Author : Seema Sirohi

Published on Oct 03, 2020 Updated 0 Hours ago

ट्रंप को अपराध पर लगाम लगाने के मामले में बेहतर माना जाता है, जबकि बाइडेन को देश को एकजुट करने और ज़ख्म पर मरहम लगाने के लिए बेहतर माना जाता है.

अमेरिकी चुनावः मतदान की तारीख़ नज़दीक आने के साथ घटता जा रहा है अंतर

अब जबकि यूनाइटेड स्टेट्स का राष्ट्रपति चुनाव अंतिम चरण में पहुंच गया है, सिकुड़ती अर्थव्यवस्था और कोविड-19 महामारी के अलावा क़ानून व्यवस्था स्विंग (अनिश्चित) मतदाताओं के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कृतज्ञता संबोधन में दमदार बढ़त बनाई, जिसमें उन्होंने कहा कि सिर्फ़ वही अमेरिका को हिंसा और आगज़नी से सुरक्षित रख सकते हैं और यह कि अगर उनके डेमोक्रेट प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन राष्ट्रपति बनते हैं तो “कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा.”

बाइडेन ने हालांकि हिंसा की निंदा की है, लेकिन उन्होंने और उनकी साथी उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने पुलिस सुधार की मांग करते हुए लोगों के शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का बचाव किया है. लेकिन उनका रुख़ सामने आने में शायद देरी हुई और अशांति को लेकर उनकी निंदा में पर्याप्त ज़ोर नहीं है. वे अब बचाव की मुद्रा में हैं. क्या क़ानून-व्यवस्था पर चिंता महामारी से 1,80,000 लोगों की मौतों से बड़ी हो सकती है, यह देखना बाकी है लेकिन रिपब्लिकन रणनीतिकारों को साफ़ तौर से लगता है कि उन्होंने बाइडेन की मोर्चाबंदी में दरार ढूंढ ली है.

रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन बाइडेन के दौर को एक अंधकारपूर्ण, डरावने भविष्य के तौर पर पेश करने का सबसे ताज़ा मौका था, जहां छुट्टा वामपंथी भीड़, लूटमार कर रही होगी और संपत्तियों को बर्बाद कर रही होगी. ट्रंप ने चार दिन तक धुआंधार आरोप लगाए, जिनमें बाइडेन को “समाजवाद का ट्रोजन हॉर्स (एक यूनानी मिथकीय गाथा में सैनिकों का लकड़ी के घोड़े में छिपकर दुश्मन के किले के अंदर पहुंचना)” कहा गया, जो पुलिस को शक्तिहीन कर देगा और शानदार अमेरिकी उपनगरीय जीवन का नाश कर देगा.

मई में एक श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों एक अफ़्रीकी अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद से पुलिस बर्बरता के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन कई बड़े शहरों में फैल चुका है. फ्लॉयड की मौत के बाद से एक तरह से नस्लवाद का हिसाब मांगा जा रहा है, खासतौर से श्वेत लोगों से, और आंशिक रूप से स्वीकार किया गया है कि सचमुच चीजें बुनियाद में ग़लत हैं.

इस संदेश का सीधे श्वेत उपनगरीय मतदाताओं के दिल पर निशाना था, खासकर महिलाएं जिन्होंने 2016 में ट्रंप के लिए वोट किया था, लेकिन चुनाव सर्वेक्षणों के अनुसार उनसे छिटक  रहे हैं. उन्हें वापस लाने का एक उपाय उन्हें डराना है कि उनके क़रीने से सजाए लॉन और सुरक्षित घर अब कई डेमोक्रेट-शासन वाले शहरों में मौजूदा अशांति को देखते हुए सुरक्षित नहीं हैं. मई में एक श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों एक अफ़्रीकी अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद से पुलिस बर्बरता के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन कई बड़े शहरों में फैल चुका है. फ्लॉयड की मौत के बाद से एक तरह से नस्लवाद का हिसाब मांगा जा रहा है, खासतौर से श्वेत लोगों से, और आंशिक रूप से स्वीकार किया गया है कि सचमुच चीजें बुनियाद में ग़लत हैं.

बीते हफ़्ते, केनोशा विस्कॉन्सिन में पुलिस ने ऐसे कारणों से जिन्हें तर्कसंगत मान पाना मुश्किल है, एक और निहत्थे अफ्रीकी अमेरिकी जैकब ब्लैक को उसके छोटे बच्चों के सामने सात गोलियां मारीं, जिसके बाद हिंसक प्रदर्शन और हंगामे का एक और दौर चला. लेकिन यह भी सच है कि अराजक तत्वों ने बड़े पैमाने पर आमतौर पर शांतिपूर्ण “ब्लैक लाइव्स मैटर” आंदोलन में घुसपैठ कर ली है और पोर्टलैंड, न्यूयॉर्क और दूसरे शहरों में खुलेआम आगज़नी और लूटपाट की है.

रिपब्लिकन अशांति को एक अवसर के रूप में देखते हैं और वे इसका भरपूर दोहन कर रहे हैं. ट्रंप की राजनीति की एक वफ़ादार समर्थक केलियान कॉनवे ने पिछले हफ्ते फॉक्स न्यूज़ से बाचतीत में साफ कहा था: “अव्यवस्था व अराजकता और तोड़फोड़ व हिंसा जितना ज़्यादा  होगी, उतना ही यह साफ़ होगा कि सार्वजनिक सुरक्षा और क़ानून एवं व्यवस्था पर सबसे अच्छा विकल्प कौन है?” डेमोक्रेट जानते हैं कि वे इस मुद्दे पर कमज़ोर पड़ रहे हैं और वे वापसी करने की कोशिश कर रहे हैं. बाइडेन ने मतदाताओं को याद दिलाया कि यह अशांति “डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका” में हो रही है, उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘हर तरह की हिंसा’ की निंदा की है. सवाल यह है कि क्या बाइडेन विरोध के अधिकार का समर्थन करते हुए हिंसा की निंदा के बीच सही संतुलन बना सकते हैं. इसमें एक ओर उपनगरीय श्वेत मतदाताओं की आशंकाएं हैं और दूसरी ओर नस्लीय इंसाफ़ के लिए संघर्षरत अफ़्रीकी अमेरिकी मतदाताओं का डर. किसी एक को भी गंवाने का मतलब हार हो सकता है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन काफी हद तक महामारी से निपटने में ट्रंप की बदइंतज़ामी पर ध्यान देने के साथ-साथ आम ज़िंदगी के उन लोगों की असरदार कहानियों पर केंद्रित रहा, जिन्होंने परिवार और दोस्तों को खो दिया है. ज़ोर प्रशासन की ढीली प्रतिक्रिया पर था न कि क़ानून व्यवस्था की स्थिति पर. बाइडेन का अभियान स्पष्ट रूप से महामारी और इसके नतीजे में आर्थिक मंदी को इस चुनाव को परिभाषित करने वाला मुद्दा मानता है. लेकिन क़ानून और व्यवस्था का मुद्दा पायदान चढ़ता जा रहा है.

ट्रंप को अपराध पर लगाम लगाने के मामले में बेहतर माना जाता है, जबकि बाइडेन को देश को एकजुट करने और ज़ख्म पर मरहम लगाने के लिए बेहतर माना जाता है. मुख्य रणक्षेत्रों में- जहां यह चुनाव जीता या हारा जाएगा- ट्रंप और बाइडेन के बीच का अंतर देश के बाकी हिस्सों की तुलना में बारीक है.

कुछ हफ्तों पहले तक स्विंग करने वाले जो मतदाता फ्लॉयड की हत्या के बाद नस्लीय सवाल पर बड़े पैमाने पर ट्रंप के लापरवाह रवैये के चलते उनको छोड़ रहे थे, अब विरोध प्रदर्शनों के नतीजे में लूटमार और आगज़नी को लेकर ज़्यादा फ़िक्रमंद हैं. अगर हिंसा जारी रहती है तो इन मतदाताओं के बीच ट्रंप की संभावना में सुधार हो सकता है. ट्रंप को अपराध पर लगाम लगाने के मामले में बेहतर माना जाता है, जबकि बाइडेन को देश को एकजुट करने और ज़ख्म पर मरहम लगाने के लिए बेहतर माना जाता है. मुख्य रणक्षेत्रों में- जहां यह चुनाव जीता या हारा जाएगा- ट्रंप और बाइडेन के बीच का अंतर देश के बाकी हिस्सों की तुलना में बारीक है.

डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और 2016 में ट्रंप की जीत की भविष्यवाणी करने वाले पक्के  डेमोक्रेट समर्थक माइकल मूर ने इस हफ्ते फ़ेसबुक पर एक चेतावनी जारी की है. उन्होंने कहा कि, महत्वपूर्ण राज्यों में “ट्रंप के लिए उत्साह का उफ़ान नहीं है” जिसकी अनदेखी कर बाइडेन अपने ख़तरा बढ़ा रहे हैं. “इसे डेमोक्रेट्स पर मत छोड़ो कि वे ट्रंप से छुटकारा दिलाएंगे. आपको ट्रंप से छुटकारा पाना होगा. हमें चुवाव आने तक हर दिन चौकन्ना रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि हममें से हर एक सौ लोगों को मतदान के लिए ले जाए.”

चुनाव सर्वे भी आंशिक रूप से इसकी पुष्टि करते हैं. हाल ही में सीएनएन के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में बाइडेन और ट्रंप के बीच का अंतर घटता दिखाया गया है. जून में बाइडेन ने 14 अंकों की बढ़त ली थी, लेकिन अगस्त में यह बढ़त 4 अंक पर सिमट गई. वोटों का खिसकना मुख्य रूप से पुरुषों में हुआ जबकि “निर्दलीय” समान रूप से विभाजित थे. मतदाता आज और 3 नवंबर को मतदान के दिन के बीच मन बदल सकते हैं, लेकिन कोई भी अनिश्चितता ट्रंप को फ़ायदा दिलाने वाली हो सकती है.

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