Author : Shradha Sharma

Published on Dec 23, 2020 Updated 0 Hours ago

बहुत सी दूसरी चीज़ों की तरह प्रौद्योगिकी और इंटरनेट की बहुत सी खूबियां और ताक़त हैं, जो विकास के नए अवसर पैदा करती हैं, और इनोवेशन से जुड़े नए मौके लेकर आती हैं.

योरस्टोरी: भारतीय उद्यमशीलता का सफ़रनामा दर्ज करने की कोशिश

ओआरएफ: योरस्टोरी (YourStory) को अक्सर स्टार्टअप्स और नए उद्यमों से संबंधित कहानियों, समाचारों, संसाधनों और शोध रिपोर्टों के लिए भारत के सबसे बड़े और सबसे निश्चित मंच के रूप में देखा जाता है. आपने नए ज़माने का एक मीडिया हाउस बनाने से संबंधित इस प्रभावशाली विचार की कल्पना कैसे की? 

श्रद्धा शर्मा: मैं हमेशा से कहानियों की ताक़त में विश्वास करती रही हूं. मुझे लगता है कि कहानियां बहुत कुछ हासिल कर सकती हैं. लेकिन जब मैंने अपने करियर की शुरुआत में देखा कि पारंपरिक मीडिया केवल बड़े ब्रांड और सफल लोगों व उद्यमों की कहानियों को दुनिया के सामने लाना चाहता है, तो मुझे लगा कि महत्वाकांक्षी उद्यमियों और ऐसे लोगों की कहानियां भी सामने आनी चाहिए, जो हमारे आसपास बदलाव ला रहे हैं. ऐसे में मुझे इन कहानियों को कहने की ज़रूरत महसूस हुई.

यही वजह है कि साल 2008 में मैंने योरस्टोरी (YourStory) की शुरुआत की, ताकि हम साथ मिलकर कुछ ऐसा कर सकें जिससे की इन लोगों की कहानियों भी सामने आएं और हम लोगों की कहानियों को एक दूसरे से सुनने, उन्हें मानने और उनसे कुछ सीखने की संस्कृति का विकास करें.

स्वाभाविक रूप से, मैंने जो कहानियां लोगों के सामने रखीं, वे चेंजमेकर्स (बदलाव के सिपाही), उद्यमियों और इनोवेटर्स यानी उन लोगों की थीं जिन्होंने कुछ नया करने और सोचने की क्षमता दिखाई. वो लोग जो यथास्थिति को बदलना चाहते थे, जिन लोगों में भूख थी अपने सपनों को साकार करने की, उनके भीतर एक आग थी कुछ अच्छा करने की लेकिन उनके पास साधन बहुत कम थे. वो अपनी यात्रा की शुरूआत कर रहे थे और लेकिन उनके पास संसाधनों के रूप में कोई बड़ा सहयोग तंत्र नहीं था. मैंने युवा कलाकारों की कहानियों, उनके सपनों और आशाओं और उनके माध्यम से देश भर में फैले उन लोगों की प्रेरणादायक कहानियां कहीं, जो उम्मीद के सहारे आगे बढ़ रहे थे.

मुझे याद है कि उस वक्त कई निराशावादी लोगों ने कहा था कि योरस्टोरी (YourStory) नहीं चलेगा. उन्होंने मुझसे कहा कि, “ऐसे अनजान लोगों की कहानियों में कौन दिलचस्पी रखेगा, जिनके नाम कोई सफलता नहीं है?” और निश्चित रूप से, एक महत्वपूर्ण सवाल जो लगभग सभी तरह के उद्योगों से जुड़े लोगों ने मुझसे पूछा कि: “इस तरह की कहानियों को दुनिया के सामने लाकर आप पैसा कैसे कमाएंगी?”

मैं अपनी कोशिश और अपने विश्वास को लेकर कायम रही और पिछले 12 सालों में हमने इस तरह की 100,000 से अधिक कोशिशों और कहानियों को दुनिया के सामने रखा है. ये वो कहानियां है जो उम्मीद और आशा की बात करती हैं और कुछ नया करने को प्रेरित करती हैं. ये हर क्षेत्र में बदलाव को प्रज्वलित करती हैं.

फिर भी, मैं अपनी कोशिश और अपने विश्वास को लेकर कायम रही और पिछले 12 सालों में हमने इस तरह की 100,000 से अधिक कोशिशों और कहानियों को दुनिया के सामने रखा है. ये वो कहानियां है जो उम्मीद और आशा की बात करती हैं और कुछ नया करने को प्रेरित करती हैं. ये हर क्षेत्र में बदलाव को प्रज्वलित करती हैं. एक दशक से अधिक समय से मैंने इन सवालों का जवाब देने और खोजने की कोशिश की है कि, अपने सोचने-समझने की प्रक्रिया, अपने विचारों और अपने जीवन में हम सकारात्मकता कैसे फैलाएं, खास कर जब नकारात्मकता बेहद उग्र हो और हर तरफ उसी का बोलबाला हो. हम एक ऐसे समय में सकारात्मक और प्रेरणादायक कहानियों को सामने लाने वाली पत्रकारिता को स्थायी, टिकाऊ और मुनाफ़ा कमाने वाले व्यावसायिक मॉडल के रूप में कैसे स्थापित करें, जब सनसनीखेज़ सुर्खियों और नकारात्मक समाचारों को मीडिया कंपनियों के लिए एकमात्र ऑपरेटिंग मॉडल के रूप में देखा जाता है? आप उन लोगों को आवाज़ कैसे दे सकते हैं, जिनकी कहानियों को पहले कभी नहीं कहा गया क्योंकि दुनिया के सफलता के पैमाने पर वे पर्याप्त रूप से सफल नहीं हैं? इसके साथ ही आप हर एक कहानी को आवश्यक और ज़रूरी कैसे बना सकते हैं?

ये वो सवाल थे, जिन्होंने मुझे योरस्टोरी (YourStory) की शुरूआत करने के लिए प्रेरित किया और मेरे मन और दिलो-दिमाग़ में ये सवाल हमेशा घूमते रहते हैं, और योरस्टोरी (YourStory) के ज़रिए, मै इनके जवाब ढूंढने की लगातार कोशिश करती हूं.

ओआरएफ: तकनीक और डिजिटल मीडिया ने एक तकनीकीउद्यमी (tech-entrepreneur) के रूप में आपकी यात्रा को कैसे सक्षम और संभव बनाया है? आपके विचार में तकनीक के ये नए आयाम, उद्यमिता (entrepreneurship) तक आम लोगों की पहुंच को किस तरह से लोकतांत्रिक बना रहे हैं?

श्रद्धा शर्मा: मेरा मानना है कि हर चीज़ की तरह तकनीक और इंटरनेट में भी कई ताक़तें हैं, जिससे विकास के कई रास्ते बनते हैं और नए से नए अवसर पैदा होते हैं. साथ ही, यह कई तरह की चुनौतियों को भी जन्म दे सकता है, लेकिन अगर कोई एक चीज़ है जिसके लिए प्रौद्योगिकी को श्रेय दिया जा सकता है, तो वह है कि इस ने समानता का संचार करने वाले कारक के रूप में अपनी भूमिका निभाई है, जिस से जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े लोगों की आकांक्षाएं पूरी हो सकें और हर किसी के लिए नए अवसर पैदा हों. इसके साथ ही तकनीक ने आम लोगों को उन संभावनाओं और अवसरों से भी दो चार कराया है, जो तकनीकी विकास से पहले के युग में संभव नहीं थे. यह संभावनाएं और अवसर इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि लोग, उस से अधिक कुछ करने के लिए प्रेरित हों जो वह अब तक करते आए हैं. मेरा मानना है कि मैं भी योरस्टोरी (YourStory) को खड़ा करने में सक्षम नहीं हो पाती, अगर प्रौद्योगिकी का लोकतांत्रिकरण नहीं हुआ होता और इसकी यह ताक़त हमारे साथ नहीं होती.

भारतीय स्टार्टअप तंत्र में मैंने पहली बार और बेहद नज़दीक से, प्रौद्योगिकी और डिजिटल मीडिया की उस ताक़त को देखा है, जो भारतीय उद्यमियों की एक पूरी फौज खड़ी करने और भारत में उनकी लगातार बढ़ती संख्या के पीछे है. यह वो उद्यमी हैं जिन्होंने वैश्विक कंपनियों को खड़ा किया है और जो दुनिया भर में एक घरेलू नाम बन गई हैं. आगे आने वाले समय में भी, विशेष रूप से दुनिया भर में फैली कोविड-19 की महामारी के बीच डिजिटल तकनीकों में आए उछाल और संपर्क रहित तरीकों से तकनीक के ज़रिए संपर्क स्थापित करने की नई ज़रूरतों ने, जीवन के हर आयाम में डिजिटल तकनीक को अपनाए जाने की ज़मीन तैयार की है. इस सब के तहत मेरा मानना है कि प्रौद्योगिकी और डिजिटल मीडिया हमारे जीवन में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इस के चलते देश के अलग अलग कोनों से अधिक से अधिक संख्या में उद्यमी अपना कारोबार शुरु कर पाएंगे, क्योंकि अब भौतिक रूप से चीज़ों को व्यवस्थित करने की ज़रूरतें बेहद कम हो गई हैं, और वास्तविक रूप से सपाट हो गई इस दुनिया में भौतिक बाधाओं और चुनौतियों को दूर करते हुए तकनीक ने उद्यमियों को उभरने के नए मौके प्रदान किए हैं.

आगे आने वाले समय में भी, विशेष रूप से दुनिया भर में फैली कोविड-19 की महामारी के बीच डिजिटल तकनीकों में आए उछाल और संपर्क रहित तरीकों से तकनीक के ज़रिए संपर्क स्थापित करने की नई ज़रूरतों ने, जीवन के हर आयाम में डिजिटल तकनीक को अपनाए जाने की ज़मीन तैयार की है.

ओआरएफ: डिजिटल युग में नए अवसरों को पहचानने और उन्हें भुनाने को लेकर आप नवोदित पत्रकारों और मीडिया के प्रति उत्साही लोगों को क्या सलाह देंगी?

श्रद्धा शर्मा: मैं नए पत्रकारों और मीडिया के प्रति उत्साही लोगों से आग्रह करूंगी कि डिजिटल युग में पैदा हो रहे नए अवसरों पर नज़र रखें और उन्हें अपने लाभ के लिए भुनाना जारी रखें. यह संभव नहीं कि एक पत्रकार के रूप में आपका विकास रुक जाए. यह एक सतत प्रकिया है और एक पत्रकार के रूप में आप सीखना हमेशा जारी रखेंगे. एक पत्रकार के तौर पर आप अपने कौशल या अपने संचालन के तरीकों में कभी भी रूढ़ या स्थिर नहीं हो सकते. आपको लगातार सीखते रहना होगा. आपको लगातार सतर्क रहना चाहिए और अपने आस पास से मिल रहे संकेतों को पकड़ना चाहिए. आप महसूस करेंगे कि आपके आस पास हो रहे बदलावों के ये संकेत सबसे सरल चीज़ों से सामने आएंगे, लेकिन इन संकेतों को समझने और उन्हें पकड़ने के लिए आपको बदलाव के प्रति उन्मुख रहना होगा और खुद को बदलने के लिए तैयार रहना होगा. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि खुद को शब्दजाल (jargon) से दूर रखें अपने काम के ज़रिए अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश करें.

ओआरएफ: योरस्टोरी की वेबसाइट पर एक विशेष सेगमेंट है जिसे हरस्टोरी (HerStory) कहा जाता है, जहां आप वर्तमान समय के कई उभरते सितारों की कहानियां बयां करते हैं. प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को लेकर आपने क्या रुझान देखे हैं, जिन पर भारतीयों को गर्व हो सकता है?

श्रद्धा शर्मा: पिछले एक दशक में, हमने सफलता की ऊंचाईयों को छूने वाली भारतीय महिलाओं की बढ़ती संख्या को प्रमुखता से देखा है. उनकी कई कहानियों को हमने हर-स्टोरी (HerStory) पर दर्ज किया है और उनकी सफलता का जश्न मनाया है. हालांकि, इस क्षेत्र में अभी भी कई तरह के सुधारों की गुंजाइश है फिर भी मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला, व्यवसाय और उद्यमिता के क्षेत्र में अधिक से अधिक महिलाओं को प्रमुखता देते रहेंगे. भारत में तकनीक से जुड़े लगभग सभी आयामों में भारतीय महिलाओं ने सफलता की कहानियां दर्ज की हैं, वो प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं, और यह प्रवृत्ति आने वाले समय में भी जारी रहेगी. योरस्टोरी (YourStory) पर इन महिलाओं के लिए एक अलग जगह सुनिश्चित कर और सफलता की इन यात्राओं को बेहद नज़दीक से देखते हुए हमने महसूस किया है कि महिलाओं को केवल मैदान में प्रवेश दिए जाने की आवश्यकता होती है; एक बार अगर वह इन क्षेत्रों में उतर जाती हैं, और यदि उनके लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध होता है तो प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में सफल महिलाओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होना तय है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.