Published on Aug 09, 2023 Updated 0 Hours ago
दुनिया में बदइंतज़ामी: क्या ये व्यापार में बहुपक्षीयवाद का अंत है?
दुनिया में बदइंतज़ामी: क्या ये व्यापार में बहुपक्षीयवाद का अंत है?

पिछले कई दशकों से आर्थिक विकास, रोज़गार निर्माण और ख़ुशहाली के लिए व्यापार एक महत्वपूर्ण प्रेरक रहा है. व्यापार ने अरबों लोगों को ग़रीबी से बाहर निकालने में मदद की और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया, यहां तक कि कुछ मामलों में तो राजनीतिक स्वतंत्रता को भी. व्यापार ने जानकारी और विचारों के प्रसार को अनुमति दी और एक-दूसरे पर निर्भरता को जन्म दिया. इसकी वजह से भले ही हर बार संघर्ष और युद्ध नहीं रुका हो- जैसा कि यूक्रेन पर रूस का हमला दिखाता है- लेकिन इसने अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता में योगदान दिया है. बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, जिसके केंद्र में विश्व व्यापार संगठन (WTO) है, ने शक्ति की राजनीति को दूर रखते हुए व्यापार से जुड़े विवादों को नियम आधारित और ज़्यादातर मामलों में निष्पक्ष तरीक़े से निपटाने में मदद की.

जिस वक़्त मज़बूत संस्थानों की ज़रूरत पहले के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा है, उस वक़्त डब्ल्यूटीओ, जो पहले से ही कमज़ोर है, और भी कमज़ोर हो सकता है. व्यापार के ताज़ा रुझान क्या हैं और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली कितना स्वस्थ है? 

लेकिन लगता है कि अब वो समय बीत गया है. महाशक्तियों की राजनीति, विचारों और प्रणाली की प्रतिस्पर्धा, ठंडे और गरम संघर्ष के साथ-साथ युद्ध दुनिया को अलग-अलग गुटों में बांटने वाला ख़तरा बना हुआ है. ये गुट दो तरह के हैं जिसमें बड़े तानाशाही देश एक तरफ़ हैं जबकि उदारवादी लोकतंत्र दूसरी तरफ़ हैं. व्यापार को तेज़ी से सुरक्षा की नज़रों से देखा जा रहा है: राष्ट्रीय कमज़ोरी के स्रोत और प्रतिरोधी, सामरिक औज़ार के रूप में. ये व्यापार के प्रवाह पर काफ़ी असर डालेगा. ये फिर से क्षेत्रीकरण और वैल्यू चेन के फिर से राष्ट्रीयकरण को तेज़ करेगा जिसकी शुरुआत कुछ वर्षों पहले हुई थी, जिसने कोविड-19 महामारी के दौरान रफ़्तार पकड़ी थी और जो अमेरिका और चीन के बीच ताक़त के मुक़ाबले की वजह से तेज़ हुआ. लेकिन इसके साथ-साथ जिस वक़्त मज़बूत संस्थानों की ज़रूरत पहले के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा है, उस वक़्त डब्ल्यूटीओ, जो पहले से ही कमज़ोर है, और भी कमज़ोर हो सकता है. व्यापार के ताज़ा रुझान क्या हैं और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली कितना स्वस्थ है? डब्ल्यूटीओ के लिए संभावित परिदृश्य क्या हैं और इसमें सुधार के लिए क्या करने की ज़रूरत है जिससे कि ये अपना काम जारी रखे?

व्यापार की संभावना

महामारी की वजह से 2020 में तेज़ गिरावट के बाद 2021 में सामानों और सेवाओं में व्यापार मज़बूती से बढ़ा. इसमें महामारी से पहले के 2019 के स्तर के मुक़ाबले क़रीब 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.[1] ये 2008 के बाद के वित्तीय संकट के मुक़ाबले तेज़ और मज़बूत आर्थिक बहाली है.

लेकिन 2022 में वैश्विक व्यापार गंभीर विपरीत हालात का सामना कर रहा है. आईएमएफ ने अमेरिका में लगातार महंगाई और चीन के रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी चिंताओं के कारण यूक्रेन पर रूस के हमले के पहले ही अपने विकास के अनुमानों को कम कर दिया था.[2]

यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से बुनियादी सामानों की आपूर्ति में रुकावट के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है. इसकी वजह से खाद्य और ऊर्जा की क़ीमत में बढ़ोतरी होगी, महंगाई बढ़ेगी, और इस तरह मांग में कमी आएगी. रूस ख़ास तौर पर प्रभावित होगा लेकिन रुकावट दुनिया के बाक़ी हिस्सों में भी महसूस की जाएगी.[3] संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि युद्ध “भूख के तूफ़ान और वैश्विक खाद्य प्रणाली के ख़त्म होने” की वजह बन सकता है.[4] खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक़ 2022-2023 के दौरान कुपोषित लोगों की संख्या 80 लाख से लेकर 1 करोड़ 30 लाख तक बढ़ सकती है.[5]

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि युद्ध “भूख के तूफ़ान और वैश्विक खाद्य प्रणाली के ख़त्म होने” की वजह बन सकता है. खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक़ 2022-2023 के दौरान कुपोषित लोगों की संख्या 80 लाख से लेकर 1 करोड़ 30 लाख तक बढ़ सकती है.

कई देश, ख़ास तौर से यूरोप के देश, मंदी की चपेट में आ सकते हैं जबकि कुछ और देश भारी महंगाई और बढ़ती बेरोज़गारी के साथ कम आर्थिक विकास का सामना कर सकते हैं. ग़रीब विकासशील देशों को ऊर्जा और खाद्य की ज़्यादा क़ीमत के रूप में और अधिक कष्ट का सामना करना पड़ेगा. अलग-अलग देशों के बीच और एक देश के भीतर भी लोगों के बीच असमानता बढ़ने की आशंका है. कोविड-19 महामारी का असर अभी भी बना हुआ है. वायरस के नये वेरिएंट दुनिया भर की स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता को चुनौती दे रहे हैं.

आने वाले वर्षों में ग्लोबल वैल्यू चेन के फिर से क्षेत्रीकरण और राष्ट्रीयकरण में तेज़ी दिखने की उम्मीद है. ये पूरी तरह से नई घटना नहीं है. 90 के दशक और नई शताब्दी के शुरुआती वर्षों में वैल्यू चेन का तेज़ वैश्वीकरण दिखा लेकिन नई शताब्दी के दूसरे दशक में कई कारणों से महामारी आने के पहले ही इसकी रफ़्तार ख़त्म हो गई. पहला कारण ये है कि डिजिटलाइज़ेशन औद्योगिक उत्पादन को इस तरह से बदल रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ज़्यादा से ज़्यादा पुराने ढर्रे का बन गया है. नई तकनीकें जैसे कि 3डी प्रिंटिंग या सेलेक्टिव लेज़र मेल्टिंग तुरंत उत्पादन की सुविधा देती है. दूसरा कारण है बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तकनीकी पकड़. ख़ास तौर पर चीन तकनीकी रूप से ज़्यादा स्वतंत्र बन गया है और हाई-टेक उत्पादों को आयात करने के बदले वो उनका घरेलू उत्पादन ज़्यादा कर रहा है.[6]

तीसरा कारण ये है कि 2008 के वित्तीय संकट के समय से नये संरक्षणवादी विधेयक लगातार लागू किए जा रहे हैं. डब्ल्यूटीओ ने 2012 से 2020 के बीच औसतन सालाना 147 रुकावट डालने वाले विधेयकों को रजिस्टर किया है. इन विधेयकों की वजह से व्यापार के प्रभावित होने का हिस्सा 2013 के मध्य अक्टूबर से 2014 के मध्य अक्टूबर के बीच 1.17 प्रतिशत से बढ़कर 2018 के मध्य अक्टूबर से 2019 के मध्य अक्टूबर के बीच 3.84 प्रतिशत हो गया. फिर ये 2019 के मध्य अक्टूबर से 2020 के मध्य अक्टूबर के बीच घटकर 2.4 प्रतिशत हो गया.[7] वैसे तो डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों ने नई संरक्षणवादी नीतियों को लागू करने में संयम दिखाया और कोविड-19 महामारी के बीच व्यापार को बढ़ावा देने वाली बहुत सी नीतियों को लागू किया लेकिन व्यापार में उदारवाद को और बढ़ाने के लिए इच्छा बहुत कम है. इसके अलावा 2017-2020 के बीच का दौर कई व्यापार संघर्षों के लिए जाना जाता है. इनमें से ज़्यादातर व्यापार संघर्ष पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में अमेरिका से शुरू हुए. अमेरिका और चीन में दोहरे इस्तेमाल वाले उत्पादों के निर्यात नियंत्रण के लिए नये एवं कड़े क़ानून और निवेश की छानबीन के कारण कई उद्योगों (जिनमें सेमीकंडक्टर, ऑटो और मेडिकल उपकरण शामिल हैं) की कंपनियों को अपनी सप्लाई चेन और उत्पादन के हिस्से को फिर से स्थानीय करना पड़ा. इसके अलावा, महामारी की शुरुआत के समय कई देशों ने निर्यात पर प्रतिबंध का सहारा लिया, ख़ास तौर पर मेडिकल और फार्मास्युटिकल उत्पादों पर.

महामारी ने वैश्विक वैल्यू चेन की कमज़ोरी को और भी उजागर किया. महामारी ने पहले कई उद्योगों (ख़ास तौर पर मेडिकल सामान और उपकरण) में रुकावट डाली और फिर कामगारों, जहाज़ों, कंटेनर एवं एयर कार्गो स्पेस की कमी और बंदरगाहों पर भीड़ की वजह से आर्थिक बहाली को धीमा किया. इसके परिणामस्वरूप दुनिया भर की कंपनियों ने विविधता की रणनीतियों और अपने वैल्यू चेन की फिर से संरचना को तेज़ किया. 

चौथा कारण ये है कि कंपनियों ने पिछले वित्तीय और आर्थिक संकट के बाद अपनी कमज़ोरी और वैश्विक जोखिमों को कम करने की बहुत कोशिशें की हैं. कंपनियों के लिए एक और प्रेरक प्राकृतिक आपदाओं का बार-बार आना और उनकी गंभीरता है. महामारी ने वैश्विक वैल्यू चेन की कमज़ोरी को और भी उजागर किया. महामारी ने पहले कई उद्योगों (ख़ास तौर पर मेडिकल सामान और उपकरण) में रुकावट डाली और फिर कामगारों, जहाज़ों, कंटेनर एवं एयर कार्गो स्पेस की कमी और बंदरगाहों पर भीड़ की वजह से आर्थिक बहाली को धीमा किया. इसके परिणामस्वरूप दुनिया भर की कंपनियों ने विविधता की रणनीतियों और अपने वैल्यू चेन की फिर से संरचना को तेज़ किया.

वैल्यू चेन के स्थानीयकरण और फिर से क्षेत्रीकरण का काम सिर्फ़ कंपनियां ही नहीं कर रही हैं. पिछले कुछ वर्षों से कई पश्चिमी देशों की सरकारों की बड़ी प्राथमिकताओं में दूसरे देश पर निर्भरता कम करना शामिल रहा है. कई देशों की सरकारें बंदरगाहों, हवाई अड्डों और दूसरे बुनियादी ढांचों पर निवेश बढ़ा रही हैं. इसके साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) और महत्वपूर्ण मैटेरियल के उत्पादन का समर्थन कर रही हैं. अमेरिका, यूरोपीय संघ (ईयू), और जापान ज़्यादा तकनीकी संप्रभुता के लिए कोशिश कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका का चिप्स अधिनियम और यूरोप का चिप्स अधिनियम[8] सेमीकंडक्टर के लिए क्रमश: ताइवान और दक्षिण कोरिया पर निर्भरता कम करना चाहते हैं. अमेरिका की सरकार पिछले कुछ वर्षों से चीन पर निर्भरता कम करने को बढ़ावा दे रही है (एक और उदाहरण व्यापार प्रतिबंध सूची है) और ईयू तेज़ी से इस दिशा में बढ़ रहा है. ईयू की नई व्यापार रणनीति का उद्देश्य “खुली रणनीतिक स्वायत्तता” है. यूरोपीय संघ विदेशों में अनुचित व्यापार पद्धतियों के ख़िलाफ़ ज़्यादा खुलकर बोलना चाहता है, मौजूदा व्यापार रक्षा की प्रणाली को मज़बूत करना चाहता है और व्यापार रक्षा के नये तंत्र तैयार करना चाहता है.[9]

आख़िरी कारण ये है कि यूक्रेन संकट वैल्यू चेन के फिर से क्षेत्रीकरण को तेज़ कर सकता है. यूक्रेन की उत्पादन क्षमता पर गंभीर असर पड़ा है[10] और पश्चिमी देश रूस को निशाना बनाने वाले शक्तिशाली आर्थिक प्रतिबंधों के लिए सहमत हो गए हैं.[11] इन आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से पश्चिमी देशों की कंपनियां रूस से बाहर हो रही हैं. अगर क़ानून के तहत पश्चिमी देशों की कंपनियों के लिए रूस से बाहर होना मजबूरी नहीं है तब भी कई कंपनियां रूस का बहिष्कार कर रही हैं.[12] दुनिया भर में कंपनियां परिवहन एवं कच्चे माल के लिए रूस, और पुर्जों एवं तैयार सामान के लिए चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश के तहत अपनी आपूर्ति की रणनीति का फिर से मूल्यांकन कर रही हैं.[13] यूक्रेन युद्ध का परिवहन और साजो-सामान पर बहुत ज़्यादा असर पड़ा है क्योंकि ईयू और चीन के बीच रेल लाइन (यूक्रेन और बेलारूस के ज़रिए) में रुकावट आई है और हवाई परिवहन भी बंद है.[14] घर के नज़दीक उत्पादन से लागत कम आती है और आपूर्ति में रुकावट का जोखिम कम रहता है.

एक मज़बूत और स्वस्थ डब्ल्यूटीओ की आवश्यकता इस समय सबसे ज़्यादा है ताकि अलग-अलग देशों की सरकारों और कारोबार को इस मुश्किल समय से पार पाने में मदद मिल सके. लेकिन ये संगठन इस वक़्त अपनी स्थापना के समय से सबसे मुश्किल संकट का सामना कर रहा है.

यूक्रेन पर रूस का हमला और भी बढ़ने की आशंका है और उसके बाद पश्चिमी देशों का गठबंधन अतिरिक्त आर्थिक प्रतिबंध लगाकर रूस को जवाब देगा. ऐसा होने पर रूस संभवत: पश्चिमी देशों को ऊर्जा स्रोतों, धातुओं, खनिज और कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा देगा. इस बात की भी संभावना है कि रूस अपना आर्थिक ध्यान एशिया की तरफ़ लगाएगा, चीन के साथ संबंधों को मज़बूत करेगा. चीन पश्चिमी देशों से अलग होने का काम जारी रखेगा, आरएंडडी और महत्वपूर्ण तकनीकों के उत्पादन पर काफ़ी सब्सिडी देता रहेगा. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में और ज़्यादा निवेश करके चीन अपना वैश्विक असर बढ़ाना भी जारी रख सकता है. इस बात की भी संभावना है कि चीन अपनी नई भुगतान प्रणाली बनाएगा जो स्विफ्ट का एक विकल्प होगा. ताइवान को लेकर चीन के आक्रामक रुख़ में बढ़ोतरी के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने की आशंका है. पश्चिमी देशों की कंपनियां अपने वैल्यू चेन की फिर से संरचना को तेज़ करेंगी, वहीं उनकी सरकारें डिजिटल क्रांति एवं हरित परिवर्तन को आगे बढ़ाने और आर्थिक विकास एवं रोज़गार को स्थायित्व देने के लिए अपनी अर्थव्यवस्थाओं का मज़बूती से समर्थन करेंगी. इस तरह ये युद्ध आधारभूत रूप से वैश्विक आर्थिक एवं भू-राजनीतिक व्यवस्था को बदल देगा.

 

डब्ल्यूटीओ की मौजूदा स्थिति की जांच: बहुपक्षीयवाद की हालत गंभीर?

एक मज़बूत और स्वस्थ डब्ल्यूटीओ की आवश्यकता इस समय सबसे ज़्यादा है ताकि अलग-अलग देशों की सरकारों और कारोबार को इस मुश्किल समय से पार पाने में मदद मिल सके. लेकिन ये संगठन इस वक़्त अपनी स्थापना के समय से सबसे मुश्किल संकट का सामना कर रहा है. इसके सभी स्तंभ- व्यापार उदारीकरण और नियम निर्धारण, व्यापार नीति की निगरानी, और विवाद निपटारा- बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.

चूंकि ज़्यादा देश डब्ल्यूटीओ में शामिल हुए हैं और टैरिफ में महत्वपूर्ण कमी आई है, ऐसे में बहुपक्षीय उदारवाद काफ़ी मुश्किल हो गया है. उरुग्वे दौर के समय से व्यापार सुविधा समझौता को छोड़कर कोई भी व्यापक व्यापार समझौता नहीं हो पाया है. दिसंबर 2017 में ब्यूनस आयर्स में आख़िरी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान सदस्य देश कोई भी बहुपक्षीय परिणाम हासिल करने में नाकाम रहे. वर्षों से डब्ल्यूटीओ के सदस्यों ने ज़्यादा व्यापार उदारीकरण के लिए बेहद कम रुचि दिखाई है. इसके अलावा डब्ल्यूटीओ के नियम न तो पूरी तरह से आधुनिक व्यापार की विशेषताओं के बारे में बताते हैं, न ही दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों का संतोषजनक उत्तर देते हैं. इसमें डिजिटल व्यापार के बारे में बहुत कम बताया गया है और औद्योगिक सब्सिडी के मामले में ये कमज़ोर है. श्रम और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर भी डब्ल्यूटीओ की रूप-रेखा में बहुत कम जानकारी है.

इसके अलावा मौजूदा डब्ल्यूटीओ प्रावधानों का बड़े व्यापारिक देशों के द्वारा ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है, उन्हें तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है या उन्हें नज़रअंदाज़ किया जा रहा है. 164 सदस्य देशों के बीच काफ़ी अंतर होने की वजह से मौजूदा व्यापार नियमों, जिनमें से ज़्यादातर 20वीं सदी में बनाए गए थे, को सुधारने का काम नहीं हो पा रहा है. 2001 में चीन और 2012 में रूस के डब्ल्यूटीओ में शामिल होने के बाद दुनिया काफ़ी बदल गई है. अब दुनिया आर्थिक शासन व्यवस्था, मूल्यों, और विश्व को लेकर दृष्टिकोण के मामले में प्रतिस्पर्धी मॉडल से तेज़ी से जूझ रही है और ये स्थिति आने वाले वर्षों में और बिगड़ने की आशंका है.[15]

दिसंबर 2019 में डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटारे की प्रक्रिया टूट गई क्योंकि अमेरिका ने नई अपील संस्था (अपीलेट बॉडी) के सदस्यों की नियुक्ति में अड़ंगा लगा दिया. एक कामकाजी अपील संस्था के बिना जिन निर्णयों को लेकर अपील की जाती है वो अनिश्चय की स्थिति में रहते हैं और इससे डब्ल्यूटीओ की शर्तों को लागू करना अनिश्चितकाल के लिए टल जाता है. इसका परिणाम इस संगठन के प्रभाव में कमज़ोरी के रूप में निकलता है. वैसे तो कुछ देशों ने विवाद निपटारे की प्रक्रिया और अपील संस्था में सुधार की पेशकश की है लेकिन अमेरिका इस व्यवस्था को फिर से चालू करने को लेकर उत्सुक नहीं दिखता क्योंकि वो अपील संस्था को लेकर बहुत ज़्यादा अविश्वास की बात करता है.

एक और सकारात्मक संकेत कोविड-19 वैक्सीन के लिए ईयू, अमेरिका, भारत, और दक्षिण अफ्रीका के बीच बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट को लेकर अस्थायी समझौता है. लेकिन इस समझौते को लेकर अभी भी कुछ विवाद बचे हैं.

2021 के आख़िर में 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी12) के स्थगित होने के बाद डब्ल्यूटीओ सचिवालय बातचीत की गति को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है जिसके मिले-जुले नतीजे आए हैं. एक सफलता सेवाओं में व्यापार को लेकर है. दिसंबर 2021 की शुरुआत में 60 से ज़्यादा सदस्य देशों ने सफलतापूर्वक सेवाओं के घरेलू नियमन पर डब्ल्यूटीओ के साझा बयान की पहल को लेकर बातचीत पूरी की. इस पहल का उद्देश्य अनावश्यक जटिल नियमों को सरल बनाना, प्रक्रियागत बाधाओं को आसान करना, और पारदर्शिता एवं निष्पक्षता को बढ़ाना है. इसमें शामिल होने वाले सदस्य देशों के द्वारा 2022 के आख़िर तक विशेष प्रतिबद्धता व्यक्त करना है.[16]

एक और सकारात्मक संकेत कोविड-19 वैक्सीन के लिए ईयू, अमेरिका, भारत, और दक्षिण अफ्रीका के बीच बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट को लेकर अस्थायी समझौता है.[17] लेकिन इस समझौते को लेकर अभी भी कुछ विवाद बचे हैं. एक तरफ़ जहां कुछ देश इस समझौते की आलोचना इसलिए कर रहे हैं कि ये बहुत दूर तक जाता है, वहीं कुछ देश निराश हैं कि इसमें सिर्फ़ वैक्सीन की बात है, कोविड-19 के इलाज की नहीं. इसके अलावा ये मुद्दा भी है कि जहां इस समझौते को लेकर यूरोपीय आयोग बातचीत में शामिल हुआ वहीं ईयू के सदस्य देशों ने अभी तक इसको मंज़ूरी नहीं दी है. जब चार देश अंतिम समझौते के लिए मान जाएंगे तभी इसे डब्ल्यूटीओ के सभी 164 सदस्य देशों के सामने पेश किया जाएगा. इसके बाद समझौते को लागू करने के लिए इन 164 देशों को सर्वसम्मति पर पहुंचने की आवश्यकता होगी.[18]

12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जून के मध्य में होने की संभावना है. लेकिन इसके सफ़ल होने का रास्ता मुश्किलों से भरा है क्योंकि कई देशों ने इस बात को लेकर आपत्ति जताई है कि जब तक यूक्रेन में युद्ध जारी रहेगा तब तक वो रूस के साथ बातचीत की मेज पर नहीं बैठेंगे.

 

भविष्य में क्या होने वाला है

बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का भविष्य क्या है? वैसे तो यूक्रेन में रूस के युद्ध को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था के अलग-अलग टुकड़ों में बंटने की आशंका (जैसा कि ऊपर बताया गया है) के बीच डब्ल्यूटीओ के लिए आने वाले महीनों में दो संभावित परिदृश्य बन रहे हैं.

परिदृश्य 1: डब्ल्यूटीओ बेमतलब बन जाता है

व्यापार में टकरावों की संख्या में नाटकीय ढंग से बढ़ोतरी हुई है लेकिन डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटारा प्रणाली इस रफ़्तार के मुताबिक़ नहीं चल पाई है. कई देश पहले पैनल की रिपोर्ट के बाद अपील दायर करते हैं लेकिन इसके बाद ये अनिश्चितता की स्थिति में रहते हैं क्योंकि अपील संस्था सक्रिय स्थिति में नहीं हैं. वैसे तो अलग-अलग देश अभी भी विवादों के निपटारे के लिए डब्ल्यूटीओ का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन कई देश ऐसे भी हैं जो तुरंत एकतरफ़ा कार्रवाई करते हैं या द्विपक्षीय विवाद निपटाने की प्रक्रिया का सहारा लेते हैं. मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को इसलिए रदद् करना पड़ा क्योंकि कई देश रूस के साथ बातचीत की मेज पर बैठने के लिए तैयार नहीं हैं. मत्स्यपालन सब्सिडी और ट्रिप्स (बौद्धिक संपदा अधिकार का व्यापार से जुड़ा पहलू) पर छूट को लेकर बातचीत नाकाम हो गई, और सुधार की कोशिशें फंस गईं. चूंकि डब्ल्यूटीओ के भीतर बहुपक्षीय पहल को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और महत्वपूर्ण संख्या (व्यापार उदारीकरण पर बहुपक्षीय समझौते के लिए ज़रूरी शर्त) तक नहीं पहुंचा जा सकता है, ऐसे में कई देश डब्ल्यूटीओ के बाहर इन पहल को ले जाते हैं. वैसे तो द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते हमेशा से वैश्विक व्यापार प्रणाली की विशेषता रहे हैं लेकिन अब उनकी संख्या बढ़ रही है. इनमें से कई समझौते अधूरे हैं जो डब्ल्यूटीओ की शर्तों को पूरा नहीं कर पाते हैं और नियमों के अनुकूल नहीं हैं. ज़्यादा से ज़्यादा देश डब्ल्यूटीओ से मुंह मोड़ कर नई पहल में निवेश कर रहे हैं जो काफ़ी ज़्यादा भेदभावपूर्ण हैं. डब्ल्यूटीओ अपनी प्रासंगिकता खो रहा है और खुले एवं नियम आधारित व्यापार को सुनिश्चित करने में कम-से-कम सक्षम रहा है.

ज़्यादा से ज़्यादा देश डब्ल्यूटीओ से मुंह मोड़ कर नई पहल में निवेश कर रहे हैं जो काफ़ी ज़्यादा भेदभावपूर्ण हैं. डब्ल्यूटीओ अपनी प्रासंगिकता खो रहा है और खुले एवं नियम आधारित व्यापार को सुनिश्चित करने में कम-से-कम सक्षम रहा है. 

परिदृश्य 2: डब्ल्यूटीओ को फिर से प्रोत्साहन

डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश हालात की गंभीरता को समझ रहे हैं और समझौते के लिए ज़्यादा तत्परता दिखाते हैं. मंत्रिस्तरीय सम्मेलन होता है और सदस्य देश मत्स्यपालन की सब्सिडी के लिए एक व्यापक समझौते पर बातचीत पूरी करते हैं. कोविड-19 वैक्सीन के लिए ट्रिप्स में छूट पर समझौते को पेश किया जाता है और उस पर सहमति बन जाती है. सदस्य देश डब्ल्यूटीओ, व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन और खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) को वैश्विक कृषि बाज़ार पर यूक्रेन में रूस के युद्ध के असर का विश्लेषण करने के लिए एक कामकाजी समूह के गठन का अधिकार देते हैं. इसके अलावा सदस्य देश सबसे कम विकसित देशों को कोविड-19 से उबारने और कृषि उत्पादों की बढ़ती क़ीमत एवं खाद्य कमी से निपटने में मदद के लिए एक कार्य योजना पर सहमत होते हैं. बहुपक्षीय साझा बयान की पहल तेज़ होती है, ख़ास तौर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स पर. पर्यावरण से जुड़े सामानों और डब्ल्यूटीओ के फार्मा समझौते को फिर से बहाल करने पर बातचीत होती है. वैसे तो 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में किसी भी व्यापक समझौते पर सहमति नहीं बनती है लेकिन सदस्य देशों ने डब्ल्यूटीओ की संरचनात्मक कमियों का समाधान, ख़ास तौर पर विवाद निपटारे के लिए, एक रास्ता तैयार किया है. 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के बाद कई देश निरंतरता के मुद्दों पर साझा बयान की पहल में शामिल होते हैं और इस तरह व्यापार एवं पर्यावरण पर चर्चा को आगे बढ़ाते हैं.

अमेरिका डब्ल्यूटीओ की पारदर्शिता व्यवस्था में सुधार और व्यापार विवाद में निपटारे, ख़ास तौर पर अपील संस्था, के लिए एक प्रस्ताव पेश करता है. इस तरह वो सुधार को लेकर एक वास्तविक चर्चा की शुरुआत करता है जो कि अंतत: डब्ल्यूटीओ के तीसरे स्तंभ को फिर से खड़ा करता है. इस तरह डब्ल्यूटीओ को वो बहुप्रतीक्षित गति मिलती है जिससे कि वो एक खुले और नियम आधारित व्यापार का एक प्रभावशाली संरक्षक बन जाता है.

अफ़सोस की बात ये है कि मौजूदा परिस्थितियों में सकारात्मक सुधार वाले परिदृश्य 2 के मुक़ाबले परिदृश्य 1 की संभावना ज़्यादा दिखती है.

क्या करने की ज़रूरत है[19]

अगर परिदृश्य 1 वास्तविकता में बदलता है तो वैश्विक आर्थिक विकास, समृद्धि और लोगों की भलाई पर गंभीर असर पड़ेगा. परिदृश्य 2 को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित क़दम उठाने की ज़रूरत है.

अल्प और मध्यकालीन समय में उठाये जाने वाले क़दम

यूक्रेन में युद्ध की वजह से बातचीत को लेकर होने वाले कठिनाई के बावजूद ये ज़रूरी है कि 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जून 2022 में आयोजित हो.

निर्यात प्रतिबंध: महामारी ने दिखाया कि निर्यात प्रतिबंधों या रोक ख़राब नीतिगत साधन हैं; वो निर्यात प्रतिबंध लगाने वाले देश के लिए महत्वपूर्ण उत्पादों की आपूर्ति सुरक्षित करने में नाकाम रहते हैं और सप्लाई चेन में गंभीर रुकावट के द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था को चोट भी पहुंचाते हैं. यूक्रेन संकट और वैश्विक सप्लाई चेन में कई रुकावटों के बीच नये निर्यात अवरोधों का जोखिम एक बार फिर से बढ़ गया है. जहां रूस पर आर्थिक प्रतिबंध और निर्यात में रुकावट के ज़रिए सामानों और तकनीकों तक उसकी पहुंच रोकना रूस के आक्रामक रवैये का मुक़ाबला करने में मददगार हैं, वही निर्यात पर रोक आसानी से दुनिया में सामानों की कमी की स्थिति को और बिगाड़ सकती है और कई देशों में खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए ये बड़ा ख़तरा है. इस तरह डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को निर्यात पर नई पाबंदी, ख़ास तौर पर ऊर्जा संसाधनों, धातु, खनिज, और कृषि उत्पादों पर, से परहेज करने का वादा करना चाहिए.

अमेरिका डब्ल्यूटीओ की पारदर्शिता व्यवस्था में सुधार और व्यापार विवाद में निपटारे, ख़ास तौर पर अपील संस्था, के लिए एक प्रस्ताव पेश करता है. इस तरह वो सुधार को लेकर एक वास्तविक चर्चा की शुरुआत करता है जो कि अंतत: डब्ल्यूटीओ के तीसरे स्तंभ को फिर से खड़ा करता है.

व्यापार और स्वास्थ्य: डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों को व्यापार और स्वास्थ्य के बीच सकारात्मक संपर्क को मज़बूत करने पर सहमत होना चाहिए. अमेरिका, ईयू, भारत और दक्षिण अफ्रीका को ट्रिप्स छूट पर अपने समझौते को डब्ल्यूटीओ के दूसरे सदस्य देशों के सामने पेश करना चाहिए. अगर सर्वसम्मति नहीं बन पाती है तो सदस्यों को आगे की बातचीत के लिए एक रास्ते पर सहमत होना चाहिए. डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को अपने बहुपक्षीय फार्मा समझौते की फिर से चर्चा करनी चाहिए; जिन उत्पादों को शामिल किया गया है उनमें सुधार करना चाहिए और एक व्यापक डब्ल्यूटीओ की सदस्यता इसके असर को बढ़ाएगी.

इसके अलावा दिलचस्पी रखने वाले डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को एक बहुपक्षीय कोविड-19 वैक्सीन निवेश और व्यापार समझौते की संभावना तलाशनी चाहिए जो वैक्सीन के उत्पादन और वितरण को तेज़ करने पर ध्यान देता हो. इस मामले में ये महत्वपूर्ण है कि इस पहल को इस तरह तैयार करना चाहिए जो कोवैक्स को समर्थन दे. उत्पादन की प्रतिबद्धता के अलावा इस समझौते का एक और हिस्सा ये होना चाहिए कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश वैक्सीन और उससे जुड़े सामानों के निर्यात प्रतिबंध से दूर रहने का संकल्प लें.[20]

मत्स्यपालन सब्सिडी पर समझौता: डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को मत्स्यपालन की सब्सिडी पर समझौते के लिए सहमत होना ज़रूरी है. समझौते को पूरा करने में नाकामी पर्यावरण से जुड़े पहलू से हानिकारक होगा और डब्ल्यूटीओ की विश्वसनीयता को कमज़ोर करेगा. इसके विपरीत अगर डब्ल्यूटीओ के सदस्य मत्स्यपालन सब्सिडी को लेकर पर्यावरण के हिसाब से एक महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता तैयार करने और उसे अपनाने में सक्षम होते हैं तो ये दिखाएगा कि संगठन अपने उद्देश्य के मुताबिक़ सतत विकास के लक्ष्यों पर खरा उतर सकता है.

दीर्घकालीन

डब्ल्यूटीओ को गंभीर सुधार की ज़रूरत है. इसका लक्ष्य यथास्थिति को फिर से स्थापित करना नहीं होना चाहिए बल्कि इस बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को 21वीं शताब्दी की वास्तविकताओं और ज़रूरतों को अपनाना चाहिए. अगर बहुपक्षीय प्रगति संभव नहीं है तो इच्छुक देशों को डब्ल्यूटीओ के भीतर बहुपक्षीय समझौते के लिए बातचीत को आगे बढ़ाना चाहिए. ऐसा करते समय ये सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे संगठन की एकता को चोट नहीं पहुंचे.

 

डब्ल्यूटीओ के नियमों में सुधार

डब्ल्यूटीओ के तहत फिलहाल डिजिटल व्यापार को लेकर बहुत कम नियम हैं. ई-कॉमर्स पर एक व्यापक समझौते की ज़रूरत है ताकि दुनिया के बाज़ारों में बिखराव को रोका जा सके. ई-कॉमर्स पर बहुपक्षीय साझा बयान की पहल, जिसका उद्देश्य डिजिटल व्यापार के लिए नये वैश्विक नियम तय करना और टैरिफ से जुड़ी रुकावट को ख़त्म करना है, सही दिशा में उठाया गया एक क़दम है.[21] इसके अलावा डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर कस्टम ड्यूटी पर पाबंदी को स्थायी बनाना चाहिए. इस पाबंदी ने भारी टैरिफ को लागू होने से रोका है, और ये पाबंदी हटने से गंभीर रूप से नई व्यापार रुकावटें खड़ी हो जाएंगे जो व्यापार और विकास में बाधा डालेंगी.[22]

इसके अलावा डब्ल्यूटीओ के नियम पर्याप्त रूप से सरकारी स्वामित्व वाले उद्योगों और औद्योगिक सब्सिडी की भूमिका का समाधान नहीं करते हैं. भू-राजनीतिक माहौल को देखते हुए आने वाले वर्षों में सब्सिडी और बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है. पहले क़दम के तौर पर डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को सब्सिडी के लिए पारदर्शिता बढ़ाने, अधिसूचना की आवश्यकताओं को लागू करने पर फिर से चर्चा करने की ज़रूरत है. इसके अतिरिक्त अगर एक बहुपक्षीय समझौता होना दूर है तो इच्छुक देशों को ऐसे बहुपक्षीय समझौते को बढ़ावा देना चाहिए जो बाज़ार से अलग नीतियों और पद्धतियों का निपटारा करने के लिए अमेरिका, ईयू और जापान के द्वारा त्रिपक्षीय पहल पर आधारित हो. हरित परिवर्तन को प्रोत्साहन देने में व्यापार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. लेकिन डब्ल्यूटीओ के बेहतर प्रदर्शन के लिए निरंतरता पर नये नियमों की ज़रूरत है. पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर साझा बयान की पहल सही दिशा में उठाया गया एक क़दम है लेकिन इन कोशिशों को और बढ़ाने की ज़रूरत है. व्यापार बाधाओं को कम करके हरित तकनीकों के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए एक पर्यावरणीय सामान के समझौते पर बातचीत को फिर से शुरू किया जाना चाहिए. इसके अलावा, जीवाश्म ईंधन की सब्सिडी को धीरे-धीरे ख़त्म करने और कोयले से चलने वाले नये बिजली उत्पादन प्लांट को समर्थन देने से रोकने के लिए डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को एक ठोस रास्ते पर सहमत होना चाहिए. इसके साथ-साथ मौजूदा प्लांट में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए उसमें सुधार को लागू करना चाहिए. डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को इस स्थिति के लिए भी सहमत होना चाहिए जिसमें वृत्तीय (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार के परस्पर प्रभाव पर एक बेहतर जानकारी का आधार विकसित करना शामिल है. दीर्घ काल में डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को वृत्तीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस क़दम उठाना चाहिए.

निर्यात पर रोक आसानी से दुनिया में सामानों की कमी की स्थिति को और बिगाड़ सकती है और कई देशों में खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए ये बड़ा ख़तरा है. इस तरह डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को निर्यात पर नई पाबंदी, ख़ास तौर पर ऊर्जा संसाधनों, धातु, खनिज, और कृषि उत्पादों पर, से परहेज करने का वादा करना चाहिए. 

 

डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटारे के तौर-तरीक़ों में सुधार

दो चरणों की विवाद निपटारे की प्रक्रिया डब्ल्यूटीओ का ताज रही है. इस प्रक्रिया को बहाल करने और इसमें सुधार सदस्यों के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता होनी चाहिए. इस तरह के सुधार के तत्वों में एक अनिवार्य, बाध्यकारी, स्वतंत्र, और तेज़ विवाद निपटारा; दो चरणों में विवाद के समाधान की प्रणाली बनाए रखना; और रुकावट से परहेज करने के लिए नकारात्मक सर्वसम्मति को संभाल कर रखना शामिल हो सकता है. कम-से-कम डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों को एक खुली और स्पष्ट चर्चा में शामिल होना चाहिए जहां सुधार के लिए एक माहौल हो सकता है.

अगर एक बहुपक्षीय समझौता होना दूर है तो इच्छुक देशों को ऐसे बहुपक्षीय समझौते को बढ़ावा देना चाहिए जो बाज़ार से अलग नीतियों और पद्धतियों का निपटारा करने के लिए अमेरिका, ईयू और जापान के द्वारा त्रिपक्षीय पहल पर आधारित हो.

एक मज़बूत डब्ल्यूटीओ की इस वक़्त ज़्यादा ज़रूरत है. डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों को ये मानने की आवश्यकता है कि ये संगठन अभी एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है. विभिन्न वैश्विक संकट सुधार, भविष्य के लिए नियम आधारित व्यापार प्रणाली सुनिश्चित करने में प्रेरक का काम कर सकते हैं. जोखिम इतना ज़्यादा है कि भविष्य में क़ानून के नियम के बदले ताक़त के नियम का अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में राज होगा. जब तक डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश अलग खड़े रह कर सुधारों को रोकने का काम बंद नहीं करेंगे तब तक ये संगठन अपनी प्रासंगिकता को खोना जारी रखेगा.


[1] UNCTAD, Global Trade Update, February 17, 2022. (accessed March 14, 2022).

[2] IMF, World Economic Outlook, Rising Caseloads, a Disrupted Recovery, and Higher Inflation, January 2022.

[3] Alfred Kammer, Jihad Azour, Abebe Aemro Selassie, IIan Goldfajn and Changyong Rhee, How War in Ukraine is Reverberating Across World’s Regions, March 15, 2022,  (accessed March 20, 2022).

[4] How Russia’s War in Ukraine Rocked the Global Economy, March 23, 2022. (accessed March 27, 2022).

[5] How Russia’s War in Ukraine Rocked the Global Economy, March 23, 2022. (accessed March 27, 2022).

[6] Stormy-Annika Mildner, Christoph Sprich, Global Value Chains under Pressure, BDI, September 25, 2020. (accessed March 25, 2022).

[7] WTO, Overview of the Development in the International Trading Environment, Annual Report by the Director-General, November 22, 2021, pp. 18-19. (accessed March 20, 2022).

[8] European Commission, Digital Sovereignty: Commission Proposes Chips Act to Confront Semiconductor Shortages and Strengthen Europe’s Lechnological Leadership, February 8, 2022  (accessed March 25, 2022); Gregori Arcuri, The CHIPS for America Act, Why it is Necessary and What it does, CSIS, January 2022, (accessed March 25, 2022).

[9] European Commission, Communication from the Commission to the European Parliament, the Council The European Economic and Social Committee and the Committee of the Regions, Trade Policy Review – An Open, Sustainable and Assertive Trade Policy, January 18, 2021, (accessed March 25, 2022).

[10] Tobias Korn, Henry Stemmler, Russia’s War against Ukraine Might Persistently Shift Global Supply Chains, VoxEU, March 31, 2022. (accessed April 1, 2022).

[11] European Commission, EU Solidarity with Ukraine, (accessed March 25, 2022).

[12] Yale School of Management, Over 600 Companies Have Withdrawn from Russia—But Some Remain, April 13, 2020, (accessed March 20, 2022).

[13] David Simchi-Levi and Pierre Haren, How the War in Ukraine is Further Disrupting Global Supply Chains, March 17, 2022, Harvard Business Review, (accessed March 20, 2022).

[14] CLEPA, Russia-Ukraine: Crisis Poses Great Risk to Global Supply Chains, March 4, 2022. (accessed March 20, 2022).

[15] Stormy-Annika Mildner, Claudia Schmucker, Clara Brandi, Anja von Moltke, Marianne Schneider-Petsinger, Jeffrey J. Schott, Davide Tentori, WTO 2.0: Making the Multilateral Trading System fit for the 21st Century and How the G7 Can Help, Think7 Policy Brief, 2022, (accessed March 25, 2022).

[16] Holger Görg, WTO Agreement on Trade in Services is a Major Success, December 12, 2021. (accessed March 25, 2022).

[17] Andrea Shalal and Emma Farge, U.S., EU, India, S.Africa Reach Compromise on COVID Vaccine IP Waiver Text, Reuters, March 16, 2022, (accessed March 25, 2022).

[18] Amalie Holmgaard Mersh, New Challenges ahead as Provisional Compromise on IP Waivers is Reached in WTO, Euractiv, Mach 17, 2022. (accessed March 25, 2022).

[19] The recommendations are based on the following Think 7 Policy Brief: Stormy-Annika Mildner, Claudia Schmucker, Clara Brandi, Anja von Moltke, Marianne Schneider-Petsinger, Jeffrey J. Schott, Davide Tentori, WTO 2.0: Making the Multilateral Trading System fit for the 21st Century and How the G7 Can Help, Think7 Policy Brief, 2022 (accessed March 25, 2022).

[20] C.P. Bown and T.J. Bollyky, The World Needs a COVID-19 Vaccine Investment and Trade Agreement, Peterson Institute for International Economics, October 13, 2021.

[21] WTO, Joint Initiative on E-commerce.

[22] WTO, E-Commerce. (accessed March 25, 2022).

ओआरएफ हिन्दी के साथ अब आप FacebookTwitter के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं. नए अपडेट के लिए ट्विटर और फेसबुक पर हमें फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें. हमारी आधिकारिक मेल आईडी [email protected] के माध्यम से आप संपर्क कर सकते हैं.


The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.