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नोटबंदी के कारण भारत से नेपाल जाने वाले पर्यटकों का प्रवाह बुरी तरह प्रभावित हुआ। भारतीय पर्यटक नेपाल के लिए महत्वपूर्ण हैं।
नेपाल में, भारतीय मुद्रा वित्तीय लेन-देन के लिहाज से विधि मान्य मुद्रा या वैध मुद्रा नहीं है। फिर भी, व्यवहार में, इसे नेपाल के हर हिस्से में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है — चाहे वह तराई हो, पहाड़ी क्षेत्र हो या पर्वतीय क्षेत्र ही क्यों न हो। प्रचलन और स्वीकार्यता के लिहाज से देश में नेपाली रुपये के बाद दूसरे नंबर पर कोई और नहीं, बल्कि भारतीय मुद्रा ही है। इतना ही नहीं, नेपाल में कुल मौद्रिक लेन-देन का पांचवां हिस्सा भारतीय मुद्रा में ही होता है। [1]
भारतीय मुद्रा व्यापक रूप से प्रचलन में है क्योंकि नेपाल की कामकाजी आबादी अपने साथ भारत से बड़ी संख्या में भारतीय नोट प्रेषणों के रूप में लाती है। विशेष रूप से देश के सीमावर्ती तराई क्षेत्र में भारत के साथ व्यापार और अन्य वाणिज्यिक लेन-देन में नेपाली रुपये की तुलना में भारतीय मुद्रा का कहीं अधिक उपयोग किया जाता है। तराई के लोगों को नेपाल-भारत सीमा के पार उत्पादों को खरीदने या बेचने के लिए भारत जाना पड़ता है, जिसके लिए वे केवल भारतीय मुद्रा का ही उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर, महाकाली जोन में अवस्थित चंदानी और दोधारा वीडीसी में लोग वित्तीय लेन-देन के लिए मुख्यत: भारतीय मुद्रा का ही उपयोग करते हैं। इस क्षेत्र में 95 प्रतिशत से भी अधिक लेन-देन एकमात्र भारतीय मुद्रा में ही होते हैं। [2] यही स्थिति नेपाल-भारत सीमा के कई अन्य हिस्सों में भी देखी जाती है।
सीमा क्षेत्र में नेपाली और भारतीय लोगों की परस्पर निर्भरता का ही यह नतीजा है कि जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 रुपये और 1,000 रुपये के उच्च मूल्य वाले बैंक नोटों का चलन बंद करने (विमुद्रीकरण) की घोषणा की तो इसका तत्काल असर नेपाल की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा।
गौरतलब है कि भारत के अनुरोध पर नेपाल में वर्ष 2014 तक 500 रुपये और 1,000 रुपये के भारतीय नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नेपाल से भारत में नकली नोट आने की बढ़ती समस्या के कारण यह प्रतिबंध लगाया गया था। यह प्रतिबंध अगस्त 2015 में हटा दिया गया था और इसके साथ ही भारत से नेपाल आने वाले लोगों को अपने साथ अधिकतम 25,000 रुपये तक की धनराशि के बराबर 500 रुपये और 1,000 रुपये के भारतीय नोटों को लाने की अनुमति दी गई।
हालांकि, इस बात के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि नेपाल में व्यापारियों, प्रवासी मजदूरों के परिवारों, सीमा पर रहने वाले निवासियों और आम लोगों के पास फिलहाल उच्च मूल्य वाले ये भारतीय करेंसी नोट अधिकतम कितनी राशि के हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि कुछ नेपाली लोगों के पास अरबों रुपये मूल्य के ये करेंसी नोट हैं। [3]
विभिन्न रिपोर्टों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि विमुद्रीकरण या नोटबंदी की घोषणा के बाद बुरी तरह घबरा कर कुछ भारतीय कंपनियां/लोग प्रतिबंधित नोटों के साथ नेपाल पहुंच गए और नेपाली रुपये के साथ उनकी अदला-बदली या तो कुछ विशेष नेपाली वाणिज्यिक बैंकों या अनधिकृत इकाइयों (यूनिट) में कर दी। 100 भारतीय रुपये के समतुल्य 160 नेपाली रुपये होने की आधिकारिक विनिमय दर के बावजूद इन बड़े कॉरपोरेट घरानों/लोगों ने 100 भारतीय रुपये की अदला-बदली महज 100 नेपाली रुपये के साथ ही कर दी। [4]
यह माना जाता है कि बैंकों सहित नेपाली वित्तीय संस्थानों ने जितने प्रतिबंधित करेंसी नोट अपने पास होने की घोषणा की है उससे कहीं बहुत ज्यादा इस तरह के नोट उनके रिजर्व में हैं। आधिकारिक तौर पर देश के केंद्रीय बैंक यानी नेपाल राष्ट्र बैंक ने घोषणा की है कि नेपाल के बैंकिंग चैनलों में 33.6 मिलियन मूल्य के 500 और 1,000 रुपये के भारतीय नोट हैं। [5] हालांकि, फेडरेशन ऑफ नेपाली चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफएनसीसीआई) के प्रमुख पशुपति मुरारका ने अनुमान लगाया है कि नेपाल में लोगों और अनौपचारिक क्षेत्रों (सेक्टर) के पास 10 अरब रुपये मूल्य के 500 और 1,000 रुपये के प्रतिबंधित भारतीय नोट हैं। [6]
भारत में नोटों पर प्रतिबंध लगाने के तुरंत बाद ही नेपाल राष्ट्र बैंक और वाणिज्यिक बैंकों सहित नेपाल के वित्तीय संस्थानों ने प्रतिबंधित भारतीय नोटों के साथ अदला-बदली बंद कर दी। यह प्रतिबंध तो अब भी 500 रुपये और 2,000 रुपये के नए भारतीय नोटों के चलन पर भी लगा हुआ है क्योंकि नेपाल राष्ट्र बैंक का कहना है कि ये नये भारतीय नोट ‘अनधिकृत और अवैध’ हैं। [7] नए नोटों के केवल तभी वैध होने की उम्मीद है जब भारत से विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) अधिसूचना प्राप्त हो जाएगी। [8] हालांकि, यह अभी ज्ञात नहीं है कि क्या नेपाल को भारत से ऐसी कोई फेमा अधिसूचना प्राप्त हुई है।
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में नेपाल राष्ट्र बैंक ने भी नेपाल में भारतीय बैंक नोटों की अदला-बदली की सीमा कम कर दी। एक प्रावधान बनाया गया था जिसके तहत कोई भी व्यक्ति बैंक में नागरिकता प्रमाण पत्र पेश करके नेपाली रुपये की अदला-बदली भारतीय रुपये के साथ कर सकता था, जिसके लिए 2,000 रुपये की सीमा तय की गई। भारत की यात्रा करने की पुष्टि के लिए हवाई या ट्रेन टिकट की प्रतियां पेश करके कोई भी व्यक्ति नेपाली रुपयों का विनिमय भारतीय रुपयों के साथ कर सकता था जिसके लिए 10,000 रुपये की सीमा तय की गई। वहीं, चिकित्सा के आधार पर भारत में उपचार के लिए कोई भी व्यक्ति 25,000 भारतीय रुपये तक की अदला-बदली करने का हकदार है। [9] हालांकि, वास्तविक व्यवहार में लाने के लिहाज से आम लोगों को इस तरह की व्यवस्था से शायद ही कोई खास फायदा हो सका।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के बढ़ते रसूख की बदौलत दुनिया के कई देशों में भारतीय मुद्रा की भारी मांग है। गौरतलब है कि दुनिया के दूसरे देश की तुलना में नेपाल और भूटान में भारतीय मुद्रा कहीं ज्यादा चलन में है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश के केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान भारतीय मुद्राओं की मांग पूरी करने में विफल रहे हैं। यह भी एक वजह है कि नेपाली रुपयों के एवज में भारतीय रुपयों की खरीदारी करते समय किसी भी व्यक्ति को आधिकारिक विनिमय दर से कहीं बहुत अधिक भुगतान क्यों करना पड़ता है।
नेपाल में भारतीय मुद्रा की कमी कोई नई घटना नहीं है। इतने सालों तक आम तौर पर लोग और विशेष रूप से तराई के लोग भारतीय मुद्रा की भारी किल्लत का सामना करते रहे हैं। नेपाल राष्ट्र बैंक और वाणिज्यिक बैंक लोगों की आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त भारतीय मुद्रा की आपूर्ति करने में समर्थ नहीं रहे हैं। विमुद्रीकरण या नोटबंदी से स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई। दरअसल, इसके बाद नेपाल में भारतीय मुद्रा की जितनी किल्लत रही, उससे पहले ऐसा आलम कभी भी नहीं था।
जिन लोगों को भारतीय मुद्रा की जरूरत होती है, उनमें से ज्यादातर के पास इसे पाने के लिए काला बाजार में अनधिकृत इकाइयों (यूनिट) से संपर्क साधने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहता है, जो इसके एवज में अनाप-शनाप चार्ज वसूलते हैं। वहीं, भारतीय मुद्रा की बढ़ती मांग के कारण बाजार में अनौपचारिक रूप से ही सही, लेकिन नेपाली मुद्रा का अवमूल्यन कर दिया जाता है। आधिकारिक तौर पर, नेपाली मुद्रा का मूल्य स्थिर प्रतीत होता है क्योंकि भारतीय मुद्रा के मुकाबले नेपाली मुद्रा की कीमत एक स्तर पर तय कर दी जाती है। यदि खुले बाजार में नेपाली रुपये और भारतीय रुपये के बीच मुक्त विनिमय दर तय करने की अनुमति दे दी गई, तो नेपाली रुपये की कीमत और भी नीचे आ जाएगी।
ऐसे समय में जब नेपाल में भारतीय मुद्रा की भारी किल्लत महसूस की जा रही थी, तो उस दौरान इसके क्षेत्र से होते हुए भारत को सोने की तस्करी से इसकी आवश्यकता पूरी करने में काफी मदद मिली। पिछले कुछ समय से नेपाल के रास्ते किसी तीसरे देश/देशों से सोने की तस्करी बड़े पैमाने पर बढ़ रही है। भारतीय बाजार में सोने की मौजूदा आपूर्ति से उसकी कुल मांग पूरी नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि सोने की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है और हाल ही में भारत को सोने की तस्करी हेतु नेपाल एक महत्वपूर्ण पारगमन देश के रूप में उभर कर सामने आया है। अनगिनत भारतीय नेपाली बाजार में सोना खरीदते समय नेपाली लोगों को भारतीय मुद्रा में भुगतान करते हैं, जो देश में भारतीय मुद्रा की आपूर्ति के प्रमुख स्रोतों में से एक है।
इसलिए, मुद्रा विनिमय में शामिल कई लोग आधिकारिक विनिमय दर से भी ज्यादा रेट पर भारतीय मुद्रा सोने के डीलरों से खरीदते हैं। इस तरह की भारतीय मुद्रा इससे भी अधिक दर पर प्राय: जरूरतमंद लोगों को उपलब्ध कराई जाती है। वास्तव में, यदि नेपाल के स्वर्ण डीलरों की ओर से भारतीय मुद्रा की इस तरह से आपूर्ति नहीं होती, तो नेपाल में संभवत: खलबली मच जाती।
भारतीय अर्थव्यवस्था में काली नकदी (ब्लैक कैश) समग्र रूप से काली अर्थव्यवस्था का 9.2 प्रतिशत है। जहां तक भारत में काली अर्थव्यवस्था (ब्लैक इकोनॉमी) का सवाल है, यह जीडीपी का 25 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है। [10] चाहे धन काला था या सफेद, बेकार पड़ा ज्यादातर पैसा बैंकिंग चैनल में वापस आ गया। उच्च मूल्यवर्ग के लगभग 97 प्रतिशत नोट बैंक खातों में वापस आ गए। [11] इस बात की प्रबल संभावना है कि इस तरह की समस्त धनराशि को किसी-न-किसी आर्थिक गतिविधि में निवेश कर दिया जाएगा। इससे न केवल आय बढ़ेगी, बल्कि भारत में रोजगार अवसर भी सृजित होंगे।
यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि भारत में नोटों पर लगाए गए प्रतिबंध से नेपाल आखिरकार किस तरह लाभान्वित होगा। हालांकि, यह व्यापक रूप से माना जाता है कि कई ऐसे तत्व जो नेपाल से या उसके रास्ते भारत में नकली भारतीय मुद्रा की आपूर्ति करने की गतिविधियों में लिप्त रहे थे वे रातों-रात दिवालिया हो गए। इससे उन सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी राहत मिली जिन्हें इस तरह की गतिविधियों को नियंत्रित करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
विश्व बैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावनाएं — अनिश्चितता के इस दौर में कमजोर निवेश पर अपनी हालिया रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि ‘भारत के घटनाक्रम से व्यापार एवं प्रेषण चैनलों के जरिए नेपाल और भूटान पर पड़ रहे अप्रत्यक्ष असर (स्पिलओवर) से भारत के पड़ोस में विकास प्रभावित हो सकता है।’ [12] तदनुसार, यह पाया गया कि नेपाल और भारत के बीच व्यापार एवं अन्य वाणिज्यिक गतिविधियां काफी हद तक प्रभावित हुईं। देश के स्थानीय शेयर बाजारों में भी 27 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। [13]
विमुद्रीकरण या नोटबंदी के कारण भारत से नेपाल जाने वाले पर्यटकों का प्रवाह बुरी तरह प्रभावित हुआ। नेपाल में पर्यटकों के कुल आगमन में अब भी अच्छी-खासी हिस्सेदारी रखने वाले भारतीय पर्यटक अपने साथ बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा लाते हैं। लेकिन इस घटना के बाद उनकी संख्या में भारी गिरावट आई। 25 अप्रैल, 2015 को आए भूकंप के बाद फिर से विकास की तेज रफ्तार पकड़ रहे नेपाल के पर्यटन उद्योग को भारतीय नोटों का चलन बंद करने से तगड़ा झटका लगा।
विमुद्रीकरण या नोटबंदी ने नेपाल के कैसीनो उद्योग को भी हिला कर रख दिया। भारतीय पर्यटकों ने कैसीनो में खेलने के लिए बड़े पैमाने पर नेपाल आना बंद कर दिया। इसका मुख्य कारण यह था कि एटीएम या अपने बैंक खातों से आवश्यक राशि को वापस निकालने में असमर्थ होने के कारण उन्हें तरलता की कमी से जूझना पड़ा। यही नहीं, इस वजह से होटलों में कमरों की बुकिंग भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी। [14]
काठमांडू में 10 बड़े कैसीनो हैं, जिनमें होटल सॉलेटे, होटल याक एंड यति, होटल हयात रीजेंसी और होटल संगरीला भी शामिल हैं। इसके अलावा, काठमांडू में एक मिनी कैसीनो और नेपाल-भारत सीमा पर चार मिनी कैसीनो हैं। कैसीनो के लगभग दो तिहाई ग्राहक भारतीय ही हैं। इसी तरह मिनी कैसीनो में 95 फीसदी ग्राहक भारतीय ही हैं।
भारत में नोटों पर लगाए गए प्रतिबंध ने नेपाल के सभी भागों में रहने वाले लोगों को प्रभावित किया। हालांकि, जिन नेपाली लोगों ने भारत में अपना प्रवेश सुनिश्चित कर लिया था, वे किसी तरह प्रतिबंधित नोटों को नए नोटों में बदलने में कामयाब रहे। फिर भी, ऐसे कई लोग हैं जो किसी-न-किसी वजह से ऐसा करने में विफल रहे हैं। जो लोग सर्वाधिक प्रभावित हैं वे वास्तविक लोग हैं जो पिछले साल 30 दिसंबर तक की निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रतिबंधित नोटों को नए नोटों में बदलने में नाकाम रहे।
नोटों पर प्रतिबंध लगाने की वजह से उत्पन्न स्थिति की गंभीरता को भलीभांति समझते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से बात की, ताकि कोई एक ऐसी व्यवस्था विकसित की जा सके जिसके तहत पुरानी भारतीय मुद्रा अपने पास रखने वाले नेपाली लोग उन्हें नए भारतीय नोटों में बदल सकें। इस आशय की खबर भी आ रही थी कि नेपाल राष्ट्र बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे थे। वित्त मंत्रालयों के स्तर के साथ-साथ कूटनीतिक स्तर पर भी दोनों देशों के बीच बातचीत की खबरें थीं। इन सभी के अलावा, संकट का समाधान करने के लिए दोनों देशों के बीच एक समिति का गठन भी किया गया था। हालांकि, इसका समाधान खोजने के लिए अभी तक कोई तंत्र विकसित नहीं किया जा सका है।
नेपाल राष्ट्र बैंक 500 रुपये और 1,000 रुपये के प्रतिबंधित भारतीय नोटों की अदला-बदली को सुविधाजनक बनाने के लिए 22 फरवरी, 2017 तक एक भारतीय टीम के नेपाल आने की उम्मीद कर रहा था। लेकिन ऐसी कोई टीम नहीं आई। [15] प्रारंभ में, नेपाल राष्ट्र बैंक ने भारत के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि किसी भी नेपाली व्यक्ति को अधिकतम 25,000 रुपये तक की भारतीय मुद्रा की अदला-बदली करने की अनुमति दी जा सकती है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि यदि नेपाल द्वारा सुझाए गए तौर-तरीके को भारत स्वीकार कर लेता है तो नेपाल के लोगों को कुछ हफ्तों तक तय सीमा के भीतर प्रतिबंधित भारतीय नोटों की अदला-बदली करने की अनुमति मिल जाएगी।
हालांकि, कुछ हलकों में यह आशंका जताई जा रही है कि भारत में बेईमान तत्व अपने पास रखे समस्त प्रतिबंधित नोटों को नेपाल ला सकते हैं और फिर नए नोटों के साथ उनकी अदला-बदली कर सकते हैं। यह भी एक कारक (फैक्टर) है जिसके मद्देनजर नेपाल में पुराने नोटों को नए नोटों में बदलने के लिए कोई व्यवस्था विकसित करने में इतनी देरी हो रही है।
फिर भी, नेपाल में लोगों के कुछ विशेष समूह अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि इस महीने के आखिर तक कोई न कोई व्यवस्था विकसित कर ली जाएगी। लेकिन दूसरों को ऐसे किसी भी समाधान के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। मार्च का आखिर अब भी बहुत से लोगों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में नोटों पर प्रतिबंध के तुरंत बाद यह घोषित किया गया था कि जो लोग उच्च मूल्यवर्ग के पुराने नोटों को नए नोटों में बदलने में सक्षम नहीं होंगे वे अब भी भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालयों में ऐसा कर सकेंगे, बशर्ते कि इसके लिए उनके पास पर्याप्त औचित्य या दलीलें हों।
यह सच है कि कई नेपाली, चाहे वे पहाड़ी अथवा पर्वतीय या तराई क्षेत्रों में ही क्यों न रहते हों वे अपने संपर्कों या संबंधों के जरिए भारत में अपनी पहुंच या प्रवेश का उपयोग करते हुए किसी न किसी तरह से पुराने मुद्रा नोटों को नए नोटों में बदलने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, इस देश में अब भी कई ऐसे लोग हैं जो प्रतिबंधित नोटों को नए नोटों में नहीं बदल पाए हैं। उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी बेईमान या असामाजिक तत्व को नेपाल में काला धन लाने और फिर इसे सफेद धन में बदलने का कोई भी मौका दिए बगैर इस मुद्दे को तुरंत सुलझाने के लिए कोई विशेष व्यवस्था विकसित करने की सख्त जरूरत है।
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Hari Bansh Jha was a Visiting Fellow at ORF. Formerly a professor of economics at Nepal's Tribhuvan University, Hari Bansh’s areas of interest include, Nepal-China-India strategic ...
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