Author : Harsh V. Pant

Published on Sep 05, 2018 Updated 0 Hours ago

पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान ने मुख्या रूप से सभी घरेलू मुद्दों की बात की है, जो मुल्क को कगार से वापस लाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हों ने भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने और पाकिस्तानी समाज के सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को वापस लाने के लिए अपनी दृढ़ इच्छा व्यक्त की है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट रुप से यह व्यक्त नहीं किया कि क्या वह मिलिट्री इंडस्ट्रियल कांप्लेक्स को बढ़ाएंगे या कम करेंगे जो कई तरीके से पाकिस्तान के अधिकांश समस्याओं के केंद्र में हैं।

नया पाकिस्तान और पुरानी सोच

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रुप में इमरान खान के पहले भाषण को पाकिस्तान में सराहा गया और कई लोगों का तो ये सुझाव था कि उन्होंने सभी पहलुओं को छुआ। अपने 70 मिनट के लंबे भाषण में उन्होंने मूल रूप से चुनावी वादों का पुनर्मूल्यांकन किया जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म करने और नये पाकिस्तान के लिए अपने विजन को रेखांकित करने का वादा किया था। इमरान खान ने अपने उस महत्त्वाकांक्षा की बात कि जहाँ वो इस्लाम पर आधारित कल्यानकारी प्रणाली की शुरुआत करना चाहते हैं जिससे गरीबी को मिटाने और इतने बड़े कर्ज को कम करने के एक इमाम्दारी कि मुहीम शुरू होगी।

उन्होंने स्पष्ट रुप से तर्क देते हुए कहा कि “हमने ऋण पर आश्रित रहने और दूसरे देशों की सहायता पर रहने की बुरी आदत बनाई है,” यह बताते हुए कि, “एक देश को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए।” पाकिस्तान के सामने आने वाली आर्थिक संकट के लिए पिछली PML-N सरकार को दोषी ठहराते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि, “हमें कभी भी पाकिस्तान के इतिहास में ऐसी मुश्किल आर्थिक परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा है। हम पर ₹28 ट्रिलियन के कर्ज का बोझ है। पिछले 10 सालों के इतिहास में हम पर कभी इतना ऋण नहीं रहा हैं।” शांति के लिए बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने कहा कि, “हम शांति चाहते हैं क्योंकि बिना शांति बहाल के पाकिस्तान समृद्ध नहीं हो सकता हैं।” ख़ान पड़ोसी देशों के संबंधों के साथ-साथ बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा के हालात को बेहतर करने और अफ़गानिस्तान के साथ जनजाति क्षेत्रों में सीमा सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करने का वादा कर रहे हैं। ख़ान के मुताबिक पाकिस्तान भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए तैयार है। उनकी सरकार वार्ता के माध्यम से कश्मीर के मुद्दे सहित सभी विवादों को हल करने के लिए दोनों पक्षों के नेताओं को वार्ता की मेज़ पर लाना चाहती है। उन्होंने सुझाव दिया कि “यदि वो हमारे लिए एक कदम चलते हैं तो हम दो चलेंगे लेकिन कम से कम (हमें) शुरुआत करने की जरूरत है।”

इमरान खान को बधाई पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि भारत पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि मोदी के पत्र में पाकिस्तान के साथ किसी भी नई वार्ता के बारे में बात नहीं थी, उन्होंने इस बात को रेखांकित किया की भारत पाकिस्तान के साथ रचनात्मक और सार्थक संबंधों की तलाश में है इसके लिए आतंक-मुक्त दक्षिण एशिया पर काम करने की जरूरत है। लेकिन इस पत्र की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री शह महमूद कुरैशी का बयान भारत पाकिस्तान रिश्तों में चुनौतियों को सामने लाता है। वो “निरंतर निर्बाध वार्ता की आवश्यकता” की बात करते हुए ये भी कहते हैं कि “हम चाहे या ना चाहे कश्मीर एक मुद्दा है और दोनों देशों ने इसे माना है।” आतंकवाद पर भारत का ध्यान और पाकिस्तान की कश्मीर की जिद के बीच संवाद का भविष्य निराशाजनक दिखाई देता है।

पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान ने मुख्या रूप से सभी घरेलू मुद्दों की बात की है, जो मुल्क को कगार से वापस लाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हों ने भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने और पाकिस्तानी समाज के सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को वापस लाने के लिए अपनी दृढ़ इच्छा व्यक्त की है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट रुप से यह व्यक्त नहीं किया कि क्या वह मिलिट्री इंडस्ट्रियल कांप्लेक्स को बढ़ाएंगे या कम करेंगे जो कई तरीके से पाकिस्तान के अधिकांश समस्याओं के केंद्र में हैं। खान की सरकार ने ऐसे वक़्त में सत्ता संभाली है जब पाकिस्तान बुरे आर्थिक संकट में फंसा है। इससे व्यापारिक घाटे और विदेशी भंडार में गिरावट नई सरकार के लिए पाज्यादा अच्छे विकल्प नहीं छोडती। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से $12 बिलियन की आर्थिक मदद की फिराक में है लेकिन अमेरिका ने पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को चेतावनी दे दी है कि पाकिस्तान को ऋण केवल चीनी कर्ज चुकाने के लिए नहीं देना चाहिए।

पाकिस्तान का ‘सदाबहार दोस्त’ चीन, उसकी कई तरीकों से मदद करने की कोशिश कर रहा है। खबरों के अनुसार, इस्लामाबाद को तत्काल विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बीजिंग ने $2 बिलियन की सहायता दी है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का उद्देश्य चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के भाग के रूप में रेलवे, सड़कों और बंदरगाहों का निर्माण करके घाटे में चल रहे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना था। जब चीन को म्यांमार और मलेशिया जैसे देशों से बीआरआइ के मोर्चे पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है जो उसके कर्ज के जाल में फंसने को लेकर सतर्क हुए हैं तब चीन को पाकिस्तान की और ज्यादा जरूरत पड़ने वाली है। इमरान खान का चीन के साथ संबंधों को नेविगेट करना एक कठिन काम होगा क्योंकि उन्हें ये सुनिश्चित करना बाक़ी है कि सीपीईसी परियोजना पाकिस्तानी करदाताओं के लिए बड़ा बोझ न बन जाएँ।

अंतिम विश्लेषण में, इमरान खान एक बहुत ही असुरक्षित प्रधानमंत्री बने रहेंगे। उन्हें पाकिस्तान के मिलिट्री इंडस्ट्रियल कांप्लेक्स ने इस कुर्सी पर बिठाया है और सेना को जब भी ये लगेगा कि इमरान खान का क़द बढ़ रहा है या वो अपने फैसले खुद ले रहे हैं तो वो इमरान खान की कुर्सी फ़ौरन गिरा सकते हैं। सेना पाकिस्तान के अधिकांश समस्याओं का स्रोत है और इसने ऐसा कोई संदेश नहीं दिया है कि उसने अपनी पिछली गलतियों से कोई सबक सीखा है। इसलिए ये संभावना कम लग रही है कि पाकिस्तानी सेना अपनी प्राथमिकताओं और अपने काम करने के ढर्रे में कोई बदलाव लाएगी।

इमरान खान ने यह तर्क दिया है कि “नये पाकिस्तान को नई सोच की जरूरत है।” इस बात का अब तक कोई संकेत नहीं मिला है कि कोई भी “नई सोच” उनके देश के सबसे शक्तिशाली संस्थाओं की सोच को प्रभावित कर रही है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है कि क्या नया पाकिस्तान नई सोच के अनुपस्थिति में उभर सकता है।

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