Author : Harsh V. Pant

Published on Jul 31, 2023 Updated 0 Hours ago

रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन दुनिया में रूस को महाशक्ति के रूप में स्‍थापित करने के लिए यूक्रेन पर अपनी विजय श्री चाहते है. लेकिन पुतिन का यह टास्‍क इतना आसान नहीं है. यूक्रेन को पीछे से अमेरिका और नाटो संगठन का पूरा सहयोग मिल रहा है.

रूस यूक्रेन संघर्ष के बीच नेटो देशों के महापंचायत के मायने
रूस यूक्रेन संघर्ष के बीच नेटो देशों के महापंचायत के मायने

रूस यूक्रेन जंग के बीच उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने अपने पूर्वी हिस्‍सों में युद्ध समूहों की तैनाती की है. नाटो के इस कदम को एक तीसरे विश्‍व युद्ध की दस्‍तक के रूप में देखा जा रहा है. नाटो शिखर सम्‍मेलन में संगठन के महासचिव जेन्‍स स्‍टोलटेनबर्ग ने कहा कि हम उम्‍मीद करते हैं कि सहयोगी देश ज़मीन, हवा में और समुद्र में नाटो की स्थिति को मजबूत करने पर राजी होंगे. ख़ास बात यह है कि नाटो देशों की यह तैयारी ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन में रूसी परमाणु हमले का खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है. यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल के हमले के बाद रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन ने अपनी परमाणु टुकड़ी को हाई अलर्ट पर रखा है. इससे यह आशंका भी प्रबल हो गई है कि यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्‍जा करने के लिए रूस परमाणु शक्ति का प्रयोग कर सकता है. अगर रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन यह कदम उठाते हैं तो यह जंग एक महायुद्ध में तब्‍दील हो सकता है. अब सारा दाराेमदार रूस के फैसले पर निर्भर करता है. नाटो की इस बैठक से चीन में भी खलबली मची है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्‍या रूस परमाणु युद्ध कर सकता है. क्‍या इस युद्ध में नाटो देशों का दख़ल शुरू होगा. अमेरिका ने चीन को क्‍यों धमकाया. आइए जानते हैं कि इन सब मसलों में क्‍या है विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत की राय.

सवाल उठता है कि क्‍या रूस परमाणु युद्ध कर सकता है. क्‍या इस युद्ध में नाटो देशों का दख़ल शुरू होगा.

क्‍या रूस यूक्रेन पर परमाणु हमले की तैयारी कर रहा है?

1- देखिए, यह कई बातों पर निर्भर करता है. रूस में लोकतांत्रिक सरकार नहीं है. वहां एक साम्‍यवादी सरकार है, जिसमें फैसला लेने का अधिकार रूसी राष्‍ट्रपति के पास है. परमाणु हमला करने के लिए उन्‍होंने सेना को अलर्ट मोड पर भी रखा है. यानी उन्‍होंने यूक्रेन की जनता और वहां की सरकार को ख़बरदार कर दिया है कि उनकी बातें मानों नहीं तो बर्बाद रहने को तैयार रहो. यह उनका अंतिम विकल्‍प है. इसके लिए उन्‍होंने अपने देश की सेना को तैयार रहने को कह दिया है. ऐसी स्थिति में अगर यूक्रेन की सरकार रूसी समझौते पर राजी नहीं हुई तो परमाणु हमला कोई अचंभे की घटना नहीं होगी.

2- यूक्रेन जंग अब रूस और राष्‍ट्रपति पुतिन के लिए अस्मिता का प्रश्‍न बन गया है. इस युद्ध में रूसी सेना का भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में पुतिन के समक्ष यह सवाल उठता है कि इस युद्ध में उन्‍होंने क्‍या हासिल किया. यह हो सकता है कि यह युद्ध भी वैसा ही हो जैसा अफगानिस्‍तान में अमेरिकी युद्ध था. अमेरिका में यह सवाल खड़ा हुआ था कि आखिर अफगानिस्‍तान युद्ध में अमेरिका को क्‍या हासिल हुआ.

यह तय है कि रूस इन प्रतिबंधों का सामना बहुत दिनों तक नहीं कर सकता है. ऐसे में यह सवाल अहम है कि इस हालात से रूस कैसे निपटता है.

3- रूसी राष्‍ट्रपति दुनिया में रूस को महाशक्ति के रूप में स्‍थापित करने के लिए यूक्रेन पर अपनी विजय श्री चाहते है. लेकिन पुतिन का यह टास्‍क इतना आसान नहीं है. यूक्रेन को पीछे से अमेरिका और नाटो सगंठन का पूरा सहयोग मिल रहा है, जबकि इस जंग में रूस अकेले मोर्चा थामे हुए है. इसके साथ रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाकर अमेरिका रूस पर युद्ध विराम का दबाव बनाए हुए है. यह तय है कि रूस इन प्रतिबंधों का सामना बहुत दिनों तक नहीं कर सकता है. ऐसे में यह सवाल अहम है कि इस हालात से रूस कैसे निपटता है.

यूक्रेन संघर्ष के बीच नाटो देशों के महापंचायत के क्‍या मायने हैं?

ख़ास बात यह है कि नाटो की यह महापंचायत ऐसे समय हो रही है, जब रूस ने यूक्रेन में परमाणु हमले की चेतावनी जारी कर दिया है. अगर कीव पर परमाणु हमला हुआ तो यह युद्ध केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा. इसका दायरा काफी व्‍यापक हो जाएगा. हो सकता है कि परमाणु युद्ध की आंच नाटो के सदस्‍य देशों तक पहुंचे. दूसरे, परमाणु हमले के बाद कई अंतरराष्‍ट्रीय नियमों का उल्‍लंघन भी होगा. ऐसे में नाटो की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है. रूसी परमाणु हमले को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका व नाटो देशों ने मिलकर प्‍लान किया है. इसके दो मकसद हो सकते हैं. एक तो नाटो देशों की रूसी हमले से सुरक्षा की गारंटी देना और दूसरे यूक्रेन का परमाणु हमले के दौरान युद्ध से उपजे हालात को काबू करना होगा.

ख़ास बात यह है कि नाटो की यह महापंचायत ऐसे समय हो रही है, जब रूस ने यूक्रेन में परमाणु हमले की चेतावनी जारी कर दिया है.

अमेरिका लगातार चीन को क्‍यों ख़बरदार कर रहा है?

अमेरिका यह जानता है कि इस जंग में चीन रूस को सैन्‍य मदद कर सकता है. क्‍योंकि अमेरिका-चीन टकराव के बाद बीज‍िंग और मॉस्को की दोस्‍ती काफी गाढ़ी हुई है. ऐसे में चीन रूसी की मदद में आगे आ सकता है. अमेरिका जानता है कि अगर इस जंग में चीन ने रूसी सेना की मदद की तो इस युद्ध का फलक बड़ा हो जाएगा. ऐसे में नाटो सदस्‍य देश और अमेरिका मौन नहीं रह सकते हैं. इसके अलावा उसका इशारा ताइवान को लेकर भी है. इस मौके का लाभ उठाकर चीन ताइवान पर हमला कर सकता है. इसलिए बाइडेन प्रशासन ने यह सख्‍त संदेश दिया है कि अगर चीन ने किसी तरह की हरकत की तो उसका अंजाम अच्‍छा नहीं होगा. अमेरिका ने प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष ताइवान और यूक्रेन दोनों को लेकर चेतावनी जारी की है.

अमेरिका-चीन टकराव के बाद बीज‍िंग और मॉस्को की दोस्‍ती काफी गाढ़ी हुई है. ऐसे में चीन रूसी की मदद में आगे आ सकता है. अमेरिका जानता है कि अगर इस जंग में चीन ने रूसी सेना की मदद की तो इस युद्ध का फलक बड़ा हो जाएगा. 

चीन के विदेश मंत्री वांग की भारत समेत एशियाई मुल्‍कों की यात्रा के क्‍या निहितार्थ हैं?

पूर्वी लद्दाख में भारत चीन सीमा विवाद के बावजूद चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा को बड़े अचरज के रूप में देखा जा रहा है. इसका संबंध रूस यूक्रेन से जोड़कर देखा जा सकता है. रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत का रुख तटस्‍थता का रहा है. भारत ने किसी भी समस्‍या के समाधान के लिए किसी भी तरह के जंग की निंदा की है.हालांकि, अमेरिका का दबाव इसके उलट रहा है रूस भारत के इस स्‍टैंड को अपने पक्ष में देखता है. चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा के पीछे रूस का हाथ हो सकता है. चीन की उदारता का यह निष्‍कर्ष निकाला जा सकता है कि दोनों देशों के बीच कोई सैन्‍य टकराव की स्थिति नहीं है. दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य है और सीमा विवाद का वार्ता के ज़रिए समाधान निकाला जा सकता है.


यह लेख मूल रूप से जागरण में प्रकाशित हो चुका है. 

ओआरएफ हिन्दी के साथ अब आप FacebookTwitter के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं. नए अपडेट के लिए ट्विटर और फेसबुक पर हमें फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें. हमारी आधिकारिक मेल आईडी [email protected] के माध्यम से आप संपर्क कर सकते हैं.


The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.