षा और नेटवर्क आर्किटेक्चर डिजाइन, एआई और मशीन लर्निग एल्गोरिदम, ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क डेवलपमेंट, आईओटी, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कम्प्यूटिंग और साइबर सिक्यूरिटी से जुड़े विशेष कौशल शामिल होंगे. इसके परिणामस्वरूप बड़े टेक कॉरर्पोरेशन्स, कंसलटिंग फर्म्स और स्टार्टअपस् के बीच कौशल युद्ध छिड़ गया है. ऐसे में पूरे देश में इस वक्त़ रोजगार अभियान काफी तेज़ी से शुरू हो गया है.
5जी सेवाओं के अवतरण की वजह से नए जमाने के डिजिटल एवं तकनीकी कौशल के मांग की लहर देखी जा रही है. 2022-23 में ही 5जी के साथ भारत में 40-50 मिलियन ग्राहकों के जुड़ने की संभावना है, जबकि 2025 तक 5जी से जुड़ी संपन्नता अथवा योग्यता को संभालने के लिए भारत को 22 मिलियन कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी.
2020 के अधिकांश दौर में चिंताजनक मंदी देखने के बाद अब भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सुधार के उत्साहजनक संकेत देखे जा रहे हैं. इसमें 2022 में 5जी की शुरुआत ने पूरी तरह से उत्साह की एक नई भावना को संचारित कर दिया है. नए रोज़गार देने और मौजूदा कर्मचारियों के कौशल को विकसित करने में तेजी आयी है. इस कारण पिछले वर्ष के मुकाबले 2022 में रोज़गार देने की प्रक्रिया से जुटे लोगों ने 5जी की वजह से उपलब्ध अवसरों को देखते हुए 100 प्रतिशत की वृद्धि देखी है. हाल में हुए ऑनलाइन रोज़गार पोर्टल्स के एक सर्वे से पता चला है कि पिछले दो महीने में ‘टेलीकम्युनिकेशन्स इंजीनियर’ जैसे पदों की आवश्यकताओं को दर्शाने वाली पोस्टस् में 16 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. इसके अलावा सामान्य तौर पर 5जी और टेलीकॉम से जुड़ी नौकरियों में सितंबर 2021 से सितंबर 2022 के बीच 35 प्रतिशत का इज़ाफा देखा गया है.
हालांकि भारत में 5जी से जुड़े कौशल की मांग और आपूर्ति के बीच खाई को लेकर चिंताएं बढ़ रही है. टेलीकॉम सेक्टर स्कील काउंसिल (टीएसएससी) के अनुसार यह खाई 28 प्रतिशत की है.
तकनीकी दक्षता महत्वपूर्ण
कौशल की इस कमी को प्राथमिकता से दूर करना होगा. इस माह की शुरुआत में केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री ने 100 ऐसी 5जी लैब खोलने की घोषणा की है, जिसमें 5जी तकनीक के उपयोग से जुड़ी बातों को समझकर उसके हिसाब से आवश्यक अथवा प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जा सकती है. इस योजना की सबसे अहम बात यह है कि सरकार ने निजी दूरसंचार कंपनियों को इनमें से कम से कम 12 प्रयोगशालाओं को दूरसंचार इन्क्यूबेटरों में परिवर्तित करने का न्यौता दिया है, जो छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए इनका उपयोग करेंगे. इसके अलावा इस तरह की लैब को देश की प्रमुख तकनीकी संस्थाओं, जैसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में खोला जाना चाहिए. ऐसा होने पर ये लैब सरकार, उद्योग और शैक्षणिक समुदाय के बीच सेतु का काम करते हुए नए युग की तकनीक के लिए आवश्यक क्षमता विकास में अहम भूमिका अदा करेंगे. इसके अलावा ये उत्पाद नवाचार को कल्पनाओं से उतारकर साकार करने में भी सहायक होंगे. ये लैब 5जी उद्योग के लिए क्षेत्र-विशिष्ट परिनियोजन का काम भी करेंगे.
निजी हितधारकों के साथ रणनीतिक साझेदारी और पाठ्यक्रम डिजाइन और इसकी सामग्री उपलब्ध करवाने में उनका सहयोग और भागीदारी 5जी कौशल कार्यक्रमों की सफलता में अहम साबित होगी. इस उद्योग की तीक्ष्य आवश्यकताओं को समझने के लिए इसके अलावा किसी अन्य तरीके की कल्पना करना भी बेहद मुश्किल होगा. उदाहरण के तौर पर टीएसएससी इस वक्त सार्वजनिक और निजी हितधारकों के साथ मिलकर भारत के लिए आवश्यक 5जी कार्यबल के लिए आवश्यक कौशल को प्रशिक्षण देने के काम में जुटी हुई है. राष्ट्रीय कौशल विकास कार्पोरेशन, सिस्को, आईबीएम समेत अन्य कंपनियों के साथ मिलकर 5जी से संबंधित प्रौद्योगिकी के लिए जरूरी कौशल प्रशिक्षण देने में जुटा हुआ है. निजी संस्थाओं की ओर से उपलब्ध करवाए जाने वाले चुनिंदा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को काफी पसंद भी किया जा रहा है. जैसे-जैसे भारतीय 5जी की कहानी आगे बढ़ेगी, यह उभरती हुई तकनीक भविष्य में 10 मिलियन भारतीयों को प्रशिक्षित करने के सरकार के कार्यक्रम या फिर डीईएसएच स्टैक ई-पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे कौशल के अवसर जैसी देश की महाकौशल पहलों के लिए तेजी से महत्वपूर्ण हो जाएगा. इन चीजों को 5जी पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरतों के साथ संरेखित किया जा सकता है.
जैसे-जैसे भारतीय 5जी की कहानी आगे बढ़ेगी, यह उभरती हुई तकनीक भविष्य में 10 मिलियन भारतीयों को प्रशिक्षित करने के सरकार के कार्यक्रम या फिर डीईएसएच स्टैक ई-पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे कौशल के अवसर जैसी देश की महाकौशल पहलों के लिए तेजी से महत्वपूर्ण हो जाएगा.
बेशक, तकनीकी दक्षताएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सॉफ्ट स्किल्स और मुख्य मानवीय विशेषताओं को भी महत्वपूर्ण समझकर उनका पोषण और उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए. जैसे कि क्लॉस श्वाब ने द फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन में दर्ज किया था, ‘‘उन कौशलों की मांग बढ़ेगी जो श्रमिकों को तकनीकी प्रणालियों के साथ-साथ या इन तकनीकी नवाचारों द्वारा छोड़ी गई खामी में डिज़ाइन, निर्माण और काम करने में सक्षम बनाती हैं.’’ [i] हकीकत में, भारतीयों के डिजिटल कौशल के अध्ययन में अक्सर यह देखा गया है कि श्रमिकों के बीच अधिक रचनात्मकता, सामाजिक बुद्धिमत्ता, टीम वर्क और बेहतर संचार कौशल की आवश्यकता है.
अनुमान है कि 2030 तक, 5जी तकनीक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगी. अत: 5 जी और उससे आगे की तकनीकी की ओर होने वाले संक्रमण के लिए यह आवश्यक है कि हम प्रशिक्षित पेशेवरों की टीम तैयार करें, जो हमें इसकी वजह से होने वाले आर्थिक विकास के नए युग का लाभ उठाने में सक्षम बना सके. ऐसा होने पर ही, भारत 2030 एजेंडा की ‘‘उत्पादक रोजगार और सभी के लिए अच्छा काम’’ की अनिवार्यता सुनिश्चित करने और ‘‘तकनीकी उन्नयन और नवाचार के माध्यम से आर्थिक उत्पादकता के उच्च स्तर’’ को प्राप्त करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभर सकता है.
[i] Klaus Schwab, The Fourth Industrial Revolution (London: Portfolio, 2017)
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